जादू एक अद्वितीय कला है। जादू के बारे में कहा जाता है कि यह हाथ की सफ़ाई है। कई बार इसे सम्मोहन, दृष्टि भ्रम, छलावा आदि भी कहा जाता है। चमत्कार, इन्द्रजाल, टोना या तन्त्र-मन्त्र जैसे शब्द भी जादू कि श्रेणी में आते हैं। जादू हाथ की सफाई है, भ्रम है या सच में चीजें होती हैं नहीं होती हैं, कहना मुश्किल है।
लेकिन आज हम बात करेंगे एक ऐसे गाँव की जिसका बच्चा-२ जादू जानता है। इस गाँव को काले जादू का गांव भी कहा जाता है। कहा जाता है कि यहां के लोग अपने बच्चों को छोटी उम्र में ही काले जादू का ज्ञान दे देते हैं।
मायोंग नाम का यह गाँव भारत के असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी शहर से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित है। जिला मोरिगांव में पबित्रा वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी(Pobitora Wildlife Sanctuary) के पास स्थित है काले जादू का यह गांव। ‘मायोंग‘ शब्द संस्कृत शब्द ‘माया‘ से बना है जिसका अर्थ होता है भ्रम।
कहते हैं कि यहां के लोग भ्रम पैदा करने में उस्ताद हैं। यहां के लोग गायब करने और गायब होने का जादू जानते हैं। यहां तक भी कहा जाता है कि लोग खुद को जानवरों में भी बदलने की शक्ति रखते हैं। और तो और, कहा जाता है कि यहां पर जंगली जानवरों को अपनी जादू की शक्ति से पालतू बना लिया जाता है।
यहाँ पर लोग मंत्र से दर्द दूर करते हैं, चोर पकड़ते हैं और कई तरह के जादू के प्रदर्शन भी करते हैं। यहां के लोग वैसे हैं तो किसान लेकिन किसानी के साथ ही ये अपने बच्चों को जादू भी सिखाते हैं। यहां पर काला जादू और जादूटोना पीढ़ियों से किया जाता रहा है।
काले जादू का केंद्र गांव
मायोंग गांव को काला जादू का केंद्र माना जाता है। यहां के लोगों को इंसान से जानवर बनाने की कला मालूम है। यही नहीं ऐसा भी कहा जाता है कि अपनी जादुई शक्ति से लोगों को यहां हवा में गायब कर दिया जाता है।
एडवेंचर के शौकीन लोग इस जगह को एक्सप्लोर करना पसंद करते हैं। हालांकि, इस जगह को काला जादू के अलावा प्राकृतिक खूबसूरती की वजह से काफी पसंद किया जाता हैं। इन्हीं रहस्यमय बातों के कारण यात्री यहां आना पसंद करते हैं।
पौराणिक कथाएं
कहा जाता है कि 1332 में असम पर मुग़ल बादशाह मोहम्मद शाह ने एक लाख घुड़सवारों के साथ चढ़ाई की थी। तब यहां हज़ारों तांत्रिक मौजूद थे, उन्होंने मायोंग को बचाने के लिए एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी थी जिसको पार करते ही सैनिक गायब हो जाते थे। उस सेना का क्या हुआ, किसी को पता नहीं चला।
प्रारंभिक आधुनिक काल तक इस गांव में शक्ति पूजा की जाती थी, जहां सदियों पहले नरबलि दी जाती थी। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मायोंग में बूढ़ा मायोंग नाम की एक जगह है जिसे काले जादू का केंद्र माना जाता है। यहां 2 कुंड हैं – एक अष्टदल कुंड व दूसरा योनि कुंड।
योनि कुंड पर हिन्दू व अष्टदल कुंड पर बौद्ध अपनी तंत्र विद्या को सिद्ध करने के लिए साधना किया करते थे। इसके अलावा यहां पर भगवान शिव व पार्वती के अलावा गणेशजी की भी प्रतिमाएं हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि काले जादू की मंत्र शक्ति के कारण ये कुंड हमेशा पानी से भरा रहता है।
मायोंग गांव का इतिहास महाभारत से जुड़ा है। ऐसा कहा जाता है कि ये गांव भीम के बेटे घटोत्कच का है। उसे इस गांव का राजा माना जाता है।
मायोंग अभी भी उन जादूगरों का घर है, जिन्हें मंत्रों के जरिए ना सिर्फ काला जादू बल्कि आयुर्वेद, हस्तरेखा और भविष्यवाणी का ज्ञान है। मायोंग के लोग अपनी इस कला पर गर्व करते हैं।
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