इस भारतीय म्यूजिक कंपोजर ने अब तक नहीं की शादी

लता मंगेशकर भारत की एक सबसे प्रसिद्ध, बेहतरीन और सम्मानित प्लेबैक सिंगर और म्यूजिक कंपोजर है। उनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में  सबसे ज्यादा गाने गाए जाने के लिए दर्ज है। आइए जानते है उनके जीवन के बारे में कुछ बातें:

  • लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। इनके पिता दीनानाथ मंगेशकर, प्रतिभाशाली शास्त्रीय गायक और थिएटर अभिनेता थे, और माँ शुधमती थी, जो कि माई के नाम से भी जानी जाती थी।
  • लता जी अपने माता-पिता की पहली संतान है। इसके साथ ही मीना, आशा भोंसले , उषा और हृदयनाथ उनके भाई-बहन है।
  • लता जी ने केवल 5 साल की उम्र में अपने पिता के मराठी संगीत नाट्य में कार्य किया।
  • जब वह 13 साल की थी, तब 1942 में उनके पिता की हृदय रोग के कारण मृत्यु हो गई थीं और सबसे बड़े होने के कारण, परिवार की वित्तीय जिम्मेदारी लता के कंधों पर आ गई थी।
  • उनको शुरुआती दौर में काफी सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। लता जी ने सन 1942 से 1948 तक 6 मराठी फिल्मों में अभिनय किया और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारा।
  • 1942 में मराठी फिल्म “किती हासल” में लता ने पहली बार गाना गाया।
  • लता जी लगभग 20 भाषाओं में 50,000 से अधिक गीत गाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुकी है। इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।
  • लता मंगेशकर कभी शादी नहीं कर पाई हैं और अपने निजी जीवन को एक गुप्त रूप से संरक्षित रखती है। वह कहती है दरअसल घर के सभी सदस्यों की ज़िम्मेदारी मुझ पर थी। ऐसे में कई बार शादी का ख़्याल आता भी तो उस पर अमल नहीं कर सकती थी।
  • अपने भाइयों के बीच सबसे बड़ी बहन के रूप में, उसने हमेशा अपनी छोटी बहनों और भाई के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखा है।
  • लता जी को संगीत के अलावा खाना पकाने और फोटो खींचने का बहुत शौक़ है। खाना पकाने, पढ़ने, फोटोग्राफी और क्रिकेट के लिए उनका प्यार अच्छी तरह से जाना जाता है।
  • अभी भी गाने की रिकॉर्डिंग के लिये जाने से पहले लता मंगेशकर कमरे के बाहर अपनी चप्पलें उतारती हैं। वे हमेशा नंगे पाँव गाना गाती हैं।
  • संगीत के क्षेत्र में अपनी शानदार उपलब्धियों के लिए उन्हें अनेक राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हो चुके है। जैसेकि:-

(फिल्म फेर पुरस्कार 1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994), (राष्ट्रीय पुरस्कार 1972, 1975 and 1990), (महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार 1966 and 1967),  (1969 – पद्म भूषण), (1974 – दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड), (1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार), (1993 – फिल्म फेर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार), (1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार), (1997 – राजीव गान्धी पुरस्कार), (1999 – एन.टी.आर. पुरस्कार, पद्म विभूषण, ज़ी सिने का का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार), (2000 – आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार), (2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार,  भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न”, नूरजहाँ पुरस्कार, महाराष्ट्र भूषण)।

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जानिए कितना अनोखा है जापान

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जापान , एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागरमें स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापानी अपने देश को निप्पॉन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है । यह कुछ जापान के अनोखे तथ्य :-

