कभी-कभी कुछ ऐसे मामले सुनाई देते है जो सुनने में तो अजीब-सा लगता है लेकिन हकीकत में सही है। कुछ इसी तरह का एक वाकया उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के कटारी गांव में देखने-सुनने के मिलता है जहां एक बुजुर्ग महिला यदि रेत न खाएं तो उनकी तबीयत खराब हो जाएगी।
आज स्थिति यह है कि दिन-प्रतिदिन इनके रेत खाने की रफ्तार और मात्रा बढ़ती जा रही है। 75 वर्षीय कुसुमावती के लिए रेत खाना उनकी दिनचर्या बन चुकी है। सुबह चाहे नाश्ता भले न करती हों, लेकिन समय से रेत जरूर खाती हैं।
इस अजीबो-गरीब आदत की वजह से गांव में चर्चा का विषय बन चुकी कुसुमावती बताती हैं कि प्रतिदिन एक पाव से आधा किलो तक वह रेत खाती हैं।
आश्चर्य की बात है कि उनकी यह आदत करीब 60 साल से है लेकिन वह पूरी तरह से स्वस्थ और निरोग हैं। सोशल मीडिया पर उनकी कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं।
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वैद्य के कहने पर शुरू किया था रेत खाना
कुसुमावती देवी बताती हैं कि जब वह 15 साल की थीं, तब पेट दर्द होने पर एक वैद्य के कहने पर इन्होंने दूध में रेत मिला कर पीती थी। इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने रेत खानी शुरू कर दी। अब तो यह उनकी दिनचर्या बन चुकी है।
सुबह चाहे नाश्ता भले न करती हों लेकिन रेत जरूर खाती हैं और वह भी गंगा की रेत जिसके लिए इनके नाती-पोते बाकायदा इंतजाम करते हैं। वह रेत को खाने से पहले साफ पानी से धोती हैं और सुखाने के लिए छोड़ देती हैं।
रेत न खाएं तो तबीयत हो जाती है खराब
कुसुमावती पोल्ट्री फार्म चलाती हैं और खेत के एक छोटे से हिस्से में घर बनाकर रहती हैं। उनके 2 बेटे हैं और इन बेटों के 3 बच्चे भी हैं।
एक भरा-पूरा परिवार है लेकिन अपनी जिद की वजह से वह एक अलग घर में रहती हैं। गांव के लोगों के अनुसार उन्हें ध्यान नहीं है कि यह कब से कुसुमावती रेत खा रही हैं लेकिन पिछले 40-45 वर्षों से दिन में 3 समय उन्हें रेत खाते देखा गया है।
कुसुमावती का कहना है कि यदि वह रेत न खाएं तो उनकी तबीयत खराब हो जाएगी। स्थिति यह है कि दिन-प्रतिदिन इनके बालू खाने की रफ्तार और मात्रा बढ़ती जा रही है लेकिन हैरान करने वाली बात है।
वह आज भी बीमारियों से अछूती हैं लेकिन डॉक्टरों को इस पर आश्चर्य है और वे उन्हें रेत न खाने की सलाह दे चुके हैं। डॉक्टरों के अनुसार यह एक गलत धारणा है कि रेत से पेट दर्द या पेट के अन्य रोग दूर हो जाते हैं।
आयुर्वेद में भी ऐसा कोई इलाज नहीं है। रेत पाचन क्रिया को प्रभावित करती है।
पंजाब केसरी से साभार