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जन्माष्टमी: कब और कैसे करें जन्माष्टमी व्रत

जन्माष्टमी हिन्दू धर्म में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। इस पर्व को बाल-गोपाल श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पूरी श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है।

हर साल हिन्दू कैलेंडर के भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। हिन्दू धर्म की मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म पांच हजार साल पहले भाद्रपद मास में रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि की आधी रात को हुआ था।

जन्माष्टमीकब है जन्माष्टमी व्रत

इस साल 2023 को स्मार्त यानि गृहस्थियों के लिए जन्माष्टमी व्रत 6 सितम्बर को है l परंपरा के अनुसार अष्टमी की आधी रात के बाद ही भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद पूजा की जाती है।

इस दिन व्रतानुष्ठान अष्टमी तिथि से शुरू होती है और अगले दिन नवमी पर खत्म होती है। फिर भी कई लोग, अर्द्धरात्रि पर रोहिणी नक्षत्र का योग होने पर सप्तमी और अष्टमी पर व्रत रखते हैं। कुछ भक्तगण उदयव्यापिनी अर्थात शुरू होती अष्टमी पर उपवास करते हैं।

शास्त्रकारों ने व्रत -पूजन, जपादि के लिए अर्द्धरात्रि अर्थात अष्टमी और नवमी के बीच की रात्रि में रहने वाली तिथि को ही मान्यता दी है।

विशेषकर स्मार्त लोग अर्द्धरात्रिव्यापिनी अष्टमी को यह व्रत करते हैं। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, चंडीगढ़ आदि में में स्मार्त धर्मावलम्बी अर्थात गृहस्थ लोग इसी परम्परा का अनुसरण करते हुए सप्तमी युक्ता अर्द्धरात्रिकालीन वाली अष्टमी को व्रत, पूजा आदि करते आ रहे हैं जबकि मथुरा, वृंदावन सहित उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों में उदयकालीन अष्टमी के दिन ही कृष्ण जन्मोत्सव मनाते आ रहे हैं।

भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा की परम्परा को आधार मानकर मनाई जाने वाली जन्माष्टमी के दिन ही केन्द्रीय सरकार अवकाश की घोषणा करती है। वैष्णव संप्रदाय के अधिकांश लोग उदयकालिक नवमी युता जन्माष्टमी व्रत के लिए ग्रहण करते हैं।

कैसे करें जन्माष्टमी व्रत

व्रत अष्टमी तिथि से शुरू होता है। इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद घर के मंदिर को साफ सुथरा करें और जन्माष्टमी की तैयारी शुरू करें।

रोज की तरह पूजा करने के बाद बाल कृष्ण लड्डू गोपाल जी की मूर्ति मंदिर में रखें और इसे अच्छे से सजाएं। माता देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा जी का चित्र भी लगा सकते हैं।

इसके बाद, जप-ध्यान व व्रतानुष्ठान करके ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जाप करें। पूरा दिन व्रत रखें। फलाहार कर सकते हैं। इसके साथ ही यथा संभव भगवान का भजन-कीर्तन, स्वाध्यान, पाठ व भगवान से संबन्धित प्रसंगों का अध्ययन व सेवन करें।

मन और वाणी को संयम में रखें। काम, क्रोध, लोभ, द्वेष, हिंसा, क्लेश, दुर्वचन, ठेस लगाना आदि अप्रिय कार्यों और मांस-मदिरा आदि दुर्व्यसनों से दूर रहने का अभ्यास करना ही उपवास है। इसके लिए ध्यान करें। उपवास केवल अन्न से सिद्ध नहीं होता बल्कि यह क्रिया-कलापों और आचरण से भी परिलक्षित होना अनिवार्य है।

जन्माष्टमी पर मंत्र साधना

भगवान कृष्ण की आराधना के लिए आप यह मंत्र पढ़ सकते हैं

ज्योत्स्नापते नमस्तुभ्यं नमस्त ज्योतिशां पते!
नमस्ते रोहिणी कान्त अध्य मे प्रतिगृह्यताम्!!

संतान प्राप्ति के लिए: संतान की इच्छा रखने वाले दंपति, संतान गोपाल मंत्र का जाप पति-पत्नी दोनों मिलकर करें।

देवकीसुत गोविंद वासदेव जगत्पते!
देहिमे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:!! दूसरा मंत्र:
क्लीं ग्लौं श्यामल अंगाय नमः!!

विवाह में हो रहे विलम्ब के लिए:

ओम् क्ली कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।

इन मंत्रों की एक माला अर्थात 108 मंत्र कर सकते हैं।

जन्माष्टमी व्रत यानि व्रतराज

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूजन के साथ-साथ व्रत रखना बहुत फलदायी माना जाता है। इसे व्रत व्रतराज भी कहा जाता है। इस व्रत का विधि-विधान से पालन करने से कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत सबसे आसान व्रत कहा जा सकता है जिसमें फलाहार, उबले आलू, साबुदाना आदि का सेवन किया जा सकता है।

रात्रि बारह बजे तक व्रत का पालन

जन्माष्टमी का व्रत रात बारह बजे तक किया जाता है। इस व्रत को करने वाले रात बारह बजे तक कृष्ण जन्म का इंतजार करते हैं। उसके पश्चात् पूजा आरती होती है और फिर प्रसाद मिलता है। प्रसाद के रूप में धनिया और माखन मिश्री दिया जाता है क्योंकि ये दोनों ही वस्तुएं श्री कृष्ण को अत्यंत प्रिय हैं। उसके पश्चात् प्रसाद ग्रहण करके व्रत पारण किया जा सकता है। हालांकि सभी के यहां परम्पराएं अलग-अलग होती हैं। कोई प्रात:काल सूर्योदय के बाद व्रत पारण करते हैं तो कोई रात में प्रसाद खाकर व्रत खोल लेते हैं। आप अपने परिवार की परम्परा के अनुसार ही व्रत पारण करें।।

