हार्ट अटैक से पहले दिखते हैं ये लक्षण, इन्‍हें नजरअंदाज करना होगा खतरनाक!

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हार्ट अटैक किसी को भी हो सकता है। इसके कुछ खास लक्षण होते हैं जिनकी अनदेखी करना ठीक नहीं है। आइए जानें कुछ ऐसे ही लक्षणों के बारे में। ज्यादातर लोग सोचते हैं कि हार्ट अटैक सिर्फ पुरुषों को होता है महिलाओं को नहीं लेकिन आजकल की बदलती लाइफस्टाइल के दौरान हार्ट अटैक की समस्या किसी को भी हो सकती है। हार्ट अटैक के दौरान कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें अनदेखा करना महंगा पड़ सकता है। आइए जानते हैं क्या हैं वो लक्षण जिन्हें भूलकर भी अनदेखा नहीं करना चाहिए।

शरीर के ऊपरी भाग में तेज दर्द

गर्दन, पीठ, दांत, भुजाएं और कंधे की हड्डी में दर्द होना हार्ट अटैक के लक्षण हैं। इसे ‘रेडीएटिंग’ दर्द कहते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि दिल की कई धमनियां यहां समाप्त होती हैं जैसे उंगलियों के पोर जहां दर्द केंद्रित होता है।

चक्कर आना

चक्कर आना या सिर घूमना हार्ट अटैक का एक अन्य लक्षण है। यह हृदय को जाने वाली एक शिरा में अवरोध होने के कारण होता है। जब आपको अपने अंदर ये बदलाव दिखे तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। इसे काम के प्रेशर के चलते होने वाली कमजोरी या फिर कोई दूसरा कारण ना समझें। हार्ट अटैक के लक्षणों को अक्सर लोग मामूली समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं। जिसके परिणाम बाद में झेलने पड़ते हैं।

सीने में दर्द

लोग सोचते है कि हार्ट अटैक का लक्षण केवल सीने में दर्द नहीं हो सकता परंतु निश्चित तौर पर ऐसा होता है। लक्षणों पर ध्यान देने के बजाय यदि आप को कुछ नए लक्षण महसूस हो रहे हैं और वे दूर नहीं हो रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। डॉक्टरों के अनुसार बाद में पछताने से अच्छा है कि सुरक्षित रहें।

जबड़े में दर्द

यदि आपके जबड़े में दर्द है है तो इसका अर्थ है कि आपको हार्ट अटैक आया है क्योंकि इसके पास जो नसें होती हैं वे आपके हृदय से निकलती हैं। यदि दर्द बना रहे तो आपको दांतों की परेशानी है। यदि यह थोड़ी-थोड़ी देर में होता है तथा जब आप थक जाते हैं और यह दर्द बढ़ जाता है तो यह दिल से संबंधित हो सकता है।

जी मिचलाना, उलटी, पेट खराब होना

हार्ट अटैक के समय पुरुषों की तुलना में महिलाओं में जी मिचलाना, उलटी या अपचन जैसे लक्षण अधिक दिखाई देते हैं। यह अक्सर इसलिए होता है क्योंकि दिल को रक्त पहुंचाने वाली दायीं धमनी जो दिल में गहराई तक जाती है, अवरुद्ध हो जाती हैं।

सांस लेने में परेशानी

एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग 42% महिलाएं जिन्हें हार्ट अटैक आया उन्हें सांस लेने में परेशानी की समस्या का सामना करना पड़ा। हालांकि पुरुषों में भी यह लक्षण होता है परंतु महिलाओं में सीने में दर्द के बिना सांस लेने में परेशानी जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

पसीना आना

यदि आप रजोनिवृत्ति के दौर से नहीं गुजर रही हैं और फिर भी आपको अचानक पसीना आने लगे तो संभल जाएं। इस लक्षण की अनदेखी ना करें तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल या डॉक्टर से संपंर्क करें।

इन देशों में होतें हैं सबसे ज्यादा बलात्‍कार

 

