जन्माष्टमी हिन्दू धर्म में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। इस पर्व को बाल-गोपाल श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पूरी श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है।
हर साल हिन्दू कैलेंडर के भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। हिन्दू धर्म की मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म पांच हजार साल पहले भाद्रपद मास में रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि की आधी रात को हुआ था।
कब है जन्माष्टमी व्रत
इस साल 2023 को स्मार्त यानि गृहस्थियों के लिए जन्माष्टमी व्रत 6 सितम्बर को है l परंपरा के अनुसार अष्टमी की आधी रात के बाद ही भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद पूजा की जाती है।
इस दिन व्रतानुष्ठान अष्टमी तिथि से शुरू होती है और अगले दिन नवमी पर खत्म होती है। फिर भी कई लोग, अर्द्धरात्रि पर रोहिणी नक्षत्र का योग होने पर सप्तमी और अष्टमी पर व्रत रखते हैं। कुछ भक्तगण उदयव्यापिनी अर्थात शुरू होती अष्टमी पर उपवास करते हैं।
शास्त्रकारों ने व्रत -पूजन, जपादि के लिए अर्द्धरात्रि अर्थात अष्टमी और नवमी के बीच की रात्रि में रहने वाली तिथि को ही मान्यता दी है।
विशेषकर स्मार्त लोग अर्द्धरात्रिव्यापिनी अष्टमी को यह व्रत करते हैं। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, चंडीगढ़ आदि में में स्मार्त धर्मावलम्बी अर्थात गृहस्थ लोग इसी परम्परा का अनुसरण करते हुए सप्तमी युक्ता अर्द्धरात्रिकालीन वाली अष्टमी को व्रत, पूजा आदि करते आ रहे हैं जबकि मथुरा, वृंदावन सहित उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों में उदयकालीन अष्टमी के दिन ही कृष्ण जन्मोत्सव मनाते आ रहे हैं।
भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा की परम्परा को आधार मानकर मनाई जाने वाली जन्माष्टमी के दिन ही केन्द्रीय सरकार अवकाश की घोषणा करती है। वैष्णव संप्रदाय के अधिकांश लोग उदयकालिक नवमी युता जन्माष्टमी व्रत के लिए ग्रहण करते हैं।
कैसे करें जन्माष्टमी व्रत
व्रत अष्टमी तिथि से शुरू होता है। इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद घर के मंदिर को साफ सुथरा करें और जन्माष्टमी की तैयारी शुरू करें।
रोज की तरह पूजा करने के बाद बाल कृष्ण लड्डू गोपाल जी की मूर्ति मंदिर में रखें और इसे अच्छे से सजाएं। माता देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा जी का चित्र भी लगा सकते हैं।
इसके बाद, जप-ध्यान व व्रतानुष्ठान करके ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जाप करें। पूरा दिन व्रत रखें। फलाहार कर सकते हैं। इसके साथ ही यथा संभव भगवान का भजन-कीर्तन, स्वाध्यान, पाठ व भगवान से संबन्धित प्रसंगों का अध्ययन व सेवन करें।
मन और वाणी को संयम में रखें। काम, क्रोध, लोभ, द्वेष, हिंसा, क्लेश, दुर्वचन, ठेस लगाना आदि अप्रिय कार्यों और मांस-मदिरा आदि दुर्व्यसनों से दूर रहने का अभ्यास करना ही उपवास है। इसके लिए ध्यान करें। उपवास केवल अन्न से सिद्ध नहीं होता बल्कि यह क्रिया-कलापों और आचरण से भी परिलक्षित होना अनिवार्य है।
जन्माष्टमी पर मंत्र साधना
भगवान कृष्ण की आराधना के लिए आप यह मंत्र पढ़ सकते हैं
संतान प्राप्ति के लिए: संतान की इच्छा रखने वाले दंपति, संतान गोपाल मंत्र का जाप पति-पत्नी दोनों मिलकर करें।
देवकीसुत गोविंद वासदेव जगत्पते! देहिमे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:!! दूसरा मंत्र: क्लीं ग्लौं श्यामल अंगाय नमः!!
विवाह में हो रहे विलम्ब के लिए:
ओम् क्ली कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।
इन मंत्रों की एक माला अर्थात 108 मंत्र कर सकते हैं।
जन्माष्टमी व्रत यानि व्रतराज
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूजन के साथ-साथ व्रत रखना बहुत फलदायी माना जाता है। इसे व्रत व्रतराज भी कहा जाता है। इस व्रत का विधि-विधान से पालन करने से कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत सबसे आसान व्रत कहा जा सकता है जिसमें फलाहार, उबले आलू, साबुदाना आदि का सेवन किया जा सकता है।
रात्रि बारह बजे तक व्रत का पालन
जन्माष्टमी का व्रत रात बारह बजे तक किया जाता है। इस व्रत को करने वाले रात बारह बजे तक कृष्ण जन्म का इंतजार करते हैं। उसके पश्चात् पूजा आरती होती है और फिर प्रसाद मिलता है। प्रसाद के रूप में धनिया और माखन मिश्री दिया जाता है क्योंकि ये दोनों ही वस्तुएं श्री कृष्ण को अत्यंत प्रिय हैं। उसके पश्चात् प्रसाद ग्रहण करके व्रत पारण किया जा सकता है। हालांकि सभी के यहां परम्पराएं अलग-अलग होती हैं। कोई प्रात:काल सूर्योदय के बाद व्रत पारण करते हैं तो कोई रात में प्रसाद खाकर व्रत खोल लेते हैं। आप अपने परिवार की परम्परा के अनुसार ही व्रत पारण करें।।
दिन भर अन्न ग्रहण नहीं करें। मध्य रात्रि को एक बार फिर पूजा की तैयारी शुरू करें। रात को 12 बजे भगवान के जन्म के बाद भगवान की पूजा करें और भजन करें। गंगा जल से श्री कृष्ण को स्नान कराएं और उन्हें सुंदर वस्त्र और आभूषण पहनाएं। भगवान को झूला झुलाएं और फिर भजन, गीत-संगीत के बाद प्रसाद का वितरण करें।
आम तौर पर अधिक गर्म हवाओं को लू कहा जाता है. गर्मियों में यह मैदानी क्षेत्रों में आम हैं. दिल्ली से आंध्रप्रदेश तक सैकड़ों लोग लू लगने से मर रहे हैं। हम सभी धूप में घूमते हैं, फिर कुछ लोगों की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है? लू हमें कैसे प्रभावित करती है?
हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है। पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत ज़रुरी और आवश्यक है।
पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना बंद कर देता है। जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है।
शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है, ठीक उसी तरह से जैसे उबलते पानी में अंडा पकता है. स्नायु कड़क होने लगते है, इस दौरान सांस लेने के लिए ज़रुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।
शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग, विशेषतः ब्रेन तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है। व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक- एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और अंतत उसकी मृत्यु हो जाती है।
लू से बचने के लिए क्या करें
गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ को टालने के लिए लगातार थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए. हमारे शरीर का तापमान 37° के आसपास मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिए।
दोपहर के समय, खासकर दोपहर 12 से 3 के बीच ज़्यादा से ज़्यादा घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें।स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें। किसी भी अवस्था मे कम से कम 3 लीटर से 6 लीटर पानी ज़रूर पीएं। किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 ली. पानी ज़रूर पीएं।
ब्लड प्रेशर पर नज़र रखें। हीट स्ट्रोक किसी को भी हो सकता है। ठंडे पानी से नहाएं। चिकन का प्रयोग छोड़ें या कम से कम करें। फल और सब्ज़ियों को भोज़न में ज़्यादा स्थान दें। हीट वेव कोई मज़ाक नहीं है।
एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है, तो ये गंभीर स्थिति है। शयन कक्ष और अन्य कमरों में 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है। अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें।
अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, जिसे इसरो के नाम से भी जाना जाता है, भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है और इसका संचालन अंतरिक्ष विभाग द्वारा किया जाता है। इसरो भारत में सभी अंतरिक्ष गतिविधियों को करने वाली मुख्य एजेंसी है ।
इसरो का गठन 15 अगस्त 1969 को भारत के 23वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हुआ था। विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है।
इस पोस्ट में आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान और मिसाइल कार्यक्रम के बारे में कुछ रोचक तथ्य, तो चलिए जानते हैं :-
भारत की अंतरिक्ष के क्षेत्र में उपलब्धियां
आर्यभट्ट: पूरी तरह से भारत में डिजाइन और निर्मित, आर्यभट्ट का नाम प्रसिद्ध भारतीय खगोलशास्त्री के नाम पर रखा गया था और यह देश का पहला उपग्रह था। अंतरिक्ष यान को 19 अप्रैल, 1975 को सोवियत कॉसमॉस -3 एम रॉकेट द्वारा कपुस्टिन यार से लॉन्च किया गया था।
यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा निर्माण और अन्तरिक्ष में उपग्रह संचालन में अनुभव प्राप्त करने हेतु बनाया गया था।
रोहिणी: ठीक पांच साल बाद 18 जुलाई, 1980 को, भारत ने चार उपग्रहों की एक श्रृंखला विकसित और लॉन्च की थी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा लॉन्च किए गए तीन उपग्रहों ने इसे कक्षा में स्थापित किया था।
चंद्रयान-1 : चंद्रयान -1 एक मानव रहित चंद्र ऑर्बिटर था जिसे कक्षा में भेजा गया था। अंतरिक्ष यान ने मनुष्य के रासायनिक, फोटो-भूगर्भिक और खनिज संबंधी मानचित्रण के लिए चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा की। इस यान को 22 अक्टूबर, 2008 को चन्द्रमा पर भेजा गया था।
संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन और बुल्गारिया में निर्मित उपकरणों को मिलाकर, अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा के चारों ओर 3,400 से अधिक परिक्रमाएं पूरी कीं। ऑर्बिटर के साथ संचार खो जाने के बाद, मिशन 29 अगस्त, 2009 को समाप्त हुआ था।
मार्स ऑर्बिटर मिशन: 5 नवंबर 2013 को, भारत ने इस मिशन को लॉन्च किया और मंगल पर अपने पहले प्रयास में सफल होने वाला पहला देश बन गया।
जीसैट–29: इसरो ने 2018 को श्रीहरिकोटा से सबसे भारी वजन वाले उपग्रह जीसैट-29 को लॉन्च किया। जिसका वजन 3,423 किलोग्राम था। इसका उद्देश्य देश के दूरदराज के हिस्सों के लिए बेहतर संचार प्रदान करना था।
