इसलिए सजाया जाता है क्रिसमस ट्री, रोचक तथ्य और जानकारी

क्रिसमस ईसाइयों का सबसे बड़ा त्यौहार है। ईसाई समुदाय के लोग इस त्यौहार को बहुत धूमधाम और उल्लास के साथ मनाते हैं। यह त्यौहार हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। इसी दिन प्रभु ईसा मसीह या जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था।

क्रिसमस ट्रीजीसस क्राइस्ट एक महान व्यक्ति थे उन्होंने समाज को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने दुनिया के लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया था। इन्हें ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है।

उस समय के शासकों को जीसस का संदेश पसंद नहीं था। उन्होंने जीसस को सूली पर लटका कर मार डाला था। ऐसी मान्यता है कि जीसस फिर से जी उठे थेl

क्रिसमस के त्यौहार मेँ दिन ईसाई लोग अपने घर को भली-भांति सजाते हैं। क्रिसमस की तैयारियां पहले से ही होने लगती हैं।

क्रिसमस पर लगभग एक सप्ताह तक छुट्‍टी रहती है। बाजारों की रौनक बढ़ जाती है। घर और बाजार रंगीन रोशनियों से जगमगा उठते हैं।

क्रिसमस पर प्रार्थनाएं

क्रिसमस पर चर्च में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं। लोग अपने रिश्तेदारों एवं मित्रों से मिलने उनके घर जाते हैं। सभी एक-दूसरे को उपहार देते हैं।

आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। इसकी विशेष सज्जा की जाती है। इस त्योहार में केक का विशेष महत्व है। मीठे, मनमोहन केक काटकर खिलाने का रिवाज बहुत पुराना है। लोग एक-दूसरे को केक खिलाकर पर्व की बधाई देते हैं।

सांताक्लाज का रूप धरकर व्यक्ति बच्चों को टॉफियां-उपहार आदि बांटता है। ऐसा कहा जाता है कि सांता-क्लाज स्वर्ग से आता है और लोगों को मनचाही चीजें उपहार के तौर पर देकर जाता है।

क्यों सजाते हैं क्रिसमस ट्री

क्रिसमस पर खास तरह का वृक्ष सजाया जाता है जिसे क्रिसमस ट्री कहते हैं। यह वृक्ष सदाबहार डगलस, बालसम या फर का होता है। इस पर रंग-बिरंगी लाइट्स लगाई जाती हैं, घंटियां बांधी जाती हैं, हार-फूलों से और अन्य सुंदर चीजों से सजाया जाता है।

क्रिसमस ट्री

इस ट्री के संबंध में कहा जाता है कि जिन घरों में ये पेड़ होता है वहां नकारात्मकता नहीं रहती है।

मान्यता है कि इस वृक्ष को सजाने की परंपरा जर्मनी से शुरू हुई थी। जब ईसा मसीह का जन्म हुआ तो देवताओं ने उनके माता-पिता को बधाई दी थी। इसके लिए देवताओं ने एक सदाबहार फर को सितारों से सजाया था।

उसी दिन से हर साल सदाबहार फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री के प्रतीक के रूप में सजाते हैं। इसकी शुरुआत करने वाला पहला व्यक्ति बोनिफेंस टुयो नामक एक अंग्रेज धर्म प्रचारक था।

क्रिसमस ट्री के बारे मेँ तथ्य

  • क्रिसमस ट्री मुख्य द्वार के दाहिनी ओर रखना चाहिए। इसकी सजावट में उन चीजों का उपयोग करना चाहिए जो हमें पसंद हैं। इससे हमारे जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
  • इंग्लैंड में किसी के जन्मदिन, विवाह या किसी की मृत्यु पर क्रिसमस ट्री लगाने की परंपरा है। ये पेड़ लगाते समय सुखद जीवन की कामना की जाती है।
  • क्रिसमस ट्री के संबंध में मान्यता प्रचलित है कि ये वृक्ष आदम के बाग में भी लगा था। उस समय हव्वा ने इसका फल तोड़ लिया था। जबकि परमेश्वर ने इस वृक्ष के फल तोड़ने के लिए मना किया था। इसके बाद इस पेड़ की पत्तियां सिकुड़ गई और नुकली हो गईं और इसकी वृद्धि रुक गई। जब ईसा मसीन का जन्म हुआ तो ये वृक्ष फिर से बढ़ने लगा।
  • 16वीं सदी में जर्मनी में जब भी आदम और हव्वा का नाटक होता था, तब फर के वृक्ष लगाए जाते थे। स्टेज पर पिरामिड भी रखा जाता था और सितारा लगाया जाता था। समय के साथ पिरामिड और फर का वृक्ष एक हो गए और इस वृक्ष का नाम क्रिसमस ट्री पड़ गया।

जानिए क्या सिखाता है हमें क्रिसमस

क्रिसमस दुनियाभर में उल्लास के साथ मनाया जाता है। खासतौर पर बच्चे इस फेस्टिवल का बहुत आनंद लेते हैं क्योंकि यह बच्चों का मनपसंद त्यौहार होता है। और हो भी क्यों ना, इस दिन बच्चों को ढेर सारे गिफ्ट जो मिलते हैं।

यही नहीं कैंडी, चॉकलेट, आइसक्रीम और भी ढेर सारी चीजें भी खाने को मिलती हैं। आज इस पोस्ट में हम आपको क्रिसमस में छिपी कुछ शिक्षाएं और सही मायनों के बारे में बताने जा रहे हैं, तो चलिए जानते हैं:-

Know what Christmas teaches us

खुश रहिए

सबसे पहले तो आप यह समझ लीजिए कि क्रिसमस आपको बताता है कि आप हर हाल में खुश रहें। अपने पैरेंट्स की खुशी के लिए ऐसे काम करें ताकि उनकी उम्मीदों को ठेस न पहुंचे।

प्रेम बांटिए

क्रिसमस पर आप जी भरकर आनंद लें, लेकिन अपनों के प्रति आभार भी व्यक्त करें। अपने आसपास हर व्यक्ति के साथ प्यार बांटें।

हो सकता है कुछ बच्चे किसी कारणवश यह फेस्टिवल नहीं मना पा रहे हों, उन बच्चों के प्रति व्यक्त किया गया आपका प्रेम उन्हें खुशी दे सकता है।

मिल बांटकर खाइए

हो सकता है आपको उपहार में कुछ न कुछ मिला हो, लेकिन बाहर बहुत से ऐसे भी बच्चे मिलेंगे जिनमें से कुछ के माता-पिता नहीं होंगे या कुछ के पैरेंट्स उन्हें कुछ दिलाने में समर्थ नहीं होंगें। अगर आप अपने इस बार के तोहफे उन बच्चों के साथ शेयर करेंगे तो वे बहुत खुश हो जाएंगे।

फैमिली वैल्यू जानिए

आप बच्चे अकसर मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स में इतना व्यस्त रहते हैं कि अपने परिवार के साथ समय नहीं बिता पाते।

अगर आप उनके साथ समय नहीं बिताएंगे तो फैमिली वैल्यू को नहीं जानेंगे और परिवार के साथ आपकी बॉन्डिंग उतनी मजबूत नहीं हो पाएगी, इसलिए एक नियम बना लें कि क्रिसमस की रात इलेक्ट्रॉनिक चीजों का प्रयोग नहीं करेंगे।

इन सबके अलावा और भी बहुत-सी बातें हैं जो क्रिसमस से सीख सकते हैं जैसे जिद न करना, सब्र रखना, सबके साथ मिलकर रहना आदि। क्रिसमस हमें यही सब तो सिखाता है।

सीखें टीम भावना

क्रिसमस पर अगर आपके माता-पिता आपके लिए पार्टी ऑर्गनाइज कर रहे हैं तो आपके घर में बहुत सारे काम भी होंगे। आप खाना बनाने से लेकर साज-सजावट करने में थोड़ी बहुत मदद कर सकते हैं। इससे आपमें दसरों की मदद करने और टीम की भावना आएगी।

वॉलेंटियर बनिए

अगर आपके आसपास कोई दान – दया का कार्य चल रहा है और आप चाहते हैं, उनकी हेल्प करें तो अपने माता-पिता से
सहयोग मांगें।

दूसरों का सम्मान करिए

आपको अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए और हर व्यक्ति के साथ नम्र भाव से व्यवहार करना चाहिए। आप लोगों से दयालुता का भाव सीखें, इसलिए क्रिसमस की शाम आप एक अच्छा व्यक्ति बनने का संकल्प लें और दयालुता जैसे भाव अपने अंदर भरने की कोशिश करें।

ये हैं क्रिसमस पर बनाए गए अनोखे ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’!!

