अमेरिकी संसद का लोकप्रिय ‘कैंडी डैस्क’

अमेरिकी संसद के सीनेट में दाहिनी ओर के एक मेज का दराज हमेशा टॉफियों और चॉकलेट से भरा रहता है। मीठा पसंद करने वाले सीनेटर इस ‘कैंडी डैस्क’ का लाभ कभी भी ले सकते हैं। हालांकि, इसे डैमोक्रेट्स का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यह ‘कैंडी डैस्क’ सीनेट में रिपब्लिकन्स वाले हिस्से में है।

‘कैंडी डैस्क’ की परम्परा 1965 में शुरू हुई, जब सीनेटर जॉर्ज मर्फी हमेशा अपने सहयोगियों के लिए अपने मेज की दराज में कैंडी रखा करते थे। 1971 में उनके सीनेट छोड़ने के बाद उनके उत्तराधिकारियों ने इस परम्परा को जारी रखा। चैम्बर में खाने पर भले ही पाबंदी हो, लेकिन कोई भी चॉकलेट्स से दूर नहीं रहना चाहता है।

इस परम्परा की शुरूआत एक ऐसे व्यक्ति ने की जिसे मीठा खूब पसंद था और वह हमेशा इन्हें अपने पास रखता था। फिर उसने पाया कि उसका कैंडी और चॉकलेट से भरे दराज वाला मेज रुकने, मुंह मीठा करने तथा गुफ्तगू करने की एक लोकप्रिय जगह बन गया है।

मर्फी का मेज चैम्बर के सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले प्रवेश द्वार के निकट है। जिस ढंग से सीनेट में सीटें विभाजित हैं। ‘कैंडी डैस्क’ के कभी भी डैमोक्रेट्स के पास जाने की सम्भावना नहीं है। इस बात में भी सभी की रुचि रहती है कि किस सीनेटर को ‘कैंडी डैस्क’ मिलेगा।

इसका हकदार वह सीनेटर होता है जिसे सीनेट में सबसे ज्यादा वक्त हो चुका हो। इस मेज को जीतने वाला सीनेटर आमतौर पर अपने राज्य की कंफैक्शनरी इंडस्ट्री के संकेत को अपने डैस्क पर लटकाता है और कैंडी डैस्क में रखने के लिए केंडी और चॉकलेट उसी के राज्य की कंफैक्शनरी इंडस्ट्री दान करती है।

यद्यपि सीनेटर्स द्वारा 100 डॉलर से ज्यादा मूल्य के उपहार प्राप्त करने पर पाबंदी है, यह रोक उन उत्पादों पर लागू नहीं होती जो उनके गृह राज्य में निर्मित हों और जिन्हें तीसरे पक्ष को दिया जाए। पैट टूमी से पहले ‘कैंडी डैस्क’ पर बैठने वाले मार्क किर्क ने इसे मार्स बार, मिल्की वे, जैली बेलीज से भर दिया था। जो सभी उनके राज्य इलिनोइस में बनने वाली कंफैक्शनरी हैं।

उनसे पहले ‘कैंडी डैस्क’ पर पूर्व राष्ट्रपति उम्मीदवार जॉन मैक्केन शामिल रहे हैं। पैट टूमी को यह सीट अंतिम वर्ष ही मिली है। वह कहते हैं, सभी जानते हैं कि पैंसिलवेनिया अमेरिका की कैंडी राजधानी है।

यह एकदम सही है कि मुझे कैंडी मैन बनाया गया। उनका राज्य 200 कंफैक्शनरी कम्पनियों का केंद्र है और वह अपने ‘कैंडी डैस्क’ को भर कर रखते हैं। यहां तक कि डैमोक्रेट्स भी कैंडी डैस्क पर आते हैं। उन्होंने भी कैंडी और चॉकलेट्स रखनी शुरू कर दी हैं लेकिन उन्हें उन पर अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है।

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ममी को मिला नया अवतार, लगा नया सिर!

देखिये कितने अनोखे है ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के पड़ोसी

सैंट्रल लंदन में ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के महल बकिंघम पैलेस के पड़ोस में कुछ पेलिकन यानी बड़े आकार वाले बत्तख जैसे पक्षी भी रहते हैं।

डक आईलैंड पर सेंट जेम्स पार्क में पेलिकनों को रखने की परम्परा का अपना एक इतिहास है। वर्ष 1684 में इसकी शुरूआत हुई जब रूसी राजदूत ने किंग चार्ल्स द्वितीय को पहले पेलिकन भेंट किए। पानी में रहना पसंद करने वाले इन पक्षियों को अब चिड़ियाघरों से यहां लाया जाता है।