विकसित और धनी देश जहाँ होतें हैं सबसे ज्यादा बलात्‍कार

बलात्‍कार दुनिया भर में घिनौना अपराध माना जाता है। कड़े कानून और सजा के बावजूद दुनिया भर में हर साल बलात्कार के लाखों मामले दर्ज़ किए जाते हैं।

विश्व भर के लगभग सभी देशों चाहे वह विकसित देश है या अविकसित, विकासशील है या पिछड़ा, सभी में बलात्कार के बहुत अधिक मामले दर्ज़ होते हैं। बलात्कार जैसे संगीन जुर्म को कई बार हम पिछड़ेपन, अनपढ़ता आदि से जोड़ते हैं लेकिन परेशानी की बात यह है कि जो देश आधुनिक, सभ्य और कुलीन माने जाते हैं वहाँ पर भी बहुत अधिक बलात्‍कार होते हैं।

इस लेख में हम कुछ ऐसे देशों के बारे में चर्चा करेंगे जो विकसित हैं, जो उच्च सामाजिक संस्कृति और मानवीय मूल्यों को मानने वाले माने जाते हैं लेकिन फिर भी वहाँ पर बहुत अधिक बलात्कार होते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका

इस देश को दुनिया का सबसे ताकतवर, समृद्ध और रहने के लिए उत्तम देश माना जाता है। USA टुडे द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में 19.3% महिलाएं और 2% पुरुष अपनी पूरी लाइफ में एक बार रेप का शिकार होते हैं। अमेरिका में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 27.3 बलात्कार के मामले दर्ज़ होते हैं। यानि 2019 की गणना के अनुसार हर साल 89834.7* मामले दर्ज़ होते हैं।

ब्रिटेन

ब्रिटेन को दुनिया का सबसे विकसित और शाही देश माना जाता है। लेकिन फिर भी ब्रिटेन में भी 2018-19 साल में लगभग 59 हज़ार बलात्‍कार के मामले दर्ज़ किए गए। यानि हर एक दिन करीब 160 लोगों के साथ रेप।

नार्वे

नार्वे संयुक्त राष्ट्र की मानव विकास सूची के टॉप पर है। लेकिन बलात्कार के अनुपात में भी यह पीछे नहीं है। कम जनसंख्या वाले इस विकसित देश में हर साल 1000 मामले दर्ज़ किए जाते हैं जोकि 19.2 प्रति लाख की दर से काफी ज्यादा है।

स्‍वीडन

स्वीडन को समृद्ध और शाही देश माना जाता है। हालांकि स्‍वीडन में हर चौथी महिला बलात्‍कार या यौन शोषण का शिकार होती है। स्वीडन की सरकार भी महिलाओं के साथ बलात्‍कार को एक बहुत ही गंभीर समस्‍या मान चुकी है. 1975 में यहां रेप के 421 केस दर्ज हुए थे लेकिन 2018-19 में यह आंकड़ा 6374 हो गया।

जर्मनी

जर्मनी भी विकसित देशों में शामिल हैं। दुर्भाग्य से यह उन देशों में से एक है जहां रेप बहुत ज्यादा होता है। 2019 के आंकड़ों के अनुसार यहाँ बलात्कार के 7850 मामले दर्ज़ किए गए हैं।

फ्रांस

1980 तक बलात्कार को फ्रांस में अपराध नहीं माना जाता था। उसके बाद महिला कानून के तहत इसे शामिल किया गया है। अब यहाँ रेप को बड़ा अपराध माना गया है। 2018-19 में यहां लगभग 11000 बलात्कार हुए।

इटली

इटली यूरोप का एक अन्य विकसित और पर्यटन से भरपूर देश है जहां हर साल लाखों पर्यटक घूमने आते हैं। यहाँ भी हर साल लगभग 5000 रेप के मामले सामने आते हैं।

डेनमार्क

डेनमार्क बहुत अधिक धनी और समृद्ध देश है। हालांकि यहाँ पर भी बहुत अधिक बलात्कार होते हैं। माना जाता है कि ज्यादातर रेप काम-काजी स्‍थलों में होते हैं.