क्रिसमस या बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। यह हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यह एकमात्र ऐसा फेस्टिवल है, जब पूरे विश्व में एक साथ छुट्टी होती है।

क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। आज इस पोस्ट में हम आपको क्रिसमस पर बने कुछ अनोखे रिकॉर्ड्स के बारे में बताने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं:-

सबसे महंगा क्रिसमस ट्री

स्पेन के केम्पिस्की होटल में साल 2019 में अब तक का सबसे महंगा क्रिसमस ट्री सजाया गया था। इसको डायमंड्स, डिजाइनर ज्वैलरी और कीमती पत्थरों से सजाया गया था।

इसकी कीमत करीब 106 करोड़ रुपए आंकी गई थी। इसे सफेद, काले, गुलाबी और लाल रंग के हीरों से सजाया गया था। इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है।

इससे पहले अबु धाबी के ‘द एमिरेट्स पैलेस‘ में 2010 में बने क्रिसमस ट्री को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दुनिया के सबसे महंगे क्रिसमस ट्री के रूप में शामिल किया गया था।

इस ट्री की कीमत करीब 78.70 करोड़ रुपए थी। इसको नेकलेस, ब्रेसलेट और कीमती घड़ियों से सजाया गया था। इसे सजाने के लिए हीरे, मोती, पन्ना, नीलम जैसे कीमती पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था।

लगभग 40 फीट लम्बे इस पेड़ में सोने और चांदी से बने तीर, बॉल और सफेद लाइटें लगाई गई थीं।

सबसे बड़ा क्रिसमस-मोजा

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दुनिया का सबसे बड़ा क्रिसमस-मोजा (Christmas Stocking) अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना में दिसंबर 2015 में बनाया गया था।

इसकी लंबाई लगभग 43.43 मीटर और चौड़ाई करीब 22.71 मीटर थी। इसे अमेरिका के लोगों द्वारा भेजे गए 1100 से अधिक बुने हुए और क्रोशिए से बुने कंबल से बनाया गया था।

सबसे बड़ा मानव क्रिसमस ट्री

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साल 2015 में केरल के चेंगन्नूर गांव में दुनिया का सबसे बड़ा मानव क्रिसमस-ट्री बनाया गया था, जिसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी स्थान मिला था।

इसमें लगभग 4030 प्रतिभागी शामिल हुए थे। क्रिसमस ट्री को बनाने में ज्यादातर चेंगन्नूर गांव के स्कूली बच्चे शामिल थे।

अंतरिक्ष में जिंगल बेल्स

Jingle Bells first song sung space.

जिंगल बेल्स अंतरिक्ष में गाया गया पहला गीत है। यह 16 दिसंबर 1965 को अंतरिक्ष यात्रियों टॉम स्टैफोर्ड और वैली शिर्रा द्वारा गाया गया था। दुनियाभर में सबसे ज्यादा लोकप्रिय कैरोल गीत (Carol song) यानी आनंद का गीत जिंगल बेल्स है।

प्लास्टिक बोतलों से बना क्रिसमस-ट्री

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साल 2019 में उत्तरी लेबनान के चेक्का गांव में लगभग 1,20,000 प्लास्टिक की बोतलों से क्रिसमस ट्री तैयार किया गया था। इस ट्री की लम्बाई करीब 28.5 मीटर थी और गांववालों ने इसे 20 दिन में तैयार किया था।

यह प्लास्टिक बोतलों से बना दुनिया का सबसे विशाल क्रिसमस-ट्री है, जिसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी जगह मिली थी।
साल 2011 में लिथुआनिया के शहर काउनस के लोग भी प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल कर क्रिसमस-ट्री बना चुके हैं।

इस ट्री को बनाने में लगभग 40,000 प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग हुआ था। यह प्लास्टिक की बोतलों से बने सबसे बड़े क्रिसमस-ट्री के तौर पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुका है।

‘रामानुजन’ की याद में मनाया जाता है ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’

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भारत में 22 दिसम्बर का दिन बेहद गौरवशाली है, जिसे ‘राष्ट्रीय गणित दिवस‘ के तौर पर मनाया जाता है। 1887 में इसी तारीख को महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन का जन्म कोयंबतूर के ईरोड गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

भारत सरकार ने उनके जीवन की उपलब्धियों को सम्मान देने के लिए 22 दिसम्बर यानी उनकी जयंती को ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ घोषित किया था।

आधुनिक काल के देश-दुनिया के महान गणित विचारकों में से एक, उन्होंने अपने जीवनकाल में गणित के विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में विस्तृत योगदान दिया।

बचपन से ही उनका ज्यादातर समय गणित पढ़ने और उसका अभ्यास करने में बीतता था, जिससे अक्सर वह अन्य विषयों में कम अंक पाते थे।

Ramanujan National Mathematics Day

मात्र 12 साल की उम्र में रामानुजन ने ‘त्रिकोणमिति‘ (ट्रिग्नोमैट्री ) में महारत पा ली थी और बिना किसी की सहायता के स्वयं कई ‘प्रमेय‘ यानी थ्योरम्स भी विकसित की थीं।

1912 में घर पर आर्थिक संकट के चलते उन्होंने मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में बतौर क्लर्क नौकरी कर ली। जहां उनके गणित कौशल के मुरीद हुए एक अंग्रेज सहकर्मी ने रामानुजन को ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफैसर जी. एच. हार्डी के पास गणित पढ़ने के लिए भेजा ।

1917 में उन्हें लंदन मैथेमैटिकल सोसायटी के लिए चुना गया जिसके बाद उनकी ख्याति विश्व भर में फैल गई। रामानुजन ने बिना किसी सहायता के हजारों रिजल्ट्स इक्वेशन के रूप में संकलित किए। उन्होंने ‘ डाइवरजेंट सीरीज ‘ पर अपना सिद्धांत भी दिया।

1918 में रामानुजन को ‘ एलीप्टिक फंक्शंस‘ और संख्याओं के सिद्धांत पर अपने शोध के लिए रॉयल सोसायटी का सबसे कम आयु का फैलो चुना गया। 1918 अक्तूबर में ही वह ट्रिनिटी कॉलेज के फैलो चुने जाने वाले पहले भारतीय बने ।

इसके बाद रामानुजन 1919 में भारत लौट आए लेकिन 32 वर्ष की अल्प आयु में ही 26 अप्रैल, 1920 को उनका निधन हो गया। रामानुजन की जीवनी ‘द मैन हू न्यू इंफिनिटी’ 1991 में प्रकाशित हुई और 2015 में इसी नाम से फिल्म रिलीज हुई थी। रामानुजन के बनाए हुए ढेरों ऐसे थ्योरम्स हैं, जो आज भी किसी पहेली से कम नहीं।

क्रिसमस के बारे में 18 विचित्र और रोचक तथ्य!

क्या आप जानते हैं कि पहले सांता क्लॉज को बच्चों को डराने के लिए एक सख्त मिजाज शख्सियत के तौर पर प्रयोग किया जाता था?