फिलहाल यहां जो तीन पेलिकन हैं उनके नाम टिफैनी, गार्गी तथा आयला हैं। इस पार्क से पेलिकन केवल एक ही बार द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दूर रहे जब उन्हें लंदन चिड़ियाघर में रखा गया था। युद्ध के बाद उन्हें यहां वापस लाया गया। आज ये पेलिकन पार्क के प्रमुख पर्यटक आकर्षण बन चुके हैं।

1975 से पार्क के जानवरों की देखभाल का काम देख रहे मैलकम केर बताते हैं, “हमारा एक पेलिकन विशेष रूप से भरोसेमंद था क्योंकि उसे लोगों ने ही पाला-पोसा था। उसे लगता था कि वह भी एक इंसान है। वह हमेशा पर्यटकों के बगल में बैंच पर बैठता था।” एक अन्य पेलिकन करीब स्थित रेस्तरां के खिसकने वाले दरवाजे से होकर टेबलों से खाना चुराया करता था।

मैलकम प्रतिदिन दो बजे पेलिकनों को खाने को मछलियां देते हैं। हर पक्षी प्रतिदिन 10 से 12 मछलियों का सेवन करता है जिन्हें इंगलैंड के आसपास समुद्र से पकड़ा जाता है। हर मछली में एक विटामिन की गोली भी डाली जाती है। ये पक्षी 55 वर्ष की आयु तक जी सकते हैं। हालांकि, गत दिनों एक पेलिकन दिल के रोग की वजह से 20 साल में ही चल बसा था।

पार्क में रहने वाली गार्गी नामक पेलिकन को 1996 की एक सर्द सुबह एक व्यक्ति ने अपने घर के बगीचे में पाया था। फिर उसे सेंट जेम्स पार्क के रूप में नया घर मिल गया । कोई नहीं जानता कि इससे पहले वह कहां से आया था। हो सकता है कि वह फ्रांस से इंगलिश चैनल को पार करके यहां पहुंचा हो।

ये सुंदर पक्षी इंगलैंड की कड़ाके की सर्दी को भी सरलता से झेलने में प्राकृतिक रूप से सक्षम हैं। सर्दी लगने पर जहां इंसानों के रौंगटे खड़े होने लगते हैं, वहीं पेलिकन के पंखों की जड़ों की ओर खून का दौरा बढ़ जाता है। इससे उनकी त्वचा एकदम लाल हो जाती है जो पंखों के नीचे गुलाबी रंग में चमकती प्रतीत होती है। इस तरह से उनका शरीर कड़ाके की ठंड में भी गर्म रहता है।

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ममी को मिला नया अवतार, लगा नया सिर!

ममी को मिला नया अवतार, लगा नया सिर!

करीब 2700 वर्ष पूर्व मिस्र के एक व्यक्ति की मौत के बाद उसे ममी का रूप दिया गया था परंतु न जाने कब उसका सिर खो गया। अब जर्मनी की मुन्सटर यूनिवर्सिटी में उसे नया सिर लगाया गया है।

वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि वह लगभग 30 वर्ष के पुरुष की ममी थी। मिस्र की परम्परा के अनुसार उसके शरीर को संरक्षित रखने के लिए उसकी अंतड़ियां निकाल कर, लेप लगा कर कपड़े की पट्टियों में लपेट दिया गया था।

इस की खोज के बाद इसे खोजने वाले इसे जर्मनी ले आए। जिस ताबूत में यह है वह उससे भी 250 वर्ष पुराना है जिससे पता चलता है कि उसे ज्यादा दामों में बेचने के लालच में उसके साथ ये बदलाव किए गए होंगे।

19वीं सदी में ममी तलाश करके बेचने का काम काफी फल-फूल रहा था। उपनिवेशवादी काल के पुरातत्वविद् उन्हें खोज-खोज कर यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका को भेज रहे थे। इन्हें बेच कर वे अपनी खोज व शोध का खर्च भी उठा पाते थे।

मुन्सटर यूनिवर्सिटी को यह मम्मी 1878 में मुएलहीम कस्बे के कोनराड जीगलर स्कूल ने पर्मानेंट लोन के रूप में सौंपी थी। हालांकि, स्कूल को यह कहां से मिली इस बारे में पुख्ता रिकॉर्ड नहीं है।

इस पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों को लगा कि यह भी वैसी ही कोई ममी होगी जिनके अंग लापरवाही की वजह से टूट जाते थे या उन्हें अलग से बेचने के लिए काट दिया जाता था परंतु इसके ताबूत में उन्हें इस मम्मी के सिर की हड्डियों के टुकड़े मिले जो इस बात की सम्भावना थी कि इसे खोलते वक्त गलती से इसका सिर गिर गया होगा।

