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आयुर्वेद के अनुसार बेहतर जीवन जीने के लिए क्या करें और क्या न करें

आयुर्वेद स्वस्थ और लंबे जीवन की कुंजी है। आयुर्वेद की जीवनशैली अपनाने से कई मौजूदा और पुरानी बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है।

आयुर्वेद समग्र चिकित्सा का एक रूप है जो शरीर और दिमाग के बीच संतुलन को बनाये रखता है। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं कि आयुर्वेद के अनुसार बेहतर जीवन जीने के लिए क्या करें और क्या न करें, तो चलिए जानते हैं:-

आयुर्वेदिक आहार

आयुर्वेद के अनुसार कोई भी बीमारी शरीर में पाए जाने वाले तत्त्वों के असंतुलन के कारण होती है। जब आयुर्वेद के तीनों तत्त्वों वायु, पित्त और कफ में से किसी में असंतुलन होता है तो इसे दोष कहा जाता है।

जैसे यदि किसी व्यक्ति में वात की अधिकता है तो उसे चक्कर आएगा, पित्त की अधिकता है तो सूजन होगी और कफ का असंतुलन होने पर उसे बलगम ज्यादा बनता है।

आहार की आयुर्वेद में तीन श्रेणियां हैं। सभी आहारों में सबसे शुद्ध होता है “सात्विक आहार“। यह शरीर को पोषण, मस्तिष्क को शांत, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसमें साबुत अनाज, ताजे फल, सब्जियां, गाय का दूध, घी, फलियां, मेवे, अंकुरित अनाज, शहद और हर्बल चाय शामिल होती है।

दूसरे नंबर पर आता है “राजसिक आहार” यह भोजन प्रोटीन आधारित और मसालेदार होता है। अत्यधिक शारीरिक श्रम करने वाले इस भोजन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

तीसरे नंबर पर आता है “तामसिक आहार” इसमें रिफाइंड भोजन शामिल होते हैं। यह डीप फ्राई और मसालेदार होते हैं। इनमें नमक की मात्रा भी अधिक होती है। यह आलस्य बढ़ाते हैं।

सुबह जल्दी उठें

आयुर्वेद “ब्रह्म मुहूर्त” में जागने की सलाह देता है। उस समय का वातावरण प्रदूषण मुक्त रहता है। इस समय ऑक्सीजन की मात्रा सबसे अधिक होती है। प्रातः काल की सूर्य की किरणों और प्रदूषण मुक्त वातावरण के प्रभाव से शरीर से उपयोगी रसायन स्रावित होते हैं, जिससे शरीर ऊर्जावान बना रहता है।

भरपूर नींद लें

गर्मी को छोड़कर सभी मौसमों में रात को 6-8 घंटे की नींद जरूरी है। गर्मियों में रात के साथ-साथ दिन में भी 1-2 घंटे आराम करना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक गर्मी से शरीर में पानी और ऊर्जा की कमी होती है। उचित नींद लेने से शारीरिक और मानसिक थकान दूर होती है और पाचन क्रिया बेहतर होती है, जिससे शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है।

व्यायाम करें

सूर्य नमस्कार, योग या अन्य दैनिक व्यायाम से शारीरिक शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। रक्त संचार बढ़ता है और शरीर से अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। अतिरिक्त चर्बी कम होती है।

तेल की मालिश

झुर्रियों, उम्र बढ़ने और अन्य नुकसान से खुद को बचाने के लिए हर सुबह तेल मालिश करने की कोशिश करें। सुबह तेल की मालिश करने से ऊतकों का सूखना बंद हो जाएगा और आपके मन और शरीर का पोषण मिलेगा। इसके अलावा, यह आपकी त्वचा को स्वस्थ और खूबसूरत बनाता है।

सुबह की सैर करें

सुबह सैर अवश्य करनी चाहिए। चलना व्यायाम के सर्वोत्तम रूपों में से एक है। यह आपके शरीर को बिना तनाव के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक शांति प्रदान करता है।

आयुर्वेद के अनुसार न करें खाने से जुड़ी ये गलतियां :-

खाना कभी भी खड़े होकर न खाएं

आयुर्वेद के मुताबिक खाने को आराम से मजे लेकर खाना चाहिए। कई बार जल्दबाजी और टीवी वगैरह देखने के चक्कर में हम खड़े होकर खाना खाने लगते हैं। यह बहुत ही नुक़सानदायक होता है। जब आप खड़े होकर खाते हैं तो पाचन की प्रक्रिया रुक जाती है। इसलिए खाते वक्त सही मुद्रा का होना बेहद जरूरी है, इसके अलावा पानी भी कभी खड़े होकर न पिएं।

भोजन के तुरंत बाद सोने से बचें

आयुर्वेद के अनुसार खाना खाने के तुरंत बाद सोने से बचना चाहिए। इससे शरीर में कफ और चर्बी बढ़ती है। नींद के दौरान शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे पाचन क्रिया भी धीमी हो जाती है। ऐसे में अगर आप खाना खाने के तुरंत बाद सो जाते हैं तो पूरा खाना ठीक से नहीं पच पाता है।

गर्मियों में बहुत ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए

गर्मियों में हम सभी को ठंडा पानी पीने का मन करता है और हम ठंडा पानी पीते हैं जबकि यह गलत है। ऐसा करने से  शरीर के तापमान को अचानक झटका लगता है। इससे गैस्ट्रिक जूस का फ्लो बंद हो जाता है। आयुर्वेद के हिसाब से पानी कमरे के तापमान पर होना चाहिए और धीरे-धीरे पीना चाहिए ताकि शरीर के हर अंग तक पहुंच सके।

सही हेल्दी डायट चुनें

लोग सोचते हैं कि हेल्दी डायट लेनी है तो सबसे पहले इससे फैट हटा देना चाहिए जबकि यह सच नहीं है। आयुर्वेद के मुताबिक शरीर को कुछ फैट्स की भी जरूरत होती है। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो फैट बिलकुल छोड़ने के बजाय अपने लिए सही फैट चुनें।

भोजन के बाद व्यायाम करने से बचें

भोजन के तुरंत बाद व्यायाम करना स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, ये सभी गतिविधियां वात को बढ़ाती हैं और पाचन में रुकावट पैदा करती हैं। इससे शरीर में सूजन, पोषण का अधूरा अवशोषण और भोजन के बाद बेचैनी हो सकती है।

भोजन के बाद स्नान न करें

आयुर्वेद के अनुसार हर काम को करने का एक निश्चित समय होता है। अगर इसे गलत समय पर किया जाए तो शरीर को नुकसान पहुंचता है। आयुर्वेद में भोजन करने के बाद स्नान नहीं करने की सलाह दी गई है। ऐसा कहा जाता है कि भोजन करने के बाद अगले दो घंटे तक स्नान नहीं करना चाहिए।

शरीर में अग्नि तत्व भोजन के पाचन के लिए जिम्मेदार होता है, इसलिए जब आप भोजन करते हैं तो अग्नि तत्व सक्रिय हो जाता है और प्रभावी पाचन के लिए रक्त संचार तेज हो जाता है। लेकिन जब आप तुरंत नहाते हैं तो इस समय शरीर का तापमान कम होने लगता है और पाचन क्रिया भी धीमी हो जाती है।

रात में कभी भी दही का सेवन न करें

रात में किसी भी कीमत पर दही का सेवन नहीं करना चाहिए। दही की जगह छाछ ले सकते हैं। दही शरीर में कफ होने की समस्या को बढ़ा सकता है, जिसके चलते नाक में बलगम के गठन की अधिकता पैदा हो सकती है।

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