  • यहां में 90 प्रतिशत मोबाइल वाटरप्रूफ हैं क्योंकि ये लोग नहाते समय भी फोन यूज करते हैं।
  • मुसलमानों को नागरिकता न देने वाला जापान अकेला राष्ट्र है। यहां तक कि मुसलमानों को यहां किराए पर मकान भी नहीं मिलता। यहां के किसी विश्वविद्यालय में अरबी या अन्य कोई इस्लामी भाषा नहीं सिखाई जाती। यहां इस्लाम पंथ नहीं होने के कारण वहां स्लीपर सेल नहीं हैं और वहां एक भी आतंकी वारदात नहीं हुई है।
  • कुत्ता पालने वाला प्रत्येक जापानी नागरिक उसे घुमाते समय अपने साथ एक विशेष बैग रखता है जिसमें वह उसका मल एकत्रित कर लेता है।
  • यहां 10 साल की उम्र होने तक बच्चों को कोई परीक्षा नहीं देनी पड़ती। यहां बच्चे और अध्यापक एक साथ क्लासरूम को साफ करते हैं।
  • यहां किसी के पास किसी प्रकार के प्राकृतिक संसाधन नहीं हैं। वे प्रतिवर्ष सैंकड़ों भूकंप झेलते हैं किन्तु उसके बाद भी यहां दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ‘आर्थिक शक्ति’ है।
  • यहां सबसे ज्यादा लोग पढ़े लिखे हैं जहां साक्षरता दर 100 प्रतिशत है। वहां अखबारों और न्यूज चैनलों में भारत की तरह दुर्घटना, राजनीति, वाद-विवाद, फिल्मी मसालों आदि पर खबरें नहीं छपती। यहां पर अखबारों की आधुनिक जानकारी और आवश्यक खबरें ही छपती हैं।
  • जापान में जो किताबें प्रकाशित होती हैं उनमें से 20 प्रतिशत कॉमिक्स बुक्स होती हैं।
  • जापान में नववर्ष का स्वागत मंदिर में 108 घंटियां बजा कर किया जाता है।
  • जापानी समय के बहुत पक्के हैं। यहां तो ट्रेन भी ज्यादा से ज्यादा 18 सैकेंड लेट होती है।
  • वेंडिंग मशीन जिसमें सिक्का डालने से कोई चीज आदि निकल आती है जैसे कि न्यूडल्स, अंडे, केले आदि। जब आप जापान में होंगे तो इन मशीनों को हर जगह पाएंगे। जापान में लगभग 55 लाख वेंडिंग मशीनें हैं।
  • जापान में देर तक नाचना मना है।
  • जापान में एक ऐसी बिल्डिग भी है, जिसके बीच से हाईवे गुजरता है।
  • जापान चारों ओर से समुद्र से घिरा होने के बावजूद भी 27 प्रतिशत मछलियां दूसरे देशों से मंगवाता है।
  • काली बिल्ली को जापान में भाग्यशाली’ माना जाता है।
  • यहां 70 तरह की Fanta मिलती है।
  • यहां सबसे ज्यादा सड़कें ऐसी हैं जिनका कोई नाम नहीं है।
  • जापानियों के पास Sorry कहने के 20 से ज्यादा तरीके हैं।
  • जापान दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो मोबाइल निर्माता है।
  • यहां हर साल लगभग 1500 भूकंप आते हैं अर्थात हर दिन चार। साल 2011 में जापान में जो भूकंप आया था वह आज तक का सबसे तेज भूकंप था। इस भूकंप से पृथ्वी के घूमने की गति में8 micro seconds की वृद्धि हुई थी।

बॉलीवुड के इस स्टार की 7 वीं कक्षा में थी पहली प्रेमिका

बॉलीवुड के इस स्टार की 7 वीं कक्षा में थी पहली प्रेमिका

रणबीर कपूर हिन्‍दी फिल्‍मों के मशहूर स्टार हैं। उनका हिन्‍दी फिल्‍मों का करियर सफल रहा है और वे भारत के चर्चित अभिनेताओं की श्रेणी में शामिल हैं। वे अपनी प्रोफेशनल जिंदगी के साथ साथ अपनी निजी जिंदगी की वजह से भी अखबारों की सुर्खियों में बने रहते हैं। आइए जानते है उनके जन्म दिन पर उनके बारे में कुछ रोचक बातें:

  • 28 सितम्बर 1982 को जन्मे रणबीर कपूर का नाम उनके दादा जी के नाम पर रखा गया था जिनका पूरा नाम रणबीर राज कपूर था।
  • उनके पिता ऋषि कपूर और मां नीतू कपूर हिंदी फिल्‍मों के मशहूर अभिनेता और अभिनेत्री रहे हैं। रणबीर की एक बहन भी हैं जिनका नाम रिद्धिमा है।
  • रणबीर कपूर पढ़ाई में कमजोर थे और नीचे से पांच छात्रों में जगह बनाते थे।
  • रणबीर कपूर के अनुसार उनकी पहली प्रेमिका उनके साथ 7 वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक लड़की थी।
  • उनका दीपिका पादुकोण, कैटरीना कैफ, सोनम कपूर आदि अभिनेत्रियों के साथ अफेयर रह चूका है।
  • रणबीर कपूर का अफेयर इमरान खान की पत्नी अवन्तिका मलिक से भी रह चूका है।
  • इन दिनों उनका अफेयर आलिया भट्ट के साथ चर्चा में है। दोनों बिना हिचक एक-दूसरे के साथ सार्वजनिक जगहों पर दिख रहे हैं और कैमरों से बचने की कोशिश नहीं कर रहे।
  • आलिया इशारों-इशारों में कह चुकी हैं कि वह रणबीर पर फिदा हैं और अब कपूर खानदान का चिराग भी अपना प्यार कुबूल करते नजर आ रहा है।
  • रणबीर कपूर को नेजल डिविएट सेप्टम नाम की बीमारी है जिसकी वजह से वह जल्दी-जल्दी बोलते और खाते हैं।
  • रणबीर कपूर ने एक बार गलती से ऑफ्टर शेव लोशन पी लिया था, जिसे तुरंत पेट से निकाला गया।
  • कॉलेज के दिनों में, वह हर हफ्ते अपनी माँ से जेब खर्च के लिए 1500 रुपए लेते थे।
  • एक मैगजीन के अनुसार, रणबीर कपूर के गाल पर एक इंच लंबा चोट का निशान है जो उन्हें बाथरूम की तरफ दौड़ते हुए गिरने पर लगा था।
  • वह अपने पिता ऋषि कपूर की फिल्मों को बड़े चाव से देखते हैं वहीं मम्मी नीतू कपूर को फिल्म में देखने में उन्हें झिझक महसूस होती है।
  • बहुत कम लोग जानते है की रणबीर एक अच्छे फुटबालर भी है,इसके अलावा उन्हें क्रिकेट भी पसंद है।
  • उन्हें कैंडी क्रश (Candy Crush) खेलने का बहुत शौंक हैं।
  • रणबीर कपूर ने अब तक अपने करियर में कुल पांच Filmfare awards जीते हैं।

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पुणे में बना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गुंबद

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मानवता और शांति का सन्देश देने के लिए पुणे में एमआईटी विश्व शांति विद्यापीठ की ओर व्यास में विश्व का सबसे बड़ा डोम बनाया गया है। इस डोम में अलग-अलग क्षेत्र के व्यक्तिव के कुल 54 स्टैचू लगाए गए है।इसे आज तक का सबसे अनोखा डोम कहा जा रहा है। महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) द्वारा देश के पहले शांति विश्वविद्यालय में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गुंबद (डोम) बनाया गया है। 2 अक्टूबर को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू 62,500 स्क्वायर फीट में बने डोम का उद्घाटन करेंगे।

इसका नाम तत्तवज्ञ संत श्री ज्ञानेश्वर महाराज प्रार्थना सभागृह और विश्व शांति ग्रंथालय दिया गया है। इस डोम में एक बड़ा ग्रंथालय भी बनाया गया है। इसे बनाने में करीब 13 साल का समय लगा। एमआईटी के संस्थापक डॉ. विश्वनाथ कराड़ ने बताया, ‘धर्म और तत्वज्ञान पर आधारित वर्ल्ड पार्लियामेंट 2 से 5 अक्टूबर तक आयोजित की जाएगी। इसमें दुनिया भर से 120 विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे।

एमआईटी के विश्व शांति ग्रंथालय में 54 स्टेच्यू भी लगाए गए हैं।’ दुनिया में सबसे बड़ा गुंबद सेंट पीटर्स बेसिलिका वेटिकन सिटी में बना है। इसकी ऊंचाई 448 फीट है, जबकि चौड़ाई 490 फीट है।

इस डोम का गोलाई 138 फीट है। वहीं, गोलाई के हिसाब से एमआईटी पुणे में दुनिया का सबसे बड़ा गुंबद बन गया है। यह गुंबद 62,500 स्क्वायर फीट में बना और इसकी ऊंचाई 263 फीट है । इस गुंबद की गोलाई 160 फीट है. इतने बड़े गुंबद को बनाने का खर्चा 2000 करोड़ रुपए है । 160 फीट की गोलाई के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा गुंबद है ।