इसे नया सिर लगाने की जिम्मेदारी मशहूर ममी रैस्टोरर जेन्स लॉक को सौंपी गई। उन्होंने इसे नया सिर लगाने में खासी मेहनत की और अब इसे प्रदर्शित किया जा रहा है।

आशा भोंसले जी के जीवन के बारे में कुछ बातें

 

जानिए बॉलीवुड के स्टार अक्षय कुमार के बारे में कुछ बातें

बॉलीवुड  के  स्टार  अक्षय  कुमार  एक  खूबसूरत  और  आकर्षक  अभिनेता  हैं। जिन्होंने  ने  पिछले  कुछ  सालों  में  एक  से एक  बढ़कर  हिट  फ़िल्में  दी  हैं। जिसके  चलते  वे  सिल्वर  स्क्रीन  पर  छाए हुए  हैं।  आइए  जानते  है  उनके  जन्म  दिन  पर  कुछ  बातें:

अक्षय कुमार का जन्म 9 सितंबर 1967 को अमृतसर (पंजाब) में हुआ था। उनका असली नाम राजीव हरि ओम भाटिया है। उनके पिता हरि ओम भाटिया मिलेटरी आफिसर थे। उनकी माता का नाम अरूणा भाटिया है। अक्षय की एक बहन भी हैं जिनका नाम अलका भाटिया है। उनकी स्कूली पढ़ाई डॉन बोस्को हाई स्कूल, मिरीक, दार्जिलिंग में हुई है और आगे की पढ़ाई गुरु नानक खालसा कॉलेज (किंग्स सर्किल) मुंबई से हुई है। भारत में ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट हासिल करने के बाद अक्षय ने थाईलैंड के बैंकॉक में मार्शल आर्ट्स की पढ़ाई की।

  • बॉलीवुड में आने से पहले अक्षय कुमार ने कई छोटे मोटे काम भी किए। अक्षय का बचपन दिल्ली के चांदनी चौक की गलियों में बीता। अक्षय को बचपन से ही स्पोटर्स का काफी शौक था, मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के लिए अक्षय बैंकॉक गए और वहां उन्हें शेफ की नौकरी मिल गई। हालांकि उनका सपना था आर्मी में या नेवी में जाने का।  एक्टिंग के बारे में तो अक्षय ने कभी सोचा भी नहीं था।
  • अक्षय ने खाना बनाने से लेकर कार्ड बेचने तक का काम किया। अपनी जरूरत पूरी करने के लिए उन्होंने कई छोटे काम भी किए, बैंकॉक से काम की तलाश में अक्षय को बांग्लादेश भी जाना पड़ा, वहां से कोलकाता जाकर अक्षय ने एक ट्रेवल एंजेसी में भी काम किया। कोलकाता से अक्षय मुंबई पहुंचे जहां वो कुंदन के गहने बेचने लगे।
  • अपने दोस्त के सुझाव पर, उन्होंने मॉडलिंग की दुनिया में कदम बढ़ाया और उन्हें सफलता भी प्राप्त हुई। उन्ही दिनों अक्षय की मुलाक़ात गोविंदा से हुई, जिन्होंने उन्हें हीरो बनने की सलाह दी। 1990 में उन्होंने एक्टिंग का कोर्स भी किया, जिसके बाद उन्हें एक फिल्म का ऑफर मिला, जब फिल्म रिलीज हुई तो पता चला कि उनका रोल सिर्फ 7 सेकेंड का था।
  • इस फिल्म के हीरो का नाम था अक्षय। उसी वक्त राजीव भाटिया यानी अक्षय ने अपना नाम बदलकर उस फिल्म के हीरो के नाम पर अक्षय रख लिया, तो इस तरह राजीव भाटिया अक्षय कुमार बन गए। मुख्य अभिनेता के तौर पर अक्षय के करियर की शुरुआत ‘सौगंध’ फिल्म से हुई थी। हालांकि, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी।
  • वे 100 से अधिक हिन्दी फिल्मों में काम कर चुके हैं। बॉलीवुड में अक्षय कुमार खिलाड़ी नाम से बहुत लोकप्रिय हैं। क्योंकि उन्होंने “खिलाड़ी” शीर्षक की आठ फिल्मों में अभिनय किया : खिलाड़ी, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, सबसे बड़ा खिलाड़ी, खिलाड़ियों का खिलाड़ी, इंटरनेशनल खिलाड़ी, मिस्टर एंड मिसेज़ खिलाड़ी, खिलाड़ी 420 और खिलाड़ी 786।
  • अक्षय कुमार का नाम कई हीरोइनों के साथ भी जुड़ा। उनका नाम पूजा बत्रा, रेखा, रवीना टंडन, शिल्पा शेट्टी आदि हीरोइनों के साथ नाम जुड़ा। 2001 में अक्षय ने राजेश खन्ना और डिंपल कपाडि़या की बेटी ट्विंकल खन्ना से शादी कर ली। उनके दो बच्चे भी हैं। लड़का-आरव और लड़की-नितारा।
  • अक्षय कुमार हिंदी सिनेमा का जाना-माना नाम हैं, लेकिन वह इसका शो ऑफ़ कभी भी पब्लिकली नहीं करते, वो यही चीज अपने बच्चों को बताते हैं। इतना ही नहीं जब उन्होंने अपनी बेटी नितारा का एडमिशन प्ले स्कूल में कराया था। तो आम मां-बाप की तरह उन्होंने भी लाइन में लगकर अपनी बारी की प्रतीक्षा की थी।
  • उन्होंने अपनी पीठ पर अपने बेटे आरव के नाम का टैटू बनवाया हुआ है।
  • अक्षय कुमार बॉलीवुड में सबसे अनुशासित और योग्यतम अभिनेताओं में गिने जाते हैं और वह समय के बहुत पाबंद हैं, जैसे कि सुबह 4:30 बजे उठना, एक घंटा तैराकी, एक घंटा मार्शल आर्ट्स, एक घंटा योग साधना और स्ट्रेचिंग अभ्यास करना।
  • शाम 7 बजे से पहले अपना डिनर करते हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, कि 7 बजे के बाद आपका शरीर कैलोरी को बर्न नहीं करता।  मैं सुबह भी जल्दी उठता हूँ ताकि अपने रूटीन को फॉलो कर सकूँ।
  • उन्हें फिल्म ‘अजनबी’ में सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार (2002), फिल्म ‘गरम मसाला में सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार (2005),  फिल्म अजनबी में सर्वश्रेष्ठ खलनायक का आइफा पुरस्कार (2002) , फिल्म ‘मुझसे शादी करोगी’ में सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन के लिए आइफा पुरस्कार (2005) मिला है ।

