आपने अक्सर कहीं ना कहीं जे.सी.बी मशीन को खुदाई करते देखा होगा। आज के समय में यह मशीन दुनिया भर में अपनी उपयोगिता के लिए जानी जाती है और इसने काफी हद तक हमारे जीवन को आसान बना दिया है।
पहले जिस काम को करने में कई दिनों का समय लगता था, कई महीनों का समय लगता था, अब उसी काम को कुछ घंटों में कर देती है।
यह कई तरह की और आकार- प्रकार की हो सकती हैं लेकिन सभी में एक बात समान होती है और वह है इनका पीला रंग। इनका रंग पहले लाल व सफेद होता था।
लेकिन इसे बदलकर पीला कर दिया गया क्योंकि पीला रंग कम रोशनी में भी साफ नजर आता है जिससे अंधेरे में भी पता चल जाता है कि सामने जे.सी.बी. मशीन खुदाई कर रही है।
स्कूल बस का रंग पीला
आपने देखा होगा कि स्कूल बस का रंग पीला होता है। स्कूल बस और मशीनें ऐसे वाहन होते हैं जिनमें सुरक्षा का ज्यादा ध्यान रखा जाता है। साथ ही इन वाहनों से किसी प्रकार की दुर्घटना न हो सके इसलिए इन्हें पीले रंग से पेंट कर दिया जाता है।
ध्यान खींचता है पीला रंग
वास्तव में पीला रंग अन्य अधिक रंगों की तुलना में ज्यादा ध्यान आकर्षित करता है। यहां तक कि अगर आप सीधा देख रहे हैं और कोई भी चीज आपके सामने न होकर कहीं साइड में रखी हुई हो तो उस चीज को भी आप अधिक आसानी से देख सकते हैं।
एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया है कि पीले रंग का लाल रंग की तुलना में 1.24 गुना बेहतर देखा जा सकता है। अंधेरे वातावरण में भी पीला रंग आसानी से देखा जा सकता है।
वहीं कोहरे में भी पीले रंग को काफी जल्दी देखा जा सकता है। इन सभी कारणों की वजह से जे.सी.बी. कंपनी अपने अधिकतर वाहन पीले रंग में ही बनाती है।
जे.सी.बी. का पूरा नाम
जे.सी.बी. के बारे में एक और रोचक तथ्य है कि यह इसका असली नाम नहीं है। दरअसल, जे.सी.बी. तो इस मशीन को बनाने वाली कंपनी का नाम है लेकिन मशीन में जे.सी.बी. लिखे होने के कारण इसको लोगों ने जे.सी.बी. नाम ही दे दिया।
वास्तव में इस मशीन को ‘एक्सकैवेटर‘ के नाम से जाना जाता है। कंपनी के नाम जे.सी.बी. के बारे में भी बता दें कि यह इस मशीन का आविष्कार करने वाले जोसेफ सिरिल बमफोर्ड के नाम का शॉर्ट फॉर्म है जिसे कंपनी का नाम दे दिया गया।
जब जोसेफ अपनी कंपनी का नाम रखने के बारे में विचार कर रहे थे तो उनको कोई अनूठा नाम नहीं मिला, इसके बाद उन्होंने अपने नाम के पर ही कंपनी का नाम रख दिया था।
कुछ रोचक बातें
- कंपनी की शुरुआत वर्ष 1945 में ब्रिटेन में हुई थी उस दौरान कंपनी ने ‘एक्सकैवेटर‘ नामक अपनी तरह की इकलौती मशीन लांच की जिसे लोगों ने काफी पसंद किया ।
- इसके बाद दुनियाभर में कंपनी ने अपनी फैक्ट्रियां लगानी शुरू कर दीं। भारत में कंपनी की फरीदाबाद, पुणे व जयपुर में फैक्ट्रियां हैं।
- आम ट्रैक्टरों की गति 35 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा नहीं होती तुम तो दुनिया की सबसे तेज ट्रैक्टर का निर्माण इसी कंपनी ने 1991 में किया था।
- इसकी अधिकतम गति 65 किलोमीटर प्रतिघंटा थी आज तक इतनी तेज गति वाला ट्रैक्टर नहीं बनाया गया है।
- कंपनी अब एक्सकैवेटर, व्हिल्ड लोडर, ट्रैक्टर, मिलिट्री वाहन, डीजल मैक्स वाइब्रो मैक्स का निर्माण करती है। यहां तक कि कंपनी ने कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वालों को ध्यान में रखते हुए फोन का निर्माण करने का लाइसेंस भी ले रखा है।
पंजाब केसरी से साभार……….।
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