क्या आप जानते हैं कि सन 2010 में कोलम्बियाई सरकार ने क्रिसमस पर एक कैम्पेन चला कर 331 आतंकवादियों को आतंक का रास्ता छोड़ने पर मजबूर कर दिया?

जी हाँ, क्रिसमस से जुड़े कुछ ऐसे ही कुछ विचित्र और रोचक तथ्य हम आपको इस पोस्ट में बताने जा रहे हैं, तो चलिए शुरू करते हैं।

संत निकोलस के नाम पर आज सांता-क्लॉज का मस्तमौला और बच्चों का प्रिय पात्र चलन में हैं. दर असल सांता-क्लॉज को पहले कायदे नियम के सख्त व्यक्ति के रूप में प्रयोग किया जाता था।

अमेरिका में सांता-क्लॉज को लिखे गये सारे पत्र सांता-क्लॉज, इंडियानाको जाते हैं। कनाडा में सांता-क्लॉज, नार्थ पोल को भेजे गये लैटर एक स्वैच्छिक समूह (Volunteer Group) से जुड़े लोगों को भेजे जाते हैं। ये लोग बाकायदा इन पत्रों को पढ़ कर उनका जबाव देते हैं।

5 सितंबर 1977 को सौर मिशन के अंतरिक्ष यान Voyager के लिये इसके इंजीनियरों ने पोर्कचॉप प्लाट का प्रयोग करके करीब 10 हजार संभावित पथों में से 100 सबसे उतम पथ चुने।  ताकि Thanksgiving और Christmas की छुट्टियों के दौरान अन्य ग्रहों के साथ इसके संभावित टकरावों को टाला जा सके!
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पेरू में एक गावं ऐसा है जहाँ पर पुराने झगड़ों का निपटारा द्वन्द युद्ध यानि face to face लड़ाई के द्वारा किया जाता है। बच्चे और बड़े-बूढ़े इसमें भाग लेते हैं। ऐसा करके वह नए साल की शुरुआत नए सिरे से करना चाहते हैं।
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पिछली सदी तक, क्रिसमस की पूर्व-संध्या (Chrismas Eve) पर भूतों के डरावने किस्से और कहानियाँ सुनाने का चलन या प्रथा थी। यह प्रथा अब लगभग लुप्त हो चुकी है।
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कई चिड़ियाघरों में दान किये हुए “क्रिसमस ट्री” जानवरों को खिलाए जाते हैं।
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माना जाता है कि अमेरिकन गीतकार और गायक इरविंग बर्लिन का गाना “व्हाईट क्रिसमस” अब तक का बेस्ट सैलिंग (Best Selling) सोलो गाना माना जाता है। इसकी 100 मिलियन से अधिक कापियां बिक चुकी हैं।
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आयरलैंड के न्यू फाउंड लैंड के निवासी मम्मर्ज़(Mummers) का भेष बना कर नाचते गाते हुए घर-घर घूमते हैं। मेजबान उनको पहचानने की कोशिश करते हैं।
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74 वर्षीय इंग्लिश लेखक व् गायक सर जेम्स पॉल मैक्कार्टनी अपने क्रिसमस गाने से हर साल लगभग आधा मिलियन डॉलर कमाते हैं। हालाँकि अधिकतर समीक्षक (Critics) इस गाने को उनका सबसे बुरा गाना मानते हैं।
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सन 1960 से डेनमार्क, फ़िनलैंड, आइसलैंड, नोर्वे, स्वीडन आदि देशों में क्रिसमस ईव पर डोनाल्ड डक कार्टून देखने की प्रथा है।
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दिन-रात खुले रहने वाले डैनी के रेस्तरां (Denny’s restaurants) के दरवाजे बिना ताले के बनाये गये थे। दिक्कत तब आई जब उन्होंने 1988 में पहली बार क्रिसमस पर छुट्टी करने का फैसला किया।
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2010 की क्रिसमस के दौरान कोलम्बियाई सरकार ने जंगलों के पेड़ों पर लाइट्स लगा दी। जब FARC (The Revolutionary Armed Forces of Colombia) के गुरिल्ला (आतंकी) वहां से गुजरे तो लाइट्स जल उठीं। बैनर प्रकट हुए जिन पर हथियार छोड़ देने की अपील लिखी थी। 331 आतंकियों ने हथियार त्याग कर आम जीवन में प्रवेश किया। इस कैंपेन को बेस्ट स्ट्रैटजिक मार्केटिंग एक्सीलेंस का अवार्ड मिला।
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लगभग सारे सबसे लोकप्रिय क्रिसमस गाने, जैसे, ‘विंटर वंडरलैंड’, ‘चेस्टनट रोस्टिंग’, और आई एम ड्रीमिंग ऑफ़ अ वाइट क्रिसमस आदि यहूदी(Jewish) लोगों द्वारा रचे गये हैं।
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प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1914 में क्रिसमस के दौरान जर्मनी और इंग्लैंड के बीच युद्ध-विराम किया गया। उन्होंने अपने टैंटों को लाइट्स से सजाया, नो मैन्स लैंड में उपहारों का आदान-प्रदान किया और आपस में फुटबाल खेला।
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पहली बार 1918 में और फिर पिछले 40 सालों से कैनेडियन प्रान्त नोवा स्कोटिआ अमेरिका के बोस्टन शहर को एक विशाल क्रिसमस ट्री भेज रहा है। यह भेंट वह हैलिफैक्स विस्फोट त्रासदी के समय मदद के लिए बोस्टन का आभार व्यक्त करने के लिए करता है।
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नार्वे के लोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मदद के लिए आभार व्यक्त करने के लिए लन्दन के लोगों को विशाल क्रिसमस ट्री भेंट करते हैं, जिसे Trafalgar Square कहा जाता है।
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जापानी लोग क्रिसमस पर KFC का खाना पसंद करते हैं. यह KFC का चालीस साल पहले की मार्केटिंग का नतीजा है। क्रिसमस के ओर्डर 2 महीने पहले बुक करने पड़ते हैं।
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क्रिसमस पर की जाने वाली खरीद दारी अमेरिका में की जाने वाली कुल सालाना खरीददारी का छठा हिस्सा है।
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विटामिन बी-12 की कमी, कारण एवं स्त्रोत

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विटामिन बी एक अत्यंत आवश्यक विटामिन है, जो पौधे और पशु दोनों खाद्य स्रोतों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसमें  ताजे फल, सब्जियां, गेहूं, दूध, पनीर, मक्खन, खजूर, अनाज, मशरूम, मांस, मछली, अंडे आदि शामिल हैं।

विशिष्ट यौगिकों की उपस्थिति के आधार पर, विटामिन बी को 8 उपप्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है – विटामिन – बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी7, बी9 और बी12, जिन्हें विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स के रूप में जाना जाता है। एक समय में, इन सभी आठ रासायनिक रूप से भिन्न विटामिनों को एक ही विटामिन माना जाता था।

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विटामिन बी के बारे में रोचक तथ्य