चंद्रयान 2: 15 जुलाई 2019 को भारत ने चंद्रमा पर अपना दूसरा मिशन लॉन्च किया। यह मिशन भारत को चीन, अमेरिका और रूस के बाद चंद्रमा की सतह पर लैंड रोवर बेचने वाला चौथा देश बना देगा।
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान: ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान या पी.एस.एल.वी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा संचालित एक उपभोजित प्रक्षेपण प्रणाली है। पी.एस.एल.वी छोटे आकार के उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षा में भी भेजने में सक्षम है। अब तक पी.एस.एल.वी की सहायता से 70 अन्तरिक्षयान (30 भारतीय + 40 अन्तरराष्ट्रीय) विभिन्न कक्षाओं में प्रक्षेपित किये जा चुके हैं।
मंगलयान : इसरो ने 25 सितंबर 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक मंगलयान स्थापित किया। इसके साथ भारत ऐसा पहला देश बना गया, जिसने अपने पहले ही प्रयास में यह उपलब्धि हासिल की तथा सोवियत रूस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया है।
भारत का नेविगेशन सिस्टम – NAVIC: भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, जिसे NavIC के रूप में भी जाना जाता है, भारत द्वारा विकसित एक स्वतंत्र स्थानीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है। यह प्रणाली भारत में उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति और नेविगेशन प्रदान करती है और भारत की सीमा से 1500 किमी तक विस्तार कर सकती है।
इस परियोजना को इसरो द्वारा विकसित और संचालित किया गया था और नेविगेशन प्रणाली के समूह में 7 सक्रिय उपग्रह शामिल हैं जो मुख्य रूप से वाणिज्यिक और सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
इसरो का बजट: साल 2021 में नासा के 22 अरब डॉलर और CNSA (चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के 11 अरब डॉलर की तुलना में इसरो का बजट करीब 2 अरब डॉलर है। सालाना बजट के मामले में इसरो दुनिया में सातवें नंबर पर है। कम बजट के बावजूद इसरो काफी प्रभावशाली मिशनों के साथ सराहनीय कार्य कर रहा है।
उपग्रहों की रिकॉर्ड संख्या
इसरो कक्षा में 100 से अधिक उपग्रहों को ले जाने वाली पहली अंतरिक्ष एजेंसी है। जानकारी के अनुसार, इन 104 उपग्रहों में भारत के तीन और विदेशों के 101 सैटेलाइट शामिल है।
भारत ने एक रॉकेट से 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजकर इस तरह का इतिहास रचने वाला पहला देश बन गया है। 15 फरवरी, 2017 को, इसरो ने सूर्य-समकालिक कक्षाओं में 104 उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च और तैनात किया।
पहला मानव-मिशन गगनयान
इसरो अंतरिक्ष में अपना पहला मानवयुक्त मिशन गगनयान लॉन्च करने की योजना बना रहा है। गगनयान (Gaganyaan) भारतीय मानवयुक्त अंतरिक्ष यान है।
मिशन को मूल रूप से दिसंबर 2021 को लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन इसे 2023 से पहले नहीं किया गया। इस मिशन की तैयारी के लिए, इसरो बैंगलोर में एक अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर रहा है।
गगनयान कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में की थी। शुरू में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन को 15 अगस्त 2022 को भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से पहले लॉन्च करने की योजना थी।
लेकिन कोविड-19 की वजह से पैदा हुए हालात ने इसे रोक दिया गया। अब इसे 2023 में लॉन्च करने की योजना है और देश का पहला अंतरिक्ष स्टेशन 2030 तक बनने की संभावना है
किसी भी देश में बनने वाली फ़िल्में वहां के सामाजिक जीवन और रीति-रिवाज का दर्पण होती हैं। एक सौ वर्षों की लंबी यात्रा में हिन्दी सिनेमा ने ना केवल बेशुमार फ़िल्में दीं, बल्कि भारतीय समाज और चरित्र को गढ़ने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ प्रस्तुत हैं भारतीय सिनेमा की चुनिन्दा 20 फ़िल्में, जिन्हें दर्शकों से भरपूर सराहना मिली।
मुग़ल-ए-आजम (1960)
“मुग़ल-ए-आज़म” 1960 में प्रदर्शित हुई थी। यह फ़िल्म हिन्दी सिनेमा इतिहास की सफलतम फ़िल्मों में से एक है। इसे के॰ आसिफ़ के शानदार निर्देशन, भव्य सेटों, बेहतरीन संगीत के लिए आज भी याद किया जाता है।
फ़िल्म में अकबर के बेटे शहज़ादा सलीम (दिलीप कुमार) और दरबार की एक कनीज़ नादिरा (मधुबाला) के बीच में प्रेम की कहानी है। फ़िल्म में सलीम और अनारकली में धीरे-धीरे प्यार हो जाता है और अकबर इससे नाखुश होते हैं। ब्रिटिश एशियाई साप्ताहिक समाचार पत्र द्वारा 2013 में किए गए एक सर्वेक्षण में इसे अब तक की सबसे बड़ी बॉलीवुड फ़िल्म चुना गया था।
आनंद (1971)