दिन भर अन्न ग्रहण नहीं करें। मध्य रात्रि को एक बार फिर पूजा की तैयारी शुरू करें। रात को 12 बजे भगवान के जन्म के बाद भगवान की पूजा करें और भजन करें। गंगा जल से श्री कृष्ण को स्नान कराएं और उन्हें सुंदर वस्त्र और आभूषण पहनाएं। भगवान को झूला झुलाएं और फिर भजन, गीत-संगीत के बाद प्रसाद का वितरण करें।

ऊष्माघात यानि लू क्या है और इससे कैसे बचें?

आम तौर पर अधिक गर्म हवाओं को लू कहा जाता है. गर्मियों में यह मैदानी क्षेत्रों में आम हैं. दिल्ली से आंध्रप्रदेश तक सैकड़ों लोग लू लगने से मर रहे हैं। हम सभी धूप में घूमते हैं, फिर कुछ लोगों की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है? लू हमें कैसे प्रभावित करती है?

हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है। पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत ज़रुरी और आवश्यक है।

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पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना बंद कर देता है। जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है।

शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन  पकने लगता है, ठीक उसी तरह से जैसे उबलते पानी में अंडा पकता है. स्नायु कड़क होने लगते है, इस दौरान सांस लेने के लिए ज़रुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।

शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग, विशेषतः ब्रेन तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है। व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक- एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और अंतत उसकी मृत्यु हो जाती है।

लू से बचने के लिए क्या करें

गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ को टालने के लिए लगातार थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए. हमारे शरीर का तापमान 37° के आसपास मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिए।

दोपहर के समय, खासकर दोपहर 12 से 3 के बीच ज़्यादा से ज़्यादा घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें।स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें। किसी भी अवस्था मे कम से कम 3 लीटर से 6 लीटर पानी ज़रूर पीएं। किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 ली. पानी ज़रूर पीएं।

ब्लड प्रेशर पर नज़र रखें। हीट स्ट्रोक किसी को भी हो सकता है। ठंडे पानी से नहाएं। चिकन का प्रयोग छोड़ें या कम से कम करें। फल और सब्ज़ियों को भोज़न में ज़्यादा स्थान दें। हीट वेव कोई मज़ाक नहीं है।

एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है, तो ये गंभीर स्थिति है। शयन कक्ष और अन्य कमरों में 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है। अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें।

पढ़ें:  गर्मीयों में क्या करें और क्या ना करें?

 

29 सितम्बर का इतिहास

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29 सितम्बर का इतिहास

  • 1789 अमेरिका के युद्ध विभाग ने स्थायी सेना स्थापित की।
  • 1901 – दुनिया के जाने-माने फिजिसिस्‍ट एनरिको फर्नी का जन्‍म हुआ था।
  • 1913डीजल इंजन का आविष्‍कार करने वाले रुडॉल्‍फ डीजल का निधन हुआ था।
  • 1915टेलीफोन से पहला अंतरमहाद्वीपीय संदेश भेजा गया।
  • 1927अमेरिका और मैक्सिको के बीच टेलीफोन सेवा की शुरुआत हुई।
  • 1928 – भारत के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बृजेश मिश्र का जन्म हुआ।
  • 1932 – अभिनेता, निर्माता-निर्देशक महमूद अली का जन्‍म हुआ था।
  • 1942 – प्रसिद्ध महिला क्रांतिकारी मातंगिनी हज़ारा का निधन हुआ।
  • 1943 – ईरान के पाँचवें राष्ट्रपति मोहम्मद ख़ातमी का जन्म हुआ।
  • 1944पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी गोपाल सेन का निधन हुआ।
  • 1959आरती साहा ने इंग्लिश चैनल को तैरकर पार किया।
  • 1962 – कोलकाता में बिड़ला तारामंडल खुला।
  • 1970मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासिर का निधन हुआ।
  • 1971 – बंगाल की खाड़ी में चक्रवातीय तूफान से करीब 10 हज़ार लोगों की मौत हुई।
  • 1977सोवियत संघ ने स्पेस स्टेशन साल्युत 6 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया।
  • 1978 – दिन पोप जॉन पॉल प्रथम की रहस्यमय हालात में मौत हो गई थी। वे केवल 33 दिनों पहले पोप चुने गए थे और बिस्तर पर पढ़ाई करते-करते अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी।
  • 1979कैथोलिक ईसाइयों के धार्मिक गुरू पोप जॉन पॉल द्वितीय ने आज ही के दिन आयरलैंड के लोगों से हिंसा को त्याग कर शांति के रास्ते पर चलने की अपील की थी।
  • 2000 – चीन की मुन्चोनाक कोयला खान में 100 लोगों की मृत्यु।
  • 2001संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवाद विरोधी अमेरिकी प्रस्ताव पारित किया।
  • 2002 –बुसान में 14वें एशियाई खेलों का उद्घाटन हुआ।
  • 2003 – ईरान ने यूरेनियम परिशोधन कार्यक्रम जारी रखने का निर्णय लिया।
  • 2006 – विश्व की पहली महिला अंतरिक्ष पर्यटक ईरानी मूल की अमेरिका नागरिक अनुशेह अंसारी पृथ्वी पर सकुशल लौटीं।
  • 2017 – भारतीय सिनेमा के अभिनेता टॉम ऑल्टर का निधन हुआ।

