गाय का दूध, मक्खन, घी स्वर्ण आभा वाला है जो सर्वरोगनाशक और विषविनाशक होता है। गाय के दूध में जो तत्व पाए जाते हैं, वे मां के दूध के अतिरिक्त दुनिया के किसी भी पदार्थ में नहीं मिलते।
गाय के दूध में स्वर्णतुल्य ‘कैरोटीन‘ पदार्थ होता है, जो आंखों की ज्योति बढ़ाता और हृदय को पुष्ट करता है। साथ ही ‘सेरीब्रामाइड‘ तत्व है, जो दिमाग एवं बुद्धि के विकास में सहायक है।
गाय के दूध से व्यक्ति खुशमिजाज रहता है। इसमें ‘ट्रिप्टोफेन‘ सबसे अधिक पाया जाता है, जो ‘सैरीटोनिक‘ हार्मोंस की कमी नहीं होने देता। इन हार्मोंस की कमी से ही आदमी का मूड खराब रहता है। गाय के दूध में ‘केजूगटिड लिनोलिक एसिड‘ (सी.एल.ए.) यौगिक सर्वाधिक पाया जाता है, जो कैंसर रोधी है।
गाय के दूध में अमीनो एसिड पर्याप्त मात्रा में मिलता है। इससे शरीर बढ़ता है तथा कोशिकाओं की टूट-फूट की क्षतिपूर्ति होती है। आज के वैज्ञानिक विश्लेषण से भी यह स्पष्ट हो चुका है कि इसमें पौष्टिकता और रोगों से लड़ने की अद्भुत शक्ति है।
इसे पीने से मूत्र भी अधिक आता है, इसलिए मूत्राशय के रोग पथरी आदि दूर हो जाते हैं। स्त्रियों में गर्भाशय एवं मासिक धर्म की खराबी दूर हो जाती है। प्रमेह तथा मिर्गी में गाय का दूध लाभकारी होता है।
बुद्धिजीवी मनुष्य की रोज की उचित खुराक में गांधी जी ने गाय का दूध भी प्रमुख माना है। अमरीकन पत्र ‘फिजिकल कल्चर’ के संपादक और प्रसिद्ध दुग्धाहार चिकित्सक मेकफेडन का कथन है कि इस जगत में गाय के दूध से बने मक्खन के समान सर्वगुण सम्पन्न पौष्टिक खाद्य पदार्थ कोई दूसरा नहीं है।
गाय के दूध में ‘स्ट्रोन्शियम‘ पाया जाता है जिससे होमियोपैथिक दवा स्ट्रेन्शिया बनती है, जो पुरानी चोटों में काम आती है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार ‘स्ट्रोन्शियम’ तत्व अणु विकिरण प्रतिरोधक भी है, इसलिए गोदुग्ध में मनुष्य में पहुंचे रेडियोधर्मी कणों का प्रभाव नष्ट करने की असीम क्षमता है।
रूसी वैज्ञानिक शिरोविच ने आणविक विकिरण से रक्षा पर अपने प्रयोग के दौरान पाया कि गोघृत अग्नि में आहुति देने पर उससे निकली हवा जहां तक फैलती है। वहां तक का सारा वातावरण प्रदूषण एवं आणविक विकिरण से मुक्त हो जाता है।
रूस में ही गाय के घी का हवन करके उसके बारे में अनुसंधान किया गया था। जहां-जहां और जितनी दूरी में उस हवन के धुएं का प्रभाव फैला, उतना क्षेत्र कीटाणु और बैक्टीरिया के प्रभाव से मुक्त हो गया।
गाय का घी मस्तिष्क तथा हृदय की सूक्ष्मतम नाड़ियों में पहुंच कर शक्ति प्रदान करता है। नासिका में गोघृत के उपयोग से मस्तिष्क कोशिकाओं में स्थिरता बनी रहती है जिससे हमारा व्यवहार शांत तथा ठंडा रहता है।
गाय का घी कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाता नहीं बल्कि कम या नियंत्रण में रखता है। अमरीकी वैज्ञानिक प्रो. जार्ज शीमन के अनुसार गाय के दूध का दही हृदय रोग की रोकथाम में भी कारगार है।
पंजाब केसरी से साभार
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