बैल्जियम

बैल्जियम भी एक धनी और समृद्ध देश है। हालांकि यहाँ पर भी बहुत अधिक बलात्कार होते हैं। माना जाता है कि ज्यादातर रेप काम-काजी स्‍थलों में होते हैं. कम जनसंख्या वाले इस देश में हर साल लगभग 3500 मामले सामने आते हैं।

ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया भी बलात्कार की ऊंची दर वाला विकसित देश है। कुछ सर्वे के अनुसार ऑस्ट्रेलिया को रहने योग्य देशों की सूची में शीर्ष देशों में रखा गया है। यह खुशहाल देशों की सूची में शीर्ष पर है। ऑस्ट्रेलिया में हर साल 27.6 प्रति 1 लाख की ऊंची दर से लगभग 7500 बलात्कार दर्ज़ होते हैं।

न्यूज़ीलैंड

न्यूज़ीलैंड एक अन्यथा शांत और समृद्ध देश है। लेकिन बलात्कार के केसों के मामले में न्यूज़ीलैंड भी काफी ऊंचे पायदान पर है। कम जनसंख्या वाले इस देश में हर साल 25.8 की दर से 1300 रेप होते हैं।

(* नोट: बलात्कार की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है क्योंकि एक अनुमान के अनुसार लगभग 40% महिलाएं ही केस दर्ज़ करवाती हैं)

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करीना कपूर ख़ान के बर्थडे पर जानिये उनका सफ़र

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21 सितंबर को बॉलीवुड की स्टाइलिश और चार्मिंग अभिनेत्री करीना कपूर ख़ान का जन्मदिन होता है। इस साल करीना अपना 38 वां बर्थडे मना रही हैं। करीना कपूर ने अपने करियर की शुरूआत फ़िल्म ‘रिफ्यूजी’ से की थी। इस फ़िल्म के लिए उनकी सभी आलोचकों ने भी खूब सराहना की थी। इतना ही नहीं इस फ़िल्म के लिए उन्‍हें सर्वश्रेष्‍ठ नवोदित अभिनेत्री का फ़िल्मफेयर पुरस्‍कार भी मिला था।

  • करीना कपूर का जन्‍म मुंबई में हुआ था। आप जानते हैं कपूर खानदान में जन्मीं करीना का परिवार बॉलीवुड के सबसे चर्चित और कामयाब घरानों में से रहा है।
  • राज कपूर की पोती, रणधीर कपूर की बेटी, ऋषि कपूर और राजीव कपूर की भतीजी से लेकर करिश्मा कपूर और रणबीर कपूर जैसे भाई बहन वाली करीना के लिए ज़िंदगी आसान नहीं रही है।
  • पिता रणधीर कपूर और मां बबीता जो अपनी दौर की एक पॉपुलर अभिनेत्री रही हैं एक दूसरे से तब अलग ही रह रहे थे जब करीना बड़ी हो रही थीं। करीना तमाम मुश्किलों के बीच अपने आपको स्थापित करती गयीं।
  • करीना का निक नेम है ‘बेबो’। लेकिन, उनके नामकरण की कहानी भी दिलचस्प है। दरअसल जब बबीता मां बनने वाली थी, तब वह एना करेनिना किताब पढ़ती थीं और उसी किताब से प्रेरित होकर उन्होंने अपनी बेटी का नाम करीना कपूर रख दिया।
  • कपूर खानदान की बेटी और बहू फ़िल्मों में नहीं आती थीं। लेकिन, करिश्मा कपूर और उनकी छोटी बहन करीना कपूर ने इस परंपरा को बदल कर अपने करियर को एक नयी ऊंचाई देने में कामयाब रहीं।
  • करीना कपूर को उनका पहला फ़िल्मफेयर पुरस्कार फ़िल्म ‘जब वी मेट’ के लिए मिला था। उस दौरान शाहिद कपूर संग उनके रोमांस की भी खूब ख़बरें आती थीं। बाद में दोनों सम्मानजनक रूप से एक दूसरे से अलग हो गए।
  • करीना बॉलीवुड की इकलौती अभिनेत्री हैं जिन्होंने फ़िल्म ‘हीरोइन’ में एक-दो नहीं बल्कि 138 डिजाईनर साड़ियां पहनी थीं।
  • करीना ने साल 2012 में अभिनेता सैफ़ अली ख़ान से शादी कर ली। शादी से पहले यह जोड़ी पांच साल तक लिव इन में थे।
  • करीना ने सैफ़ के सामने शादी के लिए एक शर्त रखी थी कि शादी के बाद भी वो फ़िल्मों में काम करना जारी रखेंगी! सैफ़ ने उनकी यह शर्त मान ली।
  • नवाब खानदान की बहू करीना शादी के बाद भी अपने तमाम फैंस का दिल जीतती रही हैं। अपनी बेबाकी और अपने ख़ास अंदाज़ के लिए जानी जाती हैं करीना।
  • करीना बॉलीवुड की एक ट्रेंडसेटर रही हैं। जीरो साइज़ फीगर से लेकर बेबी बंप फ्लॉन्ट करने तक करीना हमेशा कॉन्फिडेंट और एक नयी राह बनाती नज़र आयीं।

