21 वर्षीय निमा लामू शेरपा के खून में पर्वतारोहण दौड़ता है फिर भी उसके लिए माऊंट एवरेस्ट शिखर पर चढ़ना आसान बात नहीं थी।
सौभाग्यवश वह ऐसे लोगों से घिरी हुई थी जिन्होंने यह कार्य पहले से ही किया था। उसके 7 भाई-बहन यह कार्य कर चुके थे जिनमें से ज्यादातर पर्वतारोहण गाइड का काम करते हैं।
प्रत्येक समय उसके भाई पहाड़ियों पर चढ़ाई कर घर लौटते थे और निमा उनसे हिमालय में साहसिक कार्यों की उनकी कहानियां सुनती थी। उसके भाई माऊंट एवरेस्ट सहित अनेक चोटियां चढ़ चुके थे।
अपने भाइयों की कहानियों को उसने दिल में उतार लिया और पहाड़ियों पर चढ़ने की इच्छा जाहिर की मगर वह आश्वास्त नहीं थी कि वह कभी ऐसा मौका पाएगी ।
12 मई, 2021 को निमा ने अपने बचपन के सपने को वास्तविकता में बदला हुआ महसूस किया और माऊंट एवरेस्ट पर अपना कदम रखा।
अपने परिवार में 7 भाई बहनों के साथ वह माऊंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली 8वीं सदस्य बनी। उसकी सफलता ने किसी भी भाई-बहनों द्वारा अधिक बार चढ़ाई चढ़ने का रिकॉर्ड भी तोड़ डाला।
निमा से पहले उसके 6 भाई तथा 1 बहन दावा डिकी शेरपा पहले से ही एवरेस्ट चढ़ चुके थे। वह कहती है, “मेरे भाइयों के खुशनुमा चेहरों ने मुझे प्रेरित किया और पर्वतारोहण को एक शौक के तौर पर लिया।”
शिखर पर पहुंचने पर निमा ने महसूस किया कि यह एक खतरनाक कार्य है जिसमें सख्त मेहनत, हिम्मत तथा दृढ़संकल्प की जरूरत है।
यूनिवर्सिटी में पढ़ रही निमा ने इससे पहले माऊंट लोबूचे के अलावा कोई पर्वत नहीं चढ़ा था। हालांकि, अपने भाइयों की सहायता से वह इस चुनौती को पार कर गई।
निमा अपने आपको इसलिए भी भाग्यशाली मानती है क्योंकि उसके भाइयों ने हमेशा से ही उसका हर कदम पर मार्गदर्शन किया। उनकी सहायता तथा समर्थन के बिना निमा इस कार्य को कर पाने में असमर्थ थी।
दो दशक पूर्व उसके एक भाई ने एवरेस्ट शिखर पर चढ़ाई के दौरान दम तोड़ा दिया था। उसके 5 भाई गाइड हैं जो दर्जनों पर्वतारोहियों की मदद कर चुके हैं।
काठमांडू के उत्तर-पूर्व में करीब 4000 मीटर की ऊंचाई पर रोलवालिंग नामक गांव है जहां निमा का परिवार बसता है। यहां के ज्यादातर लोग पर्यटन सैक्टर से जुड़े हुए है।
शेरपा परिवार के पास पर्वतारोहण के अनेकों रिकार्ड है। गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने के लिए उसके भाई लंदन जाने की सोच रहे हैं।