हृषिकेश मुखेर्जी निर्देशित “आनंद” बॉलीवुड की सबसे अधिक पसंद की गयी फ़िल्मों में से एक है। फ़िल्म एक कैंसर पीड़ित रोगी आनंद (राजेश खन्ना) की कहानी है, जो ज़िंदगी को हंस-खेल कर जीना चाहता है, पर उसके पास समय बहुत कम है।
आनंद उन चंद फ़िल्मों में से एक है, जो आज 40 साल बाद भी दिल को छू जाती है। यह फ़िल्म दर्शाती है कि किस तरह एक मरता हुआ आदमी महज प्यार और मज़ाक से पूरी दुनिया को खुशियाँ बाँट सकता है और उनका दिल जीत सकता है।
शोले (1975)
1975 में बनी “शोले” भारत की सर्वकालीन बेहतरीन फ़िल्मों में शामिल है। शोले फ़िल्म 15 अगस्त 1975 को रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म ने भारत में लगातार 50 सप्ताह तक प्रदर्शन का कीर्तिमान भी बनाया।
साथ ही यह फ़िल्म भारतीय फ़िल्मों के इतिहास में ऐसी पहली फ़िल्म बनी, जिसने सौ से भी ज़्यादा सिनेमा घरों में रजत जयंती (25 सप्ताह) मनाई। मुंबई के मिनर्वा सिनेमाघर में इसे लगातार 5 वर्षों तक प्रदर्शित किया गया।
थ्री इडियट्स (2009)
निर्देशक राजकुमार हिरानी निर्देशित फ़िल्म “थ्री इडीयट्स” की कहानी चेतन भगत के उपन्यास(Novel) पर आधारित है. फ़िल्म के द्वारा शिक्षा प्रणाली, पैरेंट्स का बच्चों पर कुछ बनने का दबाव और किताबी ज्ञान की उपयोगिता पर मनोरंजक तरीके से सवाल उठाए गए हैं। 200 करोड़ के क्लब में शामिल होने वाली यह पहली फ़िल्म थी।
दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (1995)
डीडीएलजे (DDLJ) के नाम से प्रसिद्ध “दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे” 1995 में बनी हिन्दी फ़िल्म है। इसका निर्देशन प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता और निर्देशक यश चोपड़ा के पुत्र आदित्य चोपड़ा ने किया था। यह फ़िल्म मुंबई के मराठा मंदिर में तेरह सालों से भी ज़्यादा समय तक चली। मार्च 2009 में इसने मुंबई के मराठा मंदिर में 700 सप्ताहों तक चलने का रिकॉर्ड बनाया।
पड़ोसन (1968)
इस फ़िल्म में गाँव का एक लड़का अपनी नई पड़ोसन के प्यार में पड़ जाता है। वह अपने संगीत शिक्षक की मदद से अपनी नई पड़ोसन को लुभाने की कोशिश करता है। कॉमेडी सुर संगीत से भरपूर यह एक बहुत मज़ेदार पारिवारिक फ़िल्म है।
तारे जमीन पर (2007)
यह फ़िल्म एक छोटे लड़के पर आधारित है, जो पढ़ाई में बहुत आलसी होता है और वह हर साल एक ही क्लास में बार-बार फेल होता रहता है। बाद में उसकी मुलाकात एक शिक्षक से होती है, जो उसकी समस्या को अच्छी तरह से समझकर उसकी छिपी प्रतिभा को सामने लाता है।
जाने भी दो यारो (1983)
बॉलीवुड के इतिहास में जब भी सर्वश्रेष्ठ हास्य फ़िल्मों का जिक्र होता है, तो ‘जाने भी दो यारों’ का नाम सबसे पहले लिया जाता है। 1983 में आई कुंदन शाह की इस फ़िल्म का निर्माण नेशनल फ़िल्म डेवलपमेन्ट कोर्पोरेशन ने किया था।
निर्देशक कुंदन शाह की यह फ़िल्म आज भी दर्शकों को हंसने के लिए विवश कर देती है। इस फ़िल्म में नसीरूद्दीन शाह (विनोद) और विवेक बासवानी (सुधीर) ने प्रमुख भूमिकाएं निभाई है।
पी के (2014)
पीके एक कॉमेडी के द्वारा सामाजिक संदेश देने वाली फ़िल्म है। इसका निर्देशन राजकुमार हिरानी ने किया है। यह कहानी एक एलियन (आमिर खान) की है, जो पृथ्वी में आता है और उसका उसके यान को बुलाने वाला रिमोट एक चोर लेकर भाग जाता है। इसके बाद वह धरती पर ही घूमता रहता है।
बर्फी (2012)
बर्फी! 2012 में प्रदर्शित रोमेंटिक हास्य-नाटक हिन्दी फ़िल्म है, जिसके लेखक, निर्देशक व सह-निर्माता अनुराग बसु हैं। 1970 के दशक में घटित फ़िल्म की कहानी दार्जिलिंग के एक गूंगे और बहरे व्यक्ति मर्फी “बर्फी” जॉनसन के जीवन और उसके दो महिलाओं श्रुति और मंदबुद्धि के साथ संबंधों को दर्शाती है।
फ़िल्म में मुख्य भूमिका में रणबीर कपूर, प्रियंका चोपड़ा और इलियाना डी’क्रूज़ हैं तथा सहायक अभिनय करने वाले सौरभ शुक्ला, आशीष विद्यार्थी और रूपा गांगुली हैं।
गोलमाल (1979)
अमोल पालेकर और उत्पल दत्त की शानदार जोड़ी आज भी दर्शकों को ज़ोर-2 से हंसने के लिए विवश कर देगी। अमोल पालेकर ने अपनी फ़िल्म गोलमाल में बहुत सफलता प्राप्त की और इस फ़िल्म में आर.डी. बर्मन द्वारा गाया हुआ गाना “आने वाला पल” फ़िल्म को ओर भी मज़ेदार बना देता है। छोटे शब्दों में कहें, तो गोलमाल फ़िल्म अपने समय में बहुत ही शानदार फ़िल्म रही थी।
लगान (2001)
फ़िल्म लगान, 2001 में बनी थी। यह फ़िल्म आशुतोष गौरीकर की मूल कथा पर आधारित है। आमीर ख़ान इसके सहनिर्माता होने के अलावा मुख्य अभिनेता भी है। फ़िल्म रानी विक्टोरिया के ब्रिटानी राज की एक सोखा पीडित गांव के किसानों पर कठोरब्रीटानी लगान की कहानी है।