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आशा भोंसले जी के जीवन के बारे में कुछ बातें

आशा  भोंसले  जी  को  कौन  नहीं  जानता। हिन्दी  फ़िल्मों  की  मशहूर  प्लेबैक  सिंगर  हैं  जो “आशा जी” के  नाम  से  जानी  जाती  है। आज  उनका  जन्म  दिन  है। आइए  जानते  है  उनके  जन्म  दिन पर उनके जीवन के  बारे  में  कुछ  ख़ास बातें:

आशा भोंसले जी का जन्म 8 सितंबर 1933 को महाराष्ट्र के ‘सांगली में हुआ। आशा भोसले, आशा ताई, आशा जी, ऐसे कई सारे नाम हैं जो प्यार से इनको को दिए गए हैं। इनके पिता दीनानाथ मंगेशकर प्रसिद्ध गायक और नायक थे जिन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा काफी छोटी उम्र में ही आशा जी को दे दी थी।

जब वो सिर्फ 9 साल की थीं तब उनके पिता का देहांत हो गया था। पिता की मृत्यु के बाद उनका पूरा परिवार मुंबई आकर रहने लगा। जिसकी वजह से उन्होंने अपनी बहन लता मंगेशकर के साथ मिलकर उन्होंने परिवार के सपोर्ट के लिए सिंगिंग और एक्टिंग शुरू कर दी थी।

जब वो महज 16 साल की थी। तब उन्होंने फैमिली के खिलाफ जाकर 31 साल के गणपत राव भोंसले से लव मैरिज की थी। क्योंकि यह शादी परिवार की इच्छा के विरुद्ध हुई थी, जिस कारण उन्हें अपना घर भी छोड़ना पड़ा था।

पर यह विवाह असफल रहा और यह शादी करीब 11 साल बाद टूट गई। कहा जाता है कि पति और उनके भाइयों के बुरे बर्ताव के कारण ये शादी टूटी थी। शादी टूटने के बाद वह अपने बच्चो के साथ अपने घर आ गयीं। आशा जी की पहली शादी से उन्हें तीन बच्चे हैं। दो बेटे और एक बेटी।

20 साल अकेले रहने के बाद 1980 में आशा जी ने राहुल देव वर्मन (पंचम) से दूसरी शादी की। यह विवाह आशा जी ने राहुल देव वर्मन के अंतिम सांसो तक सफलतापूर्वक निभाया। इनके तीन बच्चे हैं। साथ ही पांच पौत्र भी हैं।

