- 1394 – फ्रांस के सम्राट चार्ल्स षष्ठम ने यहूदियों को फ्रांस से बाहर खदेड़ दिया।
- 1493 – क्रिस्टोफर कोलंबस ने डोमिनिका द्वीप की खोज की।
- 1655 – इंग्लैंड और फ्रांस ने सैन्य एवं आर्थिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
- 1762 – ब्रिटेन और स्पेन के बीच पेरिस की संधि हुई।
- 1796 – जॉन एडम्स अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए।
- 1869 – कनाडा में हैमिल्टन फुटबॉल क्लब का गठन किया गया।
- 1903 – पनामा को कोलंबिया से आजादी मिली।
- 1948 – भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पहला भाषण दिया।
- 1958 – तत्कालीन सोवियत संघ ने परमाणु परीक्षण किया।
- 1962 – चीन के हमले के मद्देनजर भारत में गोल्ड बॉन्ड स्कीम की घोषणा की गई ।
- 1984 – भारत में सिख विरोधी दंगों में तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गए।
- 1917 – स्वतंत्रता सेनानी और महिला अधिकारों की पैरवी करने वाली अन्नापूर्णा महाराणा का जन्म हुआ था।
- 1984 – इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर को हुई हत्या के बाद राजधानी में सिख विरोधी दंगे हुए। जिसमें हजारों लोग मारे गए और बेघर हुए।
- 1957 – सोवियत संघ ने लाइका नाम के कुत्ते को अंतरिक्ष में भेजा था। वो पहला कुत्ता जानवर था जिसने अंतरिक्ष यान में सवार होकर आसमान में पहुंचा और पृथ्वी के चक्कर लगाए।
- 1996 – केंद्रीय अफ़्रीक़ी गणराज्य के क्रूर तानाशाह जान बेडेल बोकासा का निधन हुआ।
- 2000 – भारत सरकार द्वारा डायरेक्ट टू होम प्रसारण सेवा सभी के लिये शुरू की गई।
- 2004 – अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश तीन नवंबर को दूसरी बार अमरीका के राष्ट्रपति चुने गए थे।
- 2007 – पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने देश में आपातकाल की घोषणा की।
- 2011 – फ्रांस के कैन्स में जी-20 शिखर सम्मेलन शुरू हुआ जिसमें यूरोजोन ऋण संकट पर चर्चा की गई।
- 2014 – अमेरिका में आतंकवादी हमले में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर गिराए जाने के 13 साल बाद उसी जगह पर एक वर्ल्ड ट्रेड सेंटर बनाया गया।
3 नवंबर का इतिहास
2 नवंबर का इतिहास
2 नवंबर का इतिहास
- 1534 – सिखों के चौथे गुरु रामदास का जन्म हुआ।
- 1712 – सूरीनाम सरकार फ्रेंच अपहरणकर्ता जैक्स कसरर्ड, को 682,800 दिए।
- 1721 – महान पीटर वास्तुकार रूस के पहले सम्राट की घोषणा की है, यह रूसी साम्राज्य के साथ रूस के 176 वर्षीय तारादाम की जगह थी।
- 1749 – अंग्रेजी ओहियो की व्यापार कंपनी को पहली व्यापारिक पोस्ट बनाया गया।
- 1774 – अंग्रेज अधिकारी कमांडर इन चीफ ऑफ ब्रिटिश इंड़िया राबर्ट क्लाइव ने इंग्लैंड में आत्महत्या की।
- 1795 – कुराकाओ सरकार ने रविवार को दासता का काम मना कर दिया।
- 1834 – एटलस नाम का जहाज भारतीय मजदूरों को लेकर मॉरिशस पहुंचा था जिसे वहां अप्रवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- 1835 – द्वितीय सेमिनोल युद्ध ओसियोला में शुरू हुआ।
- 1884 – तिमिसोरा बिजली की रोशनी द्वारा प्रकाशित सड़कों के साथ यूरोप का पहला शहर बना।
- 1892 – फ्रांसीसी कवि पॉल वरलेइन ने नीदरलैंड की यात्रा किया।
- 1914 – रूस द्वारा तुर्की के विरुद्ध युद्ध घोषित।
- 1936 – दुनिया के पहले हाईडेफिनेशन टेलीविजन कार्यक्रम का प्रसारण बीबीसी ने किया।
- 1950 – जार्ज बर्नार्ड शा का 97 वर्ष की आयु में देहावसान हुआ।
- 1965 – बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान का जन्म हुआ।
- 1979 – पेरिस में फ्रांसीसी पुलिस ने गैंगस्टर जैकस मेसरेन को गोली मारी।
- 1984 – अमेरिका में 1962 के बाद पहली बार एक महिला वेल्मा बारफिल्ड को फांसी की सजा दी गयी।
- 1989 – नॉर्थ डकोटा और साउथ डकोटा ने अपने 100 वें जन्मदिन मनाया।
- 1999 – पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में संयुक्त राष्ट्र संघ और अमेरिकी केन्द्रों पर अज्ञात लोगों के द्वारा राकेट से हमला किया।
- 2000 – पश्चिम एशिया में हिंसा रोकने के फ़ार्मूले पर सहमति की गई ।
- 2002 – मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री पद को ग्रहण किया था।
- 2004 – चीन के हेनान में जातीय संघर्ष में 20 मरे।
- 2005 – ग़ुलाम नबी आज़ाद ने जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री पद को ग्रहण किया था।
- 2007 – अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ख़राब सोलर पंखों को ठीक करने के बाद डिस्कवरी के यात्री धरती पर सुरक्षित लौटे।
- 2008 – केन्द्र सरकार ने सेवानिवृत्त के बाद पेंशन फंड से धन निकालने की सुविधा समाप्त की।
- 2012 – भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ श्रीराम शंकर अभयंकर का निधन हुआ।
- 2014 – पाकिस्तान के लाहौर में एक आत्मघाती बम विस्फोट 60 लोग मारे गए 110 लोग घायल हुए।
1 नवंबर का इतिहास
1 नवंबर का इतिहास
- 1755 – पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में भूकंप से 50 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई।
- 1755 – लिस्बन में एक भूकंप से 50,000 से ज्यादा लोगो की मौत हुई।
- 1765 – ब्रिटेन के उपनिवेशों में स्टैम्प एक्ट लागू किया गया l
- 1787 – स्वीडन, सोसायेट्सस्कोलन में लड़कियों के लिए पहला माध्यमिक शिक्षा विद्यालय, गोटेबोर्ग में स्थापित किया गया।
- 1800 – जॉन एडम्स अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बने।
- 1913 – स्वतंत्रता सेनानी तारकनाथ दास ने कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को शहर में गदर आंदोलन की शुरुआत की।
- 1923 – फिनिश ध्वज वाहक फिनेयर वायुसेवा एयरो ओय में शुरू हो गया।
- 1928 – रोमानियाई रेडियो प्रसारण कंपनी की शुरूआत हुई l
- 1942 – हिन्दी भाषा की लब्ध प्रतिष्ठित उपन्यासकार, कवयित्री तथा नारीवादी चिंतक तथा समाज सेविका प्रभा खेतान का जन्म हुआ।
- 1948 – प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री संतोष गंगवार का जन्म हुआ।
- 1944 – द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन की सेना नीदरलैंड के वालचेरेन पहुंची।
