दालचीनी एक सदाबहार वृक्ष है जोकि 10 से 15 मीटर लम्बा होता है। यह दक्षिण भारत और श्रीलंका में पाया जाता है। इसकी अलग गंध होने के कारण इसकी छाल का इस्तेमाल मसालों में किया जाता है।
इसके स्वाद का कारण इसमें पाया जाने वाला सुगंधित तेल है। यह तेल पीले सुनहरे रंग का होता है। इसका स्वाद गर्म सुगंधित होता है।
वहीं शहद एक मीठा और चिपचिपा द्रव्य है जो मधुमक्खियों द्वारा पैदा किया जाता है। वे इसे फूलों के पराग से पाती हैं। इसमें कैंसर और ट्यूमर रोधी गुण पाए जाते हैं।
जब कच्चे शहद को बड़े पैमाने पर संसाधित तथा गर्म किया जाता है तो इसके फायटोन्यूट्रियंट’ कम हो जाते हैं। शहद में ज्यादातर सूक्ष्म जीव पैदा नहीं होते क्योंकि इसमें पानी की कम क्रियाएं होती हैं।
शहद विश्व के प्रत्येक देश में मिलता है। शहद के कोई भी दुष्प्रभाव नहीं हैं। आज का विज्ञान मानता है कि बेशक शहद मीठा होता है मगर यदि इसका सेवन दवाई के तौर पर उचित मात्रा में किया जाए तो शूगर के मरीजों के लिए यह हानिकारक नहीं हो सकता।
शहद और दालचीनी के एक साथ प्रयोग करने के चमत्कारी फायदे
दालचीनी पाऊडर और शहद के मिश्रण से कई बीमारियों का उपचार होता है। आज के वैज्ञानिक इसे कई बीमारियों के लिए रामबाण मानते हैं।
पश्चिमी देशों में हुए शोध में पाया गया है कि यदि नाश्ते में दालचीनी पाऊडर और शहद के मिश्रण को मक्खन, जैली और जैम के स्थान पर बैड पर निरंतर लगाकर खाया जाए तो इससे कई बीमारियों का उपचार संभव हो सकता है।
शहद तथा दालचीनी का रोजाना सेवन शरीर की बीमारियों से लड़ने की ताकत को भी बढ़ा कर बैक्टीरियल तथा वायरल इंफैक्शन से रक्षा करता है।
शहद तथा दालचीनी पाऊडर का एक साथ उपयोग करना दिल की बीमारियों, जोड़ों के दर्द, वात रोग, मूत्राशय में संक्रमण, दांतों का दर्द, कोलेस्ट्रोल, प्रतिरक्षा तंत्र, बदहजमी, लम्बी उम्र, कील मुंहासे, चमड़ी रोग, वजन कम होना, कैंसर, बदबूदार सांस और बहरेपन के लिए फायदेमंद है।
भोजन करने से पहले 2 चम्मच शहद पर थोड़ा-सा दालचीनी पाऊडर छिड़क कर खाने से एसिडिटी नहीं होती तथा हाजमा सही रहता है।
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