एक गाँव जहाँ सांपों को मेहमान नहीं माना जाता, बल्कि…

सांप का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के रौंगटे खड़े हो जाते है, लेकिन महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में एक गांव है जिसके हर घर में सांप पाए जाते हैं. है न अजीब?, लेकिन या सच है. यानि इस गाँव में सांप मेहमान नहीं बल्कि घर के ही सदस्य माने जाते हैं!

सोलापुर जिले का शेतपाल गाँव मुंबई-हैदराबाद मार्ग पर स्थित है, जो बीजापुर और गडग को जाने वाली छोटी लाइनों से भी जुड़ा है। सोलापुर कपास और अन्य कृषि उत्पादों के व्यावसायिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। सोलापुर के सिद्धेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से बड़ी संख्या में आते हैं। सोलापुर एक औद्योगिक केंद्र भी है, सूती वस्त्र के क्षेत्र में यह मुंबई के बाद दूसरा केंद्र है।

सोलापूर मे मराठी से ज़्यादा तेलुगू और कन्नड़ भाषा बोली जाती है। इस गांव के हर घर में सांप पाए जाते हैं | खतरनाक कोबरा इस गांव के बच्चों के लिए खिलौने जैसा हैं | गांव के लोग घरों में कोबरा सांप पालते हैं. हैरानी की  बात यह है, कि ये सांप किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते | लोग इस अनोखे गांव को देखने के लिए दूर-दूर से आते है| इस गांव में सांपों की पूजा की जाती है, और इस गांव में सांपों के बहुत से मंदिर है|आज तक इस गांव में किसी ने सांपों  को नहीं मारा है| स्थानीय निवासियों का कहना है, कि शायद इसलिए आज तक किसी को भी यहां सांप ने नहीं काटा|

यहाँ स्कूल-कॉलेज के अलावा सार्वजनिक स्थ्लों पर भी आपको सांप घूमते हुए मिल जाएंगे, और छोटे बच्चे भी यहां सांपों से खूब खेलते है| गांव में चाहे मकान कच्चा हो या पक्का पर सांपों के रहने के लिए विशेष स्थान बनाया जाता है|

ज्यादातर लोग घरों की टाइलों वाली छत में सापों के लिए छेद रखते है, क्योंकि इसके बीच  मिट्टी में कोबरा आसानी से आराम कर सकता है| यहां तक कि नया मकान बनाते वक्त भी यह बात ध्यान में रखी जाती है, कि उसमे सांपों के लिए आरामदयाक स्थान है या नहीं।

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मुफ्त सीखने के लिए सर्वश्रेष्ठ शिक्षा ऐप्स

मैकग्रा-हिल द्वारा किए गए एक हालिया सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि 75 प्रतिशत से अधिक छात्र अपने अकादमिक ग्रेड में सुधार लाने के लिए स्मार्ट फोन और टैबलेट जैसे आधुनिक उपकरणों का उपयोग करते हैं। यह ऐप्स छात्रों को बेहतर शिक्षा सीखने में मदद करती है।

नीचे हम कुछ ऑनलाइन ऐप्स की लिस्ट दे रहे हैं जोकि ऑनलाइन एजुकेशन में उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं।

ड्रॉपबॉक्स (Dropbox)

एक छात्र को बहुत सारी फाइलें भेजने और प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। ड्रॉपबॉक्स एक मुफ़्त ऐप है, जो कि सुरक्षित स्थान के माध्यम से सभी फोटो, दस्तावेज़, नोट्स और वीडियो को साझा करना बहुत आसान बना देता है। यह उन फ़ाइलों के नोट्स को जोड़ने की अनुमति देता है, जिन्हें उपयोगकर्ता साझा करना चाहते हैं। जब आप समूह प्रोजेक्ट तैयार कर रहे है, तो यह सबसे उपयोगी है। ड्रॉपबॉक्स की माइक्रोसॉफ्ट के साथ पार्टनरशिप है ,इसलिए यूजर इसके जरिए एमएस ऑफिस का सारा काम बड़ी आसानी से निपटा सकता हैं।बाद में इन फ़ाइलों को ड्रॉप बॉक्स खातों में सेव किया जा सकता है। ड्रॉप बॉक्स की ‘नोट्स’ सुविधा एक से ज्यादा उपयोगकर्ताओं को एक ही दस्तावेज़ को संपादित करने की अनुमति देता है।

खान अकादमी (khan Academy)

इस ऐप से शैक्षिक मैथ, कंप्यूटर और संगीत के बारे में 4000 से अधिक वीडियो देख सकते है। यह ऐप विभिन्न कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया के बारे में व्यापक जानकारी भी प्रदान करता है। एक छात्र इस ऐप की मदद से एसएटी (SAT) के लिए भी तैयारी कर सकता है। खान अकादमी (khan Academy) सर्वश्रेष्ठ मुफ़्त शिक्षा ऐप्स में से एक है।

एवरनोट (Evernote)

