यमुना नदी भारत की प्राचीन और पवित्र नदियों में से एक है। ब्रजमंडल की यह नदी सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यमुना श्री कृष्ण की परम भगत है। यह नदी भक्ति की प्रतीक भी मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार गंगा नदी सफेद और यमुना नदी काली है। भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रिय स्थान वृन्दावन भी यमुना नदी के तट पर ही बसा हुआ है।
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यमुना नदी का सफर
यह नदी बंदरपूछ के पश्चिमी ढाल पर स्थित यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है, जो कि 6387 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यमुनोत्तरी पर्वत से निकलकर यह नदी अनेक पहाड़ी दरों और घाटियों में प्रवाहित होती हुई छोटी और बड़ी पहाड़ीयों, नदियों को अपने अंचल में समेटती हुई आगे बढ़ती है और फिर दिल्ली, आगरा से होती हुई आखिर में यह नदी इलाहाबाद में आकर गंगा नदी में मिल जाती है। इस नदी की लम्बाई 1211 किमी है।
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यमुना नदी के कुछ और तथ्य
अपने प्रदेश की अन्य नदियों की तरह यह नदी भी पूर्व की और बहती है। इस नदी को कालिंदी के नाम से भी जाना जाता है। इस नदी के किनारे दिल्ली, आगरा, मथुरा, हमीरपुर, इलाहाबाद आदि शहर बसे हुए है। दुनियां के सात अजुबों में शामिल ताजमहल, इसी नदी के किनारे पर स्थित है। मथुरा में इस नदी के 24 घाट ब्रज क्षेत्र है।
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यमुना की सहायक नदियाँ
इस नदी की सहायक नदियाँ चम्बल, सेंगर, छोटी सिन्ध, बेतवा और केन हैं।
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यमराज की बहन है यमुना नदी
शास्त्रों के अनुसार यह नदी यमराज की बहन है। यहां इस नदी को यमी से नाम से जाना जाता है। यमराज और यमी परम तेजस्वी सूर्य की संतान है। कहते है कि सूर्य की पत्नी छाया जो दिखने में काली थी, उनकी संतान यमराज और यमुना भी श्याम वर्ण पैदा हुए थे। इस नदी का जल पहले कुछ नीला और काला था, इसीलिए इसे काली गंगा भी कहते है।
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यमुना नदी की पवित्रता
केशी घाट के पास यमुना नदी को काफी ज्यादा पवित्र माना जाता है, क्यूंकि केशी नामक राक्षस का वध करने के बाद भगवान कृष्ण ने यहीं स्नान किया था। हिन्दू धर्म में माना जाता है कि यहां स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं।
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