ऑनलाइन आर्डर की गुड़िया और डिलीवर हुई भटकती आत्मा!!

आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे डरकर आप भी ऑनलाइन आर्डर करते समय हज़ार बार सोचोगे। आपको बता दें कि इंग्लैंड की डैबी मेर्रिक ने ऑनलाइन तीन गुड़िया आर्डर की लेकिन उसे क्या पता था जो डिलीवर होगा या होगी वह उसके जीवन में कभी न थमने वाला भूचाल ला देगा।

जुलाई 2017 में इंग्लैंड की डैबी मेर्रिक ने ebay पर तीन चीनी गुड़िया आर्डर की. टाइम पर आर्डर की डिलीवरी हुई. गुड़िया प्रेमी डैबी मेर्रिक बहुत खुश थी. खास कर दुल्हन की ड्रेस पहने इस गुड़िया को देख कर. सुनहरी और चांदी के मिश्रित लिबास में यह गुड़िया किसी असली दुलहन से कम नहीं लग रही थी. लेकिन असलियत से डैबी बिलकुल अनजान थी.

दरअसल, इस गुड़िया को खरीदने के एक दो दिन के बाद से ही घर में अजीबोगरीब घटनाएँ होने लगी. जैसे कि आपने फिल्मों में देखा होगा, दरवाजे का अपने आप ही खुल जाना, फायर अलार्म बजने लग जाना, लाइट का अचानक जलने-बुझने लगना, और भी न जाने क्या क्या. डैबी और उसका पति डर की एक अजीब सी स्थिति में घिर गए.

हद तो तब हो गयी, जब इसके बाद कुछ ही दिनों में डैबी के पति के हाथों में खरोंचों और चोटों के निशान दिखने लग गए. पहले तो दोनों को समझ नहीं आया कि यह सब हो क्या रहा है. थक हार कर भयभीत डैबी ने इलाके के जाने माने ओझा यानि तांत्रिक को बुलवा भेजा।

चीन निर्मित भूतिया गुड़िया जिसने डैबी मेरिक के परिवार का जीना हराम कर दिया

तांत्रिक ने गहन छानबीन की. छानबीन करने के बाद ओझा ने बताया कि यह सब उस खूबसूरत चीनी गुड़िया की वजह से हो रहा था. तांत्रिक के कहने पर डरी हुई डैबी ने गुड़िया को घर के तहखाने यानी बेसमेंट में रख दिया और प्रार्थना करने लगी की सब कुछ ठीक हो जाये.

जब डैबी ने कुछ देर बाद नीचे जा के देखा तो गुड़िया ने अपना नेकलेस उतार दिया था जो कि तब उसके गले में था जब उसे नीचे रखा गया था.

इसके बाद डैबी ने उस भूतिया गुड़िया को ऑनलाइन बेचने का फ़ैसला किया. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने उस डॉल कि तस्वीरें लेकर ऑनलाइन डालने की कोशिश कि तब उन्हें बहुत मुश्किल आई, ऐसा उनके साथ पहले कभी नही हुआ था. कुछ ही दिनों बाद एक पारलौकिक विशेषज्ञ ली स्टीर की नज़र उस पोस्ट पर पड़ गई और उसने इसे 70 हज़ार में खरीद लिया.

भूतिया गुड़िया को घर ला कर ली स्टीर बहुत ही खुश था, लेकिन उसे नहीं पता था कि यह ख़ुशी ज्यादा दिन की नही है. कुछ समय बाद स्टीर के पिता पॉल पर वैसे ही हमले होने लग गए जैसे कि डैबी के पति पर हुआ करते थे. उनके हाथों में भी कई निशान आ गए.

ली स्टीर के घर गुड़िया आने के बाद कई तरह की घटनाएँ घटने लग गई जैसे कि सामानों का हिलना जुलना, चीज़ों का टूटना, लाइट्स का खुद ही जलना-बुझना, घर में कई तरह की आवाजें भी आती थी. इतना होने के बाद ली कि माँ ने उस गुडिया को फेंकने को कहा लेकिन ली नहीं माना, क्यूंकि वह अभी भी उस पर अध्ययन करना चाहते थे.

यह भी पढ़े:-भानगढ़ का किला जहां शाम ढलते ही जाग उठती हैं आत्माएं

यह भी पढ़े:-दुनिया का एक अजूबा- सहारा रेगिस्तान की ‘रहस्यमयी आंख’

यह भी पढ़े:-ममी को मिला नया अवतार, लगा नया सिर!

यदि आप भारत के इन राज्यों में “पाकिस्तान जिंदाबाद” चिल्लाते हैं तो क्या होगा?

कुछ समय पहले Quora पर एक बहुत ही रोचक प्रश्न मिला था. प्रश्न का विषय कुछ ऐसे था, “यदि आप भारत के किसी भीड़ भरे इलाके में “पाकिस्तान जिंदाबाद” चिल्लाते हैं तो क्या होगा?”  इस पर  काफी सारे रोचक जवाब दिए गए थे. इनमें से एक जवाब का हिंदी अनुवाद यहाँ अक्षरश: पोस्ट कर रहा हूँ. [लिंक पोस्ट के अंत में है]

तो चलिए देखते है कि यदि आप भारत के इन अलग अलग राज्यों में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ चिल्लाते हैं तो वहाँ के लोगों की प्रतिक्रिया क्या होगी। यानी ऐसा नारा लगाने पर वहां की जनता आपके साथ कैसा व्यवहार करेगी.