यह ऐप मुफ़्त शिक्षा ऐप्स में से एक है, और यह 2008 में शुरू हुई थी, और वह तब से लोकप्रिय रही है। हाल ही में ऐप के कई अपडेट हुए हैं, जो उपयोगकर्ताओं को अधिक स्वतंत्रता की अनुमति देते हैं। ऐप एक सरल और साफ इंटरफ़ेस प्रदान करती है, जो कि छात्रों के लिए बिल्कुल सही रहता है। छात्र इस ऐप से नोट्स ले सकते हैं, और टू-डू सूचियां भी तैयार कर सकते हैं, और किसी भी डेटा तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं। इसके कैमरे के जरिए किसी भी डाक्यूमेंट की तस्वीर लेकर उसके नोट्स तैयार कर सकते हैं। आप लिस्ट बना सकते हैं, अपने एजेंडा भी तैयार कर सकते हैं, और रिमाइंडर भी ले सकते हैं।

इजीबिब (EasyBib)

EasyBib सबसे सर्वश्रेष्ठ मुफ़्त शिक्षा ऐप्स में से एक है। ईज़ी बिब (Easy Bib) छात्रों की रिसर्च वर्कलोड को हल्का कर देता है। या यूं कहें कि आपको स्मार्टली बहुत सी चीजे करने के लिए सक्षम बना देता है। आप बस किताब का नाम टाइप करिए और आपके सामने विषय और उसकी व्याख्याओं की विकल्प खुलकर आ जाएंगे।

माय स्टडी लाइफ (My Study Life)

माय स्टडी लाइफ (My Study Life)  एक सधारण और शानदार ऐप है, जिसके जरिए आप अपनी क्लासेस, अपनी तैयारी, अपने सारे कॉलेज के काम ट्रैक कर सकते हैं। यह ऐप कक्षाओं, परीक्षणों और परीक्षाओं के साथ उपयोगकर्ता को अद्यतित रखने के लिए अधिसूचनाएं भी देता हैं। एक सरल इंटरफेस दुवारा इस ऐप का उपयोग करना बेहद आसान है।

माइक्रोसऑफ्ट ऑफिस मोबाइल (Microsoft Office Mobile)

एंड्रॉयड यूजरों के लिए माइक्रोसऑफ्ट ऑफिस मोबाइल (Microsoft Office Mobile) गज़ब  का ऐप है।यह ऐप भी मुफ़्त शिक्षा ऐप्स में से एक है, आपके पास लैपटॉप न होने पर भी आप इसके जरिए अपने मोबाइल से ही सारे काम कर सकते हैं। आप एमएस वर्ल्ड, एक्सल, पावरप्वॉइंट इन सब पर काम कर सकते हैं।

स्लीप साइकल अलार्म क्लॉक (Sleep Cycle Alarm Clock)

पढ़ने-लिखने के दौरान अक्सर छात्रों की नींद उड़ जाती है। नींद आती है तो खूब आती है। इसलिए खुद को स्वस्थ्य रखने और पर्याप्त नींद लेने के लिए स्लीप साइकल अलार्म क्लॉक (Sleep Cycle Alarm Clock) ऐप की मदद ली जा सकती है। ये ऐप स्लीप साइंस नींद पर किए गए शोधों के आधार पर आपकी नींद को जांचता है। कब और कितना ब्रेक लेना है, और कब चैन की नींद सो जाना है। ये सब बताता है।

स्क्रिब्ड (Scribd)

स्क्रिब्ड (Scribd) ऐप को किताबों के नेटफ्लिक्स के रूप में माना जाता है,यह ऐप उन लोगों के लिए सफलता की चाबी साबित हो सकता है, जिन्हें बहुत सारी किताबे पढ़ने के लिए कॉलेज की लाइब्रेरी में जाना पड़ता है, तो कभी उन्हें किताबों को ख़रीदना पड़ता है। इस ऐप के जरिए लाखों किताबें आपकी पहुंच में होती हैं। यूजर इसके जरिए अपने मोबाइल में किताबें स्टोर भी कर सकते हैं।

 डुओलिंगो (Duolingo)

यह ऐप एक नई भाषा सीखने के लिए मजेदार है जब आप इस ऐप को इस्तेमाल करेंगे तो यह एक नशे की लत की तरह आपको लग जायेगी क्यूंकि यह बहुत ही मज़ेदार ऍप है । यह ऐप बोलता है, और गेमिंग स्टाइल में भाषा सिखाता है|  यह Rosetta पत्थर के रूप में फोटो के साथ शब्दों को जोड़ता है। इसके जरिए आप फ्रेंच, इटैलियन, स्पेनिश और पोर्तुगीज़  जैसी भाषाएं खेल-खेल में सीख सकते हैं ।

वोल्फ्राम (Wolfram)

यह ऐप 10 ट्रिलियन डेटा आइटम और 50,000 समीकरणों की पेशकश करता है, इसलिए इस ऐप को  ‘स्टार ट्रेक’ के रूप में भी जाना जाता है। । यह ऐप जानकारी और स्पष्टीकरण, और सूत्रों के विवरण के साथ ग्राफ भी बनाता है। वोल्फ्राम ऐप को छात्र का सबसे अच्छा दोस्त भी माना जाता है.

