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रसेल वाइपर : बिजली की रफ़्तार से हमला करता है ये जहरीला सांप

रसेल वाइपर एशिया में पाया जाने वाला एक विषैला सांप है। इस प्रजाति का नाम स्कॉटिश पशु चिकित्सक पैट्रिक रसेल के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने सबसे पहले भारत के कई सांपों का वर्णन किया था। इस सांप को चंद्रबोरहा कहा जाता है क्योंकि इसके पूरे शरीर पर लेंटिकुलर या अधिक सटीक चंद्र चिह्न होते हैं।

रसेल वाईपर को भारत में “कोरिवाला” के नाम से जाना जाता है। हालाँकि यह इंडियन क्रेट से कम जहरीला है, फिर भी यह सांप भारत का सबसे घातक सांप है।

रसेल वाइपर ने भारत में किसी भी अन्य सांप के तुलना में सबसे ज्यादा लोगों को मारा है। देश के सभी इलाकों में पाया जाने वाला ये जहरीला सांप हमला करने से पहले ही तेज आवाज करता है। ये घर के पुरानी दीवार के छेद में, बाल्टी, यहाँ तक की फूलदान के अंदर भी पाया जा सकता है, जो इसे बहुत खतरनाक बनाता है।

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यह बेहद गुस्सैल सांप बिजली की तेज़ी से हमला करने में सक्षम है। ये जो जहर छोड़ता है उसका नाम हेमोटॉक्सिन है। इसके काटने से रक्त नलिकाएं जगह जगह से फट जाती हैं जिससे रक्त स्राव होता है जिससे व्यक्ति की एक घण्टे के अंदर मौत हो जाती है।

यदि समय रहते एंटीवेनम इंजेक्शन लगवा लिया जाये तो मरीज़ की जान बच सकती है। इसके काटने की वजह से भारत में हर साल लगभग 25,000 लोगों की मौत हो जाती है।

आकार और आवास

ये सांप गहरे पीले, भूरे या भूरे रंग के होते हैं, जिनके शरीर की लंबाई तक गहरे भूरे रंग के धब्बों की तीन श्रृंखलाएँ होती हैं। इनमें से प्रत्येक धब्बे के चारों ओर एक काला घेरा होता है, जिसकी बाहरी सीमा सफेद या पीले रंग की होती है।

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इसका सिर चपटा और त्रिकोणीय होता है। इस सांप का आकार युवावस्था में 4 फ़ीट तक लंबा होता है। इसके शरीर का बीच का भाग क़रीब 2 से 3 इंच तक मोटा होता है।

ये सांप किसी विशेष निवास स्थान तक ही सीमित नहीं हैं । वे ज्यादातर खुले, घास वाले या झाड़ीदार क्षेत्रों में पाए जाते हैं और घने जंगलों से बचते हैं।

आहार

रसेल वाईपर चूहे और अन्य छोटे जंतुओं को खाता है। वे मुख्य रूप से रात्रिचर वनवासी होते हैं। ये अधिकतर रात को ही शिकार पर निकलता है और दिन के समय धूप में रहना पसंद करते हैं। बाकी समय बिलों में, मिट्टी की दरारों में, या पत्तों के कूड़े के नीचे छिपकर व्यतीत करता है।

Russell Viper snake

प्रज्जन

रसेल वाइपर ओवोविविपेरस होते हैं जिसका अर्थ है कि मादाएं युवा रहने के लिए बच्चे को जन्म देती हैं। संभोग आम तौर पर वर्ष के शुरुआत में होता है, हालांकि गर्भवती मादाएं किसी भी समय पाई जा सकती हैं।

गर्भधारण की अवधि 6 महीने से अधिक समय तक रहती है। एक समय पर मादा लगभग 20-40 बच्चों (स्नेकलेट्स) को जन्म देती है। जन्म के समय बच्चों की कुल लंबाई 8.5 से 10.2 इंच होती है।

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