परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण (गहना) है जो वीरता और बलिदान के लिए दिया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है।
इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है।
अब तक भारत में कुल 21 वीर योद्धाओं को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका डिजाइन किसने तैयार किया था? अगर नहीं जानते तो चलिए जानते हैं इस लेख के माध्यम से:-
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश के इस सर्वोच्च सैन्य सम्मान का डिजाइन एक विदेशी महिला ने तैयार किया था। उस महिला का नाम इवा योन्ने लिंडा था और वह स्विट्जरलैंड की रहने वाली थी। इनका जन्म 20 जुलाई 1913 को हुआ था उनकी मां रूसी और पिता हंगरी थे।
उनके पिता पेशे से लाइब्रेरियन थे इसलिए बचपन से ही उन्हें कई किताबें पढ़ने को मिलती रहीं। किताबों के जरिए ही उन्होंने भारतीय सभ्यता को जाना।
1929 में इवा की मुलाकात विक्रम रामजी खानोलकर से हुई। विक्रम इंडियन आर्मी कैडेट के सदस्य थे। वे ब्रिटेन के सेंडहर्स्ट में रॉयल मिलिट्री अकेडमी में ट्रेनिंग के लिए गए थे।
इवा रामजी से शादी करना चाहती थीं लेकिन उनके पिता इस बात के लिए राजी नहीं हुए। लेकिन कुछ सालों बाद इवा भारत आ गईं और 1932 में दोनों ने लखनऊ में मराठी रीति रिवाज के साथ शादी कर ली।
हिंदू धर्म अपनाने के बाद उन्होंने अपना नाम भी बदलकर सावित्री बाई खानोलकर कर लिया। पूरी तरह से इंडियन कल्चर में ढल चुकी सावित्री ने अपना पहनावा भी बदल लिया।
उन्होंने हिंदी, मराठी और संस्कृत भाषा भी सीखी। कुछ समय बाद प्रमोशन पाकर कैप्टन विक्रम मेजर बन गए और उनकी पोस्टिंग पटना में हो गई।
बस यहीं से सावित्री देवी की जिंदगी पूरी तरह बदल गई। यहां उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और संस्कृत नाटक, वेद, और उपनिषद की शिक्षा ली।
स्वामी रामकृष्ण मिशन का हिस्सा बनकर वह सतसंग, संगीत और नृत्य में निपुण हो गई। तभी उनकी मुलाकात मशहूर उस्ताद पंडित उदय शंकर से हुई और वह उनकी शिष्या बन गईं।
इसी दौरान उन्होंने ‘सेंट्स ऑफ़ महाराष्ट्र‘ और ‘संस्कृत डिक्शनरी ऑफ़ नेम्स‘ नामक दो किताबें भी लिखी जोकि काफी फेमस हुई।
ऐसे मिला परमवीर च्रक डिजाइन करने का मौका
1947 में सरकार द्वारा भारत-पाक युद्ध में साहस दिखाने वाले वीरों को सम्मानित करने के लिए नए पदक पर काम चल रहा था, जिसकी जिम्मेदारी मेजर जनरल हीरा लाल अट्टल को सौंपी गई थी।
उन्होंने इस काम के लिए सावित्री बाई को चुना क्योंकि वो उन्हें ज्ञान का भंडार मानते थे और साथ ही वो एक अच्छी पेंटर व आर्टिस्ट भी थीं।
बहुत मेहनत के बाद उन्होंने अट्टल जी को डिजाइन्स भेजा। इस डिजाइन को उसी समय स्वीकार कर लिया गया। डिजाइन पास होने के बाद उसे रंग-रूप दिया गया।
26 जनवरी 1950 को भारत के पहले गणतंत्र दिवस पर सैनानियों को इससे सम्मानित किया गया। सावित्री बाई द्वारा डिजाइन किया गया परमवीर चक्र सबसे पहले मेजर सोमनाथ शर्मा को प्रदान किया गया था।
कई भारतीय सम्मान किए डिजाइन
परमवीर चक्र को बैंगनी रंग की रिबन की पट्टी 3.5 सेमी व्यास वाले कांस्य धातु की गोलाकार कृति बनाई, जिसके चारों तरफ वज्र के 4 चिह्न, बीच में अशोक की लाट से लिए गए राष्ट्र चिह्न, दूसरी ओर कमल का चिह्न जिसमें हिंदी-अंग्रेजी में परमवीर चक्र लिखा गया था।
उसके बाद सावित्री ने महावीर चक्र, वीर चक्र और अशोक चक्र की डिजाइन भी तैयार किया। विक्रम के इस दुनिया से चले जाने के बाद सावित्री ने अपना जीवन समाज सेवा को समर्पित कर दिया।
1990 में उनकी मृत्यु के समय तक वे रामकृष्ण मिशन का हिस्सा रहीं।
यह भी पढ़ें :- भारतीय संविधान बनाने में इन महिलाओं का था विशेष योगदान