  1. जम्मू -कश्मीर : कुछ संवेदनशील क्षेत्रों जैसे अनंतनाग, पुलवामा, बड़गांव आदि के लोग आपका अनुसरण करेंगे और वे हाथ में पत्थर लेकर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ बोलते हुए जोश में आगे बढ़ सकते हैं.
  2. हिमाचल प्रदेश: यदि आप हिमाचल की सार्वजनिक जगहों पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाओगे तो इससे पहले की प्रशासन को पता चले आपको किसी बहती हुई नदी में फेंक दिया जाएगा.
  3. पंजाब: पंजाब के लोग बहुत केयर करने वाले होते हैं. वो आपकी भी अच्छी केयर करेंगे. आप समझ रहे हैं न मेरा क्या मतलब है?
  4. उत्तराखंड: उत्तराखंड में जहाँ पर कि भाजपा की सरकार है, तो यहाँ आपकी हड्डियों को गंगा में बहा दिया जायेगा औए आपको पता भी नहीं चलेगा.
  5. उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में हिंदुओं की तो छोड़िए, यहां के भारतीय मुसलमान आपकी अच्छी-खासी खबर ले लेंगे.
  6. राजस्थान : यहाँ लोग आपके हाथ-पैर बांधकर आपको एक ऊंट पर बिठाकर आपको आपके आखिरी सफर पर छोड़ देंगे. जरा सोचिये राजस्थान के किसी निर्जन रेगिस्तान में आग बरसाती धूप और गर्मी में बिना कपड़ों के आपको कैसा लगेगा?
  7. दिल्ली: राजधानी दिल्ली में आप शायद मेहफ़ूज़ ही रहेंगे क्योंकि यहाँ जेएनयू के छात्र और कुछ मौकापरस्त नेता लोग अभिव्यक्ति की आजादी का सही इस्तेमाल करने के लिए आपकी प्रशंसा करेंगे और जब आप मीडिया में आएंगे तो आपको *** ** जैसे नेताओं समर्थन भी मिल सकता है .
  8. बिहार: यहां लोग आपको जिन्दा दफन भी कर देंगे और किसी को कानो–कान खबर नहीं होने देंगे. बिहार के लोग बेहद देशप्रेमी लोग हैं.
  9. असम: असम में आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है. यहाँ आपको पकड़ लिया जायेगा और अगले दिन आप अपने आप को किसी पेड़ से लटके हुए पाओगे.
  10. पश्चिम बंगाल: यहाँ आपको *** का समर्थन मिल सकता है और आपको उनकी पार्टी में सीट और कुछ पुरस्कार भी मिल सकता है .
  11. गुजरात: गुजरात में वैसे तो न्याय व्यवस्था काफी मजबूत है, लेकिन फिर भी लोग आपके चेहरे पर काफी सारे “हाई-फाइव” लगा कर, लात-घूंसो से आपकी अच्छी खातिरदारी करेंगे.
  12. तमिलनाडु: तमिलनाडु में लोग आपको घूरेगे और अपने अपने काम में बिजी हो जाएंगे. आपके बार-बार बोलने पर भी उनका यही रिएक्शन होगा जब तक को कोई हिंदी का जानकार आपको सुन न ले .
  13. महाराष्ट्र: आपने राज ठाकरे, शिवसेना या आरएसएस का नाम सुना है? अगर नहीं सुना तो मेरा यकीन करें, जो एकमात्र शब्द आपके मुँह से निकलेगा, वो होगा  “हिंदुस्तान ज़िंदाबाद”. और कुछ नहीं.

[पोस्ट Quora में प्रकाशित “What will happen if you shout ‘Pakistan Zindabad’ in a crowded area of India?” पर Akshay Kumar द्वारा दिए गए एक उत्तर का हिंदी अनुवाद है. किसी की व्यक्तिगत भावनाओं को ठेस पहुँचाने का हमारा कोई मकसद नहीं है और इसे फंडाबुक  पर केवल मनोरंजन के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है]

केस्टेलफोलिट डे ला रोका: बेहद खतरनाक जगह पर बसा गांव!

दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें ऊँची जगहों पर रहना बहुत पसंद है. लेकिन ऐसी जगहों पर रहना बहुत मुश्किल है और एक छोटी सी गलती भी आपकी जान तक ले सकती है. स्पेन में भी एक ऐसी ही जगह है जिसे केस्टेलफोलिट डे ला रोका (Castellfollit de la Roca) गांव के नाम से जाना जाता है. स्पेन का यह गांव बेसाल्ट की चट्टानों पर बसा हुआ है.

केस्टेलफोलिट डे ला रोका kestelfolit-de-la-roca-village

केस्टेलफोलिट डे ला रोका गांव फ्लूविया और टोरोनेल (Fluvià and Toronell) नदीयों के बीच बसा हुआ है. खड़ी चट्टानों पर जमीन से लगभग 50 मीटर ऊपर बसा यह गांव बेहद साँस चढ़ने वाला और सुरम्य प्राकृतिक दृश्यावली प्रस्तुत करता है.