जब किसान लगान कम करने की मांग करते हैं, तब ब्रिटानी अफ़्सर एक प्रस्ताव देतें है, अगर क्रिकेट के खेल में उनको गांव वासीओं ने पराजित कर दिया, तो लगान मांफ़। चूनौती स्वीकार करने के बाद गांव वासीओं पर क्या बीतती है, यही इस फ़िल्म का चरीत्र है।
मासूम (1983)
मासूम फ़िल्म शेखर कपूर द्वारा निर्देशित हिंदी फ़िल्म है। डी.के. मल्होत्रा अपनी पत्नी इंदु और दो बेटियाँ पिंकी और मिन्नी के साथ रहता है। एक बार डी.के. को फ़ोन आता है और वह एक लड़के राहुल को घर लाता है। इंदु को झटका लगता है, यह जान कर कि राहुल डी.के. कि नाजायज़ औलाद है।
राहुल को महसूस होता है इंदु को उसका घर रहना पसंद नहीं है। डी.के राहुल को बोर्डिंग स्कूल में भेजने का फैसला करता है और वह राहुल को नैनीताल में छोड़ आता है। एक दिन वह वहां से भाग जाता है। यह फ़िल्म बहुत भावुक कर देने वाली है।
स्वदेस (2004)
यह फ़िल्म बॉलीवुड की सबसे अच्छी हिंदी ड्रामा फ़िल्म थी। स्वदेस फ़िल्म को आशुतोष गोवारिकर द्वारा निर्देशित किया गया था। इस फ़िल्म के मुख्य किरदार शाहरुख खान और गायत्री जोशी थे। यह एक प्रेरणादायक फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में शाहरुख़ खान ने एक एन.आर.आई का किरदार निभाया है, जो भारत के एक गाँव में बिजली की समस्या को दूर करता है।
बागवान (2003)
इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी ने बहुत भावनात्मक किरदार अदा किया था। इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन ने एक बैंकर का किरदार अभिनय किया था। इस फ़िल्म में उनके 4 बच्चे होते हैं, जब उनके बच्चे बढ़े हो जाते हैं, तो वह अपने माता पिता से दुर्व्यवहार करने लगते हैं।
अंदाज अपना अपना (1994)
अंदाज अपना अपना 1994 में बनी भारतीय हिंदी कॉमेडी फ़िल्म थी। इस फ़िल्म को राजकुमार संतोषी द्वारा निर्देशित किया गया था। इस फ़िल्म में सलमान खान, आमिर खान, रवीना टंडन, करिश्मा कपूर और परेश रावल ने मुख्य किरदार निभाया था। इस फ़िल्म में आमिर खान और सलमान खान एक अमीर घर की लड़की से शादी करने के लिए तरह- तरह के हंसा देने वाले तरीके अपनाते हैं।
कभी हाँ कभी ना (1994)
यह फ़िल्म शाहरुख खान की सबसे बेहतरीन फ़िल्मों में से एक थी। इस फ़िल्म में शाहरुख़ खान ने एक सुनील नाम के लड़के का किरदार निभाया है, जो एक एना नाम की लड़की से प्यार करता होता है, लेकिन ऐना किसी ओर लड़के से प्यार करती होती है और वह शाहरुख खान को सिर्फ अपना दोस्त मानती होती है। यह फ़िल्म शुरू से लेकर अंत तक रोमांचित है।
ओ माई गॉड (2012)
ओ माई गॉड फ़िल्म एक व्यंग्यपूर्ण हिंदी फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में परेश रावल ने मुख्य किरदार निभाया है, उन्होंने कांजी नाम के व्यक्ति का किरदार निभाया है। इस फ़िल्म में कांजी की दूकान भूकंप की वजह से पूरी तरह नष्ट हो जाती है, जिससे दुखी होकर वह अदालत में भगवान के खिलाफ केस दर्ज करा देता है। यह फ़िल्म धर्म के नाम से होने वाले अंधविश्वासों के ऊपर से पर्दा हटाती है और लोगों को प्रेरणा देती है।
मिस्टर इंडिया (1987)
मिस्टर इंडिया फ़िल्म को शेखर कपूर द्वारा निर्देशित किया गया था। इस फ़िल्म के मुख्य किरदार अनिल कपूर, श्रीदेवी, अमरीश पूरी थे। अनिल कपूर ने इस फ़िल्म में एक गायब होने वाले व्यक्ति का किरदार निभाया था, जो एक घड़ी पहनने से अपनी इच्छा के अनुसार गायब हो जाता है। यह फ़िल्म हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फ़िल्मों में से एक थी।
चक दे इंडिया (2007)
“चक दे इंडिया” फ़िल्म शिमित अमिन द्वारा निर्देशित की गयी थी। इस फ़िल्म में शाहरुख खान ने इंडिया वीमेन हॉकी टीम के कोच का किरदार निभाया है। इस फ़िल्म की कहानी बहुत प्रेरणादायक है। शाहरुख़ खान, जिनका इस फ़िल्म में नाम कबीर खान होता है। वह टीम को इस तरह से ट्रेन करता है, जिससे इंडियन वीमेन हॉकी की टीम विश्व कप जीत जाती है।
1877 – भारत समेत दर्जनों देशों में जिस खेल के लिए लोग दीवानगी की सारी हदें पार कर देते हैं, उस खेल का पहलाआधिकारिकटेस्टमैच 15-19 मार्च को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में खेला गया था। ऑस्ट्रेलिया को 45 रन से जीत मिली थी।
1892 – पहली बार न्यूयॉर्क में ऑटोमैटिकबेल्टमशीन का प्रयोग किया गया।
1901 – भारत के महान कुश्तीप्रशिक्षक (कोच) व पहलवान गुरुहनुमान का जन्म।
1934 – बहुजनसमाजपार्टी (BSP) के संस्थापक कांशीराम का जन्म।
1947 – भारत के पूर्व हॉकीखिलाड़ीअजीतपालसिंह का जन्म।
1956 – जॉर्जबर्नाडशॉ के नाटक पर आधारित म्यूजिकलप्लेमाईफेयरलेडी को ब्रॉडवे में लोगों के लिए खोला गया।
1984 – इंडियनरैपरहनीसिंह का जन्म।
1984 – पोर्टलुई (मारिशस) स्थित महात्मागांधी संस्थान में वहाँ के प्रधानमंत्री अनिरुद्धजगन्नाथ द्वारा प्रथम अंतराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन का उद्घाटन।