महात्मा गांधी के जीवन से सीखने योग्य 10 बातें

महात्मा गांधी भारत के इतिहास के महान व्यक्तित्व थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। महात्मा गांधी ने भारत को ब्रिटिश शासन से आज़ाद करवाने के लिए सत्याग्रह और अहिंसा का सहारा लिया और देश के लोगों को भारत की आज़ादी के लिए प्रेरित किया। वे अंगेजों को यह मनवाने में सफल रहे कि भारत पर ब्रिटिश हकूमत मानवता के अधिकार का घोर उल्लंघन थी।

वैसे तो गांधी जी का पूरा जीवन ही अनुकरणीय है, लेकिन हम यहाँ 10 ऐसी चुनिन्दा बातें रख रहे हैं, जो देखने सुनने में बहुत ही साधारण लगती हैं, लेकिन अगर इन पर अमल किया जाए, तो मनुष्य कोई भी मंजिल पा सकता है।

“जो हम सोचते हैं हम वही बन जाते हैं”

महात्मा गांधी का मानना था कि हम जो सोचते हैं वही बन जाते हैं। अगर हम यह सोचेंगे कि हम लक्ष्य तक पहुंचने से पहले असफल हो जायेंगे, तो असल जिंदगी में भी वैसा ही होगा।

हमारा मन सकारात्मक और नकारात्मक विचारों से हमेशा भरा रहता है, लेकिन हमें नकारात्मक विचारों को मन से हटा देना चाहिए और सिर्फ सकारात्मक विचारों को मन में रखने का प्रयास करना चाहिए।

“कभी हार ना मानो और लगातार प्रयास करते रहो”

महात्मा गांधी जी को अपने जीवन में भारत की आज़ादी के लिए कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और लगातार भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष करते रहे। इसी तरह हमें भी अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार संघर्ष करना चाहिए।

महात्मा गांधी की आत्मकथा “सत्य के साथ मेरे प्रयोग” महात्मा गांधी जी ने मूलत: गुजराती में लिखी थी। विभिन्न भाषाओं में इसके अनुवाद हुए हैं और यह किताब बेस्ट-सेलर रही है। हिन्दी भाषा में अनुवादित किताब सत्य के प्रयोग (Satya Ke Prayog) काफी रोचक व आसान भाषा में है। Amazon से इसे खरीदा जा सकता है।

“आपके कर्म आपकी प्राथमिकता को दर्शाते हैं”

अगर हमारे जीवन का लक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण है और हम उसको पूरा करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठा रहे है, तो हमें अपनी प्राथमिकता के बारे में सोचना होगा। इसका अर्थ यह है कि हम अपने लक्ष्य को लेकर गंभीर नहीं हैं। आपको अपनी प्राथमिकता अपने लक्ष्य को देनी चाहिए।

“लक्ष्य का रास्ता भी लक्ष्य जैसा सुंदर होता है”

महात्मा गांधी एक मजबूत चरित्र वाले आदमी थे। वह भारत की आज़ादी के लिए ऐसा कोई भी विधि नहीं अपनाना चाहते थे, जिनसे उनकी अंतरआत्मा को ठेस पहुंचे। इसीलिए उन्होंने भारत को आज़ाद करवाने के लिए हिंसा का सहारा ना लेते हुए, अहिंसा का सहारा लिया था। हमें भी उसी तरह अपने लक्ष्य को पाने के लिए एक नैतिक मार्ग का सहारा लेना चाहिए।

कैसा था महात्मा गांधी का जीवन? कैसे वह अति-साधारण जीवन जीने के साथ-2 इतने महान कार्य कर पाये? लेखक Louis Fischer द्वारा अँग्रेजी भाषा में लिखी The Life of Mahatma Gandhi किताब काफी कुछ बताती है।

“ईमानदारी से “ना” कहना बेइमानी से “हाँ” कहने से कहीं बेहतर है”

लोग अक्सर दूसरे लोगों को नाराज़ न करने के लिए “ना” कहने की बजाए “हां” कर देते हैं। वह अक्सर उन लोगों के साथ कई गतिविधियों में बिना अपनी दिलचस्पी के हिस्सा भी लेते रहते हैं।

महात्मा गांधी का कहना था, दूसरों को खुश करने के लिए की गयी “हां” आपको कहीं भी नहीं लेकर जाती. दूसरी तरफ यह आपकी जिंदगी को आक्रोश और कुंठा की तरफ ले जाती है।

“शांति आपको अपने अंदर से ही मिलती है”

क्या हम वास्तव में खुद के भीतर शांति को तलाशने की कोशिश करते हैं? ज्यादतर जवाब होगा “नहीं” क्योंकि असल में हम अपनी पूरी जिंदगी शांति को बाहर तलाशते रहते हैं।

जैसे कि हम जिंदगी में पहली बार किसी से मिलते हैं, हम उनके विचारों को इतनी गंभीरता से ले लेते हैं, जिससे हमारा अपने ऊपर से विश्वास हट जाता है और हम अपने आपको दूसरों की नज़रों से देखने लग जाते हैं। लेकिन असल में हमें बाहरी आवाज़ों को अनसुना कर के अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को सुनना चाहिए।