ऐसा माना जाता है कि यहां लाखों साल पहले दो ज्वालामुखी विस्फोट हुए थे जिसके कारण ज्वालामुखी का लावा धीरे-धीरे बेसाल्ट चट्टानों के रूप में बदल गया. उसके बाद मध्य युग में केस्टेलफोलिट डे ला रोका गाँव बसा, जो अपनी मध्ययुगीन निर्माण शैली, संकरी गलियों और विलक्षण चौराहों के लिए जाना जाता है.

केस्टेलफोलिट डे ला रोका village-in-span

इस गांव के पुराने घर ज्वालामुखी से बनी चट्टानों से बने हैं. यहाँ लगभग 13वीं शताब्दी में बनी सेंट साल्वाडोर चर्च है जो एक किलोमीटर लम्बे इस गाँव के एक मुहाने पर बनी है.

यह गांव जमीन से लगभग 50 मीटर ऊपर चट्टान पर बना है. यह एक तीखी खड़ी चट्टान है और इसके किनारों पर बसे घर बेहद खतरनाक ढलान पर बने हैं, अगर आप ने जहाँ से गलती की तू आपका बचना नामुमकिन है. ऐसे में घरों की मुरम्मत और रंग-रोगन का काम करना बेहद ही मुश्किल और जान हथेली पर लेकर चलने के समान है. लेकिन फिर भी यहाँ के लोग सैकड़ों सालों से बेहद जिंदादिली से यहाँ पर रहते आ रहे हैं और जीवन का लुत्फ़ उठाते हैं.

यह भी पढ़े:- दुनिया का सबसे बड़ा और खूबसूरत उद्यान

यह भी पढ़े:- दिलचस्प तस्वीरें: लोगों द्वारा अपने मन की बात कहने के अलग-अलग तरीके!!!

जयपुर का आमेर किला: भव्यता की मिसाल

आमेर किला जिसे आमेर का किला या आंबेर का किला नाम से भी जाना जाता है, भारत के पश्चिमी राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर के आमेर क्षेत्र में एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित एक पर्वतीय दुर्ग है. यह जयपुर नगर का प्रधान पर्यटक आकर्षण है.

आमेर का कस्बा मूल रूप से स्थानीय मीणाओं द्वारा बसाया गया था. बाद में कछवाहा राजपूत मान सिंह प्रथम ने आमेर पर राज किया व आमेर के दुर्ग का निर्माण करवाया।

अम्बर या आमेर शब्द माँ अंबा देवी से लिया गया है. आमेर का किला अपने बड़े प्रांगण, तंग रास्तों और कई फाटकों के साथ, चित्रकारी की हिंदू शैली में बनाई कलाकृतियों के लिए जाना जाता है. यह मुगल और राजपूत वास्तुकला का समावेश है जिसे बनाने के लिए संगमरमर और लाल पत्थरों का प्रयोग हुआ है. आमेर किले के नीचे स्थित माहोठा झील इस जगह की खूबसूरती में चार चाँद लगाती है.

आमेर किला राजस्थान में सबसे बडे किलों में से एक है और इसकी भव्य स्थापत्य कला समृद्ध अतीत का एक प्रतीक है. आमेर राजस्थान राज्य का एक शहर है और यह अब यह जयपुर नगर निगम का हिस्सा है. यह 1727 तक कछवाहा राजपूतों की राजधानी थी.

आमेर किले को बाहर से देखने पर ये एक चट्टानी किला लगता है लेकिन इंटीरियर में इसके निर्माण में चार चाँद लगे हुए है. इसमें विशाल हॉल, शाही ढंग से डिजाइन किए गए महल, सुंदर मंदिर और बहुत खूबसूरत हरी घास का उद्यान शामिल है. किले की वास्तुकला हिंदू और मुगल शैली का सही संयोजन है. अंदरूनी काम को शानदार दर्पण, पेंटिंग और नक्काशियों के साथ सजाया गया है.

किले के परिसर को लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से सजाया गया है. यहाँ विशिष्ट भवन और स्थल बने हैं जिसमें शामिल है – दीवान-ए-आम या “सार्वजनिक दर्शको का हॉल” , दीवान-ए-खास या “निजी दर्शकों का हॉल”, शीश महल ( दर्पण महल) या जय मंदिर और सुख निवास.

आमेर किला

हर दिन औसतन 4000-5000 पर्यटक इस अद्भुत किले को देखने आते है. 2005 में किले के परिसर में 80 से अधिक हाथियों के ठहरने की सूचना है. यहाँ के मुख्य चैम्बर के चालीस खम्भों पर कीमती स्टॉन्स लगे है और पत्थरों पर विभिन्न सुंदर चित्रों की नक्काशी है.

सुख निवास, दीवान-ए-आम के विपरीत दिशा में है जिसमे चंदन के दरवाजे है और जिन्हें हाथी दांत के साथ सजाया गया है. कहा जाता है कि राजा अपनी रानियों के साथ समय बिताने के लिए इस जगह का प्रयोग किया करते थे और यही कारण है कि इसे खुशनुमा पलों के भरपूर या सुख निवास के रूप में जाना जाता है.

शीश महल आमेर किले का प्रसिद्ध आकर्षण है जिसमें कई दर्पण घर हैं. इस हॉल का निर्माण इस तरह से है कि जब भी प्रकाश की एक किरण महल में रोशनी करती है तो यहाँ स्थापित अन्य दर्पणों के साथ मिलकर वह पूरे हाल को प्राकृतिक प्रकाश से रोशन कर देती हैं. माना जाता है कि एक मोमबत्ती ही पूरे हॉल को हल्का प्रकाश देने के लिए पर्याप्त है.