1985 – भारतीय इतिहासकार और लेखक राधाकृष्णचौधरी का निधन।
1997 – ईरान ने पहली बार किसी महिलाराजनीतिक को विदेश में नियुक्त किया।
1999 – कोसोवोशांतिवार्ता का दूसरा चरण पेरिस में आरम्भ हुआ।
2001 – कोफीअन्नानढाका से भारत पहुँचे, भारत–पाक वार्ता पर ज़ोर।
2002 – संयुक्तराज्यअमेरिका का चौथा प्रक्षेपास्त्ररोधीपरीक्षण सफल।
2003 – चीन में सत्ता नई पीढ़ी के हाथ, हूजिन्ताओ नए राष्ट्रपति बने।
2005 – सऊदीअरब के राजकुमारअलवाहिदबिनतलालअब्दुलअजीजअलसौंद ने भारतीय राष्ट्रपति से नईदिल्ली में वार्ता की।
2007 – वोडाफ़ोन और एस्सार के बीच समझौता सम्पन्न।
2008 – देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरणबेदी को जेल सुधार एवं मानव अधिकारों की रक्षा में उत्कृष्ट योगदान के लिए जर्मन सम्मान ‘एनीमेरीमेडिसन‘ के लिए चुना गया।
2008 – महात्मागांधी की प्रतिमा इटली के पोसिलियो में स्थापित की गई।
2008 – कजाखस्तान के वैंकावूरहवाईअड्डे से रूस के एक प्रोटामएमरॉकेट का प्रक्षेपण किया गया।
2009 – भारत की प्रथम महिला विमान चालक सरलाठकराल का निधन।
2009 – भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध गीतकार वर्मामलिक का निधन।
2009 – लखनऊ ने महिलाओं की कबड्डी प्रतियोगिता जीती। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की महिला पहलवान अर्जुनअवार्डोंगतिकाजाखड़ ने लगातार सातवीं बार भारतकेसरीख़िताब जीतकर देश की सबसे ताकतवर महिलापहलवान बनने का गौरव प्राप्त किया।
होली के अजब-गजब टोटके – हिन्दू पंचांग के अनुसार होली फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। हिन्दू धर्म में यह त्यौहार दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिकादहन किया जाता है, होलिकादहन के दिन लकड़ी के ढेर की पूजा की जाती है और उसकी परिक्रमा की जाती है। दूसरे दिन होली वाले दिन रंगों, अबीर और गुलाल से होली खेली जाती है, होली को धुलेंडी भी कहा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ हो रही है, जो 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च और रंगों वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी।
होली के अजब-गजब टोटके
आज हम आपको होली पर किए जाने वाले कुछ साधारण उपाय बता रहे हैं, ये उपाय बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं ये खास उपाय :
होली वाले दिन ऊपर दिए गए मंत्र का जाप तुलसी की माला से करें। अगर आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो इस मंत्र का जाप करने से आपकी बीमारी दूर हो जाएगी।
धन की कमी को दूर करने के उपाय
होली की रात चंद्रमा के उदय होने के बाद अपने घर की छत पर या खुली जगह, जहां से चांद नज़र आए, वहां खड़े हो जाएं। फिर चंद्रमा का स्मरण करते हुए चांदी की प्लेट में सूखे छुहारे तथा कुछ मखाने रखकर शुद्ध घी के दीपक के साथ धूप एवं अगरबत्ती अर्पित करें।
अब दूध से चंद्रमा को अर्घ्य दें। अर्घ्य के बाद सफेद मिठाई तथा केसर मिश्रित साबूदाने की खीर अर्पित करें। चंद्रमा से समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करें। बाद में प्रसाद और मखानों को बच्चों में बांट दें। फिर लगातार आने वाली प्रत्येक पूर्णिमा की रात चंद्रमा को दूध का अर्घ्य दें।
शीघ्र विवाह के लिए उपाय
होली के दिन सुबह एक साबुत पान पर साबुत सुपारी एवं हल्दी की गांठ शिवलिंग पर चढ़ाएं और पीछे पलटे बगैर अपने घर आ जाएं। यही प्रयोग अगले दिन भी करें। जल्दी ही आपके विवाह के योग बन सकते हैं।
होली की रात उत्तर दिशा में बाजोट (पटिया) पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर मूंग, चने की दाल, चावल, गेहूं, मसूर, काले उड़द एवं तिल की ढेरी बनाएं। अब उस पर नवग्रह यंत्र स्थापित करें। उस पर केसर का तिलक करें, घी का दीपक लगाएं और ऊपर दिए गए मंत्र मंत्र का जाप करें। जाप स्फटिक की माला से करें। जाप पूरा होने पर यंत्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें, ग्रह अनुकूल होने लगेंगे।
व्यापार में सफलता पाने का उपाय
मंत्र- ॐ श्रीं श्रीं श्रीं परम सिद्धि व्यापार वृद्धि नम:।
एकाक्षी नारियल को लाल कपड़े में गेहूं के आसन पर स्थापित करें और सिन्दूर का तिलक करें। अब मूंगे की माला से ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करें। 21 माला जाप होने पर इस पोटली को दुकान में ऐसे स्थान पर टांग दें, जहां ग्राहकों की नज़र इस पर पड़ती रहे। इससे व्यापार में सफलता मिलने के योग बन सकते हैं।
होली की पूजा कैसे करें
लकड़ी और कंडों की होली के साथ घास लगाकर होलिका खड़ी करके उसका पूजन करने से पहले हाथ में असद, फूल, सुपारी, पैसा लेकर पूजन कर जल के साथ होलिका के पास छोड़ दें और अक्षत, चंदन, रोली, हल्दी, गुलाल, फूल तथा गूलरी की माला पहनाएं।
इसके बाद होलिका की तीन परिक्रमा करते हुए नारियल का गोला, गेहूं की बाली तथा चना को भूंज कर इसका प्रसाद सभी को वितरित करें। होली की पूजा करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि, संतान प्राप्ति होती है।
होलिका दहन, हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें होली के एक दिन पहले यानी पूर्व सन्ध्या को होलिका का सांकेतिक रूप से दहन किया जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
होली का त्यौहार हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए विशेष होता हैं। यह प्रमुख पर्वो में से एक माना जाता हैं। हिंदू धर्म में होली त्यौहार दो दिवसीय होता हैं इसकी शुरुआत होलिका दहन से होती हैं।
यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता हैं। पुराणों में होलिका दहन और पूजा का खास महत्व होता है। इस दिन होली की पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं।
ऐसी मान्यता है कि देवी लक्ष्मी के साथ सुख समृद्धि और खुशहाली भी आती हैं। तो आज हम आपको इस लेख में होलिका दहन के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
24 मार्च को होलिका दहन है। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है। ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा।
विधि
होलिका दहन के बाद जल से अर्घ्य देना चाहिए। शुभ मुहूर्त में होलिका में स्वयं या परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से आग जलाई जाती है।
आग में किसी भी फसल को सेंक लें और अगले दिन इसे सपरिवार ग्रहण करें। मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों को रागों से मुक्ति प्राप्त होती हैं।
कथा
प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर था। उसने कठिन तपस्या कर भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न कर वरदान मांगा कि वह न किसी मनुष्य द्वारा नहीं मारा जा सके, न पशु, न दिन- रात में, न घर के अंदर न बाहर, न किसी अस्त्र और न किसी शस्त्र के प्रहार से।
इस वरदान के कारण वह अहंकारी बन गया था, वह खुद को भगवान समझने लगा था। वह चाहता था कि सब उसकी पूजा करें। उसने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा पर पाबंदी लगा दी थी।
हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्राद विष्णु जी का परम उपासक था। हिरण्यकश्यप अपने बेटे के द्वारा भगवान विष्णु की आराधना करने पर बेहद नाराज रहता था, ऐसे में उसने उसे मारने का फैसला लिया।
हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह अपनी गोद में प्रह्लाद को लेकर प्रज्जवलित आग में बैठ जाएं, क्योंकि होलिका को वरदान था कि वह अग्नि से नहीं जलेगी। जब होलिका ने ऐसा किया तो प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका जलकर राख हो गई।
होलिका दहन के दिन क्या नहीं करना चाहिए
इस दिन सफेद खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना चाहिए।
इस दिन होलिका दहन के समय सिर ढककर ही पूजा करनी चाहिए।
वैसे तो हर त्यौहार का अपना एक रंग और महत्व होता है, लेकिन हरे, पीले, लाल, गुलाबी आदि असल रंगों का त्यौहार होली बहुत ही महत्वपूर्ण है। होली के आते ही वातावरण में एक मस्ती का आलम छा जाता है।
होली के दिन रंगों के माध्यम से सारी भिन्नताएं मिट जाती हैं और सब बस एक रंग के हो जाते हैं। हर किसी का तन-मन, प्रेम-उल्लास और उमंग के रंगों की फुहार से भर जाता है। आज हम आपको इस पोस्ट में एक टोटका बताने जा रहे हैं, जिससे घर में हमेशा के लिए समृद्धि ठहर जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ हो रही है, जो 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च और रंगों वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी।
क्यों मनाई जाती है होली
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहते थे। उनकी इस भक्ति से उनके पिता हिरण्यकश्यप नाखुश थे, इसीलिए उनके पिता ने अपने पुत्र को भगवान की भक्ति से हटाने के लिए कई प्रयास किए।
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकेगी। एक बार हिरण्यकश्यप ने अपनी ही बहन होलिका के जरिए प्रह्लाद को जिंदा जला देने का आदेश दिया, लेकिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की।
जब होलिका प्रह्लाद को जलाने के लिए आग में बैठी, तो वह खुद जल कर मर गई। तभी से इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में जाना जाता है और हिन्दू धर्म में होलिका दहन की परंपरा प्रचलित है। होलिका दहन से अगले दिन दुलहंडी (होली) खेला जाता है।