आशा भोंसले ने अपने करियर की शुरुआत में उन्हें बेहद कड़ा संघर्ष करना पड़ा, उन्होंने अपने शुरूआती करियर में बी और सी ग्रेड की फिल्मों के लिए पार्श्व गायकी की। आशा भोंसले ने अपना पहला गीत वर्ष 1948 में सावन आया फिल्म चुनरिया में गाया था।

उन्होंने 1949 में अपना पहला हिंदी सोलो (Solo) गाना “रात की रानी” फिल्म में गाया। आशा की आवाज में विशेषता है उन्होंने शास्त्रीय संगीत, कव्वाली, भजन, ग़ज़ल और पॉप संगीत हर क्षेत्र में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है।

आशा जी 1000 से ज्यादा फिल्मों में 20 भाषाओं में 12000 से भी ज्यादा गीत गा चुकी हैं। 2011 में आशा जी  को  सबसे  ज्यादा  गाने रिकॉर्ड  करने  के  लिए  गिनेस  बुक  ऑफ़  वर्ल्ड  रिकॉर्ड  ने  चुना था।  रियाज  को  आशा जी अपनी  सफलता  का  राज  मानती  है। बुलंदियों  के  शिखर  को  छूने  के  बावजूद  आज  भी  वे  उसी  लगन, अनुशासन  और  समर्पण  के  साथ  रियाज  करती  हैं।

आशा जी हिंदी सिनेमा की बेहद अच्छी पार्श्व गायिका होने के साथ-साथ बेहद अच्छी मिमिक्री आर्टिस्ट भी हैं। वह अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर और गुलफाम अली की खूब नकल करती हैं। आशा भोंसले सिर्फ अच्छी गायिका ही नहीं बल्कि एक बेहद अच्छी कूक भी हैं। आशा जी के दुबई और कुवैत में अपने रेस्त्रां चैन भी है।

संगीत की दुनिया में आशा जी ने कड़ी मेहनत से ये मुकाम हासिल किया जिसके लिए उन्हें कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें 7 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड, 2 बार नेशनल अवॉर्ड, पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है। आशा जी हिंदी सिनेमा की अकेली ऐसी अभिनेत्रीं हैं, जिन्हे 1997 में ग्रैमी पुरुस्कार के लिए नामंकन मिला।

कैश और कार्ड की जरूरत नहीं: स्टोर में आएं, सामान लें और चले जाएं

सावधान! क्या आप में है वो आदत जो दुनिया के हर तीसरे व्यक्ति में है

यह एक ऐसी बात है जिसके लिए हम सब दोषी हैं। आप आधी रात को अचानक उठतें हैं और चाहे कोई कारण न भी हो, आप अपना फोन चैक करते हैं। खुद के प्रति ईमानदार रहते हुए बताएं कि क्या आप किसी महत्वपूर्ण कॉल की अपेक्षा कर रहे हैं?

क्या रात के तीन बजे आपने कोई महत्वपूर्ण और जरूरी काम करना हैं? या क्या यह सिर्फ उन छोटी-छोटी आदतों में से एक है? यदि ऐसा है तो ऐसा करने वाले आप अकेले नहीं हैं।डिलोइट्टे की एक रिपोर्ट के अनुसार तीन में से एक व्यक्ति फोन का इतना आदी है कि वह रात के समय भी अपना फोन चैक करता रहता है। यदि 18 से 24 वर्ष के बीच की बात की जाए तो हर दो में से एक ऐसा करता है। हो सकता है आपको ऐसा लगे कि इसका कोई नुकसान नहीं है परन्तु यह अविश्वसनीय ढंग से खतरनाक है।

नींद विशेषज्ञ लगातार हमें इस बात की चेतावनी देते रहते हैं कि रात के वक्त फोन को चलाना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। तो आपका मोबाइल आपके स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित करता है? यह आपके फोन द्वारा छोड़ी जाने वाली नीली रोशनी है जो हमारे शरीर को बताती है कि यह समय दिन का है, जिसका अर्थ यह है कि जब हम सोएंगे तो हमारी नींद की गुणवत्ता वैसी अच्छी नहीं होगी, जैसी होनी चाहिए।

सैलफोन की आदत ऐसे दूर करें

जागने के बाद आपके पहले 30 मिनट दिन की अच्छी शुरूआत को समर्पित होने चाहिएं। इसका सीधा सा अर्थ है- बैड से उठें, फ्रेश हों, ध्यान लगाएं तथा एक स्वास्थ्य नाश्ते की तैयारी करें।

नो फोन टाइम जोन पैदा करें

इसका अर्थ है कि आपके दिन के कम से कम दो घंटे (जब आप अधिक प्रोडक्टिव होते हों) आप अपना फोन बंद कर दें और पूरी तरह अपने काम के प्रति समर्पित हो जाएं।