दुनिया के सबसे खतरनाक पेड़

दुनिया के सबसे खतरनाक पेड़

वैसे तो हम सबने सुना है कि पेड़ हमारे लिए बहुत लाभदायक होते हैं, वह हमारे वातावरण को साफ़-सुथरा रखते हैं। क्या आप जानते है कि धरती पर कुछ ऐसे पेड़ पाए जाते हैं, जो कि आपकी जान तक ले सकते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही पेड़ों की प्रजातियों के बारे में बता रहे है, जो हमारे लिए बहुत ही खतरनाक है।

पोषमवुड

पोषमवुड वृक्ष दुनिया के खतरनाक पेड़ों में से एक है। इसकी सबसे खतरनाक बात यह कि इस पर लगे हुए फल पकने के बाद एक बम की तरह धमाका करते हुए फट जाते है। फल फटने के बाद उसके बीज हवा में करीब 240 किलोमीटर प्रति घंटा से फैलते है। अगर कोई इंसान इनकी चपेट में आ जाए, तो वह गंभीर रूप से घायल हो सकता है।

जिमपी स्टिंगर

जिमपी स्टिंगर वृक्ष ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है। यह वृक्ष देखने में काफी सुंदर लगता है, लेकिन इसके ऊपर दिखने वाले कांटे, जो इसको सुंदर बनाते हैं, असल में ये कांटे बेहद ख़तरनाक होते है, क्योंकि इन कांटे में ज़हर होता है, अगर ये जहर इंसानी शरीर के अंदर चला जाए तो इंसान की मौत भी हो सकती है।

सेर्बेरा ओडोलम

क्या आप जानते है कि यह पेड़ कितना खतरनाक हो सकता है, वैसे तो आप इसका अंदाजा इसके नाम से भी लगा सकते है, इसे “सुसाइड ट्री” के नाम से भी जाना जाता है। ये पेड़ मुख्य रूप से भारत और एशिया के कई देशों में पाया जाता है। इस पेड़ पर एक खतरनाक फल उगता है, जो बेहद ज़हरीला होता है। इस फल को खाने से इंसान की जान भी जा सकती है।

टैक्सस बैक्टाटा

यूरोप, अफ्रीका और एशिया में पाया जाने वाला टैक्सस बैक्टाटा भी एक बेहद ज़हरीला पेड़ है। सिर्फ बीज को छोड़कर इस पेड़ के हर एक हिस्से में “टैक्सीन” नाम का ज़हर होता है। इस पेड़ में जो ज़हर पाया जाता है, उसे “टैक्सीन” कहा जाता है। ये ज़हर अगर किसी इंसान को दे दिया जाए तो उसकी चंद घंटों में मौत हो जाती है।

मेंचिलीन

मेंचिलीन नामक का यह पेड़ फ्लोरिडा, कैरेबियन सागर के आस-पास पाया जाता है। इसे दुनिया के सबसे ज़हरीले वृक्ष के रूप में ‘गिनीज़ ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ में शामिल किया गया है। लोगो को इस पेड़ से दूर रखने के लिए इस पेड़ पर चेतावनी बोर्ड भी लगाए गए है।

इस पेड़ का सबसे विषैला भाग इसके फल होते है। यदि कोई इस पेड़ का फल खा ले तो उसकी मौत भी हो सकती है।