इसमें लगाए गए कुल 54 स्टैचू में संत, फिलॉसफर, सइंटिस क्षेत्र के व्यक्तिव का संगम है। जिसमे सभी धर्म के फाउंडर के स्टैचू को लगाया गया है। इस डोम को 54 पिलर से बनाया गया है। हर एक पिलर में एक स्टैचू लगाए गए है।

विश्वनाथ कराड ने इसका सपना 2003 में देखा था। जिसके बाद इसे पेपर-कलम में उतारा गया और बाद में बनते-बनते यह अपने आप एक अनोखा व विश्व का व्यास में सबसे बड़ा डोम बनाया गया है।

इस डोम में श्री राम, श्री कृष्णा, जीसस क्राइस्ट, गौतम बुद्धा, भगवन महावीर,अल्बर्ट एस्टिन, एलेग्जेंडर फ्लेमिंग, आर्य भट, सी.वी.रमन आदि के स्टैचू लगाए गए है।

महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती पर एमआईटी विश्व शांति विद्यापीठ पुणे की ओर से विज्ञान, धर्म और तकनिकी पर आधारित वर्ल्ड पार्लियामेंट ऑफ़ साइंस, रिलिजन एंड फिलोसोफी सम्मलेन का आयोजन किया गया है।

यह कार्यक्रम 2 अक्टूबर से 5 अक्टूबर तक विश्वराजबाग, लोणी कालभोर, पुणे में आयोजन किया गया है। 2 अक्टूबर को सुबह 11:15 बजे भारत के उपराष्ट्रपति वेंकटय्या नायडू के हाथों कार्यक्रम का उद्घाटन किया जायेगा।

इस दौरान महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भारत सरकार के निति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार आदि सम्मानित लोग उपस्थित रहेंगे।

 

एक लड़की जिसके शरीर पर उगते हैं पेड़

एक अनोखी बीमारी ‘ट्री मैन सिंड्रोम’ से जूझ रही बंगलादेशी लड़की सहाना खातून। सहाना  के पिता उसे अस्पताल से घर ले गए हैं क्योंकि उन्हें लगने लगा है कि उनकी बेटी कभी ठीक नहीं हो सकेगी। अंतिम महीने चिकित्सकों ने सहाना खातून का ऑप्रेशन करके उसके शरीर पर पेड़ के तनों जैसे उग रहे हिस्सों को हटाया था।

उसे शरीर पर कठोर कोशिकाएं उगने की एक अनोखी बीमारी है जो बहुत कम लोगों में पाई जाती है। माना जाता है कि 10 वर्षीय यह बच्ची इस बीमारी का सामना करने वाली पहली महिला है। उसका उपचार ढाका मैडीकल कालेज अस्पताल में नि: शुल्क किया जा रहा था।

निराश हैं पिता

शुरूआती ऑप्रेशन को डाक्टरों ने सफल करार दिया था। परन्तु सहाना के पिता मोहम्मद शाहजहां का कहना है कि इसके बाद से उनकी बच्ची की हालत और गंभीर हो गई है। इसीलिए अब वह उसका और उपचार नहीं करवाना चाहते हैं।

शाहजहां के अनुसार डाक्टरों ने उनकी बेटी के शरीर पर उग रहे तने जैसे हिस्सों को हटा दिया। लेकिन इसके बाद वे दोबारा उग आए और अबकी बार वे ज्यादा मोटे और मज़बूत हैं। वह कहते हैं, “मैं भयभीत हूं।

डॉक्टरों का कहना है कि मेरी बेटी को 8 से 10 और ऑप्रेशन करवाने होंगे लेकिन क्या गारंटी है कि इनके बाद उसकी बीमारी दूर हो जाएगी।” अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी यूनिट के प्रमुख सामंत लाल सेन इस बच्ची को आगे और उपचार के लिए अस्पताल में रखना चाहते थे।

परन्तु सहाना के गरीब पिता ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। क्योंकि उनकी बेटी की सेहत में कोई सुधार नहीं दिखाई दे रहा था, वह उसे लेकर चले गए। हालांकि, डॉक्टरों ने उसे कुछ हफ्ते और उपचार करवाने को कहा था।