  • विटामिन-बी1 को थायमिन के नाम से भी जाना जाता है। वे हमारे तंत्रिका तंत्र के सामान्य कामकाज के लिए एक सहायक प्रणाली के रूप में कार्य करते हैं। इसलिए, यह हमारे दैनिक आहार का एक अनिवार्य हिस्सा है क्योंकि आवश्यक ऊर्जा सीधे हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से प्राप्त होती है।
  • विटामिन-बी के सभी आठ उपप्रकार एंजाइमी प्रतिक्रियाओं के लिए सहकारक हैं और चयापचय प्रक्रियाओं को चलाने के लिए महत्वपूर्ण उत्प्रेरक कार्यक्षमता प्रदान करते हैं।
  • विटामिन-बी2 को राइबोफ्लेविन के नाम से भी जाना जाता है। वे ब्रोकोली, सैल्मन, पालक, अंडे, अनाज और दूध जैसे सभी प्राकृतिक खाद्य उत्पादों में पाए जाते हैं, जो सेलुलर ऊर्जा के उत्पादन का समर्थन करके कार्य करते हैं।
  • मानव शरीर की कोशिकाओं, ऊतकों और अन्य अंगों के समुचित कार्य के लिए विटामिन बी-12 आवश्यक है।
  • विटामिन बी3, जिसे नियासिन भी कहा जाता है। यह निकोटिनिक एसिड के रूपों में से एक है। यह मुख्य रूप से सेलुलर ऊर्जा के उत्पादन में शामिल है और हृदय स्वास्थ्य का भी समर्थन करता है।
  • प्रत्येक विटामिन बी शरीर में एक अद्वितीय और अलग कार्य करता है। विभिन्न प्रकार के विटामिन बी विभिन्न खाद्य स्रोतों से प्राप्त किए जा सकते हैं और इसकी पूर्ति प्रतिदिन की जानी चाहिए क्योंकि इन्हें शरीर में संग्रहीत नहीं किया जा सकता है।
  • विटामिन बी-12 मुख्य रूप से रक्त कोशिकाओं में रक्त के थक्के जमने के कारकों को बढ़ाने, हार्मोन संश्लेषण, हड्डियों, रक्त कोशिकाओं, मांसपेशियों, तंत्रिकाओं और आनुवंशिक सामग्री के निर्माण में मदद करता है।
  • विटामिन-बी5 और बी6 युक्त मुख्य खाद्य स्रोत एवोकाडो, बीन्स, मूंगफली, तिल के बीज, काजू, ब्राउन चावल, दूध, दाल, ब्रोकोली, अंडे की जर्दी, सूरजमुखी के बीज, सोयाबीन आदि हैं।
  • विटामिन-बी सेवन की कुल मात्रा मुख्य रूप से व्यक्ति की उम्र और जीवनशैली पर निर्भर करती है। विटामिन बी की अधिकतम आवश्यक मात्रा 2.5 एमसीजी से 2.8 एमसीजी के बीच होती है।
  • विटामिन-बी पानी में घुलनशील विटामिनों का एक समूह है जो अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने और शरीर के भीतर विभिन्न कार्यों में शामिल होता है, जिसमें हार्मोन और कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन शामिल है, जो स्वस्थ मस्तिष्क समारोह के लिए आवश्यक है, लाल रक्त कोशिकाओं का विकास और विकास में भी शामिल है।

विटामिन बी12 की कमी के क्या कारण हैं?

विटामिन बी12 की कमी तब होती है जब आप पर्याप्त विटामिन बी 12 नहीं खा रहे हैं या आपका शरीर विटामिन बी 12 को ठीक से अवशोषित नहीं कर रहा है। लेकिन इसके अतिरिक्त भी आपको निम्नलिखित कुछ स्थितियों में विटामिन बी12 की कमी (vitamin B12 deficiency) का सामान करना पड़ सकता है :-

गैस्ट्रिटिस Gastritis : गैस्ट्रिटिस पेट की परत की सूजन है, और यह विटामिन बी 12 की कमी का एक सामान्य कारण है। यह आपके पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कमी के कारण विटामिन बी12 की कमी का कारण बन सकता है, जो विटामिन बी12 के अवशोषण के लिए आवश्यक है।

घातक रक्ताल्पता Pernicious anemia : जिन लोगों को घातक रक्ताल्पता है, जो एक दुर्लभ चिकित्सा स्थिति है, वे आंतरिक कारक, आपके पेट द्वारा निर्मित प्रोटीन नहीं बना पाते हैं। आपको आंतरिक कारक की आवश्यकता है ताकि आपका शरीर बी 12 विटामिन को अवशोषित कर सके। घातक रक्ताल्पता वाले लोगों में विटामिन बी12 की कमी होती है।

पाचन रोग Digestive diseases : पाचन तंत्र को प्रभावित करने वाले रोग, जैसे क्रोहन रोग और सीलिएक रोग, आपके शरीर को विटामिन बी 12 को पूरी तरह से अवशोषित करने से रोक सकते हैं।

सर्जरी Surgery : जिन लोगों की गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी (gastrointestinal surgery) होती है, जैसे गैस्ट्रिक बाईपास (वजन घटाने की सर्जरी), उन्हें विटामिन बी 12 को अवशोषित करने में कठिनाई हो सकती है।

शराब का सेवन विकार Alcohol use disorder :- यह स्थिति आपके पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती है और विटामिन बी 12 की कमी का कारण बन सकती है।

ट्रांसकोबालामिन II की कमी Transcobalamin II deficiency : यह एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है जो शरीर के भीतर विटामिन B12 (जिसे कोबालिन के रूप में भी जाना जाता है) के परिवहन को बाधित करता है।

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लक्षण

विटामिन बी12 की कमी से शारीरिक, स्नायविक और मनोवैज्ञानिक लक्षण हो सकते हैं। विटामिन बी 12 की कमी के लक्षण धीरे-धीरे विकसित हो सकते हैं और समय के साथ खराब हो सकते हैं, इसी कारण इस समस्या को क्रोनिक की श्रेणी में भी रखा जाता है।

यहाँ ध्यान देने वाली बात यह भी है कि कुछ लोगों के शरीर में विटामिन बी12 का स्तर कम होने के बावजूद उनके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। विटामिन बी12 की कमी वाले लोगों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण और/या बिना एनीमिया (लाल रक्त कोशिकाओं की कमी) के नुकसान हो सकते हैं।

विटामिन बी12 की कमी के सामान्य शारीरिक लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं :-

  • बहुत थकान या कमजोरी महसूस होना।
  • हमेशा की तरह भूख नहीं लग रही है।
  • वजन घटना।
  • मतली, उल्टी या दस्त का अनुभव करना।
  • मुंह या जीभ में दर्द होना।
  • पीली त्वचा होना।

विटामिन बी 12 की कमी के न्यूरोलॉजिकल लक्षण (Neurological symptoms) 

  • आपके हाथों और पैरों में सुन्नता या झुनझुनी।
  • नज़रों की समस्या।
  • चीजों को याद रखने में कठिनाई होना या आसानी से भ्रमित होना।
  • चलने या बोलने में आपको आम तौर पर कठिनाई होती है।
  • यदि विटामिन बी 12 की कमी से तंत्रिका संबंधी समस्याएं विकसित होती हैं, तो वे प्रतिवर्ती नहीं हो सकती हैं।

विटामिन बी 12 की कमी के मनोवैज्ञानिक लक्षण

  • उदास महसूस करना।
  • चिड़चिड़ापन महसूस होना।
  • सामान्य से ज्यादा थकान महसूस करना जो कि आराम करने के बाद भी दूर न होना।
  • आपके महसूस करने में बदलाव होना।
  • आपके तरीके और व्यवहार में बदलाव होने लगना।

विटामिन बी-12 के स्रोत

विटामिन बी-12 की खुराक पशु और पौधों दोनों उत्पादों में पाई जाती है। इन पूरकों में दूध, समुद्री भोजन, मांस, अंडे और अन्य डेयरी उत्पाद शामिल हैं। पादप उत्पादों में सब्जियाँ, अनाज, बादाम, जई, चावल, पत्तेदार सब्जियाँ, फल, पेय पदार्थ और अन्य गढ़वाले खाद्य उत्पाद शामिल हैं।

ज्वालामुखी विस्फोट के हैं कई प्रकार

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ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या मुख होता है जिससे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, भस्म आदि बाहर आते हैं। वॉल्केनोज यानी ज्वालामुखियों का नामकरण रोमन अग्नि देवता ‘वल्कन‘ के नाम पर किया गया है।

रोमवासियों का मानना था कि ‘वल्कन’ भूमध्य सागर में स्थित ‘वल्केनो’ में एक द्वीप के नीचे रहते हैं। उस समय मान्यता थी कि वे जब देवताओं के लिए हथियार बनाते हैं तब धरती कांपती है और द्वीप बनते हैं।