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उड़ने वाला ऑटोमेटिक छाता

क्या आप ने कभी उड़ने वाला छाता देखा है? या फिर हम ऐसा फिल्मों और कहानियों में देखते है। लेकिन ये उड़ने वाला छाता सच में बनाया गया है। आइए जानते है ऐसे छाते के बारे में:

जापान की एक आईटी कंपनी ने उड़ने वाला छाता विकसित किया है। जो कि ड्रोन की मदद से उड़ सकता है। इसकी खास बात यह है कि बारिश में व्यक्ति को इसे पकड़कर चलना नहीं होता है। सेंसर लगा होने के कारण यह व्यक्ति के आसपास ही घूमता रहता है।

इसका वजन 5 किलोग्राम है, जो फिलहाल 5 मिनट तक उड़ सकता है। लिहाजा दोनों हाथों में सामान पकड़े होने की स्थिति में यह छाता काफी काम का हो सकता है। जापान में सिविल एयरोनॉटिक्स के नियमों के मुताबिक, ड्रोन को सार्वजनिक स्थानों पर मौजूद व्यक्ति या बिल्डिंग से करीब 30 मीटर की दूरी पर होना चाहिए।

शुरुआत में इस उड़ने वाले छाते का इस्तेमाल निजी जगहों पर हो सकता है। कंपनी का लक्ष्य है कि 2020 में होने ओलिंपिक और पैरालिंपिक से पहले यह  व्यावहारिक उपयोग में लाया जा सके। दूरसंचार प्रणाली विकसित करने वाली कंपनी आशी पावर इस नमूने पर काफी समय से काम कर रही है। इस प्रोटोटाइप में अभी दिक्कतें हैं।

वजन ज्यादा होने के कारण यह देर तक उड़ नहीं पाता। अगर व्यक्ति धीरे नहीं चलता है, तो यह अपने आप उसके पीछे नहीं चल पाता है। जाल से बने होने के कारण बारिश होने पर अभी इससे बचाव होना भी मुश्किल है। कंपनी के प्रेसिडेंट केंजी सुजुकी ने बताया कि इस तरह का छाता बनाने का प्लान उन्होंने 3 साल पहले बनाया था।

उनका मानना था कि ऐसा छाता होना चाहिए कि दोनों हाथ व्यस्त होने के बावजूद भी उसका इस्तेमाल किया जा सके। प्रेसिडेंट केंजी सुजुकी ने कहा कि फिलहाल तो नियामक कानूनों की वजह से इस छाते को बाजार में उतारने में कुछ परेशानियां हैं। मगर, हमें उम्मीद है कि एक दिन सड़कों पर यह छाता दिखना आम बात हो जाएगी।

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Have you ever seen a flying Umbrella

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वैज्ञानिकों को क्यों हैरान करता है इंसान का शरीर?

पतझड़ में पत्तों का रंग क्यों बदलता है?

पतझड़ के मौसम में पेड़ो से पत्ते झड़ने लगते है। गर्मियों के दौरान पेड़ों की पत्तियां हरे रंग की होती हैं। सितंबर के आसपास ये पत्तियां नारंगी, लाल और गहरे मरून जैसे सुंदर रंगों में बदल जाती है। क्या आपको पता है कि मौसम के अनुसार पत्ते रंग क्यों बदलते हैं? खास कर पतझड़ के मौसम में ऐसा क्यों होता है?

अगर नहीं तो आइए जानते है कि पत्ते अपना रंग क्यों बदलते हैं

पतझड़ में पत्तों का रंग

गर्मियों के दौरान क्लोरोफिल या रंगद्रव्य जिनके कारण पत्तियों का रंग हरे रंग का होता है वे सूर्य से काफी ज्यादा प्रकाश का अवशोषण करते हैं, और गर्मी के दिनों में हरा रंग ज्यादा प्रभावी होता है। सर्दियों से ठीक पहले दिन छोटे होने लगते हैं। पेड़ों को बहुत कम सूरज की किरणें मिलती हैं। तापमान ठंडा होने लगता है, जो chlorophyll के उत्पादन को धीमा कर देता हैं। इसलिए पत्तों के  रंग में परिवर्तन होता है।

पेड़ अपना भोजन सूर्य की किरणों और अपनी जड़ों की सहायता से बनाते हैं। पतझड़ का मौसम अक्सर वो होता है, जिसमें पेड़ स्थानीय जलवायु की प्रतिकूलता का अनुभव करते हैं या करने वाले होते हैं। जब पौधों को पर्याप्त मात्रा में सूर्य का प्रकाश नहीं मिलता है तो वो अपने संचय किये गए खाने में ही निर्भर रहते है परन्तु, पेड़ अपना बहुत सारा पानी पत्तो के छोटे- छोटे छेदों में से निकाल देते है। इससे पेड़ो का संचय किया गया बहुत सारा पानी नष्ट हो जाता है।

इसी के बचाव के लिए पेड पत्तों तक जाने वाले खाने को रोक देते हैं और खाना न मिलने की वजह से पत्ते पीले पड जाते हैं। जिन्हें हम पतझड कहते हैं गर्मियाँ आने से ठीक पहले कई पेड़ों की पत्तियों का रंग सुनहरा, लाल या भूरा और यहाँ तक कि नीला या बैंगनी होने लगता है। फिर ये पत्ते झड़कर पेड़ से गिर जाते हैं। लेकिन जैसे ही पौधों को उपयुक्त भोजन मिलने लग जाता है, तो नये पत्ते निकल आते हैं।

