बारिश के मौसम में पेट दर्द, गैस, फूड इंफेक्शन की समस्याएं बढ़ जाती हैं जिससे हमारी पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है। इस तरह की समस्या के होने का कारण एवं उपचार हमारे प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में विस्तृत रूप से वर्णित किये गए है।
आयुर्वेद में एक वर्ष को छह ऋतुओं में बांटा गया है, जो दो काल में विभाजित है। अदन काल और विसर्ग काल। अदन काल में शिशिर, बसंत और ग्रीष्म ऋतु होती हैं, इन ऋतुओं में क्रमशः मनुष्य की शक्ति क्षीण होती जाती है और गर्मी के मौसम में मनुष्य का बल सबसे कम होता है। इस समय जठराग्नि (गैस्ट्राइटिस) भी कमजोर होती है।
वर्षा ऋतु के आगमन से विसर्ग काल प्रारंभ होता है। इसमें वर्षा, शरद और हेमंत ऋत हैं। विसर्ग काल में मनुष्य का बल क्रमशः बढ़ता है। ग्रीष्म और वर्षा ऋतु में मनुष्य का बल सबसे कम होता है और उसके अनुसार जठराग्नि ग्रीष्म ऋतु में दुर्बल होती है, इसलिए वर्षा ऋतु में भी जठराग्नि (गैस्ट्राइटिस) अधिक कमजोर हो जाती है।
वर्षा ऋतु में भूमि से भाप निकलने, आकाश से जल बरसने तथा जल का अम्लीकरण होने के कारण पाचन शक्ति और भी कमजोर हो जाती है, जिसके कारण मनुष्य के खान-पान में थोड़ी भी लापरवाही उसे फूड इंफेक्शन का शिकार बना देती है।

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आयुर्वेद आचार्यों ने वर्षा ऋतु में तीनों दोषों (वात, पित्त, कफ) का शमन (कम) करने वाली क्रिया करने का उल्लेख किया है। अर्थात् तीनों दोषों को दवाओं और दिनचर्या के माध्यम से शरीर में संतुलित रखना चाहिए।
खाने में क्या शामिल करें
पुराने जौ, गेहूं, चावल का संभव हो तो उपयोग करें, क्योंकि नया अन्न पचने में भारी होता है। मूंग दाल का सेवन अधिक करें। सब्जियों में परवल, कद्, करेला, लौकी, बैंगन आदि का अधिक प्रयोग करें।
क्या शामिल न करें
फास्ट फूड, तले हुए खाद्य पदार्थ आलबड़ा, समोसा, कचौरी और लड्डू, सत्तू आदि न खाएं। इस मौसम में दही को आयुर्वेद में वर्षा ऋतु में निषेध किया गया है, क्योंकि दही तासीर से गर्म होता है और पचने में भारी होता है।
बारिश के मौसम ऐसे करें उपचार
उल्टी होने पर
• एक बर्तन में 20 ग्राम तुअर (अरहर) की दाल धोकर उसमें 50 मिलीग्राम पानी में मिलाएं। एक घंटे बाद पानी को छान लें और 15-15 मिनट पर एक-एक चम्मच सेवन करें।
• पुदीने की पत्ती-40, कालीमिर्च-5 ग्राम, काला नमक-2 ग्राम, इमली-4 ग्राम इन सभी को मिलाकर पीसकर 15-15 मिनट के अंतर से आधा-आधा चम्मच लें।
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दस्त होने पर
आम और जामुन या दोनों में से किसी एक के पत्ते को छोटे-छोटे टुकड़े करके पानी में उबालें। जब एकचौथाई पानी बचे तब उस काढ़े को आंच से उतार लें। 50 से 100 एमएल की मात्रा में इसका सेवन करने से उल्टी और दस्त दोनों ही समस्या से राहत मिलती है।
पेट दर्द होने पर
- हॉट वॉटर बैग या बॉटल में गर्म पानी भरकर सिकाई करने से आराम मिलेगा।
- एक चम्मच अजवाइन का गर्म पानी के साथ सेवन करें।
- पुदीने के रस की दो-चार बूंदें बताशे में या पानी में डालकर लें।

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क्या करना चाहिए
- खाने में ऐसी वस्तुओं का सेवन करें, जो आपकी पाचन शक्ति को बल दें जैसे पिप्पली, काली मिर्च, अदरक, अजमोदादि चूर्ण, पंचकोल चूर्ण आदि।
- भोजन में भारतीय मसाले जो सामान्यतः हम अपने किचन में प्रयोग करते है, जैसे अजवाइन, जीरा, हींग, हल्दी आदि का प्रचुर मात्रा में प्रयोग करें।
- भोजन अदरक का प्रयोग जरूर करें।
- पानी उबालकर ठंडा करके पिएं।
- हरड़, जिसे हरीतकी भी कहते हैं, वर्षा ऋतु में इसका सेवन सेंधा नमक के साथ करना चाहिए। इसके सेवन से वर्षा ऋतु में होने वाले विभिन्न रोगों से रक्षा होती है।
- खाने में शुद्ध घी का भी प्रयोग करें। रोटी में घी लगाकर खाएं या दाल, खिचड़ी में घी डालकर खाएं।
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