पृथ्वी के नीचे की ऊर्जा, यानी जियो थर्मल एनर्जी की वजह से वहां मौजूद पत्थर पिघलते हैं। जब जमीन के नीचे से ऊपर की ओर दबाव बढ़ता है, तो पहाड़ ऊपर से फटता है और ज्वालामुखी कहलाता है। ज्वालामुखी के नीचे पिघले हुए पत्थरों और गैसों को मैग्मा कहते हैं। ज्वालामुखी के फटने के बाद जब यह बाहर निकलता है तो वह लावा कहलाता है।

पर्वतों के शिखर से लावा अक्सर किसी भी ज्वालामुखी का विवरण पर्वतों के शिखर से उगलती हुई आग से होता है, कोई भी ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह के नीचे से गर्म, तरल चट्टानों, राख और गैसों के रूप में धरती की ऊपरी सतह से अचानक नहीं निकलता, ये पदार्थ पर्वतों या पर्वत समान दरारों में काफी समय बीतने पर निकलते हैं।

ज्वालामुखी के शीर्ष पर एक गड्ढा पाया जाता है, जिसे क्रेटर कहा जाता है। इस गड्ढे का आकार कटोरीनुमा होता है। प्रत्येक ज्वालामुखी के विस्फोट का एक विशिष्ट इतिहास होता है, फिर भी अधिकतर ज्वालामुखियों को उनकी विस्फोट की शैली और उनके निर्माण के आधार पर तीन समूहों में रखा गया है।

सक्रिय ज्वालामुख

जिस ज्वालामुखी से नियमित रूप से लावा निकलता रहता है या उसके संकेत (गड़गड़ाहट, थरथराहट) मिलते रहते हैं, उसे सक्रिय ज्वालामुखी कहा जाता है। एक ज्वालामुखी तब तक सक्रिय रहता है, जब तक उसमें मैग्मा का भंडार होता है।

इटली का एटना ज्वालामुखी सक्रिय ज्वालामुखी का बेहतरीन उदाहरण है, जोकि 2500 वर्षों से सक्रिय है। सिसली द्वीप का स्ट्राम्बोली ज्वालामुखी प्रत्येक 15 मिनट के बाद फटता है और भूमध्यसागर का प्रकाश स्तंभ कहलाता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका का सेंट हेलेना तथा फिलिपींस का पिनाट्बो सक्रिय ज्वालामुखी के अन्य उदाहरण हैं। विश्व का सबसे ऊंचा सक्रिय ज्वालामुखी कोटोपैक्सी (5897 मी.) है, जो इक्वेडोर के दक्षिणी भाग में स्थित है और चमकती चोटी (Shining Peak) के नाम से विख्यात है।

प्रसुप्त ज्वालामुखी

इस प्रकार के ज्वालामुखी में लम्बे समय से विस्फोट नहीं हुआ होता है किन्तु इसकी संभावनाएं बनी रहती है। ये ज्वालामुखी जब कभी भी क्रियाशील होते हैं तो जन-धन की अपार क्षति होती है।

प्रसुप्त ज्वालामुखी में मैग्मा तो होता है, लेकिन उसमें कोई हलचल नहीं होती। जापान का फ्यूजियामा, इटली का विसूवियस तथा इंडोनेशिया का क्राकाताओं प्रसुप्त ज्वालामुखी के उदाहरण हैं।

विलुप्त ज्वालामुखी

इस प्रकार के ज्वालामुखी में विस्फोट प्रायः बन्द हो जाते हैं और भविष्य में भी कोई विस्फोट होने की सम्भावना नहीं होती है। ऐसे ज्वालामुखी के मुख का गहरा क्षेत्र धीरे-धीरे क्रेटर झील के रूप में बदल जाता है, जिसके ऊपर पेड़-पौधे उग आते हैं। म्यांमार का पोपा ज्वालामुखी, एडिनबर्ग का आर्थर सीट, ईरान के देवमन्द एवं कोह-ए-सुल्तान विलुप्त ज्वालामुखियों के उदाहरण हैं।

ज्वालामुखी के प्रकार

ज्वालामुखियों को चार प्रकारों में बांटा गया है: सिंडर शंकु, मिश्रित ज्वालामुखी, ढाल ज्वालामुखी, लावा ज्वालामुखी।

सिंडर कोन

सिंडर शंकु गोलाकार या अंडाकार शंकु होते हैं जो एक ही वेंट से निकले लावा के छोटे टुकड़ों से बने होते हैं। सिंडर शंकु स्कोरिया और पाइरोक्लास्टिक्स के ज्यादातर छोटे टुकड़ों के विस्फोट से उत्पन्न होते हैं जो वेंट के चारों ओर बनते हैं।

अधिकांश सिंडर शंकु केवल एक बार फूटते हैं। सिंडर शंकु बड़े ज्वालामुखियों पर फ्लैंक वेंट के रूप में बन सकते हैं, या अपने आप उत्पन्न हो सकते हैं।

समग्र ज्वालामुखी

मिश्रित ज्वालामुखी खड़ी ढलान वाले ज्वालामुखी होते हैं जो ज्वालामुखीय चट्टानों की कई परतों से बने होते हैं, जो आमतौर पर उच्च-चिपचिपापन वाले लावा, राख और चट्टान के मलबे से बने होते हैं। इस प्रकार के ज्वालामुखी ऊँचे शंक्वाकार पर्वत होते हैं जो वैकल्पिक परतों में लावा प्रवाह और अन्य इजेक्टा से बने होते हैं, यही स्तर इस नाम को जन्म देते हैं।

कवच ज्वालामुखी

शील्ड ज्वालामुखी बीच में एक कटोरे या ढाल के आकार के ज्वालामुखी होते हैं जिनमें बेसाल्टिक लावा प्रवाह द्वारा बनाई गई लंबी कोमल ढलानें होती हैं। ये कम-चिपचिपाहट वाले लावा के विस्फोट से बनते हैं जो एक वेंट से काफी दूरी तक बह सकता है।

वे आम तौर पर भयावह रूप से विस्फोट नहीं करते हैं। चूंकि कम-चिपचिपाहट वाले मैग्मा में आमतौर पर सिलिका कम होता है, ढाल ज्वालामुखी महाद्वीपीय सेटिंग्स की तुलना में समुद्री क्षेत्रों में अधिक आम हैं। हवाई ज्वालामुखी श्रृंखला ढाल शंकुओं की एक श्रृंखला है, और वे आइसलैंड में भी आम हैं।

लावा डोम्स

लावा गुंबद तब बनते हैं जब फूटने वाला लावा प्रवाहित होने के लिए बहुत गाढ़ा होता है और एक खड़ी-किनारे वाला टीला बनाता है क्योंकि लावा ज्वालामुखी के वेंट के पास ढेर हो जाता है। इनका निर्माण अत्यधिक चिपचिपे लावा के धीमे विस्फोट से हुआ है।

वे कभी-कभी पिछले ज्वालामुखी विस्फोट के क्रेटर के भीतर बनते हैं। एक मिश्रित ज्वालामुखी की तरह, वे हिंसक, विस्फोटक विस्फोट पैदा कर सकते हैं, लेकिन उनका लावा आम तौर पर मूल वेंट से दूर नहीं बहता है।

ज्वालामुखी विस्फोट के प्रकार

ज्वालामुखी विस्फोट के प्रकार विभिन्न कारकों पर निर्भर करते हैं जैसे मैग्मा का रसायन, तापमान, चिपचिपाहट, आयतन, भूजल की उपस्थिति, पानी और गैस सामग्री।

ज्वालामुखी विस्फोट के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:

हाइड्रोथर्मल विस्फोट: इन विस्फोटों में राख शामिल है न कि मैग्मा। वे हाइड्रोथर्मल सिस्टम के कारण होने वाली गर्मी से संचालित होते हैं।

