रिमझिम बारिश में भीगना और बरसात के पानी में कागज की नाव को तैराना हर बच्चे को अच्छा लगता है। वर्षा हमारी धरती और पर्यावरण को पानी की आपूर्ति ही नहीं करती, यह मानव, पशु- पक्षियों और पेड़- पौधों के लिए कई तरह से लाभदायक भी है।
बारिश को बरसात, बरखा, वर्षा, वृष्टि, मेह आदि नामों से भी जाना जाता है। परंतु क्या आप जानते हैं कि वर्षा कितने तरह की होती है? अथवा यह क्यों और कैसे होती है?
वैसे इस बारे में कई लोग जानते हैं कि बादल कैसे बनते हैं और कब उससे वर्षा होती है लेकिन अगर इस पूरी प्रक्रिया को बताने के लिए कहा जाए तो कम ही लोग बता पाएंगे।
पहले समझें पानी को
पृथ्वी पर पानी के तीन रूप हैं। भाप, तरल पानी और ठोस बर्फ। जब पानी गर्म होता है तो वह भाप बनकर या गैस बनकर हवा में ऊपर उठता है। ऐसी भाप बहुत अधिक मात्रा में ऊपर जमा हो जाती है तो वह बादलों का रूप ले लेती है।
इस पूरी प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं। जब बादल ठंडे होते हैं तो गैसीय भाप तरल पानी में बदलने लगती है और ज्यादा ठंडक होने पर बर्फ में भी बदलने लगती है।
वाष्प के घने होने की प्रक्रिया को संघनन कहते हैं लेकिन वर्षा होने के लिए केवल यही काफी नहीं है पहले तरल बूंदें जमा होती हैं और बड़ी बूंदों में बदलती हैं। जब ये बूंदें भारी हो जाती हैं तब कहीं जा कर वर्षा होती है।
अनेक रूप में गिरता है वर्षा का पानी
बादलों से वर्षा के अलावा ओले गिरना, हिमपात आदि के रूप में पानी धरती तक पहुंच सकता है। जब पानी तरल रूप में न गिर कर ठोस रूप में गिरता है तो उसे हिमपात कहते हैं।
वहीं वर्षा के साथ बर्फ के टुकड़े गिरना ओलों का गिरना कहलाता है। इसके अलावा सर्दियों में ओस भी नजर आती है।
मानसून जैसे ‘सिस्टमों’ के कारण होती है वर्षा
बात अगर केवल बारिश की करें तो यह हर जगह नहीं होती और एक-सी भी नहीं होती है। पृथ्वी पर बहुत सारी प्रक्रियाएं हैं जिनके कारण किसी स्थान पर बारिश होती है।
इनमें भारत में सबसे जानी-मानी प्रक्रिया है मानसून जिसकी वजह से एक ही इलाके में एक से तीन-चार महीने तक लगातार या रुक-रुक कर वर्षा होती है।
वहीं कई बार बेमौसम बारिश होती है जिसे स्थानीय वर्षा कहा जाता है। कई बार समुद्र से चक्रवाती तूफान बारिश लाकर तबाही तक ला देते हैं। वहीं लम्बे समय तक बारिश न होना सूखा ला सकता है।
वर्षा की अलग-अलग वजहें
वर्षा की वजह एक नहीं होती है। समुद्र स्थल से दूरी, इलाके में पेड़-पौधों की मात्रा, पहाड़ों से दूरी, हवा के बहने का पैटर्न और जलवायु के अन्य तत्व मिल कर यह तय करते हैं कि किसी जगह पर बारिश कैसी, कब-कब और कितनी होगी।
वर्षा के बारे में कुछ रोचक तथ्य
- रंगीन वर्षा भी होती है जिसमें काफी मात्रा में धूल होती है। केरल के कोट्टयम क्षेत्र में दुनिया के किसी भी अन्य हिस्से की तुलना में लाल वर्षा सबसे अधिक होती है।
- रेगिस्तान में बारिश होती है तो सम्भावना है कि आप गीले नहीं होंगे। इसे फंटम बारिश कहा जाता है। यह जानना मुश्किल है कि वर्षा हुई है या नहीं क्योंकि गर्म हवा के प्रभाव के कारण बूंदों का असर मिट जाता है।
- अधिकांश को लगता है कि बारिश की बूंदें आंसू की बूंदों की तरह दिखती हैं लेकिन वे वास्तव में चॉकलेट चिप की तरह होती हैं।
- गिरने वाली बारिश की अधिकतम गति 18 से 22 मील प्रति घंटे होती है। यह वायुमंडलीय घर्षण के वजह से कम हो जाती है। ऐसा न हो तो प्रत्येक बूंद बहुत ज्यादा गति से नीचे आ जाएगी और बहुत नुक्सान हो सकता है।
- एक निश्चित समय दौरान एक विशेष क्षेत्र में वर्षा के माप को मापने के लिए ‘रेन गेज’ नामक उपकरण का उपयोग किया जाता है। माना जाता है कि भारत में इसका उपयोग कई सौ साल पहले से किया जा रहा है। कौटिल्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र में इसके उपयोग के बारे में लिखा मिलता है।
- सौरमंडल के अन्य ग्रहों पर भी वर्षा होती है। हालांकि, यह धरती पर होने वाली बारिश से अलग है। वहां यह मिथेन, नीयन औरसत्ययूरिक एसिड आदि से हो सकती है। शुक्र ग्रह पर बारिश सल्फ्यूरिक एसिड की होती है और शनि के चंद्रमा टाइटन पर मीथेन वर्षा होती है।
- दुनिया में कई तरह की जगह हैं जहां साल भर वर्षा होती है। जैसे हवाई के कुछ इलाकों में 350 दिन बारिश होती है।
- कृत्रिम वर्षा करना भी संभव है। इसके लिए बादलों पर विशेष कैमिकल छिड़का जाता है।
पंजाब केसरी से साभार
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