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दुनिया के सबसे खतरनाक कुत्तों में से एक है बॉक्सर नस्ल के कुत्ते

बॉक्सर जर्मनी में विकसित एक मध्यम आकार, छोटी बालों वाली नस्ल का कुत्ता है। बॉक्सर नस्ल को आमतौर पर  निगरानी, एथलेटिक और बहुत सारे खेलों के लिए जाना जाता है। बॉक्सर प्रजाति को शिकारी कुत्तो का वंशज भी कहा जाता है।

ये अपने मजबूत जबड़े से किसी को भी अपना शिकार बना सकते हैं। इनकी पहचान अड़ियल कुत्तों के रूप में भी की जाती है। बॉक्सर अंग्रेजी बुलडॉग और अब विलुप्त हो चुके बुलेनबीसर (Bullenbeisser) के संकरण से बनाई गयी नस्ल है और मोलोसर (Molosser), मासटिफ समूह (mastiff group) का हिस्सा है।

बॉक्सर को सबसे पहले 1895 में मुनिच में सेंट बर्नार्ड के लिए किये गए एक डॉग शो में प्रदर्शन के लिए लाया गया था, जो पहला बॉक्सर क्लब था।

यह नाम “बॉक्सर” इस नस्ल की प्रवृतियों से ही व्युत्पन्न हुआ है, क्योंकि ये कुत्ते अपनी पिछले टांगों पर खड़े हो जाते हैं और अपने सामने वाले पंजों से “बॉक्सिंग” कर सकते हैं।

इस पोस्ट में हम आज बॉक्सर नस्ल के कुत्ते के बारे में जानेंगे :

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रंग, आकार और स्वभाव

इनके सिर का आकार वर्गाकार होता है, चौड़ी और गहरी छाती होती है। कान मुड़े हुए होते हैं, इनके पंजे धनुषाकार और छोटी खाल होती है।

ये अधिकतर हलके पीले (Fawn) या चितकबरे रंग के होते हैं, अक्सर इनके पेट का नीचला हिस्सा, सामने वाला हिस्सा और सभी चारों पैर सफ़ेद होते हैं। ये सफ़ेद निशान जिन्हें फ्लैश कहा जाता है अक्सर गर्दन या चेहरे तक फैले होते हैं और जिन कुत्तों में ये निशान होते हैं, वे “फ्लैशी” कहलाते हैं।

बॉक्सर चंचल, उत्साही, जिज्ञासु, चौकस, प्रदर्शनकारी, समर्पित और मिलनसार होते हैं। यह कुत्ता एक सक्रिय परिवार के लिए एक आदर्श साथी है। बॉक्सर जिद्दी हो सकते हैं, लेकिन अपने मालिक के आदेशों के प्रति संवेदनशील और उत्तरदायी होते हैं। वे दूसरे कुत्तों के प्रति आक्रामक होते हैं, लेकिन आम तौर पर अन्य पारिवारिक कुत्तों और पालतू जानवरों के साथ अच्छे होते हैं।

नर बॉक्सर का औसतन कद 2 फीट और मादा का औसतन कद 1 फुट 80 इंच होता है। इस नस्ल के नर का औसतन भार 30-35 किलो और मादा का औसतन भार 22-30 किलो होता है। इस नस्ल का औसतन जीवन काल 8-10 वर्ष होता है।

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भोजन

भोजन की मात्रा और किस्म, कुत्ते की उम्र और उसकी नस्ल पर निर्भर करती है। छोटी नस्लों को बड़ी नस्ल के मुकाबले भोजन की कम मात्रा की आवश्यकता होती है। भोजन उचित मात्रा में दिया जाना चाहिए नहीं तो कुत्ते सुस्त और मोटे हो जाते हैं।

संतुलित आहार जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स, फैट, प्रोटीन, विटामिन और ट्रेस तत्व शामिल हैं, पालतू जानवरों को स्वस्थ और अच्छे आकार में रखने के लिए आवश्यक होते हैं। कुत्ते को 6 आवश्यक तत्व जैसे फैट, खनिज, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट्स, पानी और प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

इसके साथ ही इन्हें सारा समय साफ पानी की आवश्यकता होती है। पिल्ले को 29 प्रतिशत प्रोटीन और प्रौढ़ कुत्ते को आहार में 18 प्रतिशत प्रोटीन की जरूरत होती है। हम उन्हें ये सारे आवश्यक तत्व उच्च गुणवत्ता वाले सूखा भोजन देकर दे सकते हैं।

स्वास्थ्य

प्रमुख स्वास्थ्य मुद्दे जो अक्सर बॉक्सर्स में देखे जाते हैं, उनमें शामिल हैं, कैंसर, ह्रदय रोग जैसे एओर्टिक स्टेनोसिस और एरिथ्मोजेनिक राईट वेंट्रिकुलर कार्डियोमायोपेथी, (तथाकथित “बॉक्सर कार्डियोमायोपेथी”) हाइपोथायरोइड, हिप डिसप्लाजिया और अपक्षयी माइलोपेथी और एपिलेप्सी; अन्य स्थितियां जो देखी जा सकती हैं, आमाशय का फैलाव और फूलना (ब्लोट), आन्त्रिय समस्याएं और एलर्जी।

