Sunday, November 17, 2024
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ये हैं दुनिया के सबसे ठंडे डेजर्ट

रेगिस्तान या मरुस्थल शब्द सुनते ही रेत के ऊंचे-ऊंचे टीले, गर्मी, धूलभरी आंधी और ऊंटों का झुंड याद आते है, लेकिन क्या आपने ठंडे डेजर्ट के बारे में सुना है? अगर नहीं तो आइए जानते हैं

पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्र बहुत ठंडे होते हैं तथा सालभर बर्फ से ढंके रहते हैं। वहां वर्षा ना के बराबर होती है तथा सतह पर हमेशा बर्फ की चादर बिछी रहती है। इन ध्रुवीय क्षेत्रों को ठंडे रेगिस्तान कहा जा सकता है।

रेगिस्तान शब्द लेटिन भाषा से निकला है, जिसका अर्थ होता है बेकार या उजड़ी जमीन। रेगिस्तान में साल में 25 सेंटीमीटर से भी कम बारिश होती है, जिससे यहां की जमीन नमीहीन हो जाती है और यहां हमारी प्रकृति की अहम जरूरत पानी की कमी भी होती है।

दूसरी ओर कुछ रेगिस्तान तो लगभग पूरी तरह कोहरे और बर्फ की मोटी चादर से ढंके रहते हैं। यहां पूरे साल बर्फ गिरती रहती है।

यहां का तापमान -50 डिग्री तक पहुंच जाता है। इन क्षेत्रों का औसत तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस से कम होता है। ये इलाके ठंडे रेगिस्तान या ठंडे मरुस्थल यानी ‘कोल्ड डेजर्ट‘ कहलाते हैं।

विश्व के ठंडे मरुस्थल

अंटार्कटिका इसी तरह के रेगिस्तान हैं। अंटार्कटिका को दुनिया का सबसे ठंडा और सबसे शुष्क रेगिस्तान माना जाता है। इसके केवल 2 प्रतिशत भू-भाग पर पठार(Plateau) है, जबकि 98 प्रतिशत भाग पर मोटी बर्फ की चादर रहती है।

अंटार्कटिका के कुछ एरिया तो ऐसे हैं, जहां सालों से बारिश नहीं हुई है। पहाड़ों में जमी बर्फ के पिघलने से वहां पानी की जरूरत पूरी होती है।

गोबी डेजर्ट भी दुनिया के सबसे ठंडे रेगिस्तानों में से एक है, जहां तापमान जीरो से 40 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। गोबी मरुस्थल चीन और मंगोलिया में स्थित है। यह एशिया महाद्वीप में मंगोलिया के अधिकांश भाग पर फैला हुआ है। यह संसार के सबसे बड़े मरुस्थलों में से एक है।

‘लद्दाख’ भारत का ठंडा रेगिस्तान है। यहां का मौसम हमेशा बदलता रहता है। सर्दियों में यहां का तापमान कभी-कभी -40 डिग्री तक भी पहुंच जाता है।

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