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माँ-बेटा जो कई साल भाइयों की तरह रहे – संघर्ष से सफलता की अनोखी कहानी

कोरोना महामारी के बीच देश भर से अदम्य साहस और धैर्य की कई दिल को छू लेने वाली कहानियां सामने आई हैं ऐसी ही एक कहानी है एनी शिवा की, जो लोगों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं और उनका संघर्ष किसी को भी प्रेरणा दे सकता है।

दरअसल यह कहानी केरल पुलिस की एक महिला पुलिस उपनिरीक्षक (Sub-Inspector) के संघर्ष की है। तो चलिए जानते हैं।

जिस उम्र में लोग पढ़ते हैं तथा अपने कैरियर के बारे में सोचते हैं उस उम्र में एनी शिवा को अपने बच्चे के साथ कड़ा संघर्ष करना पड़ा।

दरअसल, एनी जब 18 साल की थीं तब उनके पति ने उन्हें एक बच्चे के साथ दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया। लेकिन एनी ने हिम्मत नहीं हारी और जिंदगी की चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया।

उतार चढ़ाव भरी ज़िंदगी

जब एनी शिवा कांजीरामकुलम के केएनएम गवर्नमेंट कॉलेज में प्रथम वर्ष की छात्रा थीं, उसी समय उन्हें एक लड़के से प्यार हो गया और उन्होंने अपने परिवार के खिलाफ जा कर उस लड़के से शादी कर ली।

लेकिन दो साल बाद उसका पति  एनी को अपने 6 महीने के बच्चे के साथ अकेला छोड़कर चला गया। उस समय एनी सिर्फ 21 साल की थी उनके माता पिता ने भी उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया, और तब वह अपनी दादी के घर में रहने के लिए चली गई। एनी ने अपने बेटे का नाम शिवसूर्य रखा।

रोजी-रोटी कमाने के लिए उन्होंने कभी सेल्सपर्सन बनकर घर-घर सामान बेचा, तो कभी बैंको में इंश्योरेंस पॉलिसिज बेचने का काम किया।

बाद में, उन्होंने वर्कला के आस-पास स्थित त्यौहार में लगने वाले मेलों और पर्यटन स्थलों पर नींबू पानीआइसक्रीम बेचना शुरू किया। लेकिन यह सब करना एक सिंगल मदर के लिए आसान नहीं था।

उसने एक पुरुष की तरह दिखने के लिए खुद को शारीरिक रूप से बदल लिया और 14 वर्षों तक लोगों को लगा कि वह और उसका बेटा भाई भाई हैं!

वह कहती हैं, ‘कुछ दिन तो दिन में एक बार का खाना भी लग्जरी लगने लगता था। मैंने बेबसी से अपने बेटे को भूख से रोते और सो जाते देखा है।’

उन्होंने फेसबुक पर लिखा, “इतने सालों में जिन संघर्षों का मैंने सामना किया, उसका इससे बेहतर जवाब और क्या हो सकता है? मैं किसी भी तरह मानसिक रूप से विचलित नहीं हुई। इन तमाम मुश्किलों के बाद जब एक महिला अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने में कामयाब हो जाती है तो लोग दया दिखाते हैं और उनके बारे में झूठ फैलाते रहते हैं। इसलिए, मैं और मेरा बेटा यहां एक बड़े भाई और एक छोटे भाई के रूप में रहते हैं। जीवन में जब भी कठिनाईयों ने मुझे पीछे धकेला मैंने आगे बढ़ने के लिए 10 गुना अधिक मेहनत की। यह मेरी छोटी सी जीत थी लेकिन नकारात्मकताओं से भरी दुनिया में, मुझे खुशी है कि यह इतने सारे लोगों के लिए ताकत और प्रेरणा का स्रोत हो सकता है। अब मुझे यह जानकर बहुत अच्छा लग रहा है कि मैंने यह सब अकेले किया है और मैं अपने बेटे को एक अच्छी जिंदगी दे सकूंगी।”

हम जानते हैं कि एक मानसिक बीमारी है जिससे भारतीय समाज पीड़ित है, जहां वे यह मान लेते हैं कि अकेली रहने वाली महिला कमजोर है या आसानी से पकड़ में आ जाती है।

इस मुश्किल समय में भी एनी ने काम करने के साथ-साथ, निजी तौर पर पढ़ाई करते हुए, समाजशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 2014 में तिरुवनंतपुरम में केरल राज्य लोक सेवा आयोग के लिए एक प्रशिक्षण संस्थान में शामिल हुईं, 2016 में पुलिस कांस्टेबल परीक्षा उत्तीर्ण की।

2019 में उन्होंने सब-इंस्पेक्टर का एग्जाम भी क्रैक कर लिया। 18 महीने की कोर्स ट्रेनिंग की बाद उन्होंने शनिवार, 26 जून 2021 को वर्कला पुलिस स्टेशन में सब-इंस्पेक्टर का पद संभाला। अब उनकी कहानी बहुत सी महिलाओं को जिंदगी में कुछ कर दिखाने की प्रेरणा दे रही है।

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