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5 निराले समुद्री जीव, कोई सजने-संवरने में तो कोई दिमाग से है अव्वल

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि दुनिया भर में जीव-जंतुओं की क़रीब 87 लाख प्रजातियां हैं। हालांकि इनमें से अधिकतर की पहचान होना अभी भी बाकी है। हरेक जीव-जंतु अपने आप में अलग होता है तथा एक या दूसरी अनोखी विशेषता लिए हुए होता है।

पानी का संसार तो और भी विचित्र है। पानी के जीव संभवत: धरती के जीवों से अधिक आकर्षक और रंगीन होते हैं। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके लिए 5 रोचक और विचित्र जीवों का संकलन ले कर आये हैं जो अपने आप में बहुत निराले हैं।

डॉल्फिन

एक पूर्णतया विकसित डॉल्फिन एक दिन में 20 से 22 किलो मछलियां खा जाती है। डॉल्फिन का जीवनकाल 17 से 25 वर्ष तक होता है। खास बात यह है कि वे आईने में देख कर खुद को पहचान सकती हैं। सोनार तकनीक (ध्वनि तरंगों) की मदद से वे पानी में मौजूद चीजों की दूरी, उनके आकार-प्रकार के बारे में जान जाती हैं। डॉल्फिन आमतौर पर एक आंख खुली रख कर सोती हैं। डॉल्फिन को इंसान के बाद सबसे समझदार जीव समझा जाता है।

समुद्री ऊदबिलाव

समुद्री ऊदबिलाव दिन के करीब आधा वक्त अपने फर को संवारते हुए बिताते हैं। इन्हें वे अपनी उंगलियों की मदद से संवारते हैं। उनके मजबूत पंजे फर में कंघी सी करते हैं। इसके बाद वे अपने फर को मुलायम बनाने के लिए पानी में गोलगोल घूमते हैं। । आमतौर पर वे पीठ के बल ही सोते, आराम करते तथा तैरते हैं।

केकड़े

केकड़े की 6,700 से अधिक प्रजातियां हैं। जापानी मकड़ी केकड़े का फैलाव 12 फुट से ज्यादा हो सकता है और इसका वजन 19 किलो तक हो सकता है। केकड़ों की 10 टांगें होती हैं इसलिए उन्हें ‘डैकापोड्स’ (डैका- दस, पोडा- टांगें) के रूप में जाना जाता है। इनमें से टांगों की पहली जोड़ी पंजों के रूप में मौजूद होती है जिसकी मदद से वे अपने शिकार को पकड़ते तथा खाते हैं।

समुद्री कछुए

समुद्री कछुओं को खानाबदोश भी कहा जाता है, क्योंकि वे एक साल में करीब 16000 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। खासकर वे जेलिफ़िश ढूंढने के लिए यह सफर तय करते हैं। जापान में पैदा हुए लकड़हारे(Loggerhead) कछुए भोजन और परिपक्व होने के लिए लगभग 8,000 मील की दूरी पर बाजा कैलिफ़ोर्निया, मैक्सिको के समृद्ध पानी में चले जाते हैं। एक बार जब वे यौन परिपक्वता तक पहुँच जाते हैं, तो वे प्रजनन और घोंसला बनाने के लिए वापस जापान चले जाते हैं।

घोंघे

घोंघे का एक ही पैर होता है। वह पैर की आगे-पीछे होती रहने वाली मांसपेशियों की हरकत से एक तरह से जमीन पर घिसट कर चल पाता है। चलने में सरलता के लिए इसके मुंह के निचले हिस्से में स्थित एक ग्रंथि से लार निकलती रहती है। यह लार इसके पैर के नीचे से गुज़रती है जिससे घोंघा बेहद तीखी चीजों के ऊपर से भी बिना चोटिल हुए आसानी से गुज़र जाता है।

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