कार में फोन ऑफ रखें

ड्राइविंग करते वक्त अपना फोन बंद कर दें ताकि आपके मन में उसका लालच तक पैदा न हो क्योंकि ड्राइविंग के वक्त मोबाइल फोन के इस्तेमाल से आपकी तथा लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।

वास्तविक बनें

जब आप किसी व्यक्ति के साथ बात करते हैं, भोजन करते हैं या एक कप कॉफी पीते हैं तो यह सब वास्तविक होता है। आपके सामने एक जीवित व्यक्ति होता है, उसने आप से मिलने के लिए अपने व्यस्त जीवन में से समय निकाला है और वह वास्तविक जिंदगी का समय आपके साथ शेयर कर रहा है।

उनसे ध्यान हटा कर मोबाइल पर ध्यान लगाना वैसा ही होगा जैसे आप कह रहे हैं, आप उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं। यह एक बीमारी ही है कि हम अपने फोन के इतने आदी हैं कि हम अपने साथ वाले लोगों को भी नजरअंदाज करके ट्विटर, फेसबुक या मैसेजिज में उलझ जाते हैं। इसलिए वास्तविक बनना जरूरी हैं।

फोन के कारण नींद न गंवाएं

यदि आप देर रात को अपने मोबाइल फोन पर वीडियो गेम खेल रहे हैं, फेसबूक या मैसेजिंग में व्यस्त हैं तो आप अपनी इस आदत के कारण अपनी नींद गंवा रहे हैं। आपको सोने से एक घंटा पहले अपना फोन बंद कर देना चाहिए क्योंकि फोन का इस्तेमाल करके आप अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। आपका फोन इतना मूल्यवान नहीं कि इस पर नींद कुर्बान कर दी जाए।

चीनीओं का नया कमाल, अब बनने लगीं झरने वाली इमारतें

कैश और कार्ड की जरूरत नहीं: स्टोर में आएं, सामान लें और चले जाएं

अमेरिका में 2016 में अमेजन (Amazon) ने स्टोर खोला था। ग्रोसरी स्टोर, जहां न कैशियर हैं न लंबी लाइनें, चेकआउट की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। अमेजन गो ने यहां कन्वीनियंस स्टोर ‘अमेजन गो’ शुरू किया था। कस्टमर को यहां जो भी सामान पसंद आए, ट्रॉली में रखकर घर ले जाएं। उसे खरीदारी के बाद बिलिंग के लिए लंबी लाइन में लगने की जरूरत नहीं है। रही बात पेमेंट की तो वो कंपनी में बनाए गए यूजर के अकांउट से डिडक्ट हो जाएगा।

एंट्री से पहले ऑन करना होगा ऐप

  • सिएटल में 1800 स्क्वेयर फीट में बने इस स्टोर में एंट्री के लिए अपने स्मार्टफोन में अमेजन के खास ऐप को खोलना होगा और सेंसर के पास जाना होगा। स्टोर का गेट खुल जाएगा।
  • स्टोर में जाने वाले हर कस्टमर की टैगिंग होगी। स्टोर का सर्विलांस सिस्टम कस्टमर की पहचान कर लेगा और स्टोर में कहीं पर भी हों, उन पर नजर रख सकेगा।
  • कस्टमर जिस भी शेल्फ के सामने रुकेंगे, वहां उनकी इमेज कैप्चर हो जाएगी।
  • यह भी कैप्चर होगा कि उन्होंने कौन-सा सामान उठाया और किसे वापस रख दिया।

जो सामान ट्रॉली में गया उसी की होगी बिलिंग

  • कैमरा वो सभी इमेज कैप्चर करेगा जिस दौरान सामान कस्टमर के हाथ में है, ताकि तय हो सके कि सामान वापस शेल्फ में रखा गया या ट्रॉली में रख लिया गया है।
  • जो सामान वापस अपनी जगह पर रख दिया जाएगा, उसकी बिलिंग नहीं होगी।
  • स्टोर के शेल्फ में इन्फ्रारेड, प्रेशर और लोड सेंसर भी लगाए गए हैं, जो सामान उठाने से रखने तक की पूरी प्रॉसेस को नोट करेंगे।
  • स्टोर में सेल्फ ड्राइविंग कार में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी (कम्प्यूटर विजन, सेंसर फ्यूजन और डीप लर्निंग) इस्तेमाल की गई है। इससे पता लगता है कि कौन-सा सामान उठाया या वापस रखा गया है।
  • ट्रॉली भी वर्चुअल कार्ट की तरह काम करती है (ऑनलाइन शॉपिंग की तरह)।

