यह शिकायत बड़ी आम हो गई है कि हाथ की उंगलियों में हमेशा सूजन या दर्द बना ही रहता है। विशेषकर लगभग 40 की उम्र के आसपास की महिलाओं को आए दिन यह शिकायत रहती है। कभी-कभी उंगलियों में सूजन के साथ झनझनाहट की भी शिकायत रहती है।
अक्सर यह भी देखा गया है कि जिन लोगों को छाती या कंधे के पास किसी दुर्घटना में चोट लगी हो तो उनमें उंगलियों की समस्या शुरू हो जाती है। अगर यह समस्या बढ़ती चली गई तो अंत में यह उंगलियों में घाव का रूप ले लेती है।
कौन से लोग इस समस्या से पीड़ित रहते हैं?
महिलाएं जिनका वजन निर्धारित सीमा से ऊपर होता है और जो व्यायाम नहीं करती हैं, वे इस समस्या की शिकार होती हैं। यह समस्या खाद्य संरक्षण उद्योग से जुड़े कर्मचारी।
बर्फ व आईसक्रीम फैक्टरी में काम करने वाले श्रमिकों में भी ज्यादा देखने को मिलती है। इसका कारण यह है कि इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के हाथों का ठंडे व गर्म नी से जल्दी-जल्दी सम्पर्क होता रहता है।
वैसे यह समस्या उन लोगों मे भी देखने को मिलती है जो चक्करदार गतिशील औजारों का बहुत प्रयोग करते हैं जैसे ड्रिलिंगमशीन आप्रेटर, मिक्सी-ज्यूसर का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने वाले दुकानदार व ब्यूटीपार्लर में काम आने वाला हेयर ड्रैसर। प्यानो, हारमोनियम व टाइपिंग ज्यादा समय करने वाले लोग भी उंगलियों की समस्या से बच नहीं पाते।
‘थोरेसिक आऊटलेट सिंड्रोम’ भी है एक कारण
जिन लोगों की गर्दन की मांसपेशियों में अनावश्यक रूप से अत्यधिक दबाव होता है या गर्दन में रीढ़ से असाधारण रूप से निकली हुई पसली का दवाव (सरवाइकल) पड़ता है, उन लोगों में यह समस्या “थोरेसिक आऊटलेट सिंड्रोम” (टी.ओ.सी.) के कारण उत्पन्न हो जाती है।
डायबिटीज के मरीज भी इस समस्या से दूर नहीं
देखा गया है कि जिन लोगों को लम्बे समय से डायबिटीज की शिकायत है, वे अक्सर उंगलियों में सूजन व दर्द की शिकायत करते हैं।
कैसे बचें?
उंगलियों में दर्द व सूजन की शिकायत करने वाले लोग अपने हाथ को ठंडे पानी व बर्फ के सम्पर्क में न लाएं। सर्दी के मौसम में हाथों में गर्म व ऊनी दस्तानों का प्रयोग करें।
डिटर्जेंट पाऊडर व कपड़े धोने वाले साबुन का हाथों पर इस्तेमाल न करें। नहाने के लिए बहुत हल्के साबुन का प्रयोग करें। हाथ में कभी टाइट घड़ी का पट्टान बांधे और न ही हाथ की उंगलियों में टाइट अंगूठी पहनें। उंगलियों की समस्या से पीड़ित लोग सिलाई मशीन, प्यानो, हारमोनियम व टाइपिंग मशीन का इस्तेमाल बहुत कम करें।
खाने में सावधानी बरतें
अदरक, हरी सब्जी, टमाटर व गाजर का प्रयोग प्रचुर मात्रा में करें। ताजा कटे अन्नानास का सेवन इस समस्या के निदान में काफी लाभदायक है। याद रखें कि अन्नानास को काटने के बाद तुरन्त खाने से ही फायदा है। अत्यधिक तेल व चर्बी युक्त खाद्य पदार्थों से दूर रहें। मिठाई से थोड़ा परहेज रखें।
कछ दवाइयों से दूर रहें
ब्लडप्रैशर में प्रयुक्त बीटा-ब्लॉकर दवाइयों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। सर दर्द या माइग्रेन में प्रयुक्त होने वाली अरगोटामीन या अरगट औषधियों के सेवन से भी बचना चाहिए। पीड़ित महिलाओं को गर्भ निरोधक दवाइयों व गर्भपात के लिए दी जाने वाली अरगट औषधियों से भी परहेज रखना चाहिए।
इलाज की विधाएं
उंगलियों में दर्द, सूजन व लाल चकत्ते बन रहे हो तो बैगर समय व्यर्थ किए वैस्क्युलर सर्जन से परामर्श लें और उनकी निगरानी में जरूरी जांच करवा कर इलाज शुरू करवा दें। रोगी आटोइम्यून रोग यानी स्केलेरोडरा से पीड़ित तो नहीं है, इसके लिए खून की विशेष जांच व बायोप्सी का सहारा लेना पड़ता है।
स्पैशल क्रीम व तेल स्नान से त्वचा मुलायम और मांसपेशियों में लचीलापन रहता है। अक्सर विशेष एंटीबायोटिक का इस्तेमाल भी करना पड़ता है। कभी-कभी सरवाइकल सिमपैथेक्टमी, थ्रॉम्बोएमबोलेक्टमी व वैस्क्युलर बाईपास आप्रेशन की भी जरूरत पड़ती है।
पंजाब केसरी से साभार
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