आमेर किले में और भी बहुत सी चीजें देखने लायक है. पुराने विशाल बर्तन, दरवाजे, औजार, संदूक, चबूतरे और विशाल खाली स्थान इस जगह की भव्यता की गाथा स्वंय कह देते हैं।

आमेर किला साल में कभी भी विजिट किया जा सकता है. खासकर सितम्बर से लेकर अप्रैल तक का समय उत्तम रहता है.

अजीबो गरीब: महिला ने की 300 साल के भूत से शादी!!

गुडगाँव की 7 डरावनी और सच्ची भुतहा घटनाएं!

दुनिया के सबसे खतरनाक पुल

आज हम आपको दुनिया के सबसे खतरनाक पुलों के बारे में बताने जा रहे हैं। वैसे तो आप बहुत बार गाड़ी दुवारा पुल के ऊपर से गुज़रे होंगे लेकिन आपको बता दें कि जिन पुलों के बारे हम बात कर रहे हैं उन पर सफर करना मज़ेदार के साथ जानलेवा भी है। ज्यादातर एडवेंचर के शौकीन लोग ही इन पुलों के ऊपर से गुज़ारना पसंद करते हैं। आइए जानिए इन खरतनाक पुलों के बारे में:-

ग्लास बॉटमड ब्रिज

सबसे पहले आपको बता दें कि चीन में बना ग्लास बॉटमड ब्रिज दुनिया का सबसे लम्बा और ऊँचा पुल है। यह पुल कांच का बना हुआ है और इस पर चलने से पहले आपको अपनी जान हथेली पर रखनी होगी।

Titlis क्लिफ वॉक

यह ब्रिज दो पहाड़ियों को आपस में जोड़ने वाला यूरोप का सबसे ऊंचा पुल है। इसकी लंबाई 320 फुट और चौड़ाई 3 फुट है। यह पुल स्विट्जरलैंड में बना हुआ है और यह समुद्र तल से करीब 10 हज़ार फुट की ऊंचाई पर स्थित है।

ग्लास सस्पेंशन ब्रिज

ग्लास सस्पेंशन ब्रिज भी चीन में बना हुआ है और यह भी खतरनाक ब्रिज में से एक है। इसकी लंबाई 430 मीटर और ऊंचाई 300 मीटर है।

कैरिक ए रेडे ब्रिज

कैरिक ए रेडे ब्रिज नार्थ आयरलैंड में बना हुआ है और इसकी ऊंचाई जमीन से लगभग 100 फुट है। दो पहाड़ों को आपस में जोड़ने वाले इस ब्रिज पर चलना खतरे से खाली नहीं है।

कैपिलोनो सस्पेंशन ब्रिज

कैपिलोनो सस्पेंशन ब्रिज कनाडा में स्थित है और इसका का निर्माण 1889 में हुआ था। आपको बता दें कि इस ब्रिज को नदी पार करने के लिए बनाया गया था। इसकी ऊंचाई 230 फुट है और लंबाई 460 फुट है।

मिलौ वायाडक्ट

फ्रांस में बना मिलौ वायाडक्ट ब्रिज आसमान की उचांईयां नापता हुआ दिखाई देता है। 2004 में बने इस ब्रिज की लागत €400 मिलियन की है।

लैंगकावी स्काई ब्रिज

लैंगकावी स्काई ब्रिज समुद्र तल से से लगभग 2000 फ़ीट की ऊंचाई पर बना हुआ है। आपको बता दें कि लोग इस ब्रिज पर पैदल सफर करते हुए मलेशिया के खूबसूरत और अद्भुत दृश्य का नजारा देख सकते हैं।

रॉयल जॉर्ज ब्रिज

इसके अलावा यह रॉयल जॉर्ज ब्रिज दुनिया के सबसे ऊँचे सस्पेंशन ब्रिज की सूची में अपना स्थान रखता है क्योंकि यह ब्रिज अमेरिका का सबसे ऊंचा ब्रिज है। यह ब्रिज अर्कांसस नदी के ऊपर 955 फ़ीट की ऊंचाई पर बना हुआ है। अगर आप इस पुल पर चल रहे तो आप नीचे की ओर मत देखें इससे आपको चक्कर आने लग जाएंगे।

कुंडिन्स्की ब्रिज ऑफ बीइंग

नदी विटिम पर बना  Kuandinsky Bridge रूस के ट्रांस-बायकल क्षेत्र का एक बेहद खतरनाक ब्रिज है।
इस ब्रिज की चौड़ाई कार के व्हील बेस से ज्यादा लम्बी नहीं है, और तो और इस ब्रिज के किनारों पर कोई भी रेलिंग नही है। ऐसा लगता जैसे कि वहाँ की तेज़ चलती हवाएं गाड़ियों को बर्फ से जमी नदी में ढकेलने की धमकी देती हो।

एशशिमा ओहाशी पुल

पश्चिमी जापान में स्थित एहशिमा ओहासी पुल सड़क से ज्यादा एक रोलर कॉस्टर (rollar coaster) कि तरह दिखता है। इस पुल पर ड्राइविंग करना एक रोमांचकारी कार की सवारी करना जैसा ही प्रतीत होता है. यह पुल कंक्रीट से बना दो रास्तों वाला ब्रिज है। इस ब्रिज की सीधी खड़ी चढ़ाई की वजह से यह सबसे बहादुर ड्राइवर्स के दिलों में भी डर भर देता है।

यह भी पढ़े:- 24 हजार चिप्स से बनाई मोनालिसा की सबसे बड़ी पेंटिंग

यह भी पढ़े:- यह है विश्व का सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक चरखा

यह भी पढ़े:- तो ऐसे देती है महारानी एलिजाबेथ अपने कर्मचारियों को गुप्त संकेत

 

इस मंदिर में चढ़ाए जाते हैं गाड़ियों के पुर्जे!!