मध्य भारत में सर्दी खत्म होते ही बसन्त का मौसम शुरु हो जाता है जो कि फरवरी से अप्रैल तक रहता है। वहीं कश्मीर में पतझड़ का ये मौसम सर्दियों के सितम्बर से लेकर दिसम्बर के महीने तक रहता है। पतझड़ के मौसम में अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँचकर चिनार के सूखते पत्ते कई रंग बिखेर देते हैं। कश्मीर में पतझड़ की इस अनोखी खूबसूरती को देखने वाला हर इन्सान इसका कायल है।

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लाहौर से लेकर आये थे जयपुर के राजा मान सिंह इस चीज को

मीनाकारी एक पुरानी और काफी प्रचलित कलाकारी है| असल में मीना नाम फारसी के शब्द मीनू से लिया गया है, जिसका अर्थ है स्वर्ग| ईरान के कारीगरों ने इस कला का अविष्कार किया था | भारत का जयपुर भी मीनाकारी की कला के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है |

जयपुर में मीनाकारी की कला महाराजा मानसिहं द्वारा लाहौर से लाई गई थी| जयपुर में मीनाकारी का कार्य सोने, चांदी और पीतल के अभूषणों के अलावा मार्बल से बनने वाले इंटीरियर सजावटी समान और खिलौनों पर भी किया जाता है |  जयपुर के अलावा राजसमंद जिले में भी मीनाकारी का काम किया जाता है.

मीनाकारी में मुख्य रूप से फूल-पत्तियां और जानवरों के पैटर्न को ही शामिल करके उन पर आर्टवर्क किया जाता है, जिसके लिए हरे, लाल, नारंगी और गुलाबी रंगो का इस्तेमाल किया जाता है|मीना शीशे जैसे पत्थर के रूप में होता है, जिसे पीसकर बारीक पाउडर बनाया जाता है| इस पाउडर में पानी, तेल और गोंद को मिलाकर एक गाड़ा घोल तैयार किया जाता है|उत्कीरित डिज़ाइन में इस घोल से नकाशी की जाती है|इसके बाद वस्तु को ज्यादा तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे मीना वस्तु पर चिपक जाता है.

संगमरमर पर मीनाकारी द्वारा इंटीरियर डैकोरेशन का सामान, किचन क्रॉकरी और खिलौने भी तैयार किए जाते हैं | नकाशी को आप हाथ लगाकर महसूस भी कर सकते है जो पत्थर में जड़ी नहीं बल्कि उभार में नजर आती है | मीनाकारी से कटोरियां, मोमबत्ती स्टैंड, फ्रेम, फ्लावर पॉट, चम्मच व अन्य सजावटी वस्तुएं बनाई जाती है | मीनाकारी करने मे काफी समय और मेहनत लगती है | हमें शिल्पकारियों के काम को बढ़ावा देना चाहिए ताकि विरासती चीजों को कायम रखा जा सके|अगर आप घर में एंटीक लुक की डैकोरेशन चाहते है, तो इंटीरियर में ऐसी चीजें को शामिल करे|

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जीवन बेहतर बनाने के लिए 6 टिप्स

अपने जीवन में ज्यादातर लोग दिन के 24 घंटों में से कई घंटे मोबाइल का उपयोग करने और टी.वी. देखने में बीता देते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं, जिससे आपका जीवन बेहतर हो जायेगा और साथ ही  साथ आप ये समझ पाएंगे कि कैसे  दिन के  24 घंटों  को सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा  सकता  हैं।

सुबह जल्दी उठें

सुबह जल्दी उठना दिन को बेहतर बनाने का अच्छा उपाय है। ऐसे में आप दिन की योजना बना सकते हैं। काम का  समय शुरू होने के 2-3 घंटे पहले उठने से पूरा दिन व्यवस्थित रहता है और  काम को लेकर हड़बड़ी नहीं होती।

सैर के लिए

आप रोज कई घंटे कंप्यूटर के सामने बैठकर बिताते है, इससे शरीर तो सुस्त होता ही है, और तनाव भी बढ़ता है। इसलिए जरूरी है, कि रोज कुछ समय आप सैर के लिए जाऐ। सैर करने से ह्रदय सही ढंग से काम करता है, जिससे रक्त और ऑक्सीजन पुरे शरीर में पहुंचती है, और आप ताज़गी महसूस करते हैं।

कम करे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग

  एक अध्ययन के मुताबिक हर एक व्यक्ति औसतन आठ घंटे मोबाइल, टी.वी., कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ बिताता है। यदि यह समय कसरत करने, पड़ने-लिखने, संगीत सुनने जैसे कामों में लगाया जाये तो इससे आपका दिन व्यर्थ नहीं जाएगा और सेहत पर बुरा प्रभाव भी नहीं पड़ेगा।