“सदभावना से किया गया काम आपको ख़ुशी देगा”

आज की दुनिया में ख़ुशी और सदभावना दुर्लभ होती जा रही है। महात्मा गांधी जी का कहना था कि हमें अपने सदभावना के विचारों से और अपने कार्यों को संतुलित रखना चाहिए। इसी से हमें सच्ची ख़ुशी प्राप्त होगी।

लेखक राजेन्द्र अत्री ने महात्मा गांधी के बहुमूल्य विचारों का संग्रह अपनी किताब महात्मा गांधी – सम्पूर्ण विचारों का संग्रह में खूबसूरत ढंग से सँजोया है। इस किताब का अँग्रेजी में ऑनलाइन संस्करण डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

“माफ़ करना मज़बूत लोगों की निशानी है”

माफ़ करना बहुत कठिन होता है। वह आदमी जो माफ़ करके जिंदगी में आगे बढ़ता जाता है, वही महान है। हमें दूसरे लोगों की गलतियों को माफ़ कर देना चाहिए, ताकि हम जीवन शांति से व्यतीत कर सकें। माफ़ करना मज़बूत लोगों की निशानी है, ना कि कमज़ोर लोगों की।

“मानसिक शक्ति शारीरिक शक्ति से ज्यादा महत्वपूर्ण है”

शक्ति के विभिन्न रूप हो सकते हैं। ज़िंदगी में मज़बूत दिमाग का होना मज़बूत शरीर से ज्यादा महत्वपूर्ण है। एक मज़बूत इच्छाशक्ति वाला आदमी पर्वतों को हिला सकता है, भले ही वह भीम या हनुमान नहीं है। महात्मा गांधी शारीरिक रूप से मज़बूत नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति से ब्रिटिश राज्य को घुटनों के बल झुका दिया था।

“अगर आप अपनी जिंदगी में परिवर्तन करना चाहते हैं तो अपने आपको बदलें”

गांधी जी ने कहा था कि हम अपने वांछित गुणों को दूसरों में देखने का प्रयास करते हैं। असल में हम सभी अंदर से बहुत अदभुत और सुंदर हैं। जितना हम दूसरों की मदद करेंगे, जवाब में वह भी हमारी मदद करेंगे। हमें सभी से प्यार और दया की भावना रखनी चाहिए। ऐसा करने से हमारे जीवन में अअदभुत बदलाव आएगा।

गांधी जयंती पर कुछ अनमोल वचन

महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता हैं। प्रति वर्ष 2 अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। आइये आज याद करते हैं गांधी जी के कुछ अनमोल वचन:

  • विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए। जब विश्वास अंधा हो जाता है तो वो मर जाता है।
  • विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है।
  • ताकत दो तरह की होती है। एक जो सज़ा के डर से बनायी जाती है और दूसरी जो प्यार के acts से बनायी जाती है। प्यार वाली ताकत सज़ा के डर से बनायी गयी ताकत से हज़ार गुणा ज्यादा असरदार होती है।
  • पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे।
  • परमेश्वर ही सत्य है; यह कहने की बजाय ‘सत्य ही परमेश्वर’ है यह कहना अधिक उपयुक्त है।
  • ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो। ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।
  • जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।
  • आपको इंसानियत में विश्वास नहीं खोना चाहिए। इंसानियत एक समुन्दर है, यदि समुन्दर में कुछ बूंदे गन्दी होती हैं,तो पूरा समुन्दर गन्दा नहीं हो जाता।
  • क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है।
  • मेरा जीवन मेरा सन्देश है।
  • आँख के बदले में आँख पूरे विश्व को अँधा बना देगी।
  • सत्य एक विशाल वृक्ष है, उसकी ज्यों-ज्यों सेवा की जाती है, त्यों-त्यों उसमे अनेक फल आते हुए नज़र आते है, उनका अंत ही नहीं होता।

महात्मा गांधी जी के जीवन से जुड़े कुछ स्थान

भारत के राष्ट्रपिता मोहनदास कर्मचंद गांधी का जन्‍म दिन 2 अक्‍टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

आज हम आपको महात्मा गांधी जी के जीवन से जुड़े कुछ सथलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां से गांधी जी के विचारों, उनके आदर्शों और सिद्धांतों को अंकुर मिला था।

पोरबंदर

कर्मचंद गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ था। यह गांव गुजरात में स्थिति हैं। पोरबंदर में कर्मचंद गांधी जी के बचपन से जुड़ी बहुत सी चीज़े हैं, आज भी यहां पर उनका पैतृक घर है। इसके अलावा पोरबंदर में कीर्ति मंदिर भी एक शानदार जगह है।

अहमदाबाद

अहमदाबाद भी ऐसे ऐतिहासिक स्‍थलों में से एक है, यहां गांधी जी के जीवन का काफी जुड़ाव रहा है। अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे स्थित गांधी जी का आश्रम है। इस आश्रम को साबरमती आश्रम के नाम से भी पुकारते हैं।। यहीं से ही गांधी जी ने दांडी मार्च की शुरूआत की थी।

दांडी

दांडी गांव भी राष्‍ट्रपि‍ता महात्‍मा गांधी जी के जीवन काल को बयां करने वाले मुख्‍य स्‍थानों में से एक है। आज दांडी अरब सागर के तट पर स्थित इस जगह से ही नमक सत्याग्रह अपनी परिणति तक पहुंचा।