- 1950 – भारत में पहला भाप इंजन चितरंजन रेल कारखाने में बनाया गया l
- 1956 – भाषा के आधार पर मध्य प्रदेश राज्य का गठन किया गया।
- 1958 – तत्कालीन सोवियत संघ ने परमाणु परीक्षण किया l
- 1960 – कल्याणी विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल भारत में स्थापित किया गया।
- 1962 – इटली में कॉमिक बुक एंटीरो डायबोलिक की शुरआत की गयी।
- 1964 – भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी का जन्म था।
- 1966 – पंजाब से अलग करके हरियाणा राज्य का गठन किया गया।
- 1970 – पाकिस्तान के कराची हवाई अड्डे पर पोलिश उपाध्यक्ष को गोली मरी गयी।
- 1973 – भारतीय अभिनेत्री एवं पूर्व मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय का जन्म हुआ।
- 1973 – भारतीय अभिनेत्री रूबी भाटिया का जन्म हुआ।
- 1984 – भारत की तत्काली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में सिख विरोध दंगे भड़क गया l
- 2000 – छत्तीसगढ राज्य का गठन हुआ।
- 2010 – पडोसी देश चीन ने 10 साल में पहली बार जनगणना करने की घोषणा की।
Pitr Paksha 2024: श्राद्ध 2024 आज से, जानें पितृ पूजा की विधि
Pitr Paksha 2024: हिन्दू मान्यता के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर सर्वपितृ अमावस्या तक के सोलह दिन पूर्वजों को समर्पित हैं।यह वह शास्त्र सम्मत अवधि है, जिसमें मृत्यु को प्राप्त हुए पूर्वजों की आत्मिक शांति के लिए दान-पुण्य किए जाते हैं और उन्हें अन्न-जल समर्पित किया जाता है। पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए और उनकी तृप्ति के श्रद्धा के साथ जो तर्पण-अनुष्ठान किया जाता है, उसे ही श्राद्ध कहते हैं।
इस लेख में हम पितृ पक्ष 2024 (Pitr Paksha 2024) की सभी तिथियों की जानकारी देंगें और साथ में आप जानेंगें कि पितृपक्ष (Shradh 2024) में कौन से नियमों का पालन करना चाहिए और इस दौरान कौन-कौन सी सावधानियां बरतने की जरूरत होती है।

पितृ पक्ष 2024 कब शुरू होगा (Pitr Paksha 2024 Date and Time)
पितृ पक्ष 2024, भाद्रपद शुक्ल की पूर्णिमा यानी 17 सितम्बर 2024, मंगलवार के दिन शुरू हो रहा है। पूर्णिमा तिथि 17 सितम्बर 2024 को सुबह 11:44 बजे से शुरू होगी और ये 18 सितम्बर 2024 को सुबह 8:04 बजे तक रहेगी। पितृ पक्ष (Shradh 2024) 2 अक्टूबर, बुधवार, सर्वपितृ अमावस्या को समाप्त होगा, ये सोलह दिन तक रहेगा। पुराणों के अनुसार, पितृजन अपनी मृत्यु की तिथि के दिन अपना तर्पण ग्रहण करने पृथ्वीलोक आते हैं।
इस अवधि में आप अपने पूर्वजों का श्राद्ध, हिन्दू पञ्चांग के अनुसार उनकी मृत्यु तिथि पर कर सकते हैं। अगर आपको अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि याद नहीं है, तो आप सर्वपितृ अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध करें। मान्यता है कि इस दिन सभी पूर्वज अपना अंश ग्रहण करने पृथ्वीलोक पर आते हैं।
पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए क्या करें (Pitr Paksha 2024 Puja Vidhi)
श्राद्ध पक्ष की तिथियां जान लेने के बाद अब इसके महत्व को समझते हैं। श्राद्ध कर्म का सनातन संस्कृति में विशेष महत्व है। श्रद्धा पूर्वक किया गया श्राद्ध विशेष फलदायी होता है। पितृदेव प्रसन्न होते हैं, जिससे घर में शान्ति और सुख-समृद्धि आती है। वहीं अगर हम पितृपक्ष में नियमों की अवहेलना करते हैं या पितरों को अन्न-जल अर्पित नहीं करते तो वे कुपित हो सकते हैं और आपको कई तरह के कष्ट उठाने पड़ सकते हैं। इसलिए आपको विधि-विधान से अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करना चाहिए।
भारत में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीके से, परम्परानुसार पितृ पूजा होता है। Shradh 2024 में अगर आप पहली बार पितृ पूजा कर रहे हैं तो आप नीचे लिखी विधि अपना सकते हैं –
- आप तीन पीढ़ी तक के पूर्वजों का श्राद्ध कर सकते हैं।
- सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। श्वेत वस्त्र अति उत्तम माने गए हैं।
- अपने पूर्वज की रूचि का स्वच्छतापूर्वक भोजन बनाएं, जैसे खीर, पूड़ी,हलवा और सब्जी इत्यादि।
- एक स्वच्छ जगह पर भोजन के छह भाग करके रखें, जिसमें सभी व्यंजन शामिल हों।
- एक भाग गौ बलि, दूसरा भाग काक बलि (कौवे के लिए) , तीसरा भाग स्वान बलि (कुत्ते के लिए) चौथा भाग पिपिलिका बलि (चींटियों के लिए) पांचवा भाग सभी देवताओं के लिए और छठा भाग चांडाल बलि का होता है।
- एक लोटे में जल रख लें और हाथ में कुशा(दूब) और काले तिल लेकर अपने पूर्वज का आवाहन करें।
- अब हाथ में जल लेकर भोजन के चारों ओर दो बार घुमा दें। कौए का भाग, कौए को खिला दें।कुत्ते और चींटी का भाग उन्हें दें। अगर इनमें से कोई उपलब्ध न हो तो वो भाग गाय को दिया जा सकता है।
- बाकि सभी भाग आप गाय को खिला दें। उसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं। उन्हें दक्षिणा दें और पैर छूकर आशीर्वाद लें।
- ब्राह्मण न मिले तो किसी जरुरतमंद को भोजन दान करें और इसके बाद खुद भोजन ग्रहण करें।
श्राद्ध पक्ष के नियम और सावधानियां (Pitr Paksha Important Tips and Rules in Hindi)
धार्मिक अनुष्ठान और महत्व को जान लेने के बाद उसके नियमों का ज्ञान होना भी जरुरी है। श्राद्ध पक्ष में कुछ कार्य वर्जित माने गए हैं और कुछ ऐसी बातें हैं जिनका ध्यान पितृ पूजा के समय रखना जरुरी है। आइए, इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
- जिन लोगों की मृत्यु दुर्घटना, सर्पदंश, विष, हत्या, आत्महत्या से हुई हो, उनका श्राद्ध उनकी मृत्यु की तिथि पर नहीं करना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों का श्राद्ध केवल चतुर्दशी तिथि को ही करना चाहिए, चाहे उनकी मृत्यु किसी भी दिन हुई हो।
- जिन विवाहित स्त्रियों की मृत्यु उनके पति के जीवनकाल में हुई हो, उनका श्राद्ध पितृपक्ष की नवमी तिथि को करना चाहिए, चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि को हुई हो।
- जिन लोगों की स्वाभाविक मृत्यु चतुर्दशी के दिन हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी को नहीं करना चाहिए। इसके बजाय, उनका श्राद्ध पितृपक्ष की त्रयोदशी या अमावस्या के दिन करना चाहिए।