दुनिया में कुछ ही लोगों को है यह बीमारी

माना जाता है कि आधा दर्जन से भी कम लोगों को दुनिया में यह अजीबो-गरीब बीमारी है। इनमें 27 वर्षीय बंगलादेशी रिक्शा चलाने वाला अब्दुल बजिन्द्र भी शामिल है। वह अपने शरीर पर पेड़ के तनों जैसे उगने वाले हिस्सों को हटाने के लिए अब तक कम से कम 21 ऑप्रेशन करवा चुका है।

इनमें से प्रत्येक हिस्सा पांच किलो तक वजनी था और डॉक्टरों का मानना है कि इस बीमारी से निजात पाने वाला शायद वह दुनिया का पहला इंसान है। वहीं सहाना के पिता का कहना है कि अपनी बेटी का उपचार करवाने के लिए उन्हें वित्तीय संकट से भी दो-चार होना पड़ रहा है।

उनके अनुसार, “अस्पताल में मुझे हमेशा उसके पास रहना पड़ता जिससे मैं काम पर नहीं जा पाता था और मेरे पास तो उसे ढंग से खाना खिलाने के लिए भी पैसे नहीं होते। मेरी पत्नी के बाद अब एक वही मेरा परिवार है और मैं उसे सारा-सारा दिन उदासी में अस्पताल में बिस्तर पर पड़े नहीं देख सकता।”

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यह अभिनेता मुंबई में पत्नी के साथ चलाते हैं रेस्टोरेंट

चंकी पाण्डेय एक मशहूर अभिनेता और कॉमेडियन हैं। वह बॉलीवुड में अब तक 80 फिल्में कर चुके है। वो बॉलीवुड के एक्शन हीरो अक्षय कुमार के सीनियर रह चुके हैं। चंकी पाण्डेय के जन्मदिन के खास मौके पर जानिए उनकी जिंदगी की दिलचस्प बातें:

  • चंकी पाण्डेय का जन्म 26 सितंबर 1962 को हुआ था। इनका असली नाम सुयश शरद पाण्डेय हैं। इनके के पिता का नाम डॉ. शरद पाण्डेय है।
  • उन्होंने ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1987 में फिल्म दरार से की है। चंकी पाण्डेय को उनकी पहचान तेजाब फिल्म से मिली।
  • 1987 से 1993 तक उनकी बतौर अभिनेता कई फ़िल्में सफल हुई। लेकिन इसके बाद उनकी फ़िल्में बॉक्स-ऑफिस पर फ्लॉप होना शुरू हो गयी।
  • बॉलीवुड में फिल्मों के ख़राब प्रदर्शन के कारण उन्होंने बांग्लादेशी सिनेमा में कदम रखा। वह बांग्लादेश में अमिताभ बच्चन की तरह लोकप्रिय है।
  • तीन दशक पहले चंकी पाण्डेय एक्टिंग स्कूल में अक्षय कुमार के इंस्ट्रक्टर हुआ करते थे। अक्षय कुमार तब उनके के फैन हुआ करते थे। वह चंकी पाण्डेय को फॉलो किया करते थे। पर खुद चंकी पाण्डेय को फिल्मों में कोई लीड रोल नहीं मिल सका।
  • चंकी पाण्डेय की शादी भावना पाण्डेय से हुई है।  उनकी दो बेटियां हैं। जिनके नाम है रीसा पांडे और अनन्या पांडे।
  • फिल्मों के साथ-साथ वे मुंबई में पत्नी के साथ मिलकर एक हेल्थ फ़ूड रेस्त्रां भी चलाते हैं।
  • इसके अलावा बॉलीवुड इलेक्ट्रिक नाम से उनकी एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी है, जो खासकर स्टेज शोज़ के लिए जानी जाती है।
  • उसके बाद उन्होंने साल 2003 में वापस हिंदी सिनेमा में कमबैक किया। उन्होंने क़यामत, एलान जैसी फ़िल्में की। जो बॉक्स-ऑफिस पर औसतन साबित हुई।
  • 1989 में चंकी पाण्डेय को फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग रोल के लिये अवार्ड मिल चुका है।

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तो ऐसे देती है महारानी एलिजाबेथ अपने कर्मचारियों को गुप्त संकेत

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इंगलैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के हाथों में हमेशा लाऊनर ब्रांड का हैंडबैग दिखाई देता है। इस बेहद महंगे हैंडबैग का इस्तेमाल वह केवल जरूरी सामान रखने के लिए ही नहीं करती हैं बल्कि अपने कर्मचारियों को गुप्त संकेत देने में भी यह उनके काम आता है।