फ़्रीटिक विस्फोट: यह तब होता है जब मैग्मा की गर्मी पानी के साथ संपर्क करती है। इन विस्फोटों में मैग्मा नहीं बल्कि केवल राख शामिल है।

फ़्रीटोमैग्मैटिक विस्फोट: यह विस्फोट तब होता है जब नवगठित मैग्मा और पानी के बीच परस्पर क्रिया होती है।

स्ट्रोमबोलियन और हवाई विस्फोट: हवाई विस्फोट में आग के फव्वारे होते हैं जबकि स्ट्रोमबोलियन विस्फोट में लावा के टुकड़ों के कारण विस्फोट होते हैं।

वल्कनियन विस्फोट: ये विस्फोट थोड़े समय के लिए होते हैं और 20 किमी की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं।

सबप्लिनियन और फिनियन विस्फोट: सबप्लिनियन विस्फोट 20 किमी की ऊंचाई तक पहुंचते हैं, जबकि प्लिनियन विस्फोट 20-35 किमी तक पहुंचते हैं।

अन्य ग्रहों पर भी ज्वालामुखी

पृथ्वी के अलावा अंतरिक्ष में जीवन को तलाशने के दौरान इस बात का पता चला कि पृथ्वी के समान अन्य ग्रहों पर भी ज्वालामुखी हो सकते हैं। चांद पर देखे गए अंधकारमय भू-खंड मारिया पर क्षुद्र चंद्र घाटियों और गुंबदी ज्वालामुखियों की उपस्थिति की संभावना व्यक्त की गई है।

माना जाता है कि शुक्र ग्रह की सतह के आकार निर्धारण में ज्वालामुखी सक्रियता की भूमिका है। नासा के मेजैलेन अंतरिक्ष यान (1990-1994) द्वारा लिए गए शुक्र ग्रह की सतह के चित्रों के विश्लेषण से पता लगता है कि इसकी अधिकतर सतह ज्वालामुखी पदार्थों से बनी है। इसके अलावा मंगल, बृहस्पति, वरुण और शनि ग्रह पर भी ज्वालामुखी के संकेत मिले हैं।

वायुमंडल का निर्माण

पृथ्वी की सतह का 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा ज्वालामुखियों के फटने का नतीजा है। माना जाता है कि ज्वालामुखी से निकली गैसों से वायुमंडल की रचना हुई।

दुनिया भर में अभी 500 से ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी हैं, इनमें से आधे से ज्यादा ‘रिंग ऑफ फायर‘ का हिस्सा हैं। यह प्रशांत महासागर के चारों ओर हार जैसा है, इसलिए इसे ‘रिंग ऑफ फायर’ कहते हैं।

दुनिया के शीर्ष 10 सबसे बड़ी नस्ल के कुत्ते, एक का तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में है नाम दर्ज

इंसान का सबसे वफादार साथी कुत्ता होता है जो अपने मालिक के लिए जान देने और जान लेने के लिए तैयार रहता है।  कुत्तों से ज़्यादा वफ़ादार शायद ही कोई हो। इंसान और कुत्तों की दोस्ती के कई उदाहरण भी हमने देखे हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो हज़ारों लाखों ख़र्च कर कुत्तों की नई-नई विदेशी नस्लें मंगवाते हैं और उन्हें बच्चों की तरह पालते हैं।

आज की हमारी यह पोस्ट दुनिया की सबसे बड़ी नस्ल के कुत्तों के बारे में है, तो चलिए शुरू करते हैं

इंग्लिश मास्टिफ़

अमेरिकन केनेल क्लब के अनुसार, दुनिया की सबसे बड़ी कुत्तों की नस्लों में से एक इंग्लिश मास्टिफ़ है, जिसे ओल्ड इंग्लिश मास्टिफ़ के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि, मास्टिफ को सबसे भारी कुत्ते की नस्ल माना जाता है।

उनका वजन 50 किलोग्राम (110 पाउंड) से लेकर 155 किलोग्राम (343 पाउंड) तक हो सकता है। मास्टिफ़ की ऊंचाई कंधे पर 63 सेंटीमीटर (25 इंच) से लेकर 91 सेंटीमीटर (36 इंच) तक हो सकती है।

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1989 में, ज़ोरबा नाम के एक इंग्लिश मास्टिफ़, ने 155 किलोग्राम (343 पाउंड) वजन के साथ दुनिया के सबसे भारी और लंबे कुत्ते का रिकॉर्ड तोड़ा था।

ज़ोरबा की नाक से पूंछ तक लंबाई 2.4 मीटर (8 फीट) थी और कहा जाता है कि इसका आकार एक छोटे गधे के बराबर था।

सेंट बर्नार्ड

सेंट बर्नार्ड्स कुत्ते की एक बड़ी नस्ल है जिसकी उत्पत्ति इटली और स्विट्जरलैंड के पश्चिमी आल्प्स में हुई थी। वे मूल रूप से ग्रेट सेंट बर्नार्ड पास के धर्मशाला के लिए बचाव कुत्तों के रूप में पाले गए थे। सेंट बर्नार्ड्स अपने सौम्य और मैत्रीपूर्ण स्वभाव के लिए जाने जाते हैं, और वे महान पारिवारिक कुत्ते हैं।

वे अपने प्रियजनों के प्रति भी बहुत सुरक्षात्मक होते हैं। सेंट बर्नार्ड्स का वजन औसतन 63 से 100 किलोग्राम (140 और 220 पाउंड) के बीच होता है, और उनकी लंबाई 70 से 90 सेंटीमीटर (27 से 35 इंच) तक होती है।

Saint-Bernard
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ग्रेट डेन

ग्रेट डेन नस्ल को सामान्यतः “सभी प्रजातियों का अपोलो” कहा जाता है। ग्रेट डेन विश्व में कुत्तों की सबसे ऊंची नस्लों में से एक है और केवल आयरिश वुल्फ़हाउण्ड ही औसतन इससे ऊंचा हो सकता है।

Great-Dane
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पंजे से कंधे तक 109 सेमी और सिर से पूंछ तक 220 सेमी लंबाई के साथ जॉर्ज वर्तमान विश्व-रिकॉर्ड धारी है। (जॉर्ज 2010 से 2012 तक गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का सबसे लंबा कुत्ता था।) सबसे ऊंचे कद वाले जीवित कुत्ते का विश्व-रिकॉर्ड रखनेवाला पिछला ग्रेट डेन गिब्सन था, जो स्कंध-भाग में 3 1⁄2 फीट (106.7 से॰मी॰) और अपने पिछले पैरों पर 7 फीट 1 इंच (215.9 से॰मी॰) ऊंचा था।

न्यूफ़ाउंडलैंड

न्यूफाउंडलैंड्स अपने विशाल आकार, बुद्धिमत्ता, जबरदस्त ताकत, शांत स्वभाव, बच्चों के प्रति प्रेम और वफादारी के लिए जाने जाते हैं। कुछ न्यूफ़ाउंडलैंड कुत्तों का वज़न 90 किलोग्राम (200 पाउंड) से अधिक हो सकता है।

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रिकॉर्ड पर सबसे बड़े न्यूफ़ाउंडलैंड का वजन 118 किलोग्राम (260 पाउंड) था और नाक से पूंछ तक 1.8 मीटर (6 फीट) से अधिक मापा गया था। न्यूफ़ाउंडलैंड को किसी भी कुत्ते की नस्ल में सबसे मजबूत माना जाता है, यहाँ तक कि वह  ग्रेट डेन, मास्टिफ़ और आयरिश वुल्फहाउंड की कुछ विशेषताओं को भी पीछे छोड़ देता है।

आयरिश वुल्फहाउंड

आयरिश वुल्फहाउंड एक ब्रिटिश नस्ल है जो कुत्तों की सबसे पुरानी और बड़ी नस्लों में से एक है। इनका उपयोग जंगली सूअर और हिरणों का शिकार करने के लिए किया जाता था। आयरिश वुल्फहाउंड की विशेषता इसका बड़ा आकार है।