- संन्यासियों का श्राद्ध केवल पितृपक्ष की द्वादशी तिथि को ही किया जाता है, चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि को हुई हो।
- पितृपक्ष में नया वाहन और नए वस्त्र नहीं खरीदने चाहिए, इस अवधि में विवाह जैसे मंगल कार्य भी निषेध हैं।
- इस अवधि में मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए और यथासंभव अपने पूर्वजों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद देना चाहिए।
- श्राद्ध हमेशा अपने घर पर, नदी किनारे या मंदिर परिसर में करना चाहिए, किसी अन्य की भूमि पर किए गए श्राद्ध को पितृ स्वीकार नहीं करते हैं।
- पितरों को चांदी या तांबे के बर्तन में भोजन अर्पित करना चाहिए, या पत्तल का उपयोग भी कर सकते हैं। इस पूजा में केले के पत्ते का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- पूजा के समय द्वार पर आए भिक्षुक को भोजन जरुर दें, और इस अवधि में किसी भी अतिथि का अपमान नहीं करना चाहिए, बल्कि पितृ पक्ष में दामाद या भांजे को सम्मान देना शुभ माना गया है।
तो इस तरह से आप Shradh 2024 में पितरों का विशेष आशार्वाद पा सकते हैं। पितृ, देवता स्वरूप होते हैं, इसलिए उनकी तुष्टि आपको कई प्रकार के सुख-संसाधन से भर देती है। इसी क्रम में पितृ पक्ष 2024 (Pitr Paksha 2024) में सभी को कृतज्ञ भाव से अपने पूर्वजों का स्मरण करना चाहिए।
14 सितंबर – हिंदी दिवस के बारे में रोचक तथ्य
हिंदी दिवस हर वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है। दरअसल 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिन्दी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। क्योंकि भारत मे अधिकतर क्षेत्रों में हिन्दी भाषा बोली जाती थी इसलिए हिन्दी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया गया।
इस निर्णय के महत्व को प्रकट करने तथा हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन देश भर में हिंदी साहित्य का सम्मान करने और हिंदी भाषा के प्रति सम्मान दिखाने के लिए कई सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किए जाते हैं।
हिंदी दिवस पर मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और नागरिकों को हिंदी भाषा में उनके योगदान के लिए राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार जैसे पुरस्कार दिए जाते हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू), विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और व्यक्तियों को हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है।
‘राष्ट्रीय हिन्दी दिवस’ और ‘विश्व हिंदी दिवस’ में अंतर
दोनों ही दिवसों का उद्देश्य हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार करना है. राष्ट्रीय हिन्दी दिवस जहां 14 सितंबर को मनाया जाता है वहीं, विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है।
हिन्दी से जुड़े दिलचस्प तथ्य
- वर्तमान में विश्व के लगभग 150 देशों से अधिक के विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है। पूरी दुनिया में 590,000,000 करोड़ों लोग हिन्दी बोलते हैं. यही नहीं हिन्दी दुनिया भर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली पांच भाषाओं में से एक है।
- दक्षिण प्रशान्त महासागर के मेलानेशिया में फिजी नाम का एक द्वीप है. फिजी में हिंदी को आधाकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है. इसे फिजियन हिंदी या फिजियन हिन्दुस्तानी भी कहते हैं. यह अवधी, भोजपुरी और अन्य बोलियों का मिलाजुला रूप है.
- विश्व हिन्दी दिवस के अलावा हर साल 10 जनवरी को ‘विश्व हिन्दी दिवस‘ मनाया जाता है. 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन में 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे. तभी से इस दिन को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है
- नॉर्वे में पहला विश्व हिन्दी दिवस भारतीय दूतावास ने मनाया था. इसके बाद दूसरा और तीसरा विश्व हिन्दी दिवस भारतीय नॉर्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वाधान में लेखक सुरेशचन्द्र शुक्ल की अध्यक्षता में बहुत धूमधाम से मनायागया था.
- पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, युगांडा, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, मॉरिशस और साउथ अफ्रीका समेत कई देशों में हिंदी बोली जाती है.
- साल 2017 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में पहली बार ‘अच्छा’, ‘बड़ा दिन’, ‘बच्चा’ और ‘सूर्य नमस्कार‘ जैसे हिंदी शब्दों को शामिल किया गया.
- विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार हिंदी विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है. हिंदी विश्व में सबसे ज्यादा बोली जानी वाली भाषाओँ में तीसरे स्थान पर है
हिंदी को अपनाने और सहेजने की आवश्यकता
हालाँकि बोलने वालों की संख्या के अनुसार अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद हिन्दी भाषा पूरे दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी भाषा है। लेकिन उसे अच्छी तरह से समझने, पढ़ने और लिखने वालों में यह संख्या बहुत ही कम है। यह संख्या और भी कम होती जा रही है।
इसके साथ ही हिन्दी भाषा पर अंग्रेजी के शब्दों का भी बहुत अधिक प्रभाव हुआ है और कई शब्द प्रचलन से हट गए और अंग्रेजी के शब्द ने उसकी जगह ले ली है। जिससे भविष्य में भाषा के विलुप्त होने की भी संभावना अधिक बढ़ गयी है।
ऐसे लोग जो हिन्दी का ज्ञान रखते हैं या हिन्दी भाषा जानते हैं, उन्हें हिन्दी के प्रति अपने कर्तव्य का बोध करवाने के लिए इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है जिससे वे सभी अपने कर्तव्य का पालन कर हिन्दी भाषा को भविष्य में विलुप्त होने से बचा सकें। लेकिन लोग और सरकार दोनों ही इसके लिए उदासीन दिखती है।
हिन्दी तो अपने घर में ही दासी के रूप में रहती है। हिन्दी को आज तक संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बनाया जा सका है। इसे विडम्बना ही कहेंगे कि योग को 177 देशों का समर्थन मिला, लेकिन हिन्दी के लिए 129 देशों का समर्थन क्या नहीं जुटाया जा सकता ?