माइक्रोफोन से भी होगी कस्टमर की पहचान

  • स्टोर में जगह-जगह माइक्रोफोन भी लगाए गए हैं, जिससे कस्टमर्स को आवाज के जरिए भी पहचाना जा सकेगा।
  • स्टोर से खरीदे गए सामान का बिल कस्टमर को बाहर निकलते समय मिल जाएगा और उसकी रिसिप्ट उनके मोबाइल पर भेज दी जाएगी।

वॉलमार्ट (Walmart) भी अमेज़ॅन गो स्टोर योजना के समान कैशियर के बिना एक स्वचालित स्टोर का परीक्षण कर रहा है।

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No Cash or Card Needed: Come to the store, pick up the stuff and go away

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चीनीओं का नया कमाल, अब बनने लगीं झरने वाली इमारतें

चीनीओं का नया कमाल, अब बनने लगीं झरने वाली इमारतें

झरने, प्रकृति का एक ऐसा रूप हैं, जिन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से पहाड़ों-जंगलों में जाते हैं। लेकिन चीन के लाइबियन इंटरनेशनल बिल्डिंग को इस तरह डिजाइन किया गया है कि 121 मीटर ऊंची इमारत से करीब 108 मीटर (350 फीट) की ऊंचाई से एक झरना नीचे गिरता है। Guizhou Ludiya Property Management कंपनी ने इस इमारत को बनाया है।

उन्होंने एक गगनचुंबी इंमरात में ही झरना फ़िट कर दिया, कुछ लोगों को ये बेहद आकर्षक लग रहा है, तो कुछ ने इसे पैसे की बर्बादी कहा है। लोगों की नजर में इमारत से झरना नहीं, पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है जिसकी कोई जरूरत नहीं है। झरना जब से बन कर तैयार हुआ, तब से अब तक इसे सिर्फ 6 बार ही चलाया जा सका है।

दरअसल, झरने को एक घंटा चलाने का खर्च करीब 100 डॉलर है, इसी को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने बिल्डिंग का मजाक बनाना शुरू कर दिया है। पानी को री-साइकल करने के बाद उतनी ऊंचाई पर चढ़ाने के लिए चार बड़ी-बड़ी मोटर की ज़रूरत पड़ती है, ऐसा मानना है कि चारों मोटरों को चलाने में प्रतिघंटे उर्जा की लागत सौ डॉलर आती है।

इसमें एक शॉपिंग मॉल, कई दफ्तर और एक लक्जरी होटल तैयार किया गया है। झरने के लिए बारिश और जमीन के पानी का इस्तेमाल होता है, जिसे विशालकाय भूमिगत टैंक में जमा किया जाता है। इमारत को बनाने वाली कंपनी का कहना है कि बिल्डिंग में उच्च क्षमता वाले चार पंप लगाए गए हैं जो पानी के नीचे गिरते ही उसे 350 फीट ऊपर पहुंचा देंगे। हालांकि, इस काम में काफी बिजली की खपत होगी।

हालांकि इसका एक और पहलू ये है कि ये अब शहर का प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट बन गया है। लोग दूर-दूर से इस झरने वाली बिल्डिंग को देखने आते हैं। ये झरना हर वक़्त नहीं चलता, इसे ख़ास मौके पर ही चलाया जाता है। यानी ज्यादातर समय ये झरना बंद ही रहता है । चीन की साइट वीबो पर एक आदमी ने लिखा कि अगर होटल महीने में एक बार झरना चलाएगा तो उसे अपनी खिड़की साफ करने का खर्च भी नहीं देना होगा क्योंकि झरने के पानी से वो भी हो साफ़ हो जाएँगी ।

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उड़ने वाला ऑटोमेटिक छाता

अजब- रेगिस्तान के बीचों-बीच बसा हुआ है ये गांव

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रेगिस्तान के बीचों-बीच आप क्या मिलने की उम्मीद करेंगे? रेत के टीले, तेज हवाएं और दूर-दूर तक जीवन का कोई नामोनिशान नहीं। लेकिन कुदरत वह चीज़ है जो ऐसी जगहों पर भी अपना सौंदर्य बिखेर देती है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

आज की युवा पीढ़ी गांवों से दूर भागती है, उनके दिमाग में गांव का नाम आते ही यही ख्याल आता है कि गांव एक ऐसी जगह होती है जहां बुनियादी सुविधाएं यानि पानी, बिजली आदि का कमी होती है। लेकिन एक गांव ऐसा भी है जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं।

दरअसल रेगिस्तान के बीच में एक खूबसूरत गांव बसा हुआ है, जो आपका मन मोह लेगा। उस गांव का नाम है हुआकाचाइना (huacachina)। साउथ पेरू के आइसा शहर से महज 8 किलोमीटर की दूरी ये गांव बसा हुआ है। यह गांव दूर से देखने पर एक 3D पेंटिंग की  तरह नज़र आता है।