गाड़ियों के पुर्जे

यूं तो आपने मंदिर में धूपबाती जलाकर प्रसाद के रूप में लडडू, मिठाई, नारियल या फल चढ़ाए होंगे। लेकिन आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं उसमें ऐसा कुछ नहीं चढ़ाया जाता। यहां चढ़ाए जाते हैं गाड़ियों के पुर्जे, नंबर प्लेट और घर के पुराने औजार। आप भी जानिए इस अनोखे मंदिर के बारे में।

सराज में है यह मंदिर

हिमाचल प्रदेश में एक अनोखा मंदिर हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृहक्षेत्र सराज में है। यह काफी दुर्गम क्षेत्र है और देव संस्कृति को लेकर बहुत आस्थावान और प्रसिद्ध है। इसी क्षेत्र में मगरूगला नामक स्थान के पास है देवता बनशीरा का मंदिर। देवता बनशीरा को जंगल का देवता कहा जाता है और यही कारण है कि इनका मंदिर जंगल के बीचों बीच स्थित है।

न छत है न पुजारी

इस मंदिर की न तो कोई छत है और न यहां कोई पुजारी है। मंदिर की मान्यता दूर-दूर तक है। मगरू महादेव मंदिर के पुजारी हेतराम बताते हैं कि देवता के इतिहास के तो कोई प्रमाण नहीं लेकिन देवता सदियों से इसी स्थान पर विराजमान हैं और इन्हे जंगल का देवता कहा जाता है।

पहले चढ़ाते थे पुराने औज़ार

हेतराम बताते हैं कि यदि लोग प्राचीन समय से ही मंदिर में अपने घरों के पुराने औजार देवता के मंदिर में चढ़ाते थे और समय के साथ-साथ इसमें गाड़ियों के पुर्जे और नम्बर प्लेट भी शामिल हो गई। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से उस वस्तु पर देवता की कृपा दृष्टि बनी रहती है और कोई संकट नहीं आता। मंदिर परिसर में पड़े ढेरों पुर्जे और नम्बर प्लेट इस बात की तरफ इशारा कर रही हैं कि वाहन चालकों में इस मंदिर के प्रति कितनी आस्था है।

चालकों में है गहरी आस्था, इसलिए चढ़ाते हैं गाड़ियों के पुर्जे

यहां से गुजरने वाले वाहन चालक मंदिर के आगे अपनी गाड़ी को ब्रेक जरूर लगाते हैं और माथा टेककर आशीवार्द प्राप्त करते हैं। टैक्सी चालक खेम सिंह यादव बताते हैं कि यदि गाड़ी का कोई पुर्जा बार-बार खराब हो और उसे इस मंदिर में चढ़ाया जाए तो फिर वह पुर्जा खराब नहीं होता। वहीं गाड़ियों की नम्बर प्लेट इसलिए चढ़ाई जाती हैं ताकि देवता की कृपा गाड़ी पर बनी रहे।

देवभूमि की है अलग पहचान

हालांकि इन बातों पर यकीन करना संभव नहीं लगता लेकिन यह लोगों की आस्था ही है जो इस बात का दर्शा रही है कि मंदिर के प्रति उनकी कितनी अटूट श्रद्धा है। यह आस्था इस बात का प्रमाण है कि विभिन्न प्रकार के मंदिर और उनकी अपनी विशेष प्रकार की मान्यताओं के कारण ही हिमाचल प्रदेश का देवभूमि कहा जाता है।

उजालों के देश नॉर्वे के बारे में रोचक तथ्य

नॉर्वे एक स्कैंडिनेवियाई देश है. यह देश दुनिया के सबसे सुदूर देशों में से एक हैं. नॉर्वे उत्तरी ध्रुव के बहुत नजदीक हैं जिस कारण पूरी सर्दियों में यहाँ अंधेरा रहता है और इसके उलट बाकी सारा साल उजाला. हमने अपने इस पोस्ट में नॉर्वे देश की कुछ रोचक बातें लिखी हैं. जिन्हे पढ़कर आप इस देश को और करीब से जान पाएँगे. तो यह हैं नॉर्वे के कुछ रोचक फैक्ट्स.

1. नॉर्वे में ओस्लो तट से करीब 75 किलोमीटर दूर बैस्ट्वॉय जेल है. यहां रहने वाले अपराधियों पर मर्डर, रेप और स्मगलिंग के मुकदमें हैं. नॉर्वे के आइलैंड जेल में कैदियों को लगभग हर तरह के काम करने की छूट होती है जो वह करना चाहते हैं. नॉर्वे सरकार का कहना है अपराध सुधारने का प्रयास पहले दिन से ही होना चाहिए. रिपोर्टो के मुताबिक़ पिछले कुछ सालो नॉर्वे में क्राइम रेट काफी गिरावट हुई है.