इसके ऐसे हालात आ गए हैं कि हिन्दी दिवस के दिन भी कई लोगों को ट्विटर पर हिन्दी में बोलो जैसे शब्दों का उपयोग करना पड़ रहा है। Fundabook.com भी लोगों से विनती करता है कि कम से कम हिन्दी दिवस के दिन हिन्दी में ट्वीट करें।
हिंदी भाषा के बारे में दिलचस्प तथ्य
हिंदी भाषा, भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। चीन की मंडारिन के बाद यह विश्व में सबसे अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी के अधिकतम शब्द संस्कृत, अरबी और फारसी भाषा से लिए गए हैं। इसलिए इस भाषा को संबंध भाषा के नाम से भी जाना जाता है।
- 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में 5 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी, बंगाली, तेलुगु, मराठी, तमिल भाषाएँ हैं।
- विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी का तीसरा स्थान है।
- भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिन्दी है। देश के 77% लोग हिन्दी बोलते और समझते हैं।
- हिंदी को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। इसे नागरी नाम से भी पुकारा जाता है। देवनागरी में 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं और इसे बाएं से दाएं ओर लिखा जाता है।
- हिंदी भाषा के इतिहास में पहले साहित्य की रचना एक फ्रांसीसी लेखक ग्रासिन द तैसी ने की थी।
- भारतीय संविधान ने 14 सितंबर 1949 में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्ज़ा दिया। इसलिए हर साल हम 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाते हैं।
- हिंदी की पहली कविता प्रख्यात कवि अमीर खुसरो ने लिखी थी।
- गूगल ने कहा है कि इंटरनेट पर हिंदी कंटेंट की मांग अब बढ़ना शुरू हो गई है। यह साल-दर-साल English कंटेंट के 19 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले 94 प्रतिशत बढ़ती जा रही है।
- पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा भाषाएँ बोली जाती हैं। विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों का देश भारत सिर्फ एक या दो भाषाओं का नहीं बल्कि 461 भाषाओं का घर है पर इनमें से 14 विलुप्त हो गईं है।
- हिंदी भाषा सबसे सरल और लचीली है। हिन्दी बोलने एवं समझने वाले लोग पचास करोड़ से भी अधिक है।
- सन् 2000 में हिंदी का पहला Webportal अस्तित्त्व में आया था। तभी से इंटरनेट पर हिंदी ने अपनी छाप छोड़नी प्रारंभ कर दी जो अब रफ्तार पकड़ चुकी है।
- कम्प्यूटर के विकास के आरम्भिक काल में अंग्रेजी को छोड़कर विश्व की अन्य भाषाओं का प्रयोग बहुत कम किया जाता था। जिससे कारण सामान्य लोगों में यह गलत धारणा फैल गयी कि कम्प्यूटर अंग्रेजी के सिवा किसी दूसरी भाषा में काम ही नही कर सकता। किन्तु यूनिकोड के पदार्पण के बाद स्थिति बहुत तेजी से बदल गयी। 19 अगस्त 2009 में गूगल ने कहा की हर 5 वर्षों में हिन्दी की सामग्री में 94% बढ़ोतरी हो रही है।
- आज भी संयुक्त राज्य अमेरिका (US) के 45 विश्वविद्यालय सहित पूरी दुनिया के लगभग 176 विश्वविद्यालयों में हिन्दी की पढ़ाई जारी है।
- विदेशों में 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं है जो नियमित रूप से हिंदी में प्रकाशित हो रही हैं।
- हिंदी भारत की उन 7 भाषाओं में से एक भाषा है जिसका इस्तेमाल Web addresses (URLs) बनाने के लिए किया जाता है।
डाॅ. वेदप्रताप वैदिक: 13 वर्ष की आयु में हिंदी भाषा के लिए सत्याग्रह करने वाले महान विद्वान
महान हिंदी विद्वान,चिंतक,पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक डाॅ. वेदप्रताप वैदिक की गणना राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है। मात्र 13 वर्ष की आयु में मातृभाषा हिंदी के लिए सत्याग्रह करने वाले डा. वेद प्रताप वैदिक का जन्म सन 1944 में इंदौर में हुआ था। वह देश के जाने माने व बड़े हिंदी पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक थे। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी की थी।
13 वर्ष की आयु में सत्याग्रह
डा. वैदिक ने हिंदी भाषा के लिए सत्याग्रह किया और अपनी पहली जेल-यात्रा सिर्फ 13 वर्ष की आयु में की थी। हिंदी सत्याग्रही के तौर पर वे 1957 में पटियाला जेल में रहे। बाद में छात्र नेता और भाषाई आंदोलनकारी के तौर पर कई जेल यात्राएं कीं।
हिंदी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का स्थान दिलाने के लिए सबसे अधिक जेल यात्रा करने वाले वह पहले भाषाई आंदोलनकारी थे।, जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष और त्याग किया।
महर्षि दयानंद, महात्मा गांधी और डाॅ. राममनोहर लोहिया की महान परंपरा को आगे बढ़ानेवाले योद्धाओं में डाॅ. वेदप्रताप वैदिक का नाम अग्रणी है।

हिंदी भाषा में पी.एच.डी. करने वाले पहले व्यक्ति
वह जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पीएच.डी. कर रहे थे। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर शोध ग्रंथ वह हिंदी में लिखना चाहते थे परंतु उनको अनुमति नहीं मिली।
इस प्रश्न पर उन्होंने आंदोलन किया और कहा कि देश की राष्ट्रभाषा पर मुझे शोध ग्रंथ लिखने और पीएच.डी. करने की अनुमति मिलनी चाहिए। मामला न्यायालय में गया, भारत की संसद में भी मामला गूंजा।
डा. राम मनोहर लोहिया, अटल बिहारी वाजपेयी, मधु लिमये, चंद्रशेखर, प्रकाश वीर शास्त्री, रामधारी सिंह दिनकर, डा. धर्मवीर भारती और डा. हरिवंश राय बच्चन जैसे विद्वानों ने उनका प्रबल समर्थन किया।