इस गांव की सबसे खास बात है की ये गांव रेगिस्तान के बीचो बीच बसा हुआ है, दूर -दूर तक अगर नज़र दौड़ा कर देखी जाए तो आपको सिर्फ रेत नज़र आएगी पर इस गांव में आपको सुख-सुविधा के अलावा प्रकृति के ऐसा अनमोल दृश्य देखने को मिलेगा जिसकी तारीफ किये बिना आप नहीं रह पाएंगे। यहां पर एक प्राकृतिक झील है, इस झील के बारे में कहा जाता है कि यहां एक राजकुमारी नहा रही थी और एक शिकारी ने उस पर निशाना साधा।

राजकुमारी शिकारी से बचकर निकल गई लेकिन उसके कपड़ों से वहां पर बालू का टीला बन गया। इस गांव में हवा के झोकों से कई टीले बनते रहते हैं। यहां से सनसेट का नजारा देखने योग्य है, यह गांव बहुत ही खूबसूरत है और जब टूरिस्ट इसे देखने के लिए यहां आते हैं तो यहां के स्थानीय निवासी खुशी से उनका स्वागत करते हैं।

यह गांव बिल्‍कुल सपने की दुनिया जैसा है। इसे देखने के लिए बड़ी संख्‍या में पर्यटक यहां आते हैं। यहां होटल, दुकानों समेत सभी सुविधाएं उपलब्‍ध हैं। हालांकि यह गांव काफी छोटा है, यहां सिर्फ 96 परिवार ही रहते हैं। गांव का नाम, यहां के रहने वाले लोगों के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि यह झील का पानी औषधीय गुणों से भरपूर है और इसमें बीमारियों को दूर करने की क्षमता है।

शहरी भागमभाग से दूर इस गाँव में जाकर पर्यटकों को मानसिक शान्ति का अहसास होता है। रात के समय तो हुआकाचाइना (huacachina) किसी जादुई नगरी जैसा लगता है। पर्यटकों के आनुरोध पर स्थानीय लोग उन्हे टॉप तक अध्ययन-यात्रा के लिए ले जाते हैं। जहां से सनसेट का नज़ारा बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है।

यहां आने वाले लोग जल्दी वापस जाने को तैयार नहीं होते हैं। यहां लोग बोटिंग और बग्गी राइट का आनंद भी ले सकते हैं। पेरु देश में इस गांव की काफी मान्यता है, यहां तक की वहां की करंसी पर भी इसी गांव की तस्वीर लगी हुई है। इसे देखने के लिए बड़ी संख्‍या में टूरिस्ट यहां आते हैं। रेत के टीले और उसके बीचों-बीच बसा एक हरा-भरा गांव ऐसी जगह पर जाकर आप रोमांचित हो उठेंगे।

 

क्या खरीदना चाहते हैं आइलैंड, तो ये रहा मौका!

घर बिकाऊ है ये तो सुना था, लेकिन पूरा का पूरा आइलैंड बिकाऊ है ये पहली बार सुना। जी हां, खुद के आइलैंड का सपना देखने वालो जल्दी से पैसे का जुगाड़ कर लो और इस ख़ूबसूरत आइलैंड को अपना बना लो।

 

Wisconsin’s Pewaukee लेक पर स्थित Wilsons Island एक निजी आइलैंड है, जो अब बिकने के लिए तैयार है।  करीब 3 एकड़ में फ़ैले इस Island  में दो कॉटेज बने हुए हैं जिनकी कीमत 890,000 डॉलर रखी गयी है।

इस Island की सबसे बड़ी ख़ासियत है इसके चारों ओर फ़ैला समंदर, हरे भरे पेड़, शांत वातावरण और ख़ूबसूरत कॉटेज हैं। ये Island  जन्नत जैसा ही है। इस छोटे से Island  तक पहुंचने के लिए बोट का सहारा लेना पड़ता है।

फ़ैमिली के साथ हॉलिडे टूर पर जाना हो या फिर दोस्तों के साथ वीकेंड की मस्ती, अगर ऐसे आइलैंड पर एन्जॉय करने का मौका मिल जाये, तो फिर बात ही अलग है।

घूमने-फिरने का शौक तो हर किसी को होता है, लेकिन ख़ुद के Island पर मस्ती करने का मौका मिल रहा है। तो दोस्तो सोच क्या रहे हो? अगर इस Island को अपना बनाना है, तो आज से ही पैसे बचाना शुरू कर दो।

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दुनिया का एक ऐसा देश जहां 80 लाख रुपए कमाने वाला भी गरीब है