एक काम पूरा होने के बाद ही दूसरा शुरू करें

दिन का बढ़िया उपयोग करने का एक तरीका यह भी है, कि आप तब तक दूसरा काम शुरू ना करे जब तक पहला खत्म न कर लें। एक समय पर कई काम करने से समय और ऊर्जा की बर्बादी होती है। रोज अपने कामों की लिस्ट बनाएं, जो मुश्किल कामों से शुरू होकर आसान पर खत्म होते हो।

  ‘ ना‘ कहना सीखें

यदि आप हर काम को हां कहकर उसे करने की कोशिश करेंगे तो आपका बोझ बढ़ेगा। इन्कार करना आपकी कमजोरी नहीं दर्शाता बल्कि, यह अपने काम को एहमियत देने की प्रक्रिया है।

छुटूटी के दिन करे प्लानिंग

विशेषज्ञों का मानना है, कि रविवार आराम करने का दिन होता है, लेकिन यदि आप रविवार के आखिरी कुछ घंटे अगले दिन और सप्ताह की योजना बनाने में बिताएंगे तो आपको इससे लाभ मिलेगा।

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10 बड़े अंतर जिनकी वजह से अलग-अलग हैं हॉलीवुड-बॉलीवुड

 

10 बड़े अंतर जिनकी वजह से अलग-अलग हैं हॉलीवुड-बॉलीवुड

भारत के महानगर मुंबई में स्थित भारतीय सिने जगत इंडस्ट्री को बॉलीवुड के नाम से भी जाना जाता है. वहीँ दूसरी और, संयुक्त राज्य अमेरिका के लॉस-एंजलिस महानगर के पड़ोस में स्थित हॉलीवुड को विश्व सिनेमा की राजधानी भी कहा जाता है.

एक और जहाँ उच्च-तकनीक और अर्थव्यवस्था के कारण हॉलीवुड में बेहतरीन एनीमेशन, साइंस फिक्शन  और एपिक(Epic) और वार (War) मूवीज बनती हैं वहीँ बॉलीवुड में ड्रामा, रोमांस, एक्शन आदि पर आधारित फ़िल्में प्रमुख होती हैं. जाहिर है यहाँ हम बात करेंगे उन बातों की जो बॉलीवुड और हॉलीवुड को एक दूसरे से अलग करती हैं. यदि आप हॉलीवुड और बॉलीवुड, दोनों तरह की फिल्मों के शौकीन हैं, तो यकीनन ये अंतर आपने भी महसूस किये होंगे.

ये रहे वह 10 अन्तर, जो एक बॉलीवुड फ़िल्म को, हॉलीवुड फ़िल्मों से अलग करते हैं.

तकनीक का अंतर

हॉलीवुड में बनने वाली फिल्मों में फिल्म के फिल्मांकन से लेकर फिल्म की प्रमोशन तक में उच्च तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.

आमतौर पर हॉलीवुड में हल्के रंगों का प्रयोग किया जाता है. वहीं, बॉलीवुड की अधिकतर फिल्मों में Costume से लेकर सेट्स तक, सबकुछ एकदम रंगीन और तड़क-भड़क होता है.

2. हॉलीवुड में आम पारिवारिक फिल्मों में पारंपरिक चीज़ें नहीं दिखाई जातीं. इनमें सबकुछ आधुनिक तरीके में दिखाया जाता है. इसके उलट, बॉलीवुड में शादी से लेकर गोदभराई तक, दीपावली से लेकर होली तक, सबकुछ पारंपरिक अंदाज़ में ही दिखाया जाता है.

3. बॉलीवुड की फिल्मों में इमोशनल सीन में, कलाकार खुल कर अपनी भावनाएं दिखाते हैं. जबकि हॉलीवुड में कलाकार अपने चेहरे पर बहुत ज़्यादा भाव नहीं लाते.

4. हॉलीवुड में गानें बैकग्राउंड में बजते हैं, लेकिन बॉलीवुड में ये कहानी का हिस्सा होते हैं, जिन पर फ़िल्म में सब लोग नाच कर अपनी भावनाओं का आनंद लेते है.

5. हॉलीवुड की कॉमेडी फ़िल्म में, मुख्य किरदार की लाइफ़ में होने वाली अजीबोगरीब घटनाएं दिखा कर हंसाया जाता है, तो दूसरी तरफ़ बॉलीवुड फ़िल्मों की कॉमेडी Loud होती है.

बॉलीवुड फ़िल्मों में चुटकुलों और कलाकारों के आपसी संवाद के माध्यम से दर्शकों को हंसाने की कोशिश की जाती है.

6. हॉलीवुड और बॉलीवुड दोनों इन्डस्ट्री में बनने वाली साइन्स फ़िक्शन फ़िल्मों में काफ़ी अन्तर होता है. हॉलीवुड की सुपरहीरो वाली फ़िल्म, तकनीकी तौर पर काफ़ी बेहतर होती हैं. वहीं बॉलीवुड की साइन्स फ़िक्शन फ़िल्में, बचकाने कॉस्ट्यूम और बेकार विज़ुअल इफ़ेक्ट्स के कारण कॉमेडी फ़िल्म ज़्यादा लगती हैं.