इसके बाद इंदिरा गांधी सरकार की पहल पर JNU के नियमों में बदलाव हुआ और उन्हें वापस लिया गया। इसके बाद डा. वैदिक पहले भारतीय छात्र बने जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर हिंदी में शोध लिख कर पीएच. डी. की। इस दृष्टि से उन्होंने भारत में एक नया इतिहास बनाया।
डा. वैदिक ने अपने लेखन के 60 वर्षों में हजारों लेख लिखे और भाषण दिए! वे लगभग 10 वर्षों तक पीटीआई भाषा (हिन्दी समाचार समिति) के संस्थापक-संपादक रहे और उसके पहले नवभारत टाइम्स के संपादक (विचारक) रहे।
डा. भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर उनके लेख राष्ट्रीय समाचार पत्रों तथा प्रदेशों और विदेशों के लगभग 200 समाचार पत्रों में हर सप्ताह प्रकाशित होते रहे हैं। उनका अंतिम लेख उनकी मृत्यु से महज़ एक दिन पहले ही प्रकाशित हुआ था।
ख़ास: उन्होंने 2014 में आतंकी हाफिज सईद का इंटरव्यू लिया था।

हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई का दिया था सुझाव
अक्तूबर 2022 से देश में पहली बार मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में होने का फ़ैसला लिया गया था। मध्य प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में इस पहल की शुरुआत की गयी थी। दरअसल इसका सुझाव सन 2019 में डॉ वेद प्रताप वैदिक ने ही दिया था।
मीडिया ने की हर बार उपेक्षा
दोगले चरित्र वाले भारतीय मीडिया चैनलों ने हिंदी भाषा को उसका उचित सम्मान दिलाने में हमेशा डा. वैदिक के प्रयास की हमेशा उपेक्षा की। वैसे तो हर बार हिंदी दिवस पर सभी चैनल पर हिंदी भाषा को लेकर बड़े-२ प्रोग्राम चलते हैं लेकिन डा. वैदिक के किसी भी प्रयास और यहाँ तक की उनकी मृत्यु पर किसी चैनल ने प्रोग्राम चलाना तो दूर इस खबर को हाई लाइट करना भी ज़रूरी नहीं समझा।
डा. वैदिक की जीवन यात्रा
जन्म: डॉ. वेद प्रताप वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ।
शिक्षा:
(1) पीएच.डी (अंतरराष्ट्रीय राजनीति), स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज, जवाहरलाल नेहरु वि.वि., 1971. विषय — अफगानिस्तान के साथ सोवियत संघ और अमेरिका के संबंधों का तुलनात्मक अध्ययन, 1946-1963 (पीएच.डी. शोध-कार्य के दौरान न्यूयार्क के कोलम्बिया विश्वविद्यालय, वाशिंगटन डी. सी. की लायब्रेरी आॅफ कांग्रेस, मास्को की विज्ञान अकादमी, लंदन के प्राच्य-विद्या संस्थान तथा काबुल विश्वविद्यालय में विशेष अध्ययन का अवसर)
(2) एम.ए. (राजनीति शास्त्र), प्रथम श्रेणी इंदौर क्रिश्चियन काॅलेज, इंदौर विश्वविद्यालय, 1965
(3) बी.ए. (राजनीति शास्त्र, दर्शनशास्त्र, संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी) प्रथम श्रेणी विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, 1963
(4) संस्कृत (सातवलेकर परीक्षाएं),1955 प्रथम श्रेणी
(5) रूसी भाषा (स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज),1967प्रथम श्रेणी
(6) फारसी भाषा (स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज), 1968 प्रथम श्रेणी
छात्रवृत्तियां:
(1) राष्ट्रीय प्रतिभा छात्रवृत्ति, 1963-64. एवं
(2) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग शोधवृत्ति, 1964-1966
शोधवृत्तियां:
(3) वरिष्ठ शोधवृत्ति, इंडियन काॅसिल आॅफ सोश्यल साइंस रिसर्च, 1981-1983
‘इंस्टीट्यूट फाॅर डिफेंस स्टडीज एण्ड एनालिसस’ तथा ‘स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज’ (ज.नेहरू.वि.वि.) में दो साल तक ‘सीनियर फेलो’ के तौर पर शोधकार्य.

अध्यापन:
हस्तिनापुर काॅलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) में राजनीति शास्त्र का अध्यापन, 1970-74। 30 वर्षों में अनेक भारतीय एवं विदेशी विश्वविद्यालयों में अन्तरराष्ट्रीय राजनीति एवं पत्रकारिता पर अल्पकालिक अध्यापन-कार्यक्रम चलाते रहे।
पुस्तकें:
(1) ‘हिन्दी पत्रकारिता: विविध आयाम’, संपादित (नेशनल, 1976),पाँच संस्करण (हिन्दी बुक सेंटर), हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास, कला और अधुनातन प्रवृत्तियों का विवेचन करने वाले इस ग्रंथ को समीक्षकों ने ‘हिन्दी पत्रकारिता का विश्वकोष’ कहा है. लगभग सभी विश्वविद्यालयों में इसका संदर्भ ग्रंथ के तौर पर उपयोग किया जाता है. इसके कई संस्करण आ चुके हैं।
(2) ‘अफगानिस्तान में सोवियत-अमरीकी प्रतिस्पर्धा’ (नेशनल पब्लिशिंग हाउस, 1973). : अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर हिंदी का यह पहला शोधग्रंथ है, विद्वान समीक्षकों ने इसे अपने विषय का ‘प्रामाणिक’ और ‘मौलिक’ संदर्भ ग्रंथ कहा है. यह फारसी, रूसी और अंग्रेजी स्रोतों के आधार पर लिखा गया है. इस ग्रंथ पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं।
(3) ‘भारतीय विदेश नीति: नये दिशा संकेत’ (नेशनल, 1971) इस ग्रंथ को समीक्षकों ने ‘मौलिक चिंतन और भविष्य दृष्टि’ का उल्लेखनीय दस्तावेज घोषित किया है।
(4) ‘एथनिक क्राइसिस इन श्रीलंका: इंडिया’ज़ आॅप्शंस’ (नेशनल, 1985).श्रीलंका की तमिल समस्या पर किसी भारतीय द्वारा लिखा गया यह पहला ग्रंथ है।
(5) ‘अफगानिस्तान: कल, आज और कल’ (राजकमल प्रकाशन, 2002). अफगानिस्तान के इतिहास, समाज और राजनीति पर इस तरह का गवेषणात्मक और मौलिक व्याख्यासम्पन्न ग्रंथ दुनिया की किसी भी अन्य भाषा में उपलब्ध नहीं है।
(6) ‘वर्तमान भारत’ (राजकमल प्रकाशन, 2002)। समसामयिक भारत की राजनीति पर लिखे गए विश्लेषणात्मक निबंधों का संग्रह !