2. Norway की समुद्री सीमा 20,000 किलोमीटर से भी ज्यादा लम्बी है और यहाँ Jostedalsbreen नाम का ग्लेशियर दक्षिणी यूरोप का सबसे बड़ा ग्लेशियर यानी हिमखंड है.

3. एक छोटा देश होने के बावजूद नॉर्वे की गिनती धनी देशों में होती है. वहीँ वैश्विक शांति पटल (Global Peace Index) में इस देश को यूरोप का सबसे शांतिपूर्ण देश बताया गया है.

4. Norway का Beerenberg ज्वालामुखी जो की 7,306 ft. यानि 2,227 मीटर बड़ा है और यह Norwegian समुद्र पर Jan Mayen Island पर नॉर्वे का एक मात्र सक्रिय ज्वालामुखी (Active Volcano) है।

5. इस देश में हत्या की अधिकतम सजा 21 साल है. यहाँ फांसी या उम्रकैद सजा नहीं है.

6. इस देश में कोई अपनी कमाई नहीं छुपा सकता . इस देश का टैक्स विभाग सब नागरिकों की टैक्स जानकारी वेबसाइट पर अपलोड कर देता है. कोई भी इन्हे बड़ी आसानी से देख सकता है.

7. नॉर्वे, भले ही विश्व में सबसे अधिक पेट्रोलियम पदार्थों के उत्पादकों में से एक है लेकिन यहाँ पर गैस की कीमत बहुत ज्यादा है, ऐसा मुनाफे के लिए किया जाता है।

8. नॉर्वे के उत्तरी भाग में मई महीने से लेकर जुलाई महीने तक लगातर 76 दिन तक सूरज नहीं डूबता. यहां रात 12 बजकर 43 मिनट पर सूरज छिपता है और 40 मिनट बाद फिर उग जाता है.

9. साल 2011 में Norway में बटर की बहुत कमी हो गयी थी. उस समय 250 ग्राम बटर की कीमत 50 अमेरिकी डॉलर यानी कि लगभग 3000 रुपये थी.

10. Norway का Hardangervidda पठार पूरे यूरोप का सबसे बड़ा पर्वतीय पठार है और यह जंगली हिरणों के झुंडों का घर भी है।

11. Norway में कुत्तों को बांधना गैर कानूनी है. आप वहां पर कुत्तों को किसी विशेष परिस्थति में ही बांध सकते हैं.

12. Norway का संविधान 17 मई साल 1814 को बना था. इस दिन को National Day के नाम से मनाया जाता है. नॉर्वे की संसद को स्टोरटिंग कहते हैं.

13. Norway में रहने वाले पुरुषों को दो नाम से बुलाया जाता है एक है odd और दूसरा even.

14. Norway की Laderal सुरंग दुनिया की सबसे लंबी रोड टनल है. इसकी लंबाई 24.5 किलोमीटर है.

15. Norway में 98 से 99% बिजली हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट से तैयार होती है.

Also Read:-
जन्म के समय अलग हुए जुड़वां बच्चे जीते है एक जैसा जीवन
अनोखे आकर्षणों का केंद्र तेल अवीव

जन्म से जुदा हुए जुड़वाँ भाईयों की अविश्वसनीय कहानी

इतिहास के 10 अविश्वसनीय संयोग पोस्ट में हमने इतिहास के जिन दस अविश्वसनीय संयोगों के बारे में चर्चा की थी उनमें से एक था दो जुड़वाँ भाइयों जिम लेविस और जिम स्प्रिन्जेर का जन्म से ही एक दूसरे से दूर होते हुए भी एक जैसी लाइफ स्टाइल जीना।

जैसा कि हमने उस पोस्ट में पढ़ा, दो जुड़वाँ भाइयों जिम लेविस और जिम स्प्रिन्जेर को जन्म से ही अलग कर दिया गया और उन्हें अलग अलग परिवारों द्वारा अपनाया गया. एक-दूसरे के लिए अनजान होते हुए भी, दोनों परिवारों ने लड़कों का नाम जेम्स रखा। उनके साथ और भी बहुत कुछ एक जैसा घटा. अब इस पोस्ट में हम इस अभूतपूर्व संयोग के बारे में विस्तार से जानेंगे।

जुड़वाँ
जिम लेविस और जिम स्प्रिन्जेर

यह घटना सन 1940 की है.  अमेरिकी राज्य ओहियो के लीमा में जेम्स ‘जिम’ लेविस को जन्म के तीन हफ्तों के बाद एक परिवार ने गोद लिया। उन्हें यह नाम उनके दत्तक यानि गोद लेने वाले माता-पिता द्वारा दिया गया. उनके पास ‘Toy‘ नाम का एक कुत्ता था. जिम लेविस को गणित और बढ़ईगीरी(लकड़ी के मिस्त्री का काम) पसंद थी लेकिन कभी स्पेलिंग (spellings) याद नहीं रहती थी.

वहीँ दूसरी ओर, पिक्वा(Piqua), ओहियो में  जेम्स ‘जिम’ स्प्रिन्जेर को भी पैदा होने के तीन सप्ताह बाद गोद ले लिया गया। उन्हें भी ‘जेम्स’ नाम उनके दत्तक माता-पिता द्वारा दिया गया था, और उनके पास भी ‘Toy’ नाम का एक कुत्ता था। एक स्कूली स्टूडेंट के रूप में, स्प्रिन्जेर को भी गणित और बढ़ईगीरी पसंद थी लेकिन कभी spelling पसंद नहीं थी।

बात केवल यहीं तक सीमित नहीं थी. देखिये उनके बीच कितनी सारी अभूतपूर्व समानताएं थी.

