Sunday, December 22, 2024
10.8 C
Chandigarh

रॉकेट बॉयज :- दो महान वैज्ञानिकों की कहानी और कुछ रोचक तथ्य!

भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में महान ऊंचाइयों को हासिल किया है। चांद पर अपना यान उतार दिया है, मंगल तक यान भेज दिया है। साथ ही आज हम विश्व की प्रमुख परमाणु शक्ति भी हैं लेकिन यह कोई रातोंरात का हुआ चमत्कार नहीं है।

इसके पीछे देश का भविष्य देखने और भारत को विश्व में सम्मानजनक स्थान दिलाने की प्रबल इच्छा रखने वाले वैज्ञानिक, विचारक और राष्ट्रीय नेता हैं।

आज इस पोस्ट में हम आपको ऐसे ही दो महान वैज्ञानिकों पर आधारित वेब सीरीज़ के बारे में बताने जा रहे हैं जो भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम और अंतरिक्ष कार्यक्रम की सफल शुरुआत के ऊपर प्रकाश डालती हैं।

दरअसल सोनी लिव पर रिलीज हुई वेब सीरीज़ रॉकेट बॉयज दो महान वैज्ञानिकों की कहानी बताती है जिन्होंने भारत के लिए एक समृद्ध, स्वाभिमानी और मजबूत भविष्य का सपना देखा था।

“रॉकेट बॉयज” भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक डॉ. होमी जहांगीर भाभा और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की संकल्पना करने वाले डॉ. विक्रम साराभाई के ऊपर आधारित है।

रॉकेट बॉयज़ की कहानी में लगभग 40-40 मिनट के आठ एपिसोड हैं जोकि 1962 में चीन के हाथों भारत की सैन्य हार से शुरू होती है। जहां परमाणु बम बनाए जाने पर बैठक चल रही थी।

तब होमी (जिम सरभ) ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू (रजीत कपूर) से कहा कि यह जरूरी नहीं है कि चीन भविष्य में हमलावर न हो, इसलिए जरूरी है कि हम परमाणु बम बनाएं।

इस पर होमी के दोस्त और एक बार उनके छात्र रह चुके विक्रम साराभाई (इश्वक सिंह) ने परमाणु बम के निर्माण का खुलकर विरोध किया, क्योंकि दुनिया ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के हिरोशिमा-नागासाकी पर अमेरिका द्वारा गिराए गए परमाणु बमों से हुई तबाही को देखा है।

होमी और विक्रम के बीच इस टकराव के साथ, कहानी 1930 के दशक में फ्लैशबैक में चली जाती है और फिर उनका जीवन यहीं से आकार लेता हुआ प्रतीत होता है।

होमी प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कलकत्ता के एक विज्ञान कॉलेज में प्रोफेसर बनने के लिए भारत लौटते हैं, जबकि विक्रम कैम्ब्रिज में अपना शोध छोड़ देते हैं और घर लौट आते हैं।

होमी जहां परमाणु विज्ञान में रुचि रखते हैं, वहीं विक्रम का सपना देश का पहला रॉकेट बनाने का है। वे एक साथ काम करते हैं। जहां होमी प्रोफेसर हैं और विक्रम उनके स्टूडेंट हैं। धीरे-धीरे दोनों दोस्त बन जाते हैं।

हालांकि कई मुद्दों पर दोनों के विचार मेल नहीं खाते और झगड़ा लगातार चलता रहता है, फिर भी उनकी दोस्ती बरकरार रहती है। दोनों का व्यक्तित्व यहां विरोधाभासी लगता है।

1942 में महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन से प्रभावित होकर होमी और विक्रम अंग्रेजों के यूनियन जैक को उतार कर कॉलेज में स्वराज का तिरंगा फहराते हैं और उनका कठिन समय यहीं से शुरू होता है। होमी कॉलेज से अपनी नौकरी छोड़कर मुंबई चले जाते हैं और जेआरडी टाटा के साथ अपनी नई यात्रा शुरू करते हैं।