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इस लिए लड़कियों से कम भावुक होते हैं लड़के

 

जानिए कैसे समझे कुत्तों की भाषा को

जैसे कि आपको पता है कि कुत्ता पालतू जानवरों में से सबसे अधिक वफ़ादार होता है, इसलिए ज्यादातर लोग इस जानवर को अपने घरों में पालते हैं। लेकिन आज हम आपको इन कुत्तों की विशेष बात के बारे में बताने जा रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि, कुत्ते भी बोलते हैं? जी हां कुत्तों का बोलना उनकी भावनाओं द्वारा होता है। भौंकना, तथा गुर्राना आदि के माध्यम से कुत्ते अपने मालिक को बहुत कुछ कहते हैं।

वैज्ञानिकों ने भी किया साबित

अब तो वैज्ञानिकों ने भी साबित कर दिया गया है कि कुत्ते बोलते है और उनके पास इस बात के सबूत भी हैं। उनका मानना है कि कुत्ते मनुष्य से बात करने के लिए अपनी भाव-भंगिमाओं का प्रयोग करते हैं। कुत्तों की भाषा का रहस्य खोलने का पहला प्रयास सालफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया था। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए 37 कुत्ते लिए, जिनके मालिकों ने उनकी रोजमर्रा की फिल्में बनाई थीं, और अपनी टीम को उसका निरीक्षण करने को कहा।

कुत्तों दुवारा दिए जाने वाले संकेत

जमीन पर लोटना, पंजों को उठाना तथा कूदना उन 19 भाव-भंगिमाओं में शामिल था, जिनका निरीक्षण किया गया था। बालों को सहलाने, दरवाजा खोलने, खिलौना तथा खाना मांगने जैसी कुछ बातें वैज्ञानिकों ने देखीं जिनके लिए कुत्ते विभिन्न विशेष भाव-भंगिमाओं का प्रदर्शन करते थे।

आपको बता दें कि पत्रिका ‘एनीमल कोग्निशन’ में एक अध्ययन प्रकाशित किया गया था जिसमें कहा गया है कि, एक ही विनती के लिए अलग-अलग कुत्ते अलग-अलग संकेतों का इस्तेमाल करते हैं। उदाहरण के लिए यदि एक कुत्ता अपनी पीठ के बल ज़मीन पर लेटता है, तो उसका अर्थ है कि, उसके पेट को खुजलाया जाए। सबसे अधिक जिस भाव-भंगिमा का प्रयोग कुत्ते करते हैं, वह अपने मालिक की ओर देख कर अपनी खाने की कटोरी की ओर देखना जिसका सीधा-सा अर्थ है कि, उन्हें कुछ खाने लिए चाहिए।

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कैसे बचें टाल-मटोल की आदतों से

वैसे तो काम से बचने के लिए हम सब ही टाल-मटोल करते रहते है। लेकिन, यह आदत हमारे लिए बहुत बुरी होती हैं.  समय के साथ टाल मटोल की आदतें व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य, उसके संबंधों और उसकी सम्पूर्ण कुशलता के लिए भी हानिकारक साबित होती है। अगर आप टाल-मटोल की आदतों से बचना चाहते हैं तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें।

आपको बता दें कि हमारे दिमाग का एक हिसा ‘लिम्बिक सिस्टम’ होता है जो कि हमारी इस आदत के लिए जिम्मेदार होता है। यही हिसा हमारे दिमाग की सोच को नकारात्मक करता है और हमको वो काम करने से रोकता है, जिसमें मेहनत ज्यादा लगती है। इसी हिस्से पर हमारी भावनाएं तथा हमारी प्रतिक्रियाएं निर्भर करती हैं।

हालांकि, यह आवश्यक नहीं है कि, हमेशा आपका दिमाग आपको टाल-मटोल करने पर मजबूर कर दे । हमारे दिमाग में एक और हिसा ‘प्रीफ्रंटल कोटेंक्स एरिया’ भी होता हैं, जो जटिल कार्यों को करने में हमारी मदद करता है।

