विश्व में करीब 10,000 प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं इनमें से 1200 प्रजातियां ऐसी हैं जोकि लुप्त होने की कगार पर हैं, इन पक्षियों की प्रजातियों को संकटग्रस्त घोषित किया गया है।
पृथ्वी पर मानव की गतिविधियों और जंगलों के विनाश की वजह से कई पशु पक्षी विलुप्त हो चुके हैं। सन 1500 से लेकर अब तक पक्षियों की 190 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। विलुप्त होने की यह प्रकिया दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
इस लेख में हम जानेंगे विलुप्त हुए कुछ पक्षियों के बारे में :
डोडो पक्षी
विलुप्त पक्षियों में डोडो पक्षी सबसे प्रमुख है। यह पक्षी मॉरीशस का एक स्थानीय पक्षी था। यह पक्षी उड़ नहीं पाते थे और बहुत बड़े आकार के होते थे। डोडो कबूतर का नज़दीकी रिश्तेदार माना जाता था। इस पक्षी की लम्बाई 3.3 फीट और इसका वजन 20 किलो तक हो सकता था।
सन 1598 में डच समुद्री यात्री इस द्वीप पर आए तो उन्होंने डोडो को उसके मांस के लिए शिकार करना शुरू कर दिया। डोडो पक्षी का शिकार करना बहुत आसान था, क्योंकि न तो ये उड़ पाते थे और अधिक वजन होने के कारण न ही भाग पाते थे। समुद्री यात्रियों ने इस द्वीप पर लगभग सभी डोडो पक्षियों को मार कर पूरी प्रजाति को ही नष्ट कर दिया था।
तस्मानियन इमु
तस्मानियन इमु, इमू पक्षी की ही एक प्रजाति थी जो कि तस्मानिया द्वीप में पाई जाती थीl यह पक्षी उड़ नहीं पाता थाl तस्मानिया में यह पक्षी काफी मात्रा में पाए जाते थे, परंतु किसानों ने इसे फसल को नष्ट करने वाला पक्षी मानते हुए इसका शिकार करना शुरू कर दिया और लगभग सारे पक्षियों को मार डाला।
कैरोलिना पैराकीट
कैरोलिना पैराकीट एकमात्र तोते की प्रजाति थी जो कि उत्तरी अमेरिका में पाई जाती थी। यह पक्षी अलाबामा रा ज्य में मुख्य रूप से पाया जाता था तथा यह प्रवास करके ओहायो, आयोवा, इलिनॉइस आदि अमेरिकी राज्यों में भी जाता था।
इसका आकार 12 इंच का था तथा वजन 280 ग्राम हुआ करता था। मानव विकास के दौरान जंगलों का विनाश हो गया जिससे कि उत्तरी अमेरिका के इस इकलौते तोते के आवास नष्ट हो गए जिससे कि इसकी पूरी प्रजाति का ही विनाश हो गया।
अरबी शुतुरमुर्ग
शुतुरमुर्ग पक्षी अब केवल अफ्रीका में ही पाए जाते हैं l पहले यह अरब के रेगिस्तान में भी पाए जाते थे। इनकी कुछ संख्या जॉर्डन, इसराइल, कुवेत आदि देशों में भी पाई जाती थी। इन्हें मध्य पूर्व का शतुरमुर्ग कहा जाता था। अरब के अमीर लोगों ने खेल के रूप में इस पक्षी का शिकार करना शुरू कर दिया।
इस पक्षी का शिकार मांस, अंडों उसके पंखों के लिए किया जाता था। इसके सुंदर पंखों से कई प्रकार के क्राफ्ट्स बनाए जाते थे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बंदूक और राइफल के आ जाने से इनका शिकार और भी आसान हो गया और इन्हें केवल मनोरंजन के लिए ही मारा जाने लगा, और धीरे धीरे अरबी शतुरमुर्ग की पूरी प्रजाति ही खत्म हो गई।
संदेश वाहक कबूतर
संदेश वाहक कबूतर भारी मात्रा में उत्तरी अमेरिका में पाए जाते थे, उनके झुंड इधर-उधर उड़ते हुए देखे जा सकते थे। यह कबूतर उत्तरी अमेरिका के जंगलों में पाए जाते थे। जब अमेरिका में, अफ्रीका के लोगों को गुलाम बनाकर लाया गया तो उन्हें सस्ते भोजन के रूप में संदेशवाहक कबूतरों का मांस खिलाया जाता था, क्योंकि इनका शिकार आसानी से किया जा सकता था और यह काफी मात्रा में मौजूद थे।
शहरों को आबाद करने के लिए जंगलों का विनाश किया गया, जिससे कि इन संदेशवाहक कबूतरों का आवास ख़त्म हो गया। इन दोनों प्रमुख कारणों से उत्तरी अमेरिका में एक भी संदेशवाहक कबूतर नहीं बचा और यह प्रजाति पूरी तरह से विलुप्त हो गई।