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कई बिमारियों की जड़ है “क्रोध”

एक फिट दिमाग ही रचनात्मक और समाज में योगदान। देने में सक्षम होता है जबकि गुस्सा सेहत के लिए काफी हानिकारक है। इससे तमाम तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। भागदौड़ भरी जिंदगी में बढ़ती समस्याओं के चलते समाज में क्रोध बढ़ रहा है। छोटी-छोटी बातों पर घर और बाहर गुस्से के चलते बड़ी घटनाएं घट जाती हैं।

जब बाहर तनाव को कंट्रोल करने की क्षमता हमसे पार हो जाती है और यह समस्या कभी खत्म नहीं होती, तब हमारी भावनाओं के ऊपर हमारा कंट्रोल नहीं रह जाता है। इसकी वजह से यह बहुत बड़ा कारण हो जाता है कि हम जल्दी या बहुत ही ज्यादा गुस्सा हो जाते हैं।

गुस्सा स्वास्थ्य समस्याओं की भी जड़ है। आंकड़ों में बात की जाए तो विशेषज्ञ कहते हैं कि गुस्से से आप 30 बीमारियों को आमंत्रित करते हैं। इसमें दिल का दौरा सबसे प्रमुख है।

उच्च रक्तचाप, दिल की धड़कनों का बढ़ जाना क्रोध नामक इस बीमारी के कुछ साइड इफैक्ट्स हैं। विपरीत परिस्थिति में अपने आपको संभालना ही आपकी खूबी हो सकती है और तुरंत हड़बड़ा कर गुस्सा कर लेना आपकी कमी है।

हिंदी साहित्य जगत के प्रसिद्ध कवि एवं लेखक जयशंकर प्रसाद कहते हैं कि अन्याय सहना अन्याय करने से अधिक गलत है।

हर छोटी बात पर क्रोधपूर्ण प्रतिक्रिया देना तो उचित नहीं है लेकिन यदि किसी अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने या प्रतिकार करने से किसी का हित हो रहा हो या फिर समूह को फायदा पहुंच रहा हो तो हमें ऐसा करने से हिचकना नहीं चाहिए।

अंदर दबे क्रोध को बाहर निकालने के बाद ही चित्त शांत हो सकता है, बशर्ते यह ऊर्जा सकारात्मक रूप में सामने आए।
सम्राट अशोक जब छोटी उम्र में अपने भाई और दोस्तों की ईर्ष्या पूर्ण बातों से आहत होते तो अत्यंत क्रोधित हो जाते।

तब उनके गुरु उन्हें तत्क्षण प्रतिक्रिया देने की बजाय क्रोध की ऊर्जा को सकारात्मक मोड़ देने की सलाह देते। वास्तव में गुस्सा हर किसी को आता है, लेकिन गुस्से पर काबू रख पाने से ही व्यक्ति बेहतर इसान बनता है।

क्रोध पर नियंत्रण रखें

  • प्रत्येक 10 मिनट के लिए आप क्रोधित होते हैं तो आप खुशी की 600 कैलोरी कम कर लेते हैं।
  • याद रखें कि आपकी मर्जी के बिना आपको कोई भी क्रोधित नहीं कर सकता।
  • जब कोई क्रोधित हो तो उसे जवाब न दें।
  • हमें कोई भी बदनाम नहीं कर सकता। हम खुद को ही बदनाम कर लेते हैं इसलिए क्रोधित क्यों होना?
  • क्रोध विलासिता है जिसमें केवल वही व्यक्ति पड़ सकते हैं जिनके पास प्रचुर साधन हों या फिर कुछ भी न हो।
  • अत्यधिक आकांक्षाएं निराशाओं को जन्म देती हैं जो आगे चल कर क्रोध को पालती हैं।
  • सभी प्रकार के क्रोध पर नियंत्रण के लिए खुद को काम में व्यस्त कर लेना सबसे बेहतर उपाय है।
  • जो व्यक्ति यह नहीं जानता कि क्रोध के साथ किस प्रकार लड़ना है, वह युवावस्था में ही मौत को प्यारा हो जाता है।
  • अपने और दूसरों के क्रोध को कम करने के लिए व्यावहारिक बुद्धि को अपना दोस्त बनाएं।
  • असमंजस्य आपको क्रोधित करता है इसलिए कोई एक रास्ता अपनाएं – इधर या उधर।
  • उचित क्षण पर माफी मांगें ताकि आपके साथ ही दूसरों का क्रोध भी कम हो सके।

पंजाब केसरी से साभार

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