होली का मटकी टोटा
जिस स्थान पर होली जलाई जाती रही हो, वहां पर होली जलने से एक दिन पहले की रात में एक मटकी में गाय का घी, तिल का तेल, गेहूं और ज्वार तथा एक तांबे का पैसा रखकर मटकी का मुंह बंद करके गाड़ आएं।
रात्रि में जब होली जल जाए, तब दूसरे दिन सुबह उसे उखाड़ लाएं। फिर यह सारी वस्तुएं पोटली में बांधकर जिस जगह रख दी जाएगी, वहां समृद्धि रूक जाएगी। घर में फिर किसी चीज की कभी कमी नहीं होगी।
होली पूजन विधि
लकड़ी और कंडों की होली के साथ घास लगाकर होलिका खड़ी करके उसका पूजन करने से पहले हाथ में असद, फूल, सुपारी, पैसा लेकर पूजन कर जल के साथ होलिका के पास छोड़ दें और अक्षत, चंदन, रोली, हल्दी, गुलाल, फूल तथा गूलरी की माला पहनाएं।
इसके बाद होलिका की तीन परिक्रमा करते हुए नारियल का गोला, गेहूं की बाली तथा चना को भूंज कर इसका प्रसाद सभी को वितरित करें। होली की पूजा करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि, संतान प्राप्ति होती है।
कहा जाता है की अच्छी संगती और अच्छे विचार इंसान की प्रगति का द्वार खोल देते है। अल्बर्ट आइंस्टीन / Albert Einstein का हमेशा से यही मानना था की हम चाहे कोई भी छोटा काम ही क्यू ना कर रहे हो, हमें उस काम को पूरी सच्चाई और प्रमाणिकता के साथ करना चाहिये। तबी हम एक बुद्धिमान व्यक्ति बन सकते है।
1) भौतिका नोबेल पुरस्कार (1921)
2) Matteucci medal (1921)
3) Copley medal (1925)
4) Max planck medal (1929)
5) Time person of the century (1999)
सुविचार
Quote – दो चीजें अनंत हैं: ब्रह्माण्ड और मनुष्य कि मूर्खता; और मैं ब्रह्माण्ड के बारे में दृढ़ता से नहीं कह सकता।
Quote – जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।
Quote – ईश्वर के सामने हम सभी एक बराबर ही बुद्धिमान हैं-और एक बराबर ही मूर्ख भी।
आइंस्टीन का दिमाग
आईंस्टाइन की मृत्यु के बाद उनके परिवार की इजाज़त के बिना उनका दिमाग निकाल लिया गया। यह कार्य Dr.Thomas Harvey द्वारा उनके दिमाग पर रिसर्च करने के लिए किया गया। 1975 में उनके बेटे Hans की आज्ञा से उनके दिमाग के 240 सैंपल कई वैज्ञानिकों के पास भेजे गए जिन्हें देखने के बाद उन्होने पाया कि उन्के दिमाग में cells की गिणती आम इन्सान से ज्यादा है|
एक पैथोलॉजिस्ट ने आइंन्स्टीन के शव परीक्षण के दौरान उनका दिमाग चुरा लिया था। उसके बाद वह 20-22 साल तक एक जार में बंद पढ़ा रहा।
जर्मन मूल के अमरीकी वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन जीनियस थे। सन 1955 में उनकी मृत्यु के बाद से ही अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय रहा है। आखिर आइंस्टीन के दिमाग में आखिर ऐसा क्या था कि जिसके चलते आइंस्टीन ने भौतिक विज्ञान की असाधारण खोजें कीं।
कुछ साल पहले हुए एक शोध में पता चला है कि आइंस्टीन के दिमाग का Cerebral Cortex नाम का हिस्सा एक औसत इंसान के मुकाबले में आश्चर्यजनक रूप से भिन्न था। Cerebral Cortex यानि प्रमस्तिष्क प्रांतस्था मानव के दिमाग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है जो सबसे जटिल दिमागी प्रक्रियाओं के लिए जिम्मेवार माना जाता है।
स्मरण-शक्ति, कार्य-योजना बनाना, चिंता और तनाव, भविष्य की योजनाएं बनाना, कल्पना करना आदि कार्यों के लिए दिमाग का यही हिस्सा जिम्मेवार है। यह भाग असाधारण और अजीबो-गरीब ढंग से निर्मित और विकसित होता है और दिमाग की सतह पर न्यूरॉन्स के संयोजन के लिए जिम्मेवार होता है। शोध करने वाले विज्ञानियों ने पाया कि आइंस्टीन का दिमाग इस संयोजन के लिहाज से बहुत अधिक जटिल था।
कहाँ है अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग?
अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग 46 टुकड़ों के रूप में अमेरिका के एक संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। आइंस्टीन के दिमाग के यह काफी पतले टुकडे मूल रूप से डॉ। थॉमस हार्वे के पास सुरक्षित थे जिन्होंने वर्ष 1955 में महान वैज्ञानिक के निधन के बाद उनका पोस्टमार्टम किया था।
डॉ. हार्वे ने सामान्य जांच के लिए ये टुकड़े लिए थे लेकिन उन्होंने इन टुकड़ों को जांच के बाद नहीं लौटाया। मिथक है कि उन्होंने इसे चुराया लेकिन यह सच नहीं है।
डॉ. हार्वे के बाद आंइस्टीन के दिमाग के ये टुकड़े कई हाथों से होते हुए लूसी लूसी रोर्के एडम्स के पास पहुंचे। लूसी ने ही इन टुकड़ों को फिलाडेल्फिया के मुएटर म्यूजियम एंड हिस्टोरिकल मेडिकल लाइब्रेरी संग्रहालय को दान करने का निर्णय लिया। वहां जार में रखे आइंस्टीन के दिमाग को लोग देख सकते हैं।