7. हॉलीवुड फ़िल्म में Couple का एक-दूसरे को छोड़ देना आम बात होती है. बॉलीवुड फ़िल्मों में ऐसा नहीं होता है, बॉलीवुड में हीरो और हीरोइन को सिर्फ़ मौत ही जुदा कर सकती है.

8. हॉलीवुड फ़िल्मों की अभिनेत्रियां पतली, लम्बी और फ़िट होती हैं. उनका शरीर बिल्कुल परफ़ेक्ट होता है. लेकिन बॉलीवुड की अभिनेत्रियां ज़ीरो साइज़ में विश्वास नहीं करती हैं. इनका ज़्यादा फ़ोकस चेहरे की सुन्दरता पर होता है.

9. हॉलीवुड में फ़िल्म मशहूर होती हैं. बॉलीवुड में फ़िल्म स्टार मशहूर होते हैं. हॉलीवुड में अगर फ़िल्म अच्छी है, तो उस फ़िल्म के अभिनेता भी मशहूर होते हैं और स्टार बन जाते हैं. जबकि बॉलीवुड में दर्शक तभी फ़िल्म देखने जाते हैं, जब फ़िल्म का स्टार मशहूर हो. बॉलीवुड फ़िल्म स्टार से मशहूर होती है.

10. हॉलीवुड फ़िल्में आमतौर पर जो Message देना चाहती हैं, उसका संकेत भर देती हैं. उसके बाद दर्शक अपने आपको Message से जोड़ लेते हैं. जबकि बॉलीवुड फ़िल्मों में मेसेज काफ़ी क्लियर होता है.

अगर देखा जाए तो हॉलीवुड की फ़िल्में हमारे दिमाग़ से बात करती हैं, जबकि बॉलीवुड फ़िल्में सीधे दिल को छू जाती हैं. हर इन्डस्ट्री और फ़िल्म का अपना एक दर्शक वर्ग होता है. भारत को फिल्म इंडस्ट्री में काफ़ी धनी कहा जा सकता है, क्योंकि यहां पर हर तरह के सिनेमा और संस्कृति को पसंद करने वाले लोग रहते हैं. बॉलीवुड और हॉलीवुड दोनों फ़िल्म इन्डस्ट्री अपने आप में बेहतरीन हैं.

अजीबोगरीब शौक थे इन भारतीय राजाओं, महाराजाओं के!

जब इन 8 जोड़ों ने की अजीबों -गरीब तरीके से शादी

आजकल लोग अपनी शादी को ख़ास बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ते, और इतना ही नहीं वो अपने विवाह को ऐसे-ऐसे अजीब तरीकों से करते हैं कि कोई रिकॉर्ड बन जाता है और कोई ख़बरों में छा जाता है। वैसे तो खबरों में छाना आजकल एक आम सी बात हो गई हैं। आजकल सोशल मीडिया पर लोग कुछ भी डाल दें तो उस खबर को फैलने में ज्यादा समय नहीं लगता। तो आइए जानते है कुछ ऐसे लोगों की अनोखी शादियों के बारे में:

दुल्हन ने पहनी 200 मीटर लम्बी ड्रेस:

चीन की इस दुल्हन ने तो अपने विवाह में 200 मीटर लम्बी ड्रेस पहन कर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज़ करवा लिया है, लेकिन इस विवाह में आए मेहमानों को इनकी ड्रेस खोलने में करीब 3 घंटे लग गए। मगर बात जो भी है दुल्हन ने ऐसी अनोखी ड्रेस पहनकर अपने विवाह को ख़ास बना ही लिया।

पानी के अंदर शादी:

महाराष्ट्र के निखिल पवार ने स्लोवाकिया की युनीका पोंगरान संग विवाह कर देश की पहली अंडरवाटर शादी कर डाली।  दरअसल निखिल पवार, कोवालम में  डाइविंग इंस्ट्रक्टर हैं और इनकी मुलाकात युनीका से यहीं पर हुई थी। निखिल ने युनीका को प्रोपोज भी पानी के अंदर ही किया था और अब विवाह भी पानी के अंदर ही किया।

400 फीट की ऊंचाई पर शादी:

कैलिफ़ोर्निया के रहने वाले इस प्रेमी जोड़े ने तो 400 फीट की ऊंचाई पर जा के शादी की। विवाह के साथ – साथ फोटो खिंचवाने और जश्न बनाने में भी कोई कमी नही छोड़ी। दरअसल रयान जेन्क्स और किमबर्ले ने पहाड़ियों के ऊपर जाल बंधवाकर अपने विवाह को पूरी रस्मों के साथ किया।

हवा में लटक कर शादी:

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक ऐसा विवाह हुआ जो किसी ने सोचा तक नहीं होगा । 600 फुट से भी ज्यादा गहरी खाई के ऊपर हवा में लटकते हुए यहाँ एक जोड़े ने विवाह किया। यह जानकर आपको हैरानी  होगी लेकिन जयदीप जाधव और रेशमा पाटील नाम के जोड़े ने अनोखे अंदाज में विवाह रचाया। आपको बता दें कि जयदीप “पर्वतारोही“ है।