(7) ‘महाशक्ति भारत’ (राजकमल प्रकाशन, 2002)। इस ग्रंथ में भारत को महाशक्ति बनाने का स्वप्न देखा गया है और उस स्वप्न को साकार करने के उपायों पर विचार किया गया है।
(8) ‘अंग्रेजी हटाओ: क्यों और कैसे ? (प्रभात प्रकाशन, दिल्ली प्रथम संस्करण 1973, सातवां संस्करण, 1998) : इस पुस्तक की 75 हजार प्रतियां बिक चुकी हैं और इसका मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, संस्कृत, गुजराती, मराठी, बांग्ला, असमिया, पंजाबी,उर्दू, सिंधी, मणिपुरी, कश्मीरी, कोंकणी तथा ओडि़या आदि में अनुवाद हो चुका है।
(9) हिंदी का सम्पूर्ण समाचार-पत्र कैसा हो ? (प्रवीण प्रकाशन, 1994), तीन संस्करण।
(10) ‘भाजपा, हिंदुत्व और मुसलमान’ (राजकमल प्रकाशन)
(11)‘कुछ महापुरूष और कुछ मित्र’ शीघ्र प्रकाश्य
(12) मोरिशस, मध्य एशिया और चीन के तीन यात्रा-वृतांत प्रकाशनाधीन
पत्रकारिता:
(1) 1958 में प्रूफ रीडर के तौर पर पत्रकारिता में प्रवेश. तब से अब तक लगभग 1000 लेख, दर्जनों शोधपत्र, लगभग दो हजार संपादकीय तथा सैकड़ों समीक्षाएं प्रकाशित. पिछले तीन दशकों में ‘नई दुनिया’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘हिंदुस्तान’, ‘जनसत्ता’, ‘भास्कर’, ‘टाइम्स आॅफ इंडिया’, ‘धर्मयुग’, ‘दिनमान’, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’, ‘इंटरनेशनल स्टडीज’, ‘स्ट्रटेजिक एनालिसिस’, ‘वल्र्ड फोकस’ आदि पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर लेख और भेंट वार्ताएं।
अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान, श्रीलंका, चेकोस्लोवाकिया, सूरिनाम आदि राष्ट्रों के शीर्ष नेताओं से की गई भेंट-वार्ताओं को अंतरराष्ट्रीय ख्याति। देश के लगभग दर्जन भर अखबारों के लिए नियमित स्तंभ-लेखन।

(2) संपादक, ‘पी.टी.आई.-भाषा’, 1986-96 : प्रेस ट्रस्ट आॅफ इंडिया द्वारा स्थापित ‘भाषा’ नामक हिंदी की समाचार समिति के संस्थापक-संपादक। ‘भाषा’ ने अपनी नवीन खबर-शैली, देशी और विदेशी नामों के मानकीकरण और अनेक महत्त्वपूर्ण अवसरों पर अपने ‘स्कूपों’ द्वारा हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय ख्याति अर्जित की।
(3) संपादक (विचार), नवभारत टाइम्स, 1986. सहायक संपादक, नवभारत टाइम्स 1974-85, संपादक, ‘अग्रवाही (मासिक), इंदौर, 1962-66. संपादक, इंदौर क्रिश्यिचन काॅलेज पत्रिका, 1963-64. हिंदी पत्रकारिता: विविध आयम’ नामक 1100 पृष्ठों के महग्रंथ का संपादन, 1976।
(4) निदेशक, हिंदुस्तान समाचार, 1974-77
(5) संपादकीय निदेशक, नेटजाल.काॅम (भारतीय भाषाओं का महापोर्टल)
सम्मान:
(1) हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा पत्रकारिता के लिए इक्कीस हजार रूपये की एवं सम्मान राशि, 1990.
(2) पुरस्कार मधुवन (भोपाल) द्वारा पत्रकारिता में ‘श्रेष्ठ कला आचार्य’ की उपाधि से सम्मानित, 1989.
(3) उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा हिंदी सेवा के लिए ‘पुरूषोत्तमदास टण्डन’ स्वर्ण पदक, 1988.
(4) उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘अफगानिस्तान में सोवियत-अमरीकी प्रतिस्पर्धा’ ग्रंथ पर गोविंदवल्लभ पंत पुरस्कार, 1976.
(5) काबुल वि.वि. द्वारा अफगानिस्तान संबंधी शोधगं्रथ पर दस हजार रूपये की सम्मान राशि, 1972.
(6) इंडियन कल्चरल सोसायटी द्वारा ‘लाला लाजपतराय सम्मान’, 1992.
(7) मीडिया इंडिया सम्मान, नई दिल्ली, 1992.
(8) डाॅ. राममनोहर लोहिया सम्मान, कानपुर, 1990.
(9) प्रधानमंत्री द्वारा प्रदत्त रामधारीसिंह दिनकर शिखर सम्मान, 1992.