नई दिल्ली

दि‍ल्‍ली भी गांधी स्‍मृत‍ि वाले स्‍थानो में से एक है। यहां पर बिरला हाउस के रूप में महात्मा गांधी को समर्पित एक ऐत‍िहास‍िक संग्रहालय है। इसके अलावा यहां का प्रस‍िद्ध स्थल राजघाट भी है, यहां पर 1869 को गांधी जी की मृत्‍यु के बाद राजघाट में उनकी समाधि स्थल बनी थी।

जोहान्सबर्ग

गांधी जी ने अपनी जिंदगी के 21 साल जोहान्सबर्ग में व्‍यतीत किए थे। यहां पर ही उन्होंने अपनी राजनीतिक विचारधाराओं को पहचाना था। गांधी जी की याद में यहां सत्याग्रह सदन बनाया गया है।

 

महात्मा गांधी का एक विचार दिला सकता है मनचाही सफलता

महात्मा गांधी जी को हम बापू के नाम से जानते हैं। उनका पूरा जीवन अपने आप में एक स्कूल की तरह है जिसे अपना कर आप अपने जीवन में नई ऊंचाइयां पा सकते हैं। गांधी जी ने अपने अनुभव पर कई किताबें लिखीं जो आज हमें जीवन की नई राह दिखाती हैं।

उनकी सोच हमें राह दिखाती है और उनके विचार आज भी उतने ही सार्थक हैं जितने कि वह तब थे। यदि उनके विचारों पर अमल किया जाए तो हम जीवन में कई तरह से आनंद पा सकते हैं।

ऐसे जिएं जैसे आपको कल मरना है, सीखें ऐसे कि आपको हमेशा जीवित रहना है

गांधी जी का यह विचार हमें लगातार सीखने की ओर प्रेरित करता है। कई बार हम यह सोचकर कुछ नया नहीं सीखते कि अब सीख कर क्या करना है। हमें जीना ही कितना है मगर गांधी जी के अनुसार सीखने की कोई उम्र नहीं होती जब जागो तब सवेरा।

जो समय बचाते हैं वे धन को बचाते। बचाया धन, कमाए धन के समान ही महत्वपूर्ण है

हममें से कई लोग हैं जो अक्सर यह कहते हैं कि क्या करें टाइम ही नहीं मिलता मगर भगवान ने सभी को 24 घंटे ही दिए हैं किसी को कम या ज्यादा नहीं तो फिर कोई और क्या कर सकता है तो हम क्यों नहीं। क्या हममें काबिलियत नहीं है।

कुछ अलग से करने की इच्छा नहीं है। इसका कारण टाइम मैनेजमैंट का न होना है। यदि हम लगातार अपना समय बचाएं, अपने समय को अनावश्यक रूप से व्यर्थ न करके उसका सदुपयोग करें तो हम अपने साथ-साथ दूसरों का जीवन भी संवार सकते हैं।

आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी

आज के समय हर कोई किसी दूसरे की तरक्की नहीं देख सकता। हर समय एक दूसरे की टांग खींचने पर लगे रहते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी की उन्नति में बाधा बनता है तो कोई दूसरा व्यक्ति उसकी उन्नति में बाधा बन जाता है।

जैसा हम दूसरे के लिए करते हैं वैसा ही हम अपने लिए पाते हैं इसलिए अपनी सोच को सदैव सकारात्मक रखें। बदला लेने की भावना अपने मन पर हावी न होने दें ताकि खुद भी तरक्की कर सकें और दूसरों की तरक्की पर हमें मलाल न हो। – प्रसन्नता ही एक मात्र ऐसा इत्र है जिसे आप दूसरे पर डालते हैं तो कुछ बूंद आप पर भी पड़ती है।

व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं उसके चरित्र से होती है

कई बार हम बाहरी आवरण को देख कर किसी की तरफ आकर्षित हो जाते हैं मगर जब हम उसके करीब जाते हैं तो हम सच्चाई से रू-ब-रू हो पाते हैं।

किसी व्यक्ति के कपड़ों से हम उसके व्यक्तित्व को नहीं समझ सकते।वह उसके व्यक्तित्वका आवरण मात्र है। उसका व्यक्तित्व उसके चरित्र से उजागर होता है।

आप जो कुछ भी करते हैं वह कम महत्वपूर्ण हो सकता है मगर सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें

कई बार किसी कार्य को करने से पहले ऐसे विचार हमारे दिमाग में चलते रहते हैं कि “वह जरूरी नहीं है” या “वह कम महत्वपूर्ण है”। ऐसे में हम उस कार्य को शुरू ही नहीं कर पाते।

यदि हम किसी कार्य को करेंगे ही नहीं तो कैसे पता चलेगा कि वह महत्वपूर्ण है या नहीं। कार्य महत्वपूर्ण है या नहीं यह जरूरी नहीं है कार्य का होना जरूरी है।

गांधी जयंती 2 अक्तूबर

गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था जिनका जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। इस दिन को सारा देश गांधी जयंती के रूप में मनाता है। अहिंसा के पथ पर चल कर देश को अंग्रेजों की दास्ता से मुक्ति दिलाने वाले गांधी जी ने पूरी दुनिया को अपने विचारों से प्रभावित किया था। । अहिंसा केरास्ते पर चलने की बात गांधीजी |ने आजादी की लड़ाई में शामिल हर शख्स से कही थी। उन्होंने त्याग को अपने जीवन में सदा अपनाए रखा और सादगी भरे जीवन के साथ-साथ कम से कम चीजों से अपना जीवनयापन किया।