दो रणनीतियों के तहत आप टाल-मटोल की आदत से हमेशा के लिए बच सकते हैं।

पहली रणनीति

आपको बता दें कि एक रिसर्च से पता चला है कि, लोग उन कार्यों को पूरा करने में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं, जो अधूरे हों। ऐसे में दिमाग को थोड़ी सी जानकारी देने से ही यह मन ही मन में उस काम पर विचार करने लगेगा और काफी सम्भावना है कि, आप उस काम को वक्त पर खत्म करने का प्रयास शुरू कर देंगे।

दूसरी रणनीति

तनाव तथा दिमाग में एक जटिल संबंध होता हैं। तनाव कम हो तो दिमाग लापरवाह बना रहता है। बहुत ज्यादा तनाव होने पर दिमाग सुन्न जाता हैं।

दूसरी ओर तनाव का स्तर यदि एक उपयुक्त सीमा तक रहे तो दिमाग में ‘स्ट्रैस हार्मोन्स’ का इतना स्तर बना रहता है कि, दिमाग को काम पर पूरा ध्यान लगाने, तथा पूरी क्षमता से कार्य करने की ताकत मिलती रहती है।

 

 

 

 

इस लिए लड़कियों से कम भावुक होते हैं लड़के

जैसे कि हम सब जानते है कि ज्यादातर लड़कियों की तुलना में लड़कों का ह्रदय ज्यादा कठोर माना जाता है। लड़कियां लड़कों से ज्यादा भावुक होतीं हैं, और वह छोटी-छोटी बातों पर ही रोने लग जातीं हैं, जबकि लड़के मज़बूत दिल के होते हैं. लेकिन, क्या आपको पता है कि यह दिल का नहीं, दिमाग का मामला होता है। एक नए शोध के अनुसार लड़के अपनी अलग दिमागी संरचना के कारण ही लड़कियों की तुलना में कम भावुक होते हैं।

स्विट्ज़रलैंड की यूनिवर्सिटी बासेल के नौरा मारिया ने बताया है कि, उनको एक रिसर्च से पता चला है कि, किसी व्यक्ति के स्वभाव में भावहीनता व कठोरता का सीधा संबंध दिमाग की अलग-अलग सरंचनाओं से होता है। इस शोध से यह भी पता चला है कि, सामान्य तौर पर विकसित होते लड़कों के दिमाग में एंटीरियर ‘ग्रे मैटर’ ज्यादा होता है|

इससे पहले हुए एक शोध में भी यही कहा गया था. कि, लड़कों और लड़कियों के भावनात्मक स्तर में अंतरका संबंध दिमाग से है। इस शोध के अनुसार लड़कों और लड़कियों के दिमाग में नसों की बनावट अलग-अलग होती है, इसीलिए उनमें चीजों को समझने का तरीका भी अलग-अलग होता है।

अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका “प्रोसेडिंग्स ऑफ नैशनल एकैडमी ऑफ साइंसेज” की रिसर्च बताती है कि, महिलाओं और पुरुषों के दिमाग में सबसे बड़ा अंतर है कि, महिलाओं के दिमाग के दोनों हिस्से एक-दूसरे से बेहतर रूप से जुड़े होते हैं। एक हिस्सा आसानी से दूसरे हिस्से तक सूचना पहुंचाता है, जबकि पुरुषों में ऐसा नहीं होता लेकिन, उनके लिए यह कोई मायूसी की खबर नहीं है.बलकि अच्छी बात यह है कि, इसी कारण पुरुष कुछ कामों को बेहतर ढंग से कर पाते हैं।

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मोबाइल कवर का करते हैं इस्तेमाल तो जानिये कैसे फोन को पहुंचता है नुकसान

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स्मार्टफोन खरीदने के बाद यूजर्स मोबाइल कवर जरुर खरीदते हैं। मोबाइल कवर फोन को डैमेज होने से बचाता है। हालांकि, इसके जितने फायदे हैं उतने ही नुकसान भी हैं।

1. डैमेज हो सकता है फोन:

मोबाइल फोन कवर इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इससे फोन डैमेज होने के काफी ज्यादा संभावना होती है। वहीं, अगर यूजर मेटल का केस इस्तेमाल कर रहा है तो उसे फोन से रीमूव करने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। फोन पर इससे निशान बना जाते हैं और फोन में क्रैक भी आ सकता है।

2. स्क्रीन को हो सकता है नुकसान:

कई बार फोन का केस इतना सक्षम नहीं होता है कि वो फोन को गिरने के बाद टूटने से बचा पाए। ऐसे में फोन केस मोबाइल के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

3. फोन हो सकता है ओवरहीट:

कुछ ऐसे मोबाइल केस होते हैं जो बेकार क्वालिटी के प्लास्टिक से बने होते हैं। इससे फोन की बैटरी पर असर पड़ता है। इससे फोन हीट हो जाता है और उसमें आग लगने की संभावना बढ़ जाती है।

4. सिग्नल को ब्लॉक कर देना:

कुछ स्मार्टफोन केस ऐसे भी होते हैं जो नेटवर्क कनेक्टिविटी पर असर डालते हैं। अगर फोन पर केस लगा होता है तो फोन में नेटवर्क की काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस तरह की परेशानी ज्यादातर फोन केस के चलते होती है। वहीं, मेटल से बने मोबाइल केसेस में यह परेशानी सबसे ज्यादा आती है।

जानिए क्यों ख़ास है कालका-शिमला रेल मार्ग

जानिए क्यों ख़ास है कालका-शिमला रेल मार्ग

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रेल में सफर करना तो हम सबको ही बहुत अच्छा लगता है. लेकिन, अगर सफर दूर का और पहाड़ियों के बीच का हो तो रेल में सफर करना और भी मज़ेदार बन जाता है | आज हम आपको एक ऐसे रेल मार्ग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिस मार्ग में  सफर करने का मज़ा ही कुछ अलग है | जी हां हम बात कर रहे हैं, कालका-शिमला रेल मार्ग की | इस रेलमार्ग की चौड़ाई मात्र दो फुट 6 इंच है, इसी कारण से इस रेल मार्ग का नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ में दर्ज है। यहां आने वाले पर्यटकों की पहली पसंद यहां पर चलने वाली ‘खिलौना गाड़ी’ की यात्रा करने की होती है।

कालका-शिमला रेलमार्ग का ऐतिहासिक महत्व यह भी है की, इसका निर्माण अंग्रेजों द्वारा किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि, अंग्रेज इंजीनियरों ने यह रेल मार्ग एक अनपढ़ ग्रामीण भलखु की मदद लेकर बनाया था । कहते हैं कि, वह आगे-आगे कुदाल से निशान लगाता गया, और पीछे अंग्रेज इंजीनियर उसका अनुसरण करते गए।

इस कार्य के लिए उसे 1858 में सम्मानित भी किया गया था। बाद में हिंदुस्तान-तिब्बत राजमार्ग के सर्वेक्षण में भी उसकी सेवाएं ली गई थीं। कालका से शिमला तक का रेलमार्ग 95 किलोमीटर लंबा है। यह यात्रा छ: घंटे में पूरी होती है| शिमला पहुंचने से पहले रेल 102 सुरंगों से गुजरती है।

सबसे बड़ी सुरंग बड़ोग नामक स्थान पर है। इसका नंबर 33 है, और इसकी लंबाई 3752 फुट है। कोटी में नंबर 10 की सुरंग 2276 फुट लंबी है, और तारा देवी के निकट सुरंग नंबर 91 की लंबाई 1615 फुट है। शिमला पहुंचने से पहले रेल 102 सुरंगों से गुजरती है।|

इन सुरंगों में से गुजरते हुए यात्री गहरे रोमांच से भर जाते हैं। यही नहीं, इसके मार्ग में बने पुल भी कलात्मक बनावट वाले हैं। जिनकी संख्या 869 है। एक पुल लोहे का, शेष सभी पुल पत्थरों से बने हैं। कनोह नामक स्थान पर चार मंजिला पुल विशेष आकर्षण लिए पुरे भारत में बहुत प्रसिद्ध है। अनेक योजनाओं और सर्वेक्षणों के बाद इस रेलमार्ग का निर्माण हुआ था। इसे पूरा होने में दस वर्ष का समय लग गया था ।