जयदीप और रेशमा का विवाह उनके माता-पिता द्वारा ही तय किया गया था और यह अनोखा विवाह  कोल्हापुर के विशालगढ़ और पनहला की 3000 फुट ऊंची पहाड़ियों के बीच खाई के ऊपर आसमान में सम्पन्न हुआ । जहां पंडित भी हवा में झूलते हुए शादी के मंत्र पढ़ रहे थे। सात फेरों को छोड़कर सभी रीतियां ऊपर हवा में ही हुई। दोनों ने एक-दूसरे के गले में वरमाला डाली और जयदीप ने हवा में लटकते हुए ही रेशमा के गले में मंगलसूत्र पहनाया। उस समय हल्की बारिश की बूंदा-बांदी ने इस विवाह में एक अलग ही माहोल बना दिया।

Tightrope पर शादी:

जर्मन के इस जोड़े ने तो विवाह को एक एडवेंचर समझ कर अपनी जान का जोखिम लेकर एक रस्सी पर बाइक चलवाई और उस बाइक पर रस्सी की मदद से दोनों लटक गए और अपने विवाह की सभी रस्में निभाई। इनके विवाह की फ़ोटोज़ देखकर तो कोई भी डर सकता हैं । मतलब जिनके विवाह की फ़ोटोज़ इतनी खतरनाक हैं तो इनका विवाह कितनी कठिनाइयों से हुआ होगा। इन्होंने तो अपने विवाह  को ख़ास बनाने के मामले में सबको पीछे छोड़ दिया।

साईकिल पर घूमघूम कर की शादी:

रशिया के इस कपल को साईकिल चलाना इतना पसंद हैं कि इन्होंने अपनी शादी जैसे खुशनुमा लम्हे को एन्जॉय करने के लिए साईकिल को चुना। दरअसल इन्होंने  साईकिल से पूरे शहर में घूम घूम कर शादी रचाई।

शार्क टैंक के अंदर शादी:

न्यूयॉर्क के रहने वाले April Pignataro और Michael Curry को तो अपने विवाह को ख़ास बनाने का कुछ ज्यादा ही शौक था कि इन्होंने अपनी जान तक की परवाह भी नहीं की और  बारह हज़ार गैलन शार्क टैंक के अंदर ही विवाह किया।

99,999 गुलाबों से गाड़ियों को सजाकर किया हैरान:

चीन के इन व्यक्ति ने तो अपनी पत्नी को सरप्राइज देने के लिए अपनी एक महीने की सैलरी से 99,999 गुलाब खरीद डाले और विवाह में गयी सभी गाड़ियों को पूरा गुलाब से ढक डाला। अब कुछ भी हो लेकिन इन्होंने अपने विवाह को खुशबु से महका ही लिया।

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दुनिया की सबसे रोमांटिक जगह, टनल ऑफ़ लव!

आज हम आपको दिखाते हैं एक ऐसी जगह की झलक जिसको देखने के बाद हर कपल वहां जाने की सोचेगा. यह जगह कहलाती है टनल ऑफ़ लव. यह टनल Ukraine के शहर Klevan से 7 किलोमीटर आगे स्थित है। यह 3 किलोमीटर का एक प्राइवेट रेलवे ट्रैक है जो की पेड़ो से इस तरीके से ढका हुआ है कि यह एक टनल लगता है।

टनल ऑफ़ लव लकड़ी के काम के लिए एक औद्योगिक ट्रैक है। रेलवे के निर्माण के दौरान, सैन्य हार्डवेयर के परिवहन को छिपाने के लिए ट्रैक के दोनों किनारों पर पेड़ों को जानबूझ कर लगाया गया था। पिछले कई सालों से, यहां से ट्रेनें फैक्ट्री को लकड़ी देने के उद्देश्य से गुजर रही हैं जो पश्चिम यूरोपीय बाजार के लिए प्लाईवुड का उत्पादन करती है। यह रेलवे ट्रैक 5 किलोमीटर लम्बा है और हरी भरी  मेहराब और पेड़ों से घिरा हुआ है। यह ट्रैक एक फायर बोर्ड फैक्ट्री का है। एक ट्रेन दिन में 3 बार उस फैक्ट्री को वुड सप्लाई करती है, बाकि टाइम ये ट्रैक कपल्स और नेचर लविंग लोगो के काम आता है।

पेड़ों की यह प्रकृति ट्रैक के चारों ओर स्वतंत्र रूप से उगाई गई है. कुछ साल पहले फैक्ट्री वालों ने पेड़ों को काटने की कोशिश की थी ताकि ट्रैन आराम से उस ट्रैक से गुज़र सके पर लोगों के मना करने पर 2013 के बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है ।यह सुरंग जोड़ों और नवविवाहितों के बीच लंबे टहलने और फोटोशूट के लिए लोकप्रिय है। सुरंग का उपयोग उन जोड़ों द्वारा भी किया जाता है जो अपनी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं।

टनल ऑफ़ लव साल में 3 बार अपना रंग बदलती है। जब बसंत आता है टनल ऑफ़ लव पूरी हरी हो जाती है तब ये जगह जन्नत नज़र आती है। गर्मियों में ये टनल हल्की भूरी होजाती है। सर्दिया आते ही ये टनल सफ़ेद बर्फ की चादर ओढ़ लती है। कपल्स में लोकप्रिय होने के कारण इसे Tunnel of Love कहा जाता है। कपल्स यहाँ आ कर रोमांटिक फोटो खिचवाना पसंद करते है। कहा जाता है यहाँ जो भी कपल इस टनल से गुज़रता है उसकी मांगी गयी हर विश जरुर पूरी होती है।

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The world’s most romantic place, Tunnel of Love!

