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सनक की हद तक अजीबोगरीब शौक पालने वाले भारतीय राजा-महाराजा

आज़ादी से पहले भारत में कई सारे राजाओं और महाराजाओं की अपनी-2 रियासतें थीं। सन 1947 में आजादी के बाद हालाँकि  राजशाही भारत में ख़त्म हो गई लेकिन जो महल-चौबारे, मीनार, किले, चित्रकारी और अन्य भवन और इमारतें खड़ीं हैं वह उनके राजसी ठाठ-बाट की कहानी अपने आप बयान कर देते हैं।

इसके साथ ही बहुत से राजा-महाराजा अपने अजीबोगरीब शौकों के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। भारतीय इतिहास गौरवशाली राजाओं से भरा हुआ है, लेकिन उसमेँ राजाओं और महाराजाओं के ऐसे अजीबोगरीब किस्से दर्ज़ हैं कि जिनको पढ़कर मन आश्चर्य और हास्य से भर जाता है। तो आईये जानते है राजाओं-महाराजाओं के कुछ ऐसे ही अजीबोगरीब शौकों के बारें में।

महाराजा जगतजीत सिंह

महाराजा जगतजीत सिंह (शासन: 3 सितंबर 1877 – 15 अगस्त 1947) पंजाब की तत्कालीन कपूरथला रियासत के महाराज थे। महाराज जगतजीत सिंह लक्ज़री ब्रांड लुइ विटन के बहुत बड़े फ़ैन और ग्राहक थे।

Louis Viutton ब्रांड एक ऐसा ब्रांड है जो फ़्रांसिसी लुई विटन ने साल 1854 में बनाया था। लुई विटन का मोनोग्राम एलवी(LV) काफी प्रसिद्ध लोगो है। यह ब्रांड दुनिया के 50 देशों में अपनी पैठ बनाए हुए है। जो ट्रंक्स, चमड़े के उत्पाद, जूते, घड़ियां, ज्वैलरी, चश्मे और किताबें जैसी चीज़ें बनाता है।

[thirstylink ids=”60244″]इस अद्भुत किताब में[/thirstylink] भारत के महाराजाओं की ज़िदगी, प्यार और साजिशों में डूबी कहानियाँ सचित्र संस्करण जादू का सा असर डालने वाली रहस्य, रोमांच, वासना और रोमांस से भरपूर राजघरानों की सच्ची कहानियां हैं। इसमें महाराजाओं के भारत और यूरोप के हरमख़ानों, उनकी महारानियों और मलिकाओं और राजमहलों, घोड़ों, रोल्स रायस कारों, शेर के शिकारों, शाही दावतों और भव्य दरबारों की ऐसी कहानियां हैं, जो आपको अंत तक बांधकर ले जाएंगी। देखें किताब

वुइटन कंपनी को महाराजा जगतजीत सिंह, जो यात्रा के बेहद शौक़ीन थे, की विशेष माँगों को पूरा करने में गर्व था। उनके पास 60 से अधिक बड़े लुई वुइटन ट्रंक थे जिनमें उनके कपड़े, सामान, तलवारें, पगड़ी, सूट, जूते और विस्तृत पारंपरिक पोशाकें रखी हुई थीं। वह हर जगह अपने साथ इन बक्‍सों को ले जाते थे। (नीचे देखें उनमें से एक ट्रंक)

महाराजा जगतजीत सिंह के लुई वुइटन ट्रंकों में से एक ट्रंक। वुइटन कंपनी को पंजाब के कपूरथला के महाराजा जगतजीत सिंह, जो एक शौकीन यात्री थे, के विशेष आदेशों को पूरा करने में गर्व था। उनके पास 60 से अधिक बड़े लुई वुइटन ट्रंक थे जिनमें उनके कपड़े, सामान, तलवारें, पगड़ी, सूट, जूते और विस्तृत पारंपरिक पोशाकें रखी हुई थीं।

महाराजा महाबत खान रसूल खान

जूनागढ़ के यह राजा अपने अनोखे शौक के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। उनको कुत्ते पालने का एक अनोखा शौक था। इस महाराज के पास करीब 800 कुत्ते थे। हर कुत्ते की सेवा में एक-एक सेवक हुआ करता था। इन कुत्तों का इलाज ब्रिटिश सर्जन से होता था।

वह इन कुत्तों की शादी करवाने का शौक भी रखते थे। उस समय इस अनोखी शादी में करीब 22,000 रूपए खर्च होते थे, जो वर्तमान में करीब 2.25 करोड़ रूपए के बराबर हैं। साथ ही जिस दिन शादी होती थी, उस दिन राज्य में छुट्टी होती थी। किसी एक कुत्‍ते के मरने पर एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाता था।

महाराजा निज़ाम मीर उस्मान अली खां

हैदराबाद के महाराज निज़ाम मीर उस्मान अली खां के शौक भी कम नहीं थे। इन्‍हें कीमती जवाहरातों का बड़ा शौक था। दुनिया के पांचवें सबसे बड़े 184.97 कैरट के जैकब हीरों को एक पेपर वेट की तरह ये प्रयोग करते थे। इनके न रहने के बाद ये हीरें भारत सरकार के खजाने में जमा हो गए। हीरों के शौक की वजह से ही उनका करीब 2 बिलियन डॉलर खजाना था।

महाराजा जय सिंह

अपने राजसी ठाट के लिए तो हर कोई राजा जाना जाता है, पर अलवर के महाराज जय सिंह मशहूर है, अपने ऐसे बदले के लिए, जिन्होंने इनका नाम इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया। अलवर के महाराज जय सिंह ने नामी कार कंपनी रोल्स रॉयस से बदला लेने के लिए 10 कारों की छतें निकलवा कर उन्हें कूड़ा उठाने के लिए लगा दिया था। बाद में कार कंपनी को उनसे माफ़ी मांग कर उन्हें मनाना पड़ा था।

महाराजा गंगा सिंह

बीकानेर के महाराज गंगा सिंह का अपनी जनता के प्रति प्रेम दर्शाने का तरीका काफी अलग था। इनके बारे में कहा जाता है कि वह गरीबों में सोना खूब बांटते थे। एक बार तो उन्‍होंने अपने वजन के बराबर सोना गरीबों को बांटा था।

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