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जब अमिताभ बच्चन को चुनाव में मिले थे 4000 “Kiss Vote”

चुनाव, लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके द्वारा लोग अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं। चुनाव में उम्मीदवार को उनके समर्थक वोट और नोट देने का दम भरते हैं। आप ने अक्सर चुनाव में नोट और वोट की बात तो सुनी ही होगी, लेकिन क्या आप ने कभी सुना है किसी उम्मीदवार को ऐसे वोट पड़ें हों, जिन पर मुहर की जगह औरतों ने किस (Kiss) करके लिपस्टिक मार्क (Lipstick Mark) बनाकर “Kiss Vote” डाला हो।

जी हाँ यह बात बिलकुल सच है, आज हम आपको बताएंगें, ऐसा कब और क्यों हुआ था।

साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी ने अपने करीबी दोस्त अमिताभ बच्चन को चुनाव लड़ने के लिए कहा। अमिताभ बच्चन को इंदिरा गांधी अपने बेटे के समान मानती थीं।

राजीव के कहने पर अमिताभ भी चुनाव लड़ने के लिए मान गए। अमिताभ इलाहाबाद से उस वक्त के दिग्गज नेता हेमवतीनंदन बहुगुणा के विरुद्ध खड़े हो गए। हेमवतीनंदन बहुगुणा का सियासी कद बहुत बड़ा था।

सबको यही लगा कि अमिताभ का जितना तो दूर की बात है, वह हेमवतीनंदन को टक्कर भी नहीं दें पाएंगें। लेकिन इस चुनाव का नतीज़ा यह हुआ, जिसकी किसी ने कल्पना तक भी नहीं की थी। अमिताभ बच्चन ने हेमवतीनंदन बहुगुणा को एक या दो हजार नहीं, बल्कि एक लाख 87 हजार वोटों के अंतर से हराया। इतनी बुरी हार के बाद बहुगुणा ने सियासत से ही संन्यास ले लिया।

लेकिन इस चुनाव की एक और खास बात थी। मतगणना के दौरान अमिताभ के 4000 हजार वोट रद्द हो गए थे। यह चार हजार वोट रद्द होने की वजह बड़ी ही दिलचस्प थी। दरअसल जो लड़कियां और महिलाएं अमिताभ बच्चन की फैन्स थी, उन्होंने अपने मतपत्र पर मुहर की बजाए lipstick से kiss mark बनाकर अमिताभ को वोट डाला था।

ऐसा उदाहरण आजतक कोई दूसरा नहीं आया है, लेकिन अमिताभ के यह रद्द हुए 4000 kiss vote इतिहास में दर्ज़ हो गए। हालांकि अमिताभ बच्चन ने अपना वो कार्यकाल पूरा नहीं किया और 1988 में ही संसद छोड़ दी थी। इस चुनाव में इलाहाबाद में अमिताभ की लोकप्रियता लोगों के सर चढ़कर बोली थी, क्योंकि चुनाव बूथों पर रात 10 बजे तक वोटिंग हुई थी।

कई पोलिंग बूथों पर 100 फीसदी तक वोटिंग हुई थी। इलाहाबाद के उस चुनाव में 58 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें से 69 फीसदी वोट अमिताभ बच्चन को मिले थे। उस समय इतनी ज़बरदस्त वोटिंग देखकर चुनाव आयोग ने यह टिप्पणी की थी कि “क्या एक भी आदमी वोटिंग के दिन बीमार नहीं था”। इस चुनाव में अमिताभ के खिलाफ हेमवतीनंदन बहुगुणा पक्ष ने एक दिलचस्प चुनावी नारा भी दिया था। इस तरह से था वह चुनावी नारा-

हेमवती नंदन, इलाहाबाद का चंदन

दम नहीं है पंजे में, लंबू फंसा शिकंजे में

सरल नहीं संसद में आना, मारो ठुमका गाओ गाना

जब हद हो गई, तो एक जनसभा में अमिताभ बच्चन ने भी गाना गा दिया था- “मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है”। कहते हैं इस गाने ने रही कसर पूरी कर दी, क्योंकि अमिताभ बच्चन इलाहाबाद के थे और बहुगुणा गढ़वाल के। ऐसे में उनके खिलाफ बाहरी होने का मुद्दा भी चल गया।

इस चुनाव में बहुगुणा और उनके समर्थकों ने अमिताभ पर खूब तंज कसे थे। बहुगुणा ने कहा था कि ये नाचने- गाने वाले हैं, चार दिन बाद मुंबई लौट जाएंगें। लेकिन इस बारे में जब मीडिया ने अमिताभ बच्चन को पूछा तो उन्होंने कहा- “बहुगुणा जी हमसे बड़े हैं, उनकी इस बात पर हम कुछ नहीं कह सकते”।

 

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