वहीं दूसरी ओर विक्रम अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने पिता के व्यवसाय (कपड़ा मिल) में मदद करने लगते हैं। वे कपड़ा मिलों का आधुनिकीकरण करना चाहते हैं लेकिन उन्हें संघ के नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ता है।

ऐसे में उनका रॉकेट बनाने का सपना थम जाता है। यहां से रॉकेट बॉयज की कहानी दो महान-दिमागों के भ्रम, सपनों को सच करने में आने वाली बाधाओं, निजी जीवन के उतार-चढ़ाव और भावनात्मक उथल-पुथल को सामने लाती है।

जहां विक्रम को एक नर्तकी मृणालिनी (रेजिना कैसेंड्रा) से प्यार हो जाता है और वे शादी कर लेते हैं, वहीं वकील पिप्सी (सबा आजाद) के लिए होमी का प्यार अधूरा रह जाता है।

होमी और विक्रम साराभाई के आलावा इस सीरीज़ में सी वी रमन जोकि भारतीय भौतिक शास्त्री थे और ए पी जे अब्दुल कलाम (अर्जुन राधाकृष्णन) जो बाद में “मिसाइल-मैन” के नाम से जाने गए जैसे महान वैज्ञानिक भी कहानी के हिस्से के रूप में सामने आते हैं।

होमी और विक्रम के किरदार यहां खूबसूरती से उभरे हैं। जिम सर्भ और इश्वाक सिंह ने अपनी भूमिका प्रभावी ढंग से निभाई है। जिम सर्भ को यहां उनके अंदाज से याद किया जाता है तो वहीं इश्वाक सिंह की सादगी मनमोहक है।

यह तो थी वेब सीरीज में होमी और विक्रम की कहानी, अब जानते हैं होमी जहांगीर भाभा के बारे में कुछ रोचक तथ्य:-

  • होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता एक जाने-माने मशहूर वकील थे और इनकी माता जी एक बड़े घराने से थी।
  • भाभा की रूचि केवल विज्ञान ही नहीं वे कला प्रेमी भी थे। वनस्पतिशास्त्री होने के अलावा उन्हें पेंटिंग, शास्त्रीय संगीत और ओपेरा सुनना बहुत पसंद था।
  • वह मालाबार हिल्स में एक विशाल औपनिवेशिक बंगले में रहते थे जिसका नाम मेहरानगीर है।
  • 1939 में, वे केवल एक संक्षिप्त अवकाश के लिए भारत आए थे लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के कारण कैम्ब्रिज में अपना शोध पूरा करने के लिए वापस नहीं जा सके। इसलिए वह एक पाठक के रूप में बैंगलोर में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में शामिल हो गए।
  • एक छात्र के रूप में, होमी ने कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम थ्योरी के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई।
  • उन्होंने ही मेसन कण (Meson Particle) की पहचान की। उन्होंने कॉस्मिक विकिरणों को समझने के लिए जर्मन भौतिकविदों में से एक के साथ कैस्केड सिद्धांत के ऊपर काम किया।
  • वह 1955 में आयोजित परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर पहले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के पहले अध्यक्ष थे।
  • 1954 में, उन्हें परमाणु विज्ञान में उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 1942 में एडम्स पुरस्कार भी जीता और उन्हें  रॉयल सोसाइटी के फेलो से भी सम्मानित किया गया।
  • वह चाहते थे कि दुनिया भर में परमाणु हथियारों को गैरकानूनी घोषित किया जाए और परमाणु ऊर्जा का उपयोग गरीबी को कम करने के लिए किया जाए।
  • वह अपने काम के प्रति इतने जुनूनी थे कि वे जीवन भर कुंवारे रहे और अपना सारा समय विज्ञान को समर्पित कर दिया।
  • 24 जनवरी 1996 को माउंट ब्लैंक के पास एक रहस्यमयी हवाई दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। कुछ सिद्धांतों का दावा है कि भारत के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए उन्हें सीआईए द्वारा मार दिया गया था।
  • होमी भाभा की मृत्यु से ठीक 14 दिन पहले, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी ताशकंद (Tashkent) में रहस्यमयी मौत हो गई थी।

यह भी पढ़ें :-

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR