खुबानी गुठली वाला फल होता है और इसकी खास बात है कि इसको कच्चा और सूखे मेवे, दोनों ही रूपों में खाया जा सकता है।
यह पौष्टिकता से भरपूर होने के कारण स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अच्छा है। आयुर्वेद में खुबानी का प्रयोग औषधि के रूप में बहुतायत मात्रा में किया जाता है।
खुबानी क्या है?
खुबानी का वानस्पतिक नाम ‘पूनस आरमीनिआका‘ है। इसे अंग्रेजी में एप्रीकॉट कहते हैं जबकि संस्कृत में इसका नाम “उरुमाण” है जबकि फारसी में इसे मिश-मिश तथा जरदालु कहते हैं।
खुबानी का वर्णन चरक, सुश्रुत तथा अष्टांग-हृदय जैसी संहिताओं में बादाम, अखरोट आदि मेवा फलों के साथ किया गया है। आड़ जैसे इस फल का छिलका थोड़ा खुरदुरा होता है।
आयुर्वेद के अनुसार खुबानी मीठा और गर्म तासीर का फल है। अपने गुणों के कारण यह वात और कफ को कम करने के साथ कमजोरी दूर करने में मददगार होता है।
इसके अलावा खुबानी शुक्राणुओं की क्वालिटी और संख्या बढ़ाने में भी सहायता करता है। खुबानी में जीवाणुरोधी तत्व भी होते हैं जिससे यह बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता है।
लम्बी उम्र का राज
पाकिस्तान की हुंजा घाटी में रहने वाली महिलाएं 80 साल की उम्र में भी महज 30-40 की लगती हैं जबकि यहां के पुरुष 90 साल की उम्र में भी पिता बन सकते हैं। कहते हैं कि यहां के लोग औसतन 120 साल तक जिंदा रहते हैं।
इनकी लम्बी उम्र का एक राज नियमित रूप से खुबानी के सेवन को भी माना जाता है जो यहां प्रचुर मात्रा में उगती हैं।
खुबानी में विटामिन ‘ए’, विटामिन ‘सी’, विटामिन ‘ई’, नियासिन, पोटाशियम, मैंगनीज।
मैग्निशियम जैसे बहत सारे पौष्टिक तत्व होते हैं जो इसे अनगिनत गुणों वाला बना देते हैं। इसके फल के सेवन से सेहत को फायदा तो होता ही है, इसके पेड़ पर लगने वाले फूल, पत्ते तथा बीज भी फायदेमंद हैं।
कमजोरी में खुबानी के सेवन से लाभ
अगर लंबे समय तक बीमार होने के कारण कमजोरी हो गई है तो खुबानी के सेवन से लाभ मिल सकता है। इसका रोज सेवन करने से दुर्बलता कम होती है तथा शरीर की ताकत बढ़ती है।
भारत के हिमालयी क्षेत्रों में खुबानी का तेल बहुतायत से सेवन किया जाता है। यह अत्यन्त पौष्टिक होता है। कमजोरी दूर करने के लिए 1 चम्मच तेल को दूध में डालकर पाना चाहिए।
खांसी में
यह खांसी के उपचार में भी गुणकारी है। इसके फूल के चूर्ण में काली मिर्च तथा अदरक मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से खांसी तथा सांस लेने में जो असुविधा होती है उससे आराम मिलता है। वैसे यह पेय के रूप में भी काफी स्वादिष्ट होता है।
दस्त या अतिसार में
खाने में संतुलन बिगड़ा नहीं कि दस्त की समस्या हो गई। इसे रोकने के लिए खुबानी के बीज का काढ़ा बनाकर 15-20 मि.ली. मात्रा में पीने से दस्त में लाभ होता है।
बार-बार प्यास लगने की समस्या में अक्सर किसी दवा के साइड इफैक्ट के कारण या किसी बीमारी के लक्षण के रूप में बार-बार प्यास लगने की समस्या हो सकती है।
यहां तक कि मेनोपॉज के कारण भी गला बार-बार सूखने लगता है। खुबानी का सेवन करने से अत्यधिक प्यास लगना कम होता है।
गठिया के दर्द में
गठिया का दर्द आजकल हर उम्र के लोगों को होने लगा है। खुबानी के सेवन से इस दर्द से होने वाली परेशानी कुछ हद तक कम हो सकती है।
अल्सर में
खुबानी बीज के तेल को लगाने से जलने से जो घाव या अल्सर जैसा होता है उससे आराम मिलता है।
रूखी त्वचा से राहत
आजकल बाहर प्रदूषण बहुत अधिक है और खान-पान में असंतुलन का असर भी त्वचा पर होता है। खुबानी के तेल के प्रयोग से त्वचा का रूखापन कम होता है और यह कोमल हो जाती है।
पंजाब केसरी से साभार
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