(10) छात्रकाल में राजनीतिशास्त्र, दर्शन और हिंदी में सर्वोच्च अंक पाने पर कई बार ‘स्पेशल मेरिट सर्टिफिकेट’
मृत्यु:
14 मार्च 2023, गुरुग्राम
गणपति विसर्जन कब है? जानें, गणपति विसर्जन विधि और मुहूर्त
गणपति विसर्जन सनातन धर्म में एक महत्पूर्ण त्यौहार है। ये गणेश चतुर्थी के 10 दिन बाद आता है। इसे गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan 2024) और अनंत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। गणेश विसर्जन भक्तों के लिए श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। इस त्यौहार का उद्देश्य भगवान गणेश की प्रतिमा को जल में विसर्जित करके उन्हें सम्मानपूर्ण विदाई देना है।

गणेश विसर्जन कब है (Ganpati Visarjan 2024 Date and Time)
इस साल गणेश चतुर्थी शनिवार, 7 सितम्बर को है। इसके ठीक दस दिन बाद मंगलवार, 17 सितम्बर को गणेश विसर्जन का आयोजन किया जाएगा। गणेश चतुर्थी को गणेश स्थापना के बाद कुछ भक्त 3,5 या 7 दिन में भी विसर्जन कर देते हैं। आप पांचवें दिन गणेश विसर्जन करना चाहते हैं तो 11 सितम्बर को विसर्जन कर सकते हैं। वैसे शास्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी ही गणेश विसर्जन के लिए सबसे अच्छा दिन है। गणेश विसर्जन के अलावा, अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने का भी विधान है। विष्णु भक्त इस दिन व्रत भी करें ताकि इसका शुभफल मिल सके।
गणपति विसर्जन 2024 शुभ मुहूर्त (Ganpati Visarjan Muhurat 2024)
चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर, 2024 को दोपहर 03:10 बजे से शुरू हो रही है और ये 17 सितंबर, 2024 को सुबह 11:44 बजे तक रहेगी। इस साल गणपति विसर्जन 2024(Ganpati Visarjan 2024)का मुहूर्त इस प्रकार है –
| मुहूर्त | समय |
| सुबह का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) | 09:11 बजे से 01:47 बजे तक |
| दोपहर का मुहूर्त (शुभ) | 03:19 बजे से 04:51 बजे तक |
| शाम का मुहूर्त (लाभ) | 07:51 बजे से 09:19 बजे तक |
हीरोइन ऑफ हाईजैक – ‘नीरजा भनोट’ – आतंकियों से बचाई थी 360 यात्रियों की जान
नीरजा भनोट एक सफल मॉडल और एयरहोस्टेस थीं। 5 सितम्बर, 1986 को हुए प्लेन हाईजैक में उन्होंने बहादुरी का परिचय देते हुए 300 से ज्यादा लोगों की जान बचाई थी।
पत्रकार पिता की लाडली नीरजा खूबसूरत और चुलबुली थीं। जज्बे, हिम्मत और हौसले की मिसाल इस लड़की का नाम एविएशन हिस्ट्री में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। पढ़ाई, खेल और दिखने में 90 की दशक की अभिनेत्रियों को टक्कर देने वाली नीरजा हर मामले में अव्वल थीं

उनकी जिंदगी में सब कुछ सही चल रहा था। फिर एक ऐसी तारीख आई, जिसने साहस की एक नई परिभाषा लिखी। 5 सितम्बर, 1986 : ‘पैन एएम 73’ फ्लाइट ने मुंबई से उड़ान भरी। फ्लाइट को न्यूयॉर्क जाना था, लेकिन पाकिस्तान का कराची शहर उसका पहला पड़ाव था।
कराची के जिन्ना एयरपोर्ट पर फ्लाइट लैंड हुई। कुछ यात्री उतरे तो कुछ आगे की यात्रा के लिए सवार हुए। पायलट ने टेकऑफ की तैयारी शुरू की। इसी बीच 4 आतंकी विमान में दाखिल हो गए और एक दम से आवाज आई ‘हाईजैक’। हालांकि, अपने नापाक इरादों वाले आतंकियों को इस बात का अंदाजा नहीं था कि इस प्लेन में भारत की एक ‘शेरनी’ भी है।
प्लेन में 4 आतंकी, 360 यात्री और क्रू मेंबर्स समेत 379 लोग सवार थे। इन्हीं क्रू मैम्बरों में से एक थीं नीरजा भनोट। वह चाहतीं तो अपनी जान बचाकर वहां से भाग सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और अपनी सूझबूझ से सभी यात्रियों को वहां से सुरक्षित निकाला।
नीरजा ने आतंकियों के कहने पर सभी यात्रियों के पासपोर्ट इकठ्ठा किए परंतु बड़ी सफाई से 43 अमेरिकी यात्रियों के पासपोर्ट छुपा दिए जिससे हाईजैकर्स उन्हें पहचान कर मार न पाएं। करीब 17 घंटे बंधक बनाए रहने के बाद भी जब आतंकवादियों की प्लेन उड़ाने के लिए मांग नहीं मानी गई तो उन्होंने विमान में विस्फोटक लगाना शुरू किया। नीरजा ने चतुराई से प्लेन का एमरजैंसी दरवाजा खोल दिया।
सबसे पहले प्लेन से बाहर निकल सकने के अवसर के बावजूद नीरजा ने कर्मठता का परिचय देते हुए यात्रियों की मदद की और अंत में 3 बच्चों को गोली से बचाने के प्रयास में उन्हें खुद के शरीर से ढंक लिया और वीरगति को प्राप्त हुईं।
नीरजा भनोट के बलिदान के बाद भारत सरकार ने उनको सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘अशोक चक्र’ प्रदान किया, तो वहीं पाकिस्तान की सरकार ने भी नीरजा को ‘तमगा-ए-इंसानियत’ प्रदान किया। वर्ष 2005 में अमरीका ने उन्हें ‘जस्टिस फॉर क्राइम अवार्ड’ दिया। सन् 2004 में नीरजा भनोट के सम्मान में डाक टिकट भी जारी हो चुका है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नीरजा का नाम ‘हीरोइन ऑफ हाईजैक’ के तौर पर मशहूर है। उनकी कहानी पर आधारित 2016 में एक फिल्म भी बनी, जिसमें उनका किरदार सोनम कपूर ने अदा किया था।
प्रारंभिक जीवन और परिवार
नीरजा भनोट का जन्म 7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़ में एक पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह पत्रकार हरीश भनोट और रमा भनोट की बेटी थीं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा चंडीगढ़ के सेक्रेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में प्राप्त की।
जब परिवार बॉम्बे चला गया, तो उन्होंने बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल में अपनी पढ़ाई जारी रखी और फिर सेंट जेवियर्स कॉलेज, बॉम्बे से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। यह बॉम्बे ही था जहाँ उन्हें पहली बार एक मॉडलिंग असाइनमेंट के लिए देखा गया था जहाँ से उनके मॉडलिंग करियर की शुरुआत हुई।

वह अभिनेता राजेश खन्ना की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं और जीवन भर उनकी फिल्मों के उद्धरणों का उल्लेख करती थीं।
हाईजैकिंग घटनाक्रम
