हम पेड़-पौधों के बिना धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। पेड़ न सिर्फ हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन देते हैं, बल्कि प्रदूषण से भी बचाते हैं। गर्मी के मौसम में तेज चिलचिलाती धूप में चलते हुए पेड़ की छांव मिल जाए तो कोई भी एक पल के लिए ठहर जाता है। बहुत से लोग पेड़ के नीचे सो भी जाते हैं।
लेकिन आपने कई बार सुना होगा कि पेड़ के नीचे रात को नहीं सोना चाहिए। इस बात को लेकर कई अंधविश्वास की कहानियां प्रचलित हैं लेकिन इसका असल कारण क्या है ये आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताने जा रहे हैं, तो चलिए शुरू करते हैं :
दरअसल पेड़ों द्वारा दिन के समय ऑक्सीजन छोड़ने और कार्बन डाइऑक्साइड लेने की प्रक्रिया चलती रहती है, लेकिन रात के समय अधिकतर पेड़ों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं।
दिन में जहां पेड़ों से ऑक्सीजन मिलती है वहीं रात के समय पेड़ों से कार्बन डाई ऑक्साइड मिलती है। ऐसी स्थिति में अगर आप रात के समय पेड़ के नीचे सोते है तो कार्बन डाईऑक्साइड की वजह से व्यक्ति का दम घुटने लगता है। कई केस में तो व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। यही कारण है कि रात में पेड़ के नीचे नहीं सोना चाहिए।
पेड़ सांस लेने के लिए अपनी पत्तियों में मौजूद बहुत ही छोटे छिद्रों का प्रयोग करते हैं, इन छिद्रों को स्टोमेटा कहते हैं। पेड़-पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में भोजन तथा ऑक्सीजन बनाते हैं, इसे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया कहते हैं। रात में प्रकाश संश्लेषण नहीं होता है, जिसके कारण रात में ऑक्सीजन का निर्माण नहीं हो पाता है।
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