गांधी जी के तीन महत्वपूर्ण सूत्र

पहला : सामाजिक गंदगी को दूर करने के लिए झाड़ का सहारा।
दूसरा : सामूहिक प्रार्थना को बल देना जिससे एकजुट होकर व्यक्ति जात-पात और धर्म की बंदिशों को दरकिनार कर प्रार्थना करे।
तीसरा: चरखा जोआत्मनिर्भर और एकता का प्रतीक माना जाने लगा था।

हंसता हुआ चेहरा हर किसी को पसंद होता है। हर हंसने वाले चेहरे के साथ दुनिया हंसती है। यदि आप अपनी छवि को हमेशा अच्छा बनाए रखना चाहते हैं, सदैव प्रसन्न रहकर अपने आसपास का माहौल खुशनुमा बना सकते हैं।

28 सितम्बर का इतिहास

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28 सितम्बर का इतिहास

  • 1836 – आध्यात्मिक गुरु शिरडी साईं बाबा का जन्म हुआ
  • 1837 – मुग़ल वंश का 18वाँ बादशाह अकबर द्वितीय का निधन हुआ था ।
  • 1837 – अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह द्वितीय ने दिल्ली का शासन संभाला।
  • 1885 – हिन्दी के साहित्यकार तथा सरस्वती पत्रिका के संपादक श्री नारायण चतुर्वेदी का जन्म हुआ था ।
  • 1895 – फ्रांस के प्रसिद्ध जैव वैज्ञानिक लुईस पाश्चर का निधन हुआ था ।
  • 1907 – महान् स्वतंत्रता सेनानी भगतसिंह का जन्म हुआ था ।
  • 1909 – अभिनेता पी. जयराज का जन्म हुआ था।
  • 1928 – अमेरिका ने चीन की राष्ट्रवादी च्यांग काईशेक की सरकार को मान्यता दी।
  • 1929 – भारतीय पार्श्वगायिका लता मंगेशकर का जन्म हुआ था।
  • 1949 – भारत के 41वें मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मल लोढ़ा का जन्म हुआ था।
  • 1953 – प्रसिद्ध अमेरिकी खगोलशास्त्री एडविन हब्बल का निधन हुआ था ।
  • 1958फ्रांस में संविधान लागू हुआ था।
  • 1982 – प्रसिद्ध भारतीय निशानेबाज़ अभिनव बिन्द्रा का जन्म हुआ था।
  • 1982 – बालीवुड अभिनेता रणबीर कपूर का जन्म हुआ था।
  • 1997 – अमेरिकी अंतरिक्ष शटल अटलांटिक रूसी अंतरिक्ष केन्द्र ‘मीर’ से जुड़ा।
  • 2001अमेरिका व ब्रिटिश सेना एवं सहयोगियों ने ‘ऑपरेशन एंड्योरिंग फ़्रीडम प्रारम्भ किया।
  • 2004 – विश्व बैंक ने भारत को विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहा।
  • 2006जापान के नव निर्वाचित एवं 90वें प्रधानमंत्री के रूप में शिंजो एबे ने शपथ ली।
  • 2006फ़्रांस की चिकित्सा टीम ने लगभग शून्य गुरुत्वाकर्षण में एक व्यक्ति का सफल आपरेशन किया।
  • 2007मेक्सिको के तटीय क्षेत्रों में आये चक्रवर्ती तूफ़ान लोरेंजो ने भारी तबाही मचाई।
  • 2007 नेशनल एयरोनॉटिक्स स्पेस एडमिनिशस्ट्रशन (नासा) ने विशेष यान डॉन का प्रक्षेपण किया।
  • 2008 – हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार शिवप्रसाद सिंह का निधन।
  • 2009 – स्टार खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा पैन पैसिफिक ओपन के पहले राउंड में हार के बाद बाहर हुई।
  • 2011 – मुख्यमंत्री मायावती ने 72 जिलों वाले उत्तर प्रदेश में पंचशील नगर, प्रबुद्धनगर और संभल नामक तीन और जिले के निर्माण की घोषणा की।
  • 2012 – भारत के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बृजेश मिश्र का निधन हुआ था ।
  • 2015 – हिन्दी के प्रसिद्ध कवि वीरेन डंगवाल का निधन हुआ था ।

 

क्यों पितृपक्ष में कौए को दिया जाता है भोजन, जानिए क्या है महत्व

पितृपक्ष शुरू हो चुके हैं। अपने पूर्वजों को स्मरण करने, श्रद्धा और भक्ति से उन्हें सेवा करने और जल तर्पण करने का समय चल है। इस समय पितरों को जल देकर और कौवों को भोजन देकर उन्हें तृप्त कराया जाता है। इस दौरान कौवे का आना और भोजन ग्रहण करना शुभ होता है।

महत्व

पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध में भोजन का एक अंश कौओं को भी दिया जाता है। पितृपक्ष में कौओं को भोजन देने का विशेष महत्व होता है। ​कौआ यमराज का प्रतीक माना जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि कौआ आपके श्राद्ध का भोजन ग्रहण कर लेता है, तो आपके पितर आपसे प्रसन्न और तृप्त माने जाते हैं। यदि कौआ भोजन नहीं करता है तो इसका अर्थ है कि आपके पितर आपसे नाराज़ और अतृप्त हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कौओं को देवपुत्र माना जाता है। व्य​क्ति जब शरीर का त्याग करता है और उसके प्राण निकल जाते हैं तो वह सबसे पहले कौआ का जन्म पाता है। माना जाता है कि कौए को दिया गया भोजन पितरों को ही प्राप्त होता है।