नीरजा भनोट फ़्लाइट पैन एम फ्लाइट 73(Pan Am Flight 73) में मुख्य फ़्लाइट प्रबंधक थीं। यह बोइंग 747 बॉम्बे से कराची और फ्रैंकफर्ट होते हुए न्यूयॉर्क जा रहा था, जिसे 5 सितंबर 1986 को चार फिलिस्तीनी आतंकीयों ने हाईजैक कर लिया था। विमान में 380 यात्री और 13 चालक दल के सदस्य सवार थे। अपहरणकर्ता अबू निदाल आतंकवादी संगठन का हिस्सा थे।
आतंकी साइप्रस में अपने आतंक ग्रुप के साथी कैदियों को मुक्त करवाने के लिए साइप्रस और इजराइल के लिए उड़ान भरना चाहते थे। जैसे ही अपहरणकर्ता विमान में चढ़े, और जैसे ही विमान एप्रन पर था, पायलट, सह-पायलट और फ्लाइट इंजीनियर के तीन सदस्यीय कॉकपिट क्रू कॉकपिट में एक ओवरहेड हैच के माध्यम से विमान से निकल भागे। इसके बाद सबसे वरिष्ठ केबिन क्रू सदस्य के रूप में, भनोट ने विमान के अंदर की स्थिति को संभाला।
अपहरण के शुरुआती घंटे में, आतंकियों ने एक भारतीय-अमेरिकी नागरिक राजेश कुमार की पहचान की। पायलटों को विमान में न पाकर बौखलाए आतंकियों ने राजेश कुमार को गोली मार कर उसके शव को विमान से बाहर फेंक दिया। इसके बाद ही यात्रियों को आतंकियों के ख़ौफ़नाक इरादों और उनकी भयवहता का पता चला।
आतंकवादियों ने भनोट को सभी यात्रियों के पासपोर्ट एकत्र करने का निर्देश दिया ताकि वे विमान में सवार अन्य अमेरिकियों की पहचान कर सकें। उसने और उसके अधीन अन्य परिचारकों ने विमान में सवार शेष 43 अमेरिकियों के पासपोर्ट छिपा दिए, कुछ को एक सीट के नीचे और बाकी को कूड़ेदान में छिपा दिया ताकि अपहरणकर्ता अमेरिकी और गैर-अमेरिकी यात्रियों के बीच अंतर न कर सकें।
हालाँकि फ़्लाइट में किसी भी अमेरिकी को न पाकर आतंकियों ने कुछ ब्रिटिश नागरिकों को चुन लिया। उनको को फर्श पर बैठा दिया गया और अन्य यात्रियों की तरह उन्हें भी अपने हाथ सिर के ऊपर रखने को कहा गया।
17 घंटे के बाद भी पायलटों को ना पाकर, अपहरणकर्ताओं ने गोलीबारी शुरू कर दी और विमान में विस्फोटक लगाने शुरू कर दिए। भनोट ने विमान का एक दरवाज़ा खोला, और भले ही वह विमान से कूदकर भागने वाली पहली व्यक्ति हो सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और इसके बजाय अन्य यात्रियों को भागने में मदद करना शुरू कर दिया।
जीवित बचे एक यात्री के अनुसार, “वह यात्रियों को आपातकालीन निकास की ओर ले जा रही थी। तभी आतंकवादी कमांडो हमले के डर से लगातार गोलीबारी कर रहे थे। उन्होंने देखा कि नीरजा तीन अकेले बच्चों और अन्य को बाहर निकालने की लगातार कोशिश कर रही थी और तभी उन्होंने उसके बाल पकड़े और उसे ब्लैंक प्वाइंट रेंज से गोली मार दी।”
विमान में सवार एक बच्चा, जो उस समय सात वर्ष का था, बाद में एक प्रमुख एयरलाइन में कैप्टन बन गया। उसने अनुसार भनोट उसकी प्रेरणा रही है और वह अपने जीवन के हर एक दिन के लिए उनका ऋणी है।
नीरजा भनोट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “अपहरण की नायिका” (The Heroine of the Hijacking) के रूप में मान्यता मिली। शांतिकाल में बहादुरी के लिए भारत के सबसे प्रतिष्ठित वीरता पुरस्कार, अशोक चक्र पुरस्कार की सबसे कम उम्र की प्राप्तकर्ता (मरणोपरंत) बनीं।
प्रशंसापत्र
विमान में सवार एक अमेरिकन यात्री माइक थेक्सटन ने अपनी पुस्तक ‘व्हाट हैपेंड टू द हिप्पी मैन?‘ में नीरजा और अन्य फ़्लाइट स्टाफ़ का वर्णन “अत्यंत साहसी, निस्वार्थ और चतुर” के रूप में किया है।
“मैं पक्षपातपूर्ण हो सकता हूं, लेकिन मुझे लगता है कि उस दिन यह साबित हो गया कि विमान में मौजूद फ्लाइट अटेंडेंट अपने उद्योग में सर्वश्रेष्ठ थे।”, माइक लिखते हैं।
माइक बताते हैं कि एक जोरदार लात के अलावा उसके साथ कोई शारीरिक दुर्व्यवहार नहीं किया गया और बाद में मची अफरा-तफरी में वह दूसरों के साथ भाग निकला।
इसके अलावा इस हाईजैकिंग में बचे बहुत सारे यात्रीयों ने नीरजा भनोट को एक मसीहे की संज्ञा दी जिसने अपने प्राणों की परवाह किए बिना बेहद समझदारी और चालाकी से काम लेते हुए ना बल्कि आतंकियों से यात्रियों की रक्षा की अपितु उन्हें भागने में भी मदद की, जबकि वे विमान से बाहर निकलने वाली पहली यात्री हो सकती थीं। अपने इस अभियान ने हालाँकि उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी लेकिन अपने काम के प्रति समर्पण और इंसानियत की वह एक ऐसी बनकर उभरी जिसमें वह आने वाली पीढ़ियों का हमेशा मार्गदर्शन करती रहेंगी।
5 सितंबर 2024
Fundabook पर आप जान सकते है अपना आज 5 सितंबर 2024 के दिन का राशिफल। हमसे जानिए कैसा होगा आपका आज का दिन! किसे मिलेगा प्यार, किसका`चलेगा व्यापार, करियर में किसे मिलेगी उड़ान, किसे मिलेगा धन अपार आदि। चंद्रमा की गति और अन्य ग्रहों के साथ उनके द्वारा निर्मित योगों का सभी राशियों पर शुभ अशुभ प्रभाव कैसा रहेगा, आइये इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं। राशिफल को निकालते समय ग्रह-नक्षत्र के साथ साथ पंचांग की गणना का विश्लेषण किया जाता है।
दैनिक राशिफल (Dainik Rashifal) ग्रह-नक्षत्र की चाल पर आधारित फलादेश है, जिसमें सभी राशियों (मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन) का दैनिक भविष्यफल विस्तार से बताया जाता है। आज के राशिफल में आपके लिए नौकरी, व्यापार, लेन-देन, परिवार और मित्रों के साथ संबंध, सेहत और दिनभर में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं का भविष्यफल होता है।
इस राशिफल को पढ़कर आप अपनी दैनिक योजनाओं को सफल बनाने में कामयाब रहेंगे। जैसे दैनिक राशिफल ग्रह-नक्षत्र की चाल के आधार पर आपको यह बताएगा कि आज के दिन आपके सितारे आपके अनुकूल हैं या नहीं। आज आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है या फिर किस तरह के अवसर आपको प्राप्त हो सकते हैं। दैनिक राशिफल को पढ़कर आप दोनों ही परिस्थिति (अवसर और चुनौतियों) के लिए तैयार हो सकते हैं।
आज 4 सितंबर 2024 का दिन उतार-चढ़ाव भरा रहेगा। कई मोर्चों पर आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। किसी खास दोस्त अथवा रिश्तेदार से अनबन हो सकती है। रक्त संबंधी रोग संभव स्वाद पर नियंत्रण आवश्यक है, शीत वायु से बात रोग हो सकता है अतएव स्वास्थ्य का ध्यान रखें। शत्रु पक्ष प्रबल रहेगा परंतु शासकीय क्षेत्र में लाभ मिलेगा।

