Wednesday, April 17, 2024
35.4 C
Chandigarh

जानिए कैसे शुरू हुई सांता की परम्परा

माना जाता है कि 25 दिसम्बर को क्रिसमस के अवसर पर बच्चों के प्यारे सांता क्लॉज दुनिया भर में घूम कर बच्चों को गिफ्ट्स बांटते हैं। हो…हो…हो…कहते हुए लाल-सफेद कपड़ों में बड़ी-सी सफेद दाढ़ी और बालों वाले सांता क्लॉज बच्चों के चेहरे पर खुशियां बिखेरने के लिए आते हैं।

कंधे पर तोहफों से भरी पोटली, हाथ में क्रिसमस बैल लिए सांता का इंतजार हर बच्चे को रहता है। सांता की तरह उनका इतिहास भी बहुत निराला है।

who Santa Claus, how tradition Santa started

कैसे शुरू हुई सांता की परम्परा

सांता क्लॉज के संबंध में कहा जाता है कि वह रेडियरों से खींची जाने वाली स्लेज पर सवार होकर किसी बर्फीले स्थान से आते हैं। वह चिमनियों के रास्ते घरों में प्रवेश करके सभी बच्चों को उपहार देते हैं।

सांता क्लॉज की परम्परा की शुरूआत संत निकोलस ने चौथी-पांचवीं सदी में हुई थी। वह बच्चों और नाविकों से बेहद प्यार करते थे। उनका उद्देश्य था कि क्रिसमस और नववर्ष के दिन गरीब-अमीर सभी प्रसन्न रहें।

उनका जन्म तीसरी सदी में तुर्किस्तान के मायरा नामक शहर में हुआ था। वह एक रईस परिवार से थे। निकोलस जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उनकी दयालुता के किस्से लम्बे अर्से तक कथा-कहानियों के रूप में चलते रहे हैं।

संत निकोलस के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कोंस्टेंटाइन प्रथम के सपने में आकर 3 सैनिक अधिकारियों को मृत्युदंड से बचाया था। 17वीं सदी तक इस दयालु बुजुर्ग का नाम संत निकोलस के स्थान पर ‘सांता क्लॉज‘ हो गया।

यह नाम डेनमार्क वासियों की देन है। वहां के लोग संत निकोलस को ‘सेन्टरी क्लॉज’ पुकारते थे। आगे चलकर इसी का परिवर्तित रूप ‘सांता क्लॉज‘ यूरोपीय चर्च प्रधान देशों में प्रचलित हुआ।

आधुनिक युग में क्रिसमस के अवसर पर सांता क्लॉज का महत्व इतना अधिक बढ़ गया है कि उन्हें ‘क्रिसमस का पिता‘ (फादर ऑफ क्रिसमस) और ‘फादर ऑफ जनवरी‘ तक कहा जाता है।

यह ही पढ़ें :-क्रिसमस के बारे में 18 विचित्र और रोचक तथ्य!

सांता के रॅडियर

सांता क्लॉज के रेडियरों के नाम हैं- ‘रुडोल्फ, डेशर, डांसर, प्रेन्सर, विक्सन, डेंडर, ब्लिटजन, क्युपिड और कोमेट‘। आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर सांता के रेडियर उड़ते कैसे होंगे!

क्रिसमस और सांता क्लॉज से कई मान्यताएं जुड़ी हैं। कहा जाता है कि बरसों पहले जब सांता क्लॉज ने रेडियरों पर झिलमिलाती हुई ‘मैजिक डस्ट’ डाली तो वे फुर्र से उड़ गए।

‘मैजिक डस्ट’ छिड़कने से रेडियर क्रिसमस लाइट की स्पीड से उड़ने लगते ताकि सांता हर बच्चे के पास पहुंचकर उन्हें गिफ्ट दे सकें। मान्यता है कि बच्चे गहरी नींद में सो जाते हैं, तो सांता तोहफा रखकर अगले बच्चे के घर निकल जाते हैं।

कैसे बना सांता का हुलिया

आजकल जिस रूप में हम सांता को देखते हैं, शुरूआती दौर में उनका हुलिया ऐसा नहीं रहा होगा तो फिर लाल और सफेद रंग के कपड़े पहने लंबी दाढ़ी और सफेद बालों वाले सांता का यह हुलिया आखिर आया कहां से?

दरअसल, 1822 ईस्वी में क्लीमेंट मूर की कविता ‘नाइट बिफोर क्रिसमस‘ में छपे सांता के कार्टून ने दुनिया भर का ध्यान खींच लिया।

फिरथामस नस्ट नामक पॉलिटिकल काटनिस्ट ने हार्पर्स वीकली के लिए एक कार्टून तैयार किया था, जिससे सफेद दाढ़ी वाले सांता क्लॉज को यह लोकप्रिय शक्ल मिली।

धीरे-धीरे सांता की शक्ल का उपयोग विभिन्न ब्रांड्स के प्रचार के लिए किया जाने लगा। आज के जमाने के सांता का अस्तित्व 1930 में आया। हैडन संडब्लोम नामक एक कलाकार कोका-कोला की एड में सांता के रूप में 35 वर्षों तक दिखाई दिया।

सांता का यह नया अवतार लोगों को बहुत पसंद आया और आखिरकार इसे सांता के नए रूप के साथ स्वीकार किया गया। जो आज तक लोगों बीच काफी मशहूर है।

पंजाब केसरी से साभार

यह भी पढ़ें :- 

जानिए क्यों सजाते हैं क्रिसमस ट्री

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR

RSS18
Follow by Email
Facebook0
X (Twitter)21
Pinterest
LinkedIn
Share
Instagram20
WhatsApp