कौआ अतिथि के आने की सूचना देने वाला तथा पितरों का आश्रम स्थल माना गया है। ऐसी भी मान्यता है कि कौए ने अमृत का पान कर लिया था, जिससे उसकी स्वाभाविक मौत नहीं होती है।

माता सीता से जुड़ी है यह कथा

एक मान्यता के अनुसार त्रेता युग में जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मारकर उनको कष्ट पहुंचाया था।

यह देखते ही प्रभु श्रीराम उस कौए पर क्रोधित हुए और उन्होंने तिनके को अस्त्र बनाकर उसकी एक आँख पर प्रहार किया, जिससे उसकी एक आँख क्षतिग्रस्त हो गई।

पश्चाताप होने पर कौए रुपी जयंत ने अपने अपराध के लिए प्रभु श्रीराम से क्षमा मांगी। तब प्रभु ने उसके उस रूप को वरदान दिया कि उसे अर्पित किया गया भोजन पितरों को मिलेगा। तभी से श्राद्ध में कौवों को भोजन कराया जाता है।

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27 सितम्बर का इतिहास

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27 सितम्बर का इतिहास

  • 1604 अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में आदि गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतिस्थापना की गई।
  • 1870 – भारत के पहले मज़दूर संगठन के रूप में श्रमजीवी संघ की स्थापना की गई।
  • 1907 – क्रिकेट के सूरमा सर डॉन जॉर्ज ब्रैडमैन का जन्म हुआ था।
  • 1922 – जापानी प्रधानमंत्री सॉसुक ऊनो का जन्म हुआ था।
  • 1950टेलिविज़न की दुनिया के इतिहास में आज ही के दिन बीबीसी ने पहली बार स्थल-आधारित सीधा प्रसारण किया। प्रसारण की योजना बनाने के लिए दो
  • 1962नासा ने (Mariner 2) स्‍पेस मिशन लांच किया।
  • 1963 – खाकसार आंदोलन के जनक और पाकिस्तान के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले व्यक्ति इनायतुल्लाह ख़ान मशरिक़ी का निधन हुआ।
  • 1972 – भारतीय प्रोफेशनल रेसलर और लिफ्टर दलीप सिंह राणा उर्फ ग्रेट खली का जन्म हुआ था।
  • 1976 – भारतीय पार्श्वगायक मुकेश का निधन हुआ था।
  • 1976 – भारतीय सशस्त्र सेना की प्रथम महिला जनरल मेजर जनरल जी अली राम मिलिट्री नर्सिंग सेवा की निदेशक नियुक्त हुई।
  • 1979 – ब्रिटिश राजनेता, नौसेना प्रमुख और भारत के अन्तिम वाइसराय लॉर्ड माउंटबेटन का निधन हुआ था l
  • 1979 आयरलैंड के समीप एक नौका विस्फोट हुआ।
  • 1990वाशिंगटन स्थित इराकी दूतावास के 55 में से 36 कर्मचारियों को अमेरिका ने निष्कासित कर दिया।
  • 1991मालदोवा ने सोवियत संघ से आजाद होने की घोषणा की गई थी।
  • 1997 – तीसरी, चौथी, पाँचवीं, छ्ठी, और सातवीं लोकसभा के सदस्य मगंती अंकीनीडु का निधन हुआ था।
  • 1999भारत ने कारगिल संघर्ष के दौरान अपने यहाँ बंदी बनाये गये पाकिस्तानी युद्धबंदियों को रिहा किया।
  • 2003उत्तर और दक्षिण कोरिया दोनों देशों को लेकर पहली बार छहपक्षीय वार्ता हुई।
  • 2004 – वित्तमंत्री शौकत अजीज पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री चुने गये।
  • 2006 – भारतीय फ़िल्मों के प्रसिद्ध निर्माता व निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी का निधन हुआ था।
  • 2008 – सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधिश .के. माथुर को सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल का पहला अध्यक्ष बनाया गया।
  • 2009 – बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष सुश्री मायावती को पुनः अध्यक्ष पद पर तीसरी बार चुन लिया गया। उल्लेखनीय है कि दल के संस्थापक कांशीराम के उपरान्त वे लगातार इस पद पर बनी हुई हैं।
  • 2013 – उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में दो धार्मिक समुदायों के बीच दंगे भड़के।

 

पितृ पक्ष 2023: जानिए सपने में पूर्वजों का दिखना क्या संकेत देता है

इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है, जो 14 अक्टूबर तक रहेगा। 14 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ इसका समापन होगा। पूरे वर्ष में 15 दिन होते हैं जिन्हें श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष के रूप में जाना जाता है। साल के ये 15 दिन पूरी तरह से पितरों को समर्पित होते हैं।

इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं और उनके लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे अनुष्ठान करते हैं ताकि उनके पूर्वजों को शांति और संतुष्टि मिल सके।

अक्सर आपने पूर्वजों के सपने में आने की बात जरूर सुनी होगी। स्वप्न शास्त्र के मुताबिक, सपने में पितरों के आने की कोई ना कोई खास वजह जरूर होती है।

आज इस पोस्ट में हम जानेंगे सपने में पूर्वजों का दिखना क्या संकेत देता है, तो चलिए जानते हैं :-

 

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सपने में कब और क्यों आते हैं पितृ?