9 नवंबर 1903 को पहली ‘टॉय ट्रेन’ शिवालिक की वादियों में से गुजरते हुए, बल खाते हुए मस्त चाल से शिमला पहुंची थी। उस वक्त भारत के वायसराय पद पर लॉर्ड कर्जन था | जिसने इस रेलमार्ग के निर्माण कार्य का पूरा जायजा लिया था।

सन् 1932 में इस रेलमार्ग पर 15 यात्रियों को ले जाने वाली रेल कार की सेवा आरंभ की गई थी। 1970 में इसकी क्षमता 21 यात्रियों तक बढ़ा दी गई थी। आजकल कालका-शिमला रेलमार्ग पर पर्यटकों के मद्दे नज़र एक सुपरफास्ट रेल शिवालिक डीलक्स एक्सप्रैस शुरू की गई है। इसे शताब्दी एक्सप्रेस की तरह ही सुविधाओं से सज्जित किया गया है। इस रेल में बीस यात्रियों की क्षमता युक्त पांच सुन्दर कोच लगाए गए हैं।यह रेल शिमला पहुंचने में पांच घंटे का समय लेती है।

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मैक्सिको में होती है मौत की देवी की पूजा

मैक्सिको में मौत की देवी ‘सांता मुएर्ते’ में विश्वास रखने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस पंथ में विश्वास रखने वाले केवल मैक्सिको ही नहीं, अब मध्य अमेरिका और कोलम्बिया तक फैल चुके हैं। इनका विश्वास है कि मौत की देवी बीमारी और दुख से उनकी रक्षा करती है।

हालांकि, कैथोलिक चर्च इस मत में विश्वास करने वालों की आलोचना करता है। गत वर्ष मैक्सिको आए पोप फ्रांसिस ने भी इस तरह की रहस्यमयी ताकतों में विश्वास रखने वालों की कड़ी आलोचना की थी।

रहस्यमयी पंथ

कुछ लोग इस रहस्यमयी पंथ की लोकप्रियता बढ़ने को मैक्सिको में अपराध और हिंसा में वृद्धि के साथ भी जोड़ कर देखते हैं और इसे लेकर कई अफवाहें भी फैली हैं जैसे कि मृत्यु की देवी अनुयायियों को अपने वश में कर लेती है।

हालांकि, इस पंथ में विश्वास रखने वाले अधिकतर लोगों का दावा है कि ये सब केवल अफवाहें हैं और यह केवल उनकी आस्था और विश्वास की बात हैं जिसमें कोई बुराई नहीं है।

पुराना पंथ

जानकारों के अनुसार मैक्सिको में ‘सांता मुएर्ते’ में विश्वास रखने का चलन काफी पुराना रहा है क्योंकि इसका संबंध वहां की परम्परा से है। उपनिवेशी काल में स्पेन द्वारा इस देश पर कब्जा कर लेने के साथ यहां कैथोलिक धर्म का आगमन हुआ। फिर भी गुप्त रूप से मौत की देवी में कई लोगों ने अपने विश्वास को जिंदा रखा।

खुल कर होने लगी है पूजा

जहां पहले लोग मौत की देवी के अनुयायी होने की बात को खुल कर स्वीकार नहीं करते थे। वहीं अंतिम कुछ वक्त से वे इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने लगे हैं। बहुत से स्थलों पर इससे जुड़े प्रार्थना स्थल भी खुल गए हैं। अपराधों के लिए कुख्यात तैपितो कस्बे में भी अंतिम 15 वर्षों से एक महिला डोना कुएर्ता ने घर में एक प्रार्थना स्थल बनाया है।

जहां देश ही नहीं विदेशों से भी मृत्यु की देवी के अनुयायी आने लगे हैं। ऐसे प्रार्थना स्थलों में आमतौर पर कंकाल को सजा कर उसकी पूजा की जाती है। माना जाता है मैक्सिको में यह मृत्यु के देवता को समर्पित प्रथम सार्वजनिक प्रार्थना स्थल है। इसलिए इसकी लोकप्रियता सबसे ज्यादा है।

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