राजवंश इतिहासविद् हूगो विकर्स ने खुलासा किया है कि महारानी शासकीय समारोहों के दौरान बिना कुछ कहे अपने कर्मचारियों को अपनी इच्छा बताने के लिए कई गुप्त संकेतों का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे ही कुछ संकेतों के लिए वह अपने हैंडबैग का प्रयोग भी करती हैं।

जैसे कि इसे एक से दूसरे हाथ में पकड़ना इस बात का संकेत है कि वह बातचीत खत्म करके आगे बढ़ना चाहती हैं। यह भी कहा जाता है कि समारोहों में अपने हैंडबैग को टेबल पर रखने का मतलब होता है कि महारानी वहां से निकलने के लिए तैयार हैं।

टेबल पर महारानी द्वारा अपना हैंडबैग रखना एक तरह से उनकी ‘लेडीज-इन वेटिंग’ (सहायिका) के लिए यह हिदायत होती है कि 5 मिनट में उन्हें वहां से निकलना है जिसके लिए वह सभी जरूरी इंतजाम कर ले।

तीसरा गुप्त संकेत है अपनी वैडिंग रिंग यानी शादी की अंगूठी को चुपके से घुमाना जिसका अर्थ है कि वह वर्तमान वार्तालाप को तुरंत खत्म करना चाहती हैं। हालांकि, ऐसा पूरी शालीनता से किया जाता है। उनका कोई सहयोगी आकर बहाने से उन्हें वहां से ले जाता है।

हैंडबैग को एक से दूसरे हाथ में बदलने का अर्थ यह भी है कि वह अपने हैल्पर्स को करीब चाहती हैं। बकिंघम पैलेस में आधिकारिक बैठकों के दौरान भी महारानी एक गुप्त संकेत करती हैं।

जिससे स्टाफ समझ जाता है कि उन्हें दरवाजा खोल कर मेहमान को वहां से बाहर तक ले जाना है। केवल महारानी ही नहीं, उनके शाही परिवार के अन्य सदस्य भी अपने हैंडबैग का इस्तेमाल महज एक एक्सैसरीज से बढ़ कर करते हैं।

हाल ही में शाही परिवार के एक करीबी सूत्र ने बताया था कि डचैस ऑफ कैम्ब्रिज कैथरीन एक क्लच बैग का प्रयोग खास कारण से भी करती हैं। यदि 35 वर्षीय कैथरीन को किसी व्यक्ति से हाथ मिलाने में संकोच हो तो वह अपने क्लच को आगे की ओर दोनों हाथों में पकड़ लेती हैं।

खास है महारानी का हैंडबैग

क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के प्रत्येक लाऊनर हैंडबैग में उनके लिए विशेष रूप से लम्बे हैंडल लगाए जाते हैं ताकि हाथ मिलाते वक्त अवरोध पैदा न हो। महारानी आसानी से खुलने वाले हैंडबैग पसंद करती हैं इसलिए उनमें न तो शोल्डर बैग है और न ही जिप उनके बैग हमेशा एक आईने, मेल खाते पर्स तथा चश्मा रखने वाले केस से युक्त होते हैं।

लाऊनर ब्रांड के हैंडबैग्स से महारानी का लगाव तब शुरू हुआ।  जब 1968 में लाऊनर कम्पनी के संस्थापक सैम लाऊनर ने उन्हें एक हैंडबैग भेजा। इसके बाद कम्पनी को शाही परिवार के लिए हैंड बैग बनाने का रॉयल वारंट मिल गया।

तब से कम्पनी महारानी के लिए 200 से ज्यादा हैंडबैग बना चुकी है। कम्पनी का काले रंग वाला पेटेंट डिजाइन महारानी का पसंदीदा रहा हैं। परंतु हाल के वर्षों में उनके हाथों में गाढे रंग वाले हैंडबैग भी दिखाई देते रहे हैं। कहा जाता है कि उनके हैंडबैग्स में जरूरत की चीजें होती हैं, जैसे कि मिंट फ्लेवर वाली टॉफी, लिपस्टिक, रुमाल तथा एक फाऊंटेन पैन्।