“मृत सागर” को इसलिए मृत सागर कहा जाता है! अदभुत!

इज़राइल के एक समुद्र को मृत सागर (dead sea) के नाम से जाना जाता है। क्या आप जानते है इस समुद्र को मृत सागर ही क्यों कहा जाता है। आइए जानतें है इस से जुड़े कुछ रहस्य: यह समुद्र पृथ्वी की सतह से करीब 1375 फुट या 420 मीटर गहरा और समुद्री सतह से करीब 2400 फुट नीचे है। यह अपने उच्च घनत्व के लिए जाना जाता है। इस समुद्र की खास बात यह है कि यहाँ कोई डूब नहीं सकता। इंसान यहां बिना किसी डर के आसानी से तैर सकता है।

दुनियाभर के समुद्रों का पानी खारा या नमकीन होता है। इसमें नदियों के पानी की तुलना में समुद्र के नमकीन पानी का घनत्व यानी डेंसिटी बढ़ जाती है। आम पानी की तुलना में इस के पानी में 20 गुना ज़्यादा ब्रोमिन, 50 गुना ज़्यादा मैग्नीशियम और 10 गुना ज़्यादा आयोडिन होता है। इस वजह से न तो यह पानी पीने लायक होता है, न इसमें मौजूद नमक का उपयोग किया जा सकता है। इस समुद्र में नमक की सघनता ज्यादा होने की वजह से जल में रहने वाले जीव भी जीवित नहीं रह पाते। इसीलिए, इस समुद्र को मृत सागर कहा जाता है।

मृत सागर इज़रायल और जॉर्डन के बीच स्थित है। यह समुद्र बहुत कम जगह में फैला हुआ है। यह अरबी झील के रूप में जाना जाता है। यह हमेशा से ही विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। इस सागर में जॉर्डन नदी और अन्य छोटी छोटी नदियाँ आकर मिलती हैं। इसकी खूबी और उसके आसपास फैले सौंदर्य की वजह से इसे 2007 में ‘विश्व के सात अजूबों में चुनी गई 28 जगहों की सूची में शामिल किया गया था। इस समुद्र के पास अनेक पिकनिक स्पॉट और होटल बने हुए हैं। यहाँ हर समय लोगों की भीड़ लगी रहती है।

छुट्टियों और मौज-मस्ती के अन्य मौकों पर लोग इस समुद्र में तैराकी का लुत्फ उठाते हैं। लोग इसके काले कीचड़ को अपने शरीर और चेहरे पर लगाते हैं, क्युंकि इस समुद्र का कीचड़ त्वचा को निखारता है और यह कीचड़ बहुत सी बीमारियों को भी ख़त्म करता है। हालांकि इस समुद्र में नदियों और वर्षा से ताज़ा पानी आता रहता है, लेकिन यहां का वातावरण और हवा बहुत खुश्क है। यहां का तापमान पूरा साल गर्म रहता है। यहां का वाष्पीकरण तेज होने के कारण इसका पानी हर साल एक मीटर से अधिक कम होता जा रहा है।

चाहे इस सागर में कोई जीव जीवित नहीं रह पाता, पर इसका पानी बहुत सी औषधीय गुणों से भरपूर है। इस पानी को लाइलाज रोगों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। वैज्ञानिकों ने भी यह साबित कर दिया है कि यहां मिलने वाला नमक और खनिज लवण हमारे लिए मूल्यवान हो सकते हैं। इसी कारण आज मृत सागर, एशिया के मेडिकल टूरिज्म के रूप में आकर्षण का केन्द्र बनता जा रहा है।

इस के उत्तरी-पश्चिमी भाग में पर्यटन और स्वास्थ्य केन्द्र खोले गए हैं। मृत सागर के पानी की काली मिट्टी और नमक से यहां विभिन्न स्पा और मड-थेरेपी के जरिये इलाज भी किया जाता है। इस सागर के जल में ब्रोमिन, मैग्नीशियम तथा आयोडिन ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। ब्रोमीन धमनियों को शांत करता है, मैग्नीशियम त्वचा की एलर्जी से लड़ता है। जबकि आयोडिन कई ग्रंथियों की क्रियाशीलता को बढ़ाता है।

सौन्दर्य और स्वास्थ्य के लिए मृत सागर के गुणों की सिद्धि की वजह से ही कई प्रसिद्ध कंपनियाँ मृत सागर से ली गईं चीज़ों पर आधारित सौन्दर्य प्रसाधन की सामग्री बनाती हैं। इसके गर्म सल्फ़र और कीचड़ कई बीमारियों के इलाज में अहम भूमिका निभाते है, ख़ासकर आर्थराइटिस और जोड़ों से संबंधित बीमारियों के इलाज में इनका योगदान अधिक है।

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