Wednesday, April 17, 2024
35.4 C
Chandigarh

कहाँ से आई ‘चाय’ जानिए कुछ रोचक तथ्य !!

दुनियाभर में गर्मागर्म चाय के शौकीन लोगों की कमी नहीं है। ज्यादातर लोगों के दिन की शुरुआत ही चाय से होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कहाँ से आई चाय और क्या है इसका इतिहास। अगर नहीं तो, आज इस पोस्ट में हम जानेगें चाय के इतिहास और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में, तो आइए जानते हैं:-

इतिहास

ऐसा कहा जाता है कि चाय की शुरूआत सबसे पहले चीन में 2737 ईसा पूर्व हुई थी। यहां के सम्राट शैन नुंग रोज गर्म पानी पिया करते थे। एक दिन उनके लिए बगीचे में पानी उबाला जा रहा था, तभी कुछ पत्तियां उस पानी में गिर गई।

जिसके बाद उस पानी का रंग तुंरत बदल गया और उसमें खूशबू भी आने लगी। इसको पीने के पश्चात शैन को ताजगी और ऊर्जा महसूस हुई। बस यहीं से शुरू होता है चाय का सफ़र।

चीन अभी भी चाय के निर्यात में अग्रणी है। वह चाय का मुख्य आपूर्तिकर्ता है। आज के इतिहास को देखें तो ताइवान चाय का प्रमुख निर्यातक है। ताईवान ‘ग्रीन टी’ और ‘आलोंग टी’ के लिए प्रसिद्ध है। ताइवान की चाय को अभी भी ‘फारमूसा’ के नाम से पुकारा जाता है।

18वीं सदी में ब्रिटिश ने इसे भारत और श्रीलंका में खोजा। भारत आज ‘ब्लैक टी’ के लिए जाना जाता है। देश में असम, नीलगिरी और दार्जिलिंग चाय पैदा करने वाले मशहूर स्थान हैं। वहीं श्रीलंका सरकार अभी भी अपनी चाय को ब्रिटिश औपनिवेशक नाम सीलोन से ही बाजार में बेचती है।

कहा जाता है कि चाय पीने का इतिहास लगभग 750 ईसा पूर्व से है और भारत में चाय पीने की शुरुआत 2000 साल पहले हुई थी जो एक बौद्ध भिक्षु द्वारा की गई थी।

लगभग 2000 साल पहले बौद्ध भिक्षु चाय की पत्तियों को इसलिए खाते थे ताकि वे अपनी तपस्या आसानी से कर पाएं क्योंकि पत्तियां को खाने के बाद वे काफी देर तक जगने में सक्षम रहते थे।

रोचक तथ्य

  • हर साल पूरे विश्व में 21 मई को अंतराष्ट्रीय चाय दिवस ( International Tea Day ) मनाया जाता है।
  • पानी के बाद टी ऐसा पेय पदार्थ है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा पिया जाता है।
  • शुरू में चाय केवल सर्दियों में दवाई की तरह पी जाती थी। इसे रोज पीने की परंपरा भारत में ही शुरू हुई।
  • भारत में 1835 से चाय पीने की शुरुआत हुई।
  • बच्चों को एक-दो बार चाय पिला दो तो वे चाय को सुगंध से पहचान लेते हैं।
  • खाली पेट दूध वाली चाय पीने से एसिडिटी की समस्या होती है।
  • दिन में दो बार से ज़्यादा चाय पीने पर भूख कम लगता है और अपच की समस्या भी होने लगती है।
  • अमेरिका में लगभग 80% चाय की खपत आइस टी फॉर्म ( Ice Tea Form ) में होती है।
  • ज़्यादातर दुकानों पर सुबह की बनी चाय बारबार उबालकर ग्राहकों को पीने के लिए देते है जोकि स्वास्थ्य के लिए बड़ा ही हानिकारक होता है।
  • कहा जाता है कि 1500 से ज्यादा प्रकार की चाय होती है जिसमें काली, हरी, सफेद और पीली चाय काफी प्रचलित हैं।
  • अगर चाय की पत्तियों को कुछ देर पानी में भिगो दें और उसकी स्मैल (गंध) घर में फैलाएं तो यह प्राकृतिक ‘ऑलआउट’ का काम करता है और मच्छर भगा देता है।
  • चाय अफगानिस्तान और ईरान का राष्ट्रीय पेय है।
  • इंग्लैंड के लोग रोज 16 करोड़ चाय के कप पीते हैं। इस हिसाब से साल में 60 अरब कप चाय पी जाते हैं।
  • काली चाय का उपयोग कुल चाय का 75% है।
  • भारत में चाय का उत्पादन मुख्य रूप से असम में होता है और यह असम का राष्ट्रीय पेय भी है।
  • चाय उत्पादन में चीन पहले नंबर पर है और भारत दूसरे पर।
  • ब्लैक टी यानी काली चाय की सबसे ज्यादा खपत भारत में होती है।
  • तुर्की का हर व्यक्ति रोज 10 कप टी पी लेता है।
  • प्रतिदिन 4-5 कप चाय पीने से पुरूषों में प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) की आशंका बढ़ जाती है।
  • स्ट्रांग टी पीने से अल्सर (Ulcer) होने का खतरा बढ़ता है।
  • बहुत से लोग चाय के इतने आदी होते हैं कि अगर उन्हें चाय ना मिले तो सिरदर्द होने लगता है।
  • ज्यादातर लोग गर्म चाय पीना पसंद करते है लेकिन बहुत से ऐसे भी लोग होते है जो चाय को पूरी तरह से ठंडा करके पीते है।
  • अमेरिका के एक व्यापारी थॉमस सुलिवन ने चाय के सैंपल सिल्क बैग में डालकर ग्राहक को भेजे। ग्राहक ने गलती से पूरा सिल्क बैग ही गरम पानी में डाल दिया। जब सुलिवन को अपनी इस गलती का फायदा मिलने लगा तो उससे टी को बैग्स में डालकर बेचना शुरू किया।
  • चाय में एक ‘एल-थेनाइन’ नाम का इंग्रेडिएंट होता है, जो आपके ब्रेन पॉवर को बढ़ाने में मदद करता है, स्ट्रेस कम करता है, बुद्धि विकास करता है और आपको कुछ देर तक नींद नहीं लगने देता।
  • यह ब्रिटेन का सबसे पसंदीदा पेय बन चुकी थी।
  • चाय फ्लोराइड का प्राकृतिक स्रोत है जो दांतों और मसूड़ों की बीमारियों से बचाता है।
  • चाय के ऊपर लिखी गई पहली किताब 780 ई. में चीन में प्रकाशित हुई थी। इसके लेखक पारखी लू यू थे। पुस्तक विशेष रूप से चाय व्यापारियों के अनुरोध पर लिखी गई थी। इसका नाम ‘चा चिंग’ (चाय की किताब) था।

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR

RSS18
Follow by Email
Facebook0
X (Twitter)21
Pinterest
LinkedIn
Share
Instagram20
WhatsApp