सूत्रों के अनुसार शाही हैंडबैग में एक छोटी-सी हुक भी होती है। जिससे इसे गुपचुप ढंग से टेबल के नीचे लटकाया जा सकता है। इन बैगों का मूल्य 1 लाख 35 हजार रुपए तक होता है। जिन्हें शाही परिवार के सदस्य बार-बार इस्तेमाल करते हैं और कुछ तो इन्हें रिसाइकिल भी करवाते हैं।

 

सिक्किम में बना यह खूबसूरत एयरपोर्ट

आपको बता दें कि भारत देश में एक नया एयरपोर्ट बनाया गया है, जिसका उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी दुवारा कुछ दिन पहले ही किया गया है. इस हवाई अड्डे को दुनिया के सबसे खूबसूरत हवाई अड्डों में से एक कहा जा सकता है, क्योंकि यह हवाई अड्डा हिमालय के पर्वतों के बीच बनाया गया है.

सिक्किम राज्य का यह पहला एयरपोर्ट

हिमालय में स्थित सिक्किम राज्य में दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत कंचनजंगा है. ये राज्य आठ पर्वतों के माध्यम से तिब्बत, भूटान और नेपाल से जुड़ा हुआ है. सिक्किम राज्य में यह पहला एयरपोर्ट पकयोंग में बनाया गया है. जो राज्य की राजधानी गंगटोक से 30 किलोमीटर दूर है.

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एयरपोर्ट की बनावट

चीन की सीमा से 60 किलोमीटर की दूरी पर ये एयरपोर्ट 201 एकड़ में फैला है और पकयोंग गांव के ऊपर एक पहाड़ पर बनाया गया है. जो कि समुद्र तल से  4,500 फुट ऊंचा है. हवाई अड्डे का रनवे 1.75 किलोमीटर लंबा जिसके दोनों सिरों पर गहरी घाटियां हैं. इसमें दो पार्किंग और एक टर्मिनल बिल्डिंग है, जहां एक समय में लगभग 100 यात्री मौजूद हो सकते हैं.

पुंज लॉयड द्वारा बनाया गया है एयरपोर्ट

एक भारतीय कंपनी पुंज लॉयड के प्रवक्ता के मुताबिक मुश्किल जगह और खराब मौसम की वजह से ये नौ साल का प्रोजेक्ट बेहद चुनौतीपूर्ण और रोमांचक रहा. सिक्किम में अप्रैल से सितंबर तक बारिश होती है जो कि काम में एक बड़ी बाधा थी. इस इलाके में भूकंप भी काफ़ी ज्यादा आते हैं, जो कि इंजिनियरों के लिए एक और चुनौती थी.

इस हवाई अड्डे को गहरी घाटियों में 263 फीट लंबी दीवार खड़ी कर बनाया गया है. पुंज लॉयड कंपनी का कहना है कि यह दुनिया की सबसे ऊंची मज़बूती के लिए बनाई गई दीवारों में से एक है.

यह हवाई अड्डा सिक्किम में पर्यटकों भी आकर्षित करेगा.

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7 साल छोटे एक्टर के साथ लिव इन में रही यह कॉमेडियन

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अर्चना पूरण सिंह छोटे पर्दे की बहुत ही फेमस कॉमेडियन हैं। वह बॉलीवुड में अपनी कॉमिक टाइमिंग के लिए जानी जाती हैं। बता दें कि अर्चना टीवी और फिल्म दोनों में काम कर चुकी हैं। उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी एक अलग जगह बना रखी है। अर्चना के जन्मदिन के खास मौके पर जानिए उनकी जिंदगी के दिलचस्प किस्से-