ब्रिटेन के एक केनल क्लब स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, 38.5% बॉक्सर्स की मृत्यु कैंसर के कारण होती है, इसके बाद बड़ी उम्र के कारण (21.5%), ह्रदय रोगों के कारण (6.9%) और जठरांत्र सम्बंधित मुद्दों के कारण (6.9%) होती हैं।

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नस्ल की देख रेख

पिल्ले का चयन करते समय सावधानियां – पिल्ले का चयन आपकी जरूरत, उद्देश्य, उसके बालों की खाल, लिंग और आकार के अनुसार किया जाना चाहिए। पिल्ला वह खरीदें जो 8-12 सप्ताह का हो।

पिल्ला खरीदते समय उसकी आंखे, मसूड़े, पूंछ और मुंह की जांच करें। आंखे साफ और गहरी होनी चाहिए, मसूड़े गुलाबी होने चाहिए और पूंछ तोड़ी हुई नहीं होनी चाहिए और दस्त के कोई संकेत नहीं होने चाहिए।

आश्रय – कुत्ते को रहने के लिए अच्छी तरह से हवादार, साफ और सुरक्षित वातावरण प्रदान करें। आश्रय अत्याधिक बारिश और हवा और आंधी से सुरक्षित होना चाहिए। सर्दियों में कुत्तों को ठंड के मौसम से बचाने के लिए कंबल दें और गर्मियों में छाया और ठंडे स्थानों की आवश्यकता होती है।

पानी – कुत्ते के लिए 24 घंटे साफ पानी उपलब्ध होना चाहिए। पानी को साफ रखने के लिए प्रयोग किए जाने वाले बर्तन को आवश्यकतानुसार दिन में कम से कम दो बार या इससे अधिक समय में साफ करना चाहिए।

बालों की देख रेख – सप्ताह में दो बार बालों की देख रेख की जानी चाहिए। कंघी करने से अच्छा है प्रतिदिन ब्रशिंग करें। छोटे बालों वाली नस्ल के लिए सिर्फ ब्रशिंग की ही आवश्यकता होती है और लंबे बालों वाली नस्ल के लिए ब्रशिंग के बाद कंघी करनी चाहिए।

नहलाना – कुत्तों को 10-15 दिनों में एक बार नहलाना चाहिए। नहलाने के लिए औषधीय शैंपू की सिफारिश की जाती है।

ब्यांत समय में मादा की देखभाल – स्वस्थ पिल्लों के लिए गाभिन मादा की उचित देखभाल आवश्यक है। ब्यांत के समय या पहले उचित अंतराल पर टीकाकरण अवश्य देना चाहिए। ब्यांत का समय लगभग 55-72 दिन का होता है। उचित आहार, अच्छा वातावरण, व्यायाम और उचित जांच ब्यांत के समय के दौरान आवश्यक होती है।

नवजात पिल्लों की देखभाल – पिल्लों के जीवन के कुछ हफ्तों के लिए उनकी प्राथमिक गतिविधियों में अच्छे वातावरण, आहार और अच्छी आदतों का विकास शामिल है। कम से कम 2 महीने के नवजात पिल्ले को मां का दूध प्रदान करें और यदि मां की मृत्यु हो गई हो या किसी भी मामले में पिल्ला अपनी मां से अलग हो जाए तो शुरूआती फीड या पाउडरड दूध पिल्ले को दिया जाता है।

चिकित्सीय देखभाल – इंसानों की तरह, कुत्ते को भी हर 6-12 महीनों के बाद दांतों की जांच के लिए पशु चिकित्सक की आवश्यकता होती है। अपने कुत्ते के दांतों को नर्म ब्रश के साथ ब्रश करें और एक ऐसे पेस्ट का चयन करें जो फ्लोराइड मुक्त हो क्योंकि फ्लोराइड कुत्तों के लिए बहुत ही जहरीला होता है।

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टीकाकरण – पालतू जानवरों को नियमित टीकाकरण और डीवॉर्मिंग की आवश्यकता होती है ताकि उन्हें स्वास्थ्य समस्याएं ना हों।

6 सप्ताह के कुत्ते को canine distemper, canine hepatitis, corona viral enteritis, canine parainfluenza, parvo virus infection, leptospirosis का प्राथमिक टीकाकरण की आवश्यकता होती है और फिर दूसरा टीकाकरण 2-3 सप्ताह से 16 सप्ताह के कुत्ते को दें और फिर वार्षिक टीकाकरण देना चाहिए।

रेबीज़ बीमारी के लिए 3 महीने की उम्र के कुत्ते को पहला टीका लगवाना चाहिए, पहले टीके के 3 महीने बाद दूसरा टीका लगवाएं और फिर वार्षिक टीका लगवाना चाहिए।

हानिकारक परजीवियों से अपने पालतु जानवरों को बचाने के लिए डीवॉर्मिंग अवश्य करवानी चाहिए। 3 महीने और इससे कम उम्र के कुत्ते को प्रत्येक 15 दिनों के बाद डीवॉर्मिंग करवानी चाहिए।

6-12 महीने के बीच के कुत्ते को दो महीने में एक बार डीवॉर्मिंग करवानी चाहिए और फिर 1वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के कुत्ते को प्रत्येक 3 सप्ताह बाद डीवॉर्मिंग करवानी चाहिए। डीवॉर्मिंग कुत्ते के भार के अनुसार विभिन्न होती है।

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