कैलाश मानसरोवर को हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में एक माना जाता है। यहां साक्षात भगवान शिव निवास करते हैं, उनके दर्शन के लिए हजारों-लाखों शिवभक्त हर वर्ष यहां आते हैं।
माना जाता है कि यहीं पर आदि शंकराचार्य ने भी अपने शरीर का त्याग किया था। यही प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव ने निर्वाण प्राप्त किया था।
जगह से संबंधित कई रोमांचक कहानियां हैं, कुछ संतों का मानना था कि इस पर्वत पर 500 से अधिक आत्माएं निवास करती हैं और केवल जब एक आत्मा मोक्ष की इच्छा रखती है, तो दूसरी आत्मा को इसके पवित्र स्थान पर निवास करने की अनुमति है।
कुछ अन्य लोगों द्वारा एक और दिलचस्प कहानी है कि आत्मा हर साल केवल तीन अवसरों पर इस पर्वत पर इकट्ठा होती है – बुद्ध पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा।
तो चलिए जानते हैं चमत्कारी इस झील से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:-
चार महान नदियों का उद्गम स्थल
कैलाश पर्वत चार महान नदियों सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और कर्णाली या घाघरा का उद्गम स्थल है। इसके अलावा इसकी चोटियों के बीच दो झील स्थित हैं।
पहला, मानसरोवर झील जो दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित शुद्ध पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है इसका आकर सूर्य के सामान है।
दूसरा झील, राक्षस झील है जो दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है और इसका आकार चन्द्रमा के सामान है।
मानसरोवर में होती है पापों की मुक्ति
प्राचीन शास्त्रों में कहा गया है कि हर आदमी को जिंदगी में कम से कम एक बार कैलाश पर्वत जरूर जाना चाहिए और मानसरोवर झील में स्नान करना चाहिए।
स्नान करने का सबसे उपयुक्त समय प्रातः 3 बजे से 5 बजे का है, जिसे ब्रह्ममुहूर्त के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय देवता भी स्नान करने के लिए इस झील पर आते हैं।
हिन्दू पौराणिक कथाओं में इस बात का भी उल्लेख किया गया है, कि मानसरोवर झील में पवित्र डुबकी लगाने से कई जन्मों के सभी पाप मिट जाते हैं और व्यक्ति मृत्यु के बाद “रुद्रलोक” पहुंच जाता है।
चारों ओर एक अलौकिक शक्ति
कैलाश पर्वत और उसके आस पास के वातावरण पर अध्यन कर रहे वैज्ञानिक ज़ार निकोलाइ रोमनोव और उनकी टीम ने तिब्बत के मंदिरों में धर्मं गुरूओं से मुलाकात की थी।
उन धर्म गुरूओं ने बताया कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है जिसमें तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरूओं के साथ टेलिपेथी संपर्क करते है।
सूर्योदय के समय दिखता है स्वास्तिक
कैलाश पर्वत के ठंडे पहाड़ों पर जब सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें पड़ती है तो विशाल स्वास्तिक की आकृति बनती है, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि भगवान सूर्य भगवान शिव को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
ॐ की ध्वनि सुनाई देती है
कैलाश पर्वत को ॐ पर्वत के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कैलाश पर्वत पर पहुंचने पर ॐ की आवाज़ सुनाई पड़ती है।
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव के निवास स्थान के रूप में प्रसिद्ध इस स्थान एक अद्भुत शांति की अनुभूति होती है।
इस पवित्र स्थान पर है एक चमत्कारी वृक्ष
बौद्ध धर्म में कहा गया है कि कैलाश मानसरोवर के बीचों बीच एक चमत्कारी वृक्ष है, जिसके फूलों से सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों को दूर किया जा सकता है।
रावण ने की थी यहाँ तपस्या
रामायण की कथा के अनुसार यहां राक्षसराज रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या की थी। तपस्या के असफल होने पर उसने क्रोधित होकर कैलाश पर्वत को अपने हाथों पर उठा लिया था,
जिस पर स्वयं महादेव ने उसका मान-मर्दन किया था। भस्मासुर ने भी यही तप कर किसी को भी भस्म कर देने वाला अमोघ वरदान प्राप्त किया था।
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