  • अर्चना का जन्म एक पंजाबी परिवार में 26 सितंबर 1962 को देहरादून में हुआ था। देहरादून में ही उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई की। अर्चना को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था, जिस कारण वह पढ़ाई बीच में छोड़कर मॉडलिंग में करियर बनाने के लिए वह मुंबई आ गयी।
  • अर्चना ने सबसे पहले मुंबई में ऐड फिल्में करना शुरू किया था। शुरुआत में उन्हें मिला बैंड-एड का विज्ञापन काफी चर्चित भी हुआ था।
  • अर्चना ने अपना बॉलीवुड करियर 1987 में फिल्म ‘जलवा’ से शुरू किया था जिसमें नसीरुद्दीन शाह थे। वैसे तो ये फिल्म हिट रही थी लेकिन अर्चना लोगों की नजरों में नहीं आ सकीं।
  • छोटे पर्दे पर भी इन्होंने कई सीरियल्स में काम किया है ‘जाने भी दो यारों’, ‘श्रीमान श्रीमती’, ‘अर्चना टॉकीज’ ‘नच बलिए’ और ‘कॉमेडी सर्कस’ जैसे कई इनके फेमस सीरियल्स हैं।
  • कॉमेडी सर्कस को अर्चना दुनिया की सबसे अच्छी जॉब मानती हैं।
  • रोचक बात ये है कि अब इन्हें सिर्फ हंसने के पैसे मिलते हैं। ये सप्ताह में 6 दिन छुट्टी पर रहती हैं और सिर्फ 1 दिन काम करती हैं। उसके लिए भी इन्हें अच्छी रकम मिलती है।
  • वैसे इनकी मर्दों वाली हंसी भी खूब फेमस है जिस पर मजाक बनते रहते हैं।
  • अर्चना की पहली शादी कामयाब नहीं हो पाई थी, जिसके बाद उनकी मुलाकात एक्टर परमीत सेठी से हुई।
  • अर्चना परमीत के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगीं। शादी करने से पहले दोनों लंबे समय तक लिव- इन में रहे। बता दें कि अर्चना परमीत से 7 साल बड़ी हैं।
  • अपनी पहली शादी की नाकामयाबी के बाद अर्चना दूसरी शादी नहीं करना चाहती थीं।
  • वो सोचती थीं कि पुरूष दबंग और इनसेंसिटिव होते हैं। लेकिन फिर परमीत ने उनका पूरा नज़रिया ही बदल दिया।
  • दोनों ने 30 जून 1992 को शादी की। इनके दो बच्चे हैं- आर्यमान और आयुष्मान।

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अद्भुत सेल्फी लेने के लिए किया जाता है इस यंत्र का उपयोग

आज के युग में हम सब सेल्फी के रुझान में बहुत व्यस्त रहने लगे हैं, और सेल्फी लेने के अंदाज़ भी दिन भर बदलने लगें हैं. अगर आप वी सेल्फी लेने के शौकीन हैं तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें. आज हम आपको एक ऐसे यंत्र के बारे में बताने जा रहें हैं, जो कि आपको अद्भुत सेल्फी लेने की लिए आपकी मदद करेगा।

ड्रोन एक्स प्रो से लें अद्भुत सेल्फी

आपको बता दें कि सेल्फी स्टिक के बाद जिस यंत्र का उपयोग अद्भुत सेल्फी लेने के लिए किया जाता है उसका नाम ड्रोन एक्स प्रो है. इस यंत्र से आप कुछ दूरी से भी सेल्फी ले सकते है. ड्रोन एक्स प्रो हवा में उड़ने वाला यंत्र है जिसके कारण वह अनोखे प्रकार की सेल्फी भी खींच सकता है.

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जर्मन इंजीनियरों ने किया डिज़ाइन

ड्रोन एक्स प्रो दो जर्मन इंजीनियरों द्वारा डिज़ाइन किया गया था. इसे नियंत्रित करना काफी आसान है. और, यह आपके फोन पर लाइव स्ट्रीम भी कर सकता है.

उपयोग करना आसान

इसका उपयोग करना बहुत आसान है. सबसे पहले, आपको एक ऐप इंस्टॉल करना होगा (मैन्युअल में क्यूआर कोड स्कैन करें)। एक बार ऐसा करने के बाद, ऐप को अपने ड्रोन से कनेक्ट करें और ऐप शुरू करें। 10 सेकंड से भी कम समय में आप अपने ड्रोन को उड़ा सकते हैं.

ड्रोन एक्स प्रो के लाभ

ड्रोन एक्स प्रो की कीमत 99 डॉलर हैं, और वह केवल ऑनलाइन ही उपलब्ध हैं. ड्रोन एक्स प्रो के मुख्य लाभ इसकी पोर्टेबिलिटी, कीमत, और कैमरा हैं. ड्रोन एक बड़े स्मार्टफोन के समान आकार है. यह किसी भी जेब या बैग में आराम से फिट हो सकता है. ड्रोन एक्स प्रो में भी एक अविश्वसनीय होवरिंग क्षमता है.

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