नाखून मनुष्यों के हाथ तथा पांव की उंगलियों के आख़िरी हिस्से के ऊपरी भाग में एक ठोस कवचनुमा आवरण होता है। यह वानरों और कुछ अन्य स्तनपाइयों में भी विद्यमान होता है। यह एक कठोर प्रोटीन कॅराटिन से बना होता है पशुओं के सींग और खुरों भी इसी पदार्थ के होते हैं।
जहाँ तक साज सज्जा की बात करें तो महिलाओं में अपने नाखुनो के प्रति बड़ा लगाव होता है और महिलाएं अपने नेल्स पर पहले साधारण नेल पेंट लगाया करतीं थी मगर अब बाजार में अनेकानेक कलर्स डिज़ाइन्स अर्टिफिसल नेल्स आने लगे हैं
और महिलाओं में यह एक आकर्षण का केंद्र भी माना जाता है अभी काफी समय से अमेजिंग नेल आर्ट स्टूडियो ने भी अपनी एक नई पहचान बनाई है और महिलाओं में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है।
आज इस पोस्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं नाखूनों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य :
सबसे लंबे नाखून
विश्व में सबसे लंबे नाखूनों का रिकॉर्ड भारत के श्रीधर लाल के नाम था। उन्होंने 66 साल बाद साल 2018 में अपने नाखून कटवा लिए। आखिरी बार श्रीधर ने जब अपने नाखूनों का नाप लिया था तब वे तकरीबन 909 सैंटीमीटर लंबे थे।
नाखून चबाने की आदत
नाखून चबाने की आदत को मैडिकल भाषा में ‘ऑनिकोफेजिया‘ कहा जाता है। वैसे तो नाखून चबाने की कोई निश्चित वजह नहीं है लेकिन आमतौर पर यह आदत बचपन में शुरू होती है लेकिन एक बार शुरू होने के बाद, इसे रोकना मुश्किल होता है।
अक्सर जिन लोगों को नाखून चबाने की आदत होती है वे ऐसा तब करते हैं जब उन्हें किसी वजह से ‘एंग्जाइटी‘ यानी बेचैनी महसूस होती है क्योंकि नाखून चबाने से तनाव और नीरसता दूर करने में मदद मिलती है।
नाखूनों के अलग-अलग हिस्से
‘क्यूटिकल’: यह त्वचा की पतली परत होती है जो सतह पर नाखून के उभरने से ठीक पहले नाखून और उसकी जड़ को ढंक लेती है।
‘नेल प्लेट‘ : इसे ‘बॉडी ऑफ नेल‘ के रूप में भी जाना जाता है। यही नाखून का प्रमुख हिस्सा है जो अमीनो एसिड से बना ‘कॅराटिन‘ प्रोटीन होता है।
‘नेल फोल्ड’ : यह वह हिस्सा है जो नाखून की जड़ में नेल ‘मैट्रिक्स‘ को घेरता है। यह नाखून को बाकी त्वचा से जोड़ता है।
‘नेल मैट्रिक्स‘: वह हिस्सा जहां आपके नाखून बढ़ने लगते हैं। यह नई त्वचा कोशिकाओं का निर्माण करता है जो पुरानी मृत त्वचा कोशिकाओं को बाहर निकालकर हाथों और पैरों की उंगलियों के नाखूनों दोनों का निर्माण करता है।
‘नेल लुनुला’ : यह नाखून के तल पर पाया जाता है जो नाखून की जड़ का दिखने वाला हिस्सा है। हर नाखून पर यह एक घुमावदार सफेद निशान जैसा दिखता है। हालांकि, यह भी जरूरी नहीं है कि हर किसी के ‘लुनुला‘ दिखाई दें।
‘नेल बैड’ : वह हिस्सा जिस पर अधिकांश नाखून टिका होता है। इसकी चोटें दर्दनाक हो सकती हैं और उंगलियों का उपयोग करने से रोक सकती हैं।
‘नेल हाइपोनीचियम’: यह ‘नेल प्लेट‘ के मुक्त किनारे और उंगलियों की त्वचा के बीच का क्षेत्र है। ये नाखूनों को वाटरप्रूफ भी बनाते हैं।
‘नेल फ्री एज’ : नाखून का अंत जो उंगलियों के सिरे से आगे तक फैला होता है – जिसे ‘फ्री नेल एंगल‘ या ‘डिस्टल नेल प्लेट‘ के रूप में भी जाना जाता है। यह नाखून का ‘मृत’ या दर्द रहित हिस्सा है।
‘एपोनिचियम‘: यह उंगलियों और पैर के नाखूनों के आसपास त्वचा की मोटी परत होती है। इसे ‘मेडियल‘ या ‘नेल फोल्ड‘ भी कहा जा सकता है।
पंजाब केसरी से साभार
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