ऐसी मान्यताएं हैं कि मृत्यु होने के बाद जब किसी इंसान की ख्वाहिश अधूरी रह जाती है तो वो अपने वंशजों को सपने में में दिखाई देने लगते हैं। ऐसा कहते हैं कि पितृ केवल उन्हीं लोगों को दिखाई देते हैं जो उनकी अधूरी इच्छाओं को पूरा कर पाने में योग्य हैं।

जब तक उनकी ये ख्वाहिश पूरी नहीं होती, तब तक उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती है। हालांकि ऐसे सपनों का अर्थ पितरों की मुद्रा या भाव पर भी निर्भर करता है।

  • यदि सपने में आपके पितृ आपको हंसते हुए या खुश दिखाई दें तो ये उनके प्रसन्न होने का संकेत होता है। पितृ जब किसी इंसान से खुश होते हैं तो उनके जीवन की सारी बाधाएं, सारी समस्याएं खुद-ब-खुद समाप्त होने लगती हैं। पितरों का आशीर्वाद मिलने से वे जीवन में बड़ी उपलब्धियां भी भी हासिल कर सकते हैं।
  • यदि सपने में पितृ आपको बाल संवारते हुए दिखाई दें तो इसका भी एक खास मतलब होता है। इसका अर्थ है कि आप पर जो मुसीबत आने वाली थी, पितरों ने आपको उससे बचा लिया है। इसे एक शुभ संकेत की तरह समझें।
  • यदि सपने में पितृ आपको शांत मुद्रा में दिखाई दे रहे हैं तो समझ लीजिए, वे आपसे पूर्णत: संतुष्ट हैं। ये कोई बड़ी खुशखबरी मिलने का भी संकेत हो सकता है। आपको संतान पक्ष से कोई शुभ समाचार मिल सकता है। पेशवर जीवन या करियर के मोर्चे पर कोई बड़ी सफलता भी आपके हाथ लग सकती है। यदि आपको सपने में रोते हुए पितृ दिखाई दे रहे हैं तो ये बहुत ही अशुभ संकेत है। ऐसा होने पर आपको सावधानी बरतनी चाहिए।
  • पितरों का रोना आप पर किसी भारी संकट के आने का संकेत हो सकता है। इसे इग्नोर करने की बजाए पहचानने की जरूरत है। ऐसे में पितरों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और पिंडदान करना बहुत जरूरी हो जाता है।

भारत के इस जगह में पूर्णिमा की रात चांद जैसी चमकती है धरती, बेहद खूबसूरत होता है नज़ारा

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भारत में ऐसी बहुत सी ऐसी जगहें हैं जो बेहद खूबसूरत और आकर्षक हैं। दुनिया भर से लोग भारत की इन खूबसूरत जगहों का दीदार करने के लिए आते हैं। ऐसी ही एक जगह भारत के लेह ज़िले में स्थित है।

इस जगह को चांद की धरती भी कहा जाता है। इस जगह का नाम लामायुरू या लामायुरो (Lamayouro) है। दरअसल यह एक गांव है जहाँ दुनियाभर से लोग घूमने आते हैं।

इस पोस्ट में हम आपको इसी खूबसूरत जगह के बारे में बताने जा रहे हैं तो चलिए शुरू करते हैं :

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लामायुरु गांव

चांद की धरती कहा जाना वाला यह गांव लेह से 127 किमी दूर बसा है। समुद्र से 3510 मीटर ऊंचे और माइनस 40 डिग्री तापमान होने के बावजूद भी यहां घूमने का सपना हर सैलानी का होता है।

पूर्णिमा की रात को यहां की जमीन चांद की तरह चमकने लगती है इसलिए इस जगह को मूनलैण्ड के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर लामायुरु मोनेस्ट्री है जिसे देखने के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

लामायुरू मोनेस्ट्री से जुड़ी किंवदंती

लामायुरू मोनेस्ट्री लद्दाख के सबसे पुराने मठों में से एक है, जबकि यह लद्दाख में सबसे बड़ा मौजूदा गोम्पा भी है। इसके साथ कई किंवदंतियाँ जुड़ी हुई हैं, जिनमें से एक यह है कि लामायुरू में एक विशाल झील मौजूद थी। इस झील को महासिद्धाचार्य नरोपा ने गाँव और मठ की नींव रखने के लिए सुखा दिया था।

इस प्रकार, पानी सूखने के बाद, भूमि पर चाँद जैसे गड्ढे और संरचनाएँ बनने लगीं। बेशक, इस किंवदंती का कोई ठोस प्रमाण नहीं है और यह केवल एक कहानी है जो सदियों से बताई जाती रही है।

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लामायुरू मठ सबसे अधिक आश्चर्यजनक स्तूपों और रंगीन चट्टानों का घर है जिन पर जटिल विवरण में प्रार्थनाएं उकेरी गई हैं। मठ में कार्डिनल राजाओं की कई उज्ज्वल और ज्वलंत प्राचीन पेंटिंग भी हैं।

इसमें मूल रूप से पांच मुख्य इमारतें थीं, लेकिन वर्तमान में, केवल एक केंद्रीय इमारत मौजूद है, जो अपने आप में दुनिया भर के यात्रियों, भक्तों और फोटोग्राफरों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

लामायुरु लद्दाख में सबसे बड़े और सबसे पुराने गोम्पों में से एक है, जिसकी आबादी लगभग 150 स्थायी भिक्षुओं की है। अतीत में, इसमें 400 भिक्षु रहते थे, जिनमें से कई अब आसपास के गांवों में गोम्पों में स्थित हैं।