आयरिश वुल्फहाउंड की लंबाई कम से कम 32-34 इंच हो सकती है और वजन न्यूनतम 54.5 किग्रा हो सकता है। अपने बड़े आकार के बावजूद, वे अपने मधुर और सौम्य स्वभाव के लिए जाने जाते हैं, जो उन्हें महान पारिवारिक पालतू जानवर बनाता है।

तिब्बती मास्टिफ़्स

सदियों पहले, तिब्बत में, तिब्बती मास्टिफ़्स की उत्पत्ति एक आदिम नस्ल के रूप में हुई थी। जिसका उपयोग मुख्य रूप से कठिन हिमालयी इलाकों में रखवाली के लिए किया जाता था।

तिब्बती मास्टिफ़ एक शक्तिशाली और मजबूत नस्ल का कुत्ता है। इनका वजन आमतौर पर 41 से 60 किलो ग्राम के बीच होता है और उनकी ऊंचाई 66 से 76 सेंटीमीटर होती है। वे अपनी सुरक्षात्मक प्रवृत्ति और वफादारी के लिए जाने जाते हैं।

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लियोनबर्गर्स

लियोनबर्गर्स एक विशाल नस्ल का कुत्ता है जो अपने मिलनसार और सौम्य स्वभाव के लिए जानी जाती है। वे मूल रूप से कामकाजी कुत्तों के रूप में पाले गए थे लेकिन अब वे परिवार के पसंदीदा पालतू जानवर हैं। लियोनबर्गर्स की ऊंचाई लगभग 28 से 31 इंच और वजन 120 से 170 पाउंड (लगभग 66 – 75 किग्रा) तक हो सकता है।

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बुलमास्टिफ़

बुलमास्टिफ कुत्ते एक बड़ी नस्ल के कुत्ते हैं। यह अपने शक्तिशाली और मांसल निर्माण के लिए जाना जाता है। बुलमास्टिफ़ बुलडॉग और मास्टिफ़ का मिश्रण है, जिसके परिणामस्वरूप एक मजबूत और विशाल नस्ल बनती है।

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बुलमास्टिफ लंबाई लगभग 25-27 इंच इंच और वजन 110-130 पाउंड (लगभग 50 – 59 किग्रा) तक हो सकता है। वे अपनी वफादारी और सुरक्षात्मक प्रवृत्ति के लिए जाने जाते हैं, जो उन्हें उत्कृष्ट रक्षक कुत्ते बनाता है।

अनातोलियन शेफर्ड

अनातोलियन शेफर्ड कुत्ता मोटी गर्दन और चौड़े सिर वाली एक मांसल नस्ल है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर भेड़ियों, भालू, सियार और यहां तक कि चीतों से भेड़ की रक्षा के लिए किया जाता है। अनातोलियन शेफर्ड की ऊंचाई लगभग 28-31 इंच और वजन 105-130 पाउंड (लगभग 48-60 किग्रा) तक हो सकता है।

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नीपोलिटन मास्टिफ़

नीपोलिटन मास्टिफ़ एक बड़ा कुत्ता है। नीपोलिटन मास्टिफ़ एक अद्वितीय और शक्तिशाली कुत्ते की नस्ल है जो इटली से उत्पन्न हुई है। अपने विशाल आकार और झुर्रीदार त्वचा के कारण, इसका स्वरूप बिल्कुल अलग होता है।

वे अपने शांत और सुरक्षात्मक स्वभाव के लिए जाने जाते हैं, जो उन्हें वफादार और समर्पित साथी बनाता है। नीपोलिटन मास्टिफ अपने परिवारों के साथ गहरा रिश्ता विकसित करते हैं और उनका स्वभाव मधुर और प्रेमपूर्ण होता है। नीपोलिटन मास्टिफ की ऊंचाई लगभग 26-30 इंच और वजन 130-150 पाउंड (लगभग 60-70 किग्रा) तक हो सकता है।

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विजय दिवस पर जानिए इस दिन की कुछ ऐतिहासिक बातें

“विजय दिवस” 16 दिसम्बर को 1971 के युद्ध में भारत की पाकिस्तान पर जीत के उपलक्ष पर मनाया जाता है। इस युद्ध के अंत के बाद 93,000 पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था। 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को हराया था। जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया था। जिसे आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है।

1971 में भारत एवं पाकिस्तान के बीच एक सैन्य संघर्ष हुआ था। इस युद्ध की शुरआत पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम के चलते 3 दिसंबर, 1971 को हो गई थी। यह युद्ध 14 दिसम्बर, 1971 तक चला। यह युद्ध 13 दिन तक चलने वाला सबसे छोटा युद्ध था। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण किया था।

  • इस युद्ध की शुरुआत 1971 में हो गई थी। पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह याहिया ख़ां ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की जनता को सैनिक ताकत से कुचलने का आदेश दे दिया था। इसके बाद शेख मुजीब को गिरफ्तार कर लिया गया। जब भारत में पाकिस्तानी सेना के दुर्व्यवहार की खबरें आने लगीं, तब भारत पर यह दबाव पड़ने लगा कि वह वहां पर सेना के जरिए हस्तक्षेप करे।
  • उस वक्त भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं। वह चाहती थीं कि अप्रैल में पाकिस्तान पर आक्रमण किया जाए। इस बारे में इंदिरा गांधी ने थल सेना  अध्यक्ष  जनरल मानेकशॉ से सलाह ली। मानेकशॉ ने इंदिरा गांधी से स्पष्ट रूप से मना कर दिया और कहा की, कि वे पूरी तैयारी के साथ युद्ध के मैदान में उतरना चाहते हैं।
  • उस वक्त भारत के पास सिर्फ एक पर्वतीय डिवीज़न था और इस डिवीज़न के पास पुल बनाने की योग्यता नहीं थी। उस समय मानसून की शुरुआत होने वाली थी और ऐसे समय में पूर्वी पाकिस्तान में प्रवेश करना मुसीबत बन सकता था।
  • इसके बाद 3 दिसंबर, 1971 को इंदिरा गांधी कलकत्ता में एक जनसभा को संबोधित कर रहीं थीं, उसी समय पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों ने भारतीय वायुसीमा को पार कर पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर, आगरा आदि सैनिक हवाई अड्डों पर बम गिराने शुरु कर दिए।
  • इंदिरा गांधी ने उसी वक्त दिल्ली लौटकर मंत्रिमंडल की आपात बैठक की। और उसके पश्चात युद्ध शुरु हो गया। भारतीय सेना पूर्व में तेजी से आगे बढ़ते हुए जेसोर और खुलना पर अपना कब्जा किया।
  • 14 दिसंबर को भारतीय सेना को एक गुप्त संदेश मिला कि ढाका के गवर्नमेंट हाउस में एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है, जिसमें पाकिस्तानी प्रशासन के बड़े अधिकारी  जैसे गवर्नर मलिक, नियाज़ी भाग लेने वाले हैं। भारतीय सेना ने तय किया और बैठक के दौरान ही मिग 21 विमानों से भवन पर बम गिरा कर मुख्य हॉल की छत उड़ा दी।
  • 16 दिसंबर की सुबह जनरल जैकब जो की भारत के पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल थे को मानेकशॉ का संदेश मिला। जिसमें लिखा था  कि आत्मसमर्पण की तैयारी के लिए तुरंत ढाका पहुंचें। उस समय नियाज़ी के पास ढाका में 26400 सैनिक थे, जबकि भारत के पास सिर्फ 3000 सैनिक  थे।
  • जनरल जैकब पाकिस्तानी लेफ़्टिनेंट जनरल अमीर अब्दुल्ला ख़ाँ नियाज़ी के कमरे में घुसे तो वहां सन्नाटा छाया हुआ था। आत्म-समर्पण का दस्तावेज़ मेज़ पर रखा हुआ था। गवर्नर मलिक ने लगभग कांपते हाथों से अपना इस्तीफा लिखा।
  • पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा और नियाज़ी एक मेज के सामने बैठे और दोनों ने आत्म-समर्पण के दस्तवेज पर हस्ताक्षर किए। नियाज़ी ने नम आंखों से अपना रिवॉल्वर जनरल अरोड़ा के हवाले कर दिया। स्थानीय लोग नियाजी की हत्या पर उतारू थे। भारतीय सेना के वरिष्ठ अफसरों ने नियाज़ी के चारों तरफ एक सुरक्षित घेरा बनाकर बाद में नियाजी को बाहर निकाला गया।
  • इंदिरा गांधी संसद भवन में एक टीवी इंटरव्यू दे रही थीं। तभी जनरल मानेक शॉ ने उन्हें बांग्लादेश में मिली शानदार जीत की खबर दी। इंदिरा गांधी ने लोकसभा में शोर-शराबे के बीच घोषणा की, कि युद्ध में भारत को विजय मिली है। इंदिरा गांधी के बयान के बाद पूरा सदन जश्न में डूब गया।