  • दोनों का पैट नाम जिम था.
  • दोनों को गणित और बढ़ईगीरी पसंद थी.
  • दोनों को स्पेलिंग (spellings) याद नहीं रहती थी.
  • दोनों के पास ‘Toy’ नाम का कुत्ता था.
  • दोनों ने ही लिंडा नाम की अलग-अलग महिलाओं से शादी की। बाद में दोनों का तलाक हो गया, और उन्होंने बेट्टी नाम की अलग-अलग महिलाओं से विवाह किया.
  • एक जिम ने अपने बेटे का नाम जेम्स एलन(James Allan) तो दूसरे जिम ने James जेम्स एलान(James Alan) रखा.
  • दोनों अपनी-अपनी हल्के नीले रंग की शेवरलेट (Chevrolet) कार में फ्लोरिडा बीच पर छुट्टियां मनाने जाते थे.
  • दोनों जिम एक ही ब्रांड(Salem) की सिगरेट पीते थे और एक ही ब्रांड(Miller Lite) की बियर पीते थे.
  • दोनों जिम एक ही समय नगर निरीक्षक (sheriff) की पार्ट टाइम नौकरी कर रहे थे.
  • दोनों जिम नाखून चबाते थे और आधे सिरदर्द(migraine) की समस्या से ग्रस्त थे.
  • दोनों जिम घर में अपनी पत्नियों के लिए रोमांटिक लघु-प्रेम-पत्र (love notes) छोड़ते थे.

हालाँकि, बचपन से ही दोनों जिम की मांओं को पता था कि उनके बेटे का एक जुड़वां भाई है। स्प्रिन्जेर की मां इस धारणा में थी कि जिम के जुड़वाँ भाई की मृत्यु हो गई थी, लेकिन लुईस की मां कुछ और भी जानती थी।

दरअसल जब लुईस की मां गोद लेने के कागजी कार्य को अंतिम रूप देने के लिए एक न्यायाधीश के पास गई थी, तो उसने किसी को यह कहते सुना कि “एक और अन्य बच्चे” को भी जेम्स नाम दिया गया था। यह अपनी मां से मिला वह कूट-संदेश ही था जिसने बाद में जिम लुईस को अपने जुड़वां भाई की तलाश करने पर मजबूर कर दिया।

39 साल की उम्र में जिम लुईस ने प्रमाणित अदालत(probate court) से संपर्क किया, जिसके पास उनके गोद लेने का रिकॉर्ड था. अपने भाई के गोद के दस्तावेज में दर्ज़ पता देखकर उसने पिक्वा(Piqua) में स्प्रिन्जेर परिवार से संपर्क किया।

“मैं एक दिन घर आया,” लुईस ने कहा, “और मुझे ‘जिम स्प्रिन्जेर को कॉल करने के लिए एक संदेश मिला।”

उसने फोन किया। और इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता कि बात कैसे शुरू करे, अचानक उसके मुँह से निकल पड़ा, “क्या तुम मेरे भाई हो?”

1979 में, जिम लुईस, जिम स्प्रिन्जेर से मिले, और उनकी चौंकाने वाली समानताओं के पीछे की सच्चाई सामने आई। वे एक-दूसरे से 45 मील दूर रहते थे और लगभग समान जीवन जीते थे।

जुड़वाँ

चार दिन बाद वे दोनों व्यक्तिगत रूप से आमने-सामने थे। एक दूसरे को देखकर उनकी ख़ुशी का ठिकाना न था.  उन्होंने एक-दूसरे से मिलने पर पाया कि वे दोनों तनाव से होने वाली सिरदर्द से पीड़ित थे, नाखून खाने के आदी थे, और यहां तक कि उन्हें सिगरेट का एक ही ब्रांड पसंद था और दोनों फ्लोरिडा समुद्र तट पर छुट्टी मनाने जाते थे।

दो जिम जुड़वाँ भाइयों की समानता के बारे में सुनकर, मिनेसोटा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस जुड़वां जोड़ी को परीक्षण के लिए आमंत्रित किया। शोधकर्ताओं की टीम जुड़वां लोगों पर एक निरंतर अध्ययन कर रही थी, और यह जानने की कोशिश कर रही थी कि ‘प्रकृति बनाम पोषण’ की बहस में अलगाव की कोई भूमिका है या नहीं।

1979 और 1999 के बीच, इस टीम ने 137 जुड़वाँ लोगों का अध्ययन किया था, जो एक-दूसरे से अलग रहते थे. उनके शोध ने जुड़वां बच्चों की चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करने वाले 170 से अधिक अलग अध्ययनों को जन्म दिया।

संबन्धित:

अनोखे आकर्षणों का केंद्र तेल अवीव

0

रोथ्सचाइल्ड बोल्वार्ड इस शानदार शहर तेल अवीव के इतिहास का नज़ारा पेश करती है. यहाँ की कुछ सबसे मशहूर इमारतें तथा इंडिपेंडेंस हाल जैसे स्मारक यहाँ है. यही वह स्थान है जहाँ 1948 में इसराइल के प्रथम प्रधान मंत्री डेविड बेन गुरिओन ने इसराइल राष्ट्र की स्थापना की थी.इसके कुछ दिलचस्प स्थलों में एक है शहर का पहला कॉफ़ी कियोस्क जो आज भी काम करता है. यहाँ स्थित बैनेडिक्ट में चौबीस घंटे भोजन परोसा जाता है.

