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एक ऐसा गांव जहां हिंदू भी रखते हैं मुस्लिम सरनेम, परंपरा ऐसी जिसे आज भी निभा रहे हैं लोग

आज के बदलते परिवेश में भी बिहार में एक ऐसा गांव है, जहां हिंदू हो या मुसलमान सभी अपना उपनाम एक ही रखते हैं। वह भी खासकर मुस्लिम सरनेम। यह गांव नालंदा जिले का “गिलानी” है। माना जाता है कि सदियों से चली आ रही इस परंपरा को लोग आज भी निभा रहे हैं।

यहाँ के लोगों को अपने नाम के साथ यह सरनेम जोड़ने पर गर्व महसूस होता है। कई ऐसे लोग हैं जो दशकों से दूसरे राज्यों में रह रहे हैं। इसके बाद भी उन्होंने अपना सरनेम नहीं बदला।

दरअसल यह सरनेम उनके गांव के नाम पर है उनका कहना है कि उनके नाम से ही पता चलता है कि वे किस गांव से ताल्लुक रखते हैं।

इसी प्रकार अस्थानी की अस्थानवी, हरगवां की हरगंवी, डुमरांव की डुमरांवी, उगावां की उगानवी, चकदीन की चकदीनवी और देसना गांव के लोग देसनवी उपनाम का इस्तेमाल करते हैं।

सबसे खास है ‘गिलानी’

इन सब में गिलानी सबसे खास हैं। अन्य छह गांवों में केवल मुस्लिम धर्म के लोग ही इस परंपरा का पालन कर रहे हैं। वहीं गिलानी में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग इस परंपरा का पालन कर रहे हैं। गांव के सबा आजम गिलानी के मुताबिक यह परंपरा मुगल काल से चली आ रही है।

ऐसा माना जाता है कि ‘गिलानी‘ नाम इस्लाम के अनुयायी हजरत अब्दुल कादिर जिलानी के नाम पर रखा गया है। अरबी भाषा में ‘G’ अक्षर नहीं होता, इसलिए लोग उन्हें जिलानी कहते हैं। इस वजह से गांव का पूरा नाम मोहिउद्दीनपुर गिलानी है।

मौलाना मुजफ्फर गिलानी की किताब ‘मजमीन‘ के मुताबिक गिलान एक जगह का नाम है। जहां बड़े पीर के अनुयायी रहते थे। वहां से कुछ लोग किसी कारणवश मोहिउद्दीनपुर गिलानी आए थे। उन लोगों के उपनामों में गिलानी भी थे। यहां के उन लोगों के प्रभाव और आपसी सौहार्द को देखकर लोग अपने सरनेम में गांव का नाम रखने लगे।

गांव में 5000 की आबादी है, जहां आधा दर्जन जातियां रहती हैं

गिलानी गांव की कुल आबादी 5000 है। जहां मुस्लिम समुदाय के अलावा पासवान, कोईरी, यादव, नई, रविदास, कहार, कुम्हार पंडित जाति के लोग रहते हैं। दोनों धर्मों के लोग अपने-अपने नामों के पीछे गिलानी उपनाम का प्रयोग करते हैं।

यहां के निवासी इमदाद अहसान गिलानी का कहना है कि उन्हें अपने नाम के बाद गिलानी शब्द का इस्तेमाल करने पर गर्व महसूस होता है। यहां सभी हिंदू और मुसलमान अपने नाम के आगे गिलानी लगाते हैं। पुराने से अब तक नए लोग भी इस परंपरा का पालन कर रहे हैं।

एक अंतर यह आ गया है कि पुरानी पीढ़ी के लोग जाति की उपाधि लगाने के बाद गिलानी शब्द का प्रयोग करते थे। युवा पीढ़ी जाति को हटाकर सीधे नाम के साथ गिलानी लगा देती है।

उदाहरण के लिए, अनिल कुमार गिलानी, इमरान गिलानी, मसूद अजहर गिलानी, डोमन गिलानी, अभिषेक गिलानी नाम के लोग गाँव में रहते हैं और उपनाम का उपयोग करते हैं।

सदियों पुराना गांव है गिलानी

गांव के लोगों ने बताया कि मोहिउद्दीनपुर गिलानी सदियों पुराना गांव है। यहाँ एक नहीं, कई विद्वान, साहित्यकार, कई आईएएस, इंजीनियर, डॉक्टर हुए हैं। इतना ही नहीं यहां के कई लोगों ने विदेशों में भी झंडा फहराया है।

यह गांव आम के लिए भी काफी मशहूर है। यहां आम के बड़े-बड़े बाग हैं। अन्य जिलों से भी लोग यहां आम खरीदने आते हैं।

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