कहाँ से आई ‘चाय’ जानिए कुछ रोचक तथ्य !!

दुनियाभर में गर्मागर्म चाय के शौकीन लोगों की कमी नहीं है। ज्यादातर लोगों के दिन की शुरुआत ही चाय से होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कहाँ से आई चाय और क्या है इसका इतिहास। अगर नहीं तो, आज इस पोस्ट में हम जानेगें चाय के इतिहास और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में, तो आइए जानते हैं:-

इतिहास

ऐसा कहा जाता है कि चाय की शुरूआत सबसे पहले चीन में 2737 ईसा पूर्व हुई थी। यहां के सम्राट शैन नुंग रोज गर्म पानी पिया करते थे। एक दिन उनके लिए बगीचे में पानी उबाला जा रहा था, तभी कुछ पत्तियां उस पानी में गिर गई।

जिसके बाद उस पानी का रंग तुंरत बदल गया और उसमें खूशबू भी आने लगी। इसको पीने के पश्चात शैन को ताजगी और ऊर्जा महसूस हुई। बस यहीं से शुरू होता है चाय का सफ़र।

चीन अभी भी चाय के निर्यात में अग्रणी है। वह चाय का मुख्य आपूर्तिकर्ता है। आज के इतिहास को देखें तो ताइवान चाय का प्रमुख निर्यातक है। ताईवान ‘ग्रीन टी’ और ‘आलोंग टी’ के लिए प्रसिद्ध है। ताइवान की चाय को अभी भी ‘फारमूसा’ के नाम से पुकारा जाता है।

18वीं सदी में ब्रिटिश ने इसे भारत और श्रीलंका में खोजा। भारत आज ‘ब्लैक टी’ के लिए जाना जाता है। देश में असम, नीलगिरी और दार्जिलिंग चाय पैदा करने वाले मशहूर स्थान हैं। वहीं श्रीलंका सरकार अभी भी अपनी चाय को ब्रिटिश औपनिवेशक नाम सीलोन से ही बाजार में बेचती है।

कहा जाता है कि चाय पीने का इतिहास लगभग 750 ईसा पूर्व से है और भारत में चाय पीने की शुरुआत 2000 साल पहले हुई थी जो एक बौद्ध भिक्षु द्वारा की गई थी।

लगभग 2000 साल पहले बौद्ध भिक्षु चाय की पत्तियों को इसलिए खाते थे ताकि वे अपनी तपस्या आसानी से कर पाएं क्योंकि पत्तियां को खाने के बाद वे काफी देर तक जगने में सक्षम रहते थे।

रोचक तथ्य

  • हर साल पूरे विश्व में 21 मई को अंतराष्ट्रीय चाय दिवस ( International Tea Day ) मनाया जाता है।
  • पानी के बाद टी ऐसा पेय पदार्थ है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा पिया जाता है।
  • शुरू में चाय केवल सर्दियों में दवाई की तरह पी जाती थी। इसे रोज पीने की परंपरा भारत में ही शुरू हुई।
  • भारत में 1835 से चाय पीने की शुरुआत हुई।
  • बच्चों को एक-दो बार चाय पिला दो तो वे चाय को सुगंध से पहचान लेते हैं।
  • खाली पेट दूध वाली चाय पीने से एसिडिटी की समस्या होती है।
  • दिन में दो बार से ज़्यादा चाय पीने पर भूख कम लगता है और अपच की समस्या भी होने लगती है।
  • अमेरिका में लगभग 80% चाय की खपत आइस टी फॉर्म ( Ice Tea Form ) में होती है।
  • ज़्यादातर दुकानों पर सुबह की बनी चाय बारबार उबालकर ग्राहकों को पीने के लिए देते है जोकि स्वास्थ्य के लिए बड़ा ही हानिकारक होता है।
  • कहा जाता है कि 1500 से ज्यादा प्रकार की चाय होती है जिसमें काली, हरी, सफेद और पीली चाय काफी प्रचलित हैं।
  • अगर चाय की पत्तियों को कुछ देर पानी में भिगो दें और उसकी स्मैल (गंध) घर में फैलाएं तो यह प्राकृतिक ‘ऑलआउट’ का काम करता है और मच्छर भगा देता है।
  • चाय अफगानिस्तान और ईरान का राष्ट्रीय पेय है।
  • इंग्लैंड के लोग रोज 16 करोड़ चाय के कप पीते हैं। इस हिसाब से साल में 60 अरब कप चाय पी जाते हैं।
  • काली चाय का उपयोग कुल चाय का 75% है।
  • भारत में चाय का उत्पादन मुख्य रूप से असम में होता है और यह असम का राष्ट्रीय पेय भी है।
  • चाय उत्पादन में चीन पहले नंबर पर है और भारत दूसरे पर।
  • ब्लैक टी यानी काली चाय की सबसे ज्यादा खपत भारत में होती है।
  • तुर्की का हर व्यक्ति रोज 10 कप टी पी लेता है।
  • प्रतिदिन 4-5 कप चाय पीने से पुरूषों में प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) की आशंका बढ़ जाती है।
  • स्ट्रांग टी पीने से अल्सर (Ulcer) होने का खतरा बढ़ता है।
  • बहुत से लोग चाय के इतने आदी होते हैं कि अगर उन्हें चाय ना मिले तो सिरदर्द होने लगता है।
  • ज्यादातर लोग गर्म चाय पीना पसंद करते है लेकिन बहुत से ऐसे भी लोग होते है जो चाय को पूरी तरह से ठंडा करके पीते है।
  • अमेरिका के एक व्यापारी थॉमस सुलिवन ने चाय के सैंपल सिल्क बैग में डालकर ग्राहक को भेजे। ग्राहक ने गलती से पूरा सिल्क बैग ही गरम पानी में डाल दिया। जब सुलिवन को अपनी इस गलती का फायदा मिलने लगा तो उससे टी को बैग्स में डालकर बेचना शुरू किया।
  • चाय में एक ‘एल-थेनाइन’ नाम का इंग्रेडिएंट होता है, जो आपके ब्रेन पॉवर को बढ़ाने में मदद करता है, स्ट्रेस कम करता है, बुद्धि विकास करता है और आपको कुछ देर तक नींद नहीं लगने देता।
  • यह ब्रिटेन का सबसे पसंदीदा पेय बन चुकी थी।
  • चाय फ्लोराइड का प्राकृतिक स्रोत है जो दांतों और मसूड़ों की बीमारियों से बचाता है।
  • चाय के ऊपर लिखी गई पहली किताब 780 ई. में चीन में प्रकाशित हुई थी। इसके लेखक पारखी लू यू थे। पुस्तक विशेष रूप से चाय व्यापारियों के अनुरोध पर लिखी गई थी। इसका नाम ‘चा चिंग’ (चाय की किताब) था।