यहाँ 16 ख़ूबसूरत बीच है. इनमे से हर किसी में अपनी ही अलग ख़ास बात है. यहाँ के समुद्र तटों पर सैर सपाटे का आनंद लेने के लिए अप्रैल से अक्टूबर का वक़्त उपयुक्त माना जाता है. तेल अवीव के समुद्र तट फिटनेस ज़ोन से कम नहीं है. जहाँ स्थानीय लोग खुद को फिट रखने के लिए हर तरह की गतिविधियों में लिप्त दिखाई देते है. तट पर जगह जगह वर्कआउट स्टेशनस बने है. लोगों को यहाँ साइकिलिंग भी खासी पसंद है और शहर में 85 मील लम्बी साइकिलिंग लेंस बनी है. शहर के पर्यावरण हितैषी बाइक सिस्टम को ‘टेलीफोन’ कहते है.

समुद्र तट पर छोटी छोटी झोंपडियां भी बनी है. धूप तीखी होने पर ये बेहद काम आती है. कुछ लोग यहीं पर पिकनिक मनाने के लिए बास्केट में खाने-पीने की चीज़ें भरकर बैठे दिखाई दे जाते है. यहाँ स्ट्रीट आर्ट ख़ास लोकप्रीय है. इस जगह स्ट्रीट आर्ट हर जगह दिखाई देती है. ऐसा लगता है जैसे हर दीवार तथा कोने को कैनवस की तरह उपयोग किया गया है. यहाँ दिखने वाली कला राजनीतिक से लेकर विविध मुद्दों को छूती है.

यह शहर हर वर्ग का खुल कर स्वागत करता है तभी इसे खुले दिमाग तथा बेहद उदारवादी माना जाता है. जून में यहाँ समलैंगिकों की वार्षिक ‘गे प्राइड परेड’ भी आयोजित होती है. कई इमारतों तथा रेस्तराओं व दुकानों पर समलैंगिकों का प्रतीक ‘रेनबो फ्लैग’ फहराता भी दिखाई दे जाता है जो इस बात का प्रमाण है कि यह शहर कितना आजाद ख्याल है. यहाँ समुद्र तट के करीब पर्यटकों के लिए सैग्वे भी उपलब्ध है. थोड़े से अभ्यास से इन्हें चलाया जा सकता है जो एक बेहद दिलचस्प अनुभव बन जाता है.

 

अजीबो गरीब: महिला ने की 300 साल के भूत से शादी!!

आपको बता दें कि यूरोप की एक महिला ने इंसान से नही बल्कि एक भूत से शादी कर ली, वो भी 300 साल पुराने भूत से. महिला की लव स्टोरी ने लोगों को न केवल हैरान कर दिया बल्कि लोग इससे डर भी रहें है. नॉर्दन आयरलैंड के डाउनपैट्रिक की रहने वाली इस महिला की लव स्टोरी ने लोगों को चकित कर दिया है.

दोस्ती से प्यार में बदला रिश्ता

जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि डाउनपैट्रिक की रहने वाली 45 साल की अमांडा टीग ने भूत से शादी की. भूत और महिला के बीच पहले दोस्ती हुई, फिर दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई और अब महिला ने उस भूत से शादी कर ली है. आप हैरान मत होइए यह खबर बिलकुल सच्ची है. अमांडा खुद इसके बारे में बताती है कि करीब 300 साल पहले उसके पति जैक की मौत हो गई थी. उसका पति एक हाईटियन समुद्री लुटेरा था जिसे उसने कभी देखा नहीं.

यह भी पढ़ें:- रहस्यमई स्थान जहां से कभी कोई नहीं लौटा

यह भी पढ़ें:- क्या होगा अगर इस दरवाजे को खोल दिया जाए ?

आखिर क्या है भूत से शादी की वजह

एक रिपोर्ट के मुताबिक महिला बताती है कि उसने अपने पति को कभी देखा नहीं बल्कि उसके पति ने उसे बताया कि वह डार्क है और उसके काले लम्बे बाल है. साल 1700 में उसे फांसी की सजा दे दी गई थी. अमांडा कहती है कि वो अपने भूतिया पति जैक के साथ अच्छा महसूस करती है. उसके साथ डेट पर जाती है. अमांडा ने बताया कि जैक ने जीवंत तौर पर नहीं बल्कि एक शक्तिशाली आत्मा के तौर पर उससे शादी की.

आपको बता दें कि अमांडा 5 बच्चों की मां है. उसने अपने इंसानी पति से तलाक ले लिया है. अमांडा की कहानी और उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. तस्वीरों में अमांडा दुल्हन के परिधान में एक काले रंग के झंडे के साथ खड़ी है, जिसे वो अपना पति बताती है.

यह भी पढ़ें:- जानिए राजस्थान के सोनार किले की कुछ रहस्यमई बातें
यह भी पढ़ें:-भानगढ़ का किला जहां शाम ढलते ही जाग उठती हैं आत्माएं