न्यूजीलैंड के पर्वतीय इलाकों में पाए जाने वाले ‘किया’ (Kea) विश्व के एकमात्र पहाड़ी तोते हैं। ये तोते बेहद निडर, चतुर और शरारती हैं। पर्वतीय सड़कों से गुज़रने वाली कारों की छतों पर धम्म से बैठ कर उनकी सवारी करने से लेकर रेस्तरां से खाना चुराने और मस्ती में लोगों की चीजों को तहस-नहस करने में इन्हें खूब मजा आता है।
लगभग एक किलोग्राम वजन और आधा मीटर लम्बाई वाला एक “किया” तोता एक भेड़ को मार सकता है। इसकी चोंच एक बाज जैसी नुकीली और पंजे बेहद मज़बूत होते हैं।
उन्हें कीलें और चमकती धातु की चीजें आकर्षित करती हैं। इनमें से कई इसी चक्कर में मारे भी जाते हैं क्योंकि इन्हें वे इमारतों की छतों से उखाड़ कर निगल लेते हैं। कुछ अन्य पर्यटक स्थलों पर कारों की छत पर सवारी करते हुए उड़ान भरने के प्रयास में कारों के आगे गिर कर कुचले भी जाते हैं।
कई लोगों को इन पक्षियों से खासी परेशानी महसूस होती है। एक लोकप्रिय घटना में दो पर्वतारोही पहाड़ी पर बनी एक वीरान झोंपड़ी में तब कैद हो गए थे जब उनके सो जाने के बाद एक पहाड़ी तोते ने बाहर से कुंडी लगा दी थी। जागने पर करीब 1 घंटे की मशक्कत के बाद किसी तरह से वे दरवाजा खोल सके थे।
किया कंज़र्वेशन ट्रस्ट के ओर-वॉकर के अनुसार खुले जंगलों या पहाड़ों पर तो इन तोतों के बीच बहुत अच्छा लगता है लेकिन जब आप वीरान कैबिन में सोए हों और वे बाहर से कुंडी लगा दें, खिड़की पर पत्थर फेंक जाएं या कार की रबड़ नोच लें तो इन पर गुस्सा आना स्वाभाविक है।
न्यूजीलैंड में यूरोपियों के बसने के वक्त से ही इन पहाड़ी तोतों और इंसानों के बीच टकराव जारी है। 19वीं सदी में किसान का सब्र टूट गया जब वे पहाड़ियों पर उनकी भेड़ों को मारने लगे। सरकार ने उनके मारने पर ईनाम घोषित कर दिया और 100 वर्ष बाद जब तक इसे हटाया गया डेढ़ लाख से ज्यादा पहाड़ी तोतों को मारा जा चुका था।
अभी भी कई लोग इन्हें परेशानी का सबब ही मानते हैं और गोली से या ज़हर देकर इन्हें मारा जा रहा है। इनकी घटती संख्या को देखते हुए ही इनके संरक्षण के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं। अधिक शरारतें युवा तोते ही करते हैं और किया कंजर्वेशन ट्रस्ट ने लोगों को युवा तोतों के झुंड से निपटने में मदद के लिए अभियान शुरू किया है।
क्वींसटाऊन स्थित टूरिस्ट रिजॉर्ट से पर्यटकों के लिए हैलीकॉप्टर सेवा चलाने वाली कम्पनी हैलीवर्स को भी पहाड़ी तोतों को अपने हैलीकॉप्टरों से दूर रखने के लिए विशेष उपाय करने पड़ते हैं। पहाड़ी तोते हैलीकॉप्टरों के रोटर पर हमला करने, रबड़ की चीजों को नोचने से लेकर गम्भीर नुक्सान पहुंचा देते हैं।
ऐसे में जंगली इलाकों में हैलीकॉप्टर के ऊपर रात के वक्त वाटर स्प्रिकलर चलाए जाते हैं। हालांकि, इन तोतों को सबसे ज्यादा खतरा शिकारी जीवों से है। चूंकि वे जमीन में घोंसले बनाते हैं, वहां उनके अंडों और नवजात तोतों को टापू पर 19वीं सदी में विदेशों से लाकर छोड़े गए पोसम और स्टोट जैसे शिकारी अक्सर खा जाते हैं।
सरकार ने टापू से इन विदेशी शिकारी जीवों को ख़त्म करने की योजना बनाई है जो पहाड़ी तोते जैसे मूल प्रजाति के कई जीवों के लिए खतरा बने हुए हैं परंतु पहाड़ी तोतों के संरक्षण के लिए अभी और बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। जिनकी संख्या घटते हुए अब केवल 5 हजार तक पहुंच गई है।
किया के बारे में रोचक तथ्य
- कुछ वैज्ञानिक यहां तक सोचते हैं कि “किया” 4 साल के बच्चे की तरह होशियार हो सकते हैं!
- केवल 27% किया चूजे एक वर्ष से अधिक समय तक जीवित रह पाते हैं।
- किया के समूह में 10-13 तोते होते हैं। हालाँकि जब प्रजनन के समय संभोग करने का समय आता है तो 100 से अधिक के झुंड भी बन सकते हैं।
- वे अत्यधिक बुद्धिमान होते हैं और उन्हें वस्तुओं को एक निश्चित क्रम में रखने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।
- कुछ किया ने एक निर्माणाधीन घर से काफी सारी कीलों को चुरा लिया और जब इन्हें खोजा गया तो वे एक पेड़ के नीचे क्रम- वार रखी मिलीं, जिन्हें छोटी, से बड़ी के क्रम में तरतीब से रखा गया था।
- इन्हें नियमित रूप से उन्हें सामान चुराते और विंडस्क्रीन वाइपर, पासपोर्ट और स्की जैसी वस्तुओं को नष्ट करते देखा जाता है।
- किया को उनके चुटीले व्यक्तित्व के कारण ‘पहाड़ का जोकर’ (clown of the mountain) भी कहा जाता है।
- किया के पंखों का फैलाव १ मीटर तक होता है