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जाने कहानी आम की और इससे जुड़े कुछ खास तथ्य!!

आम को फलों का राजा कहा जाता है। दुनिया भर में अनेक प्रकार के आम उगाए तथा बड़े ही चाव के साथ खाए जाते हैं। यह दुनिया भर में सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले फलों में से एक है।

बरसात में तो हर घर में आप आम देख सकते हैं। इसमें पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, यह जहाँ पाचन तंत्र को ठीक रखता है, वही त्वचा की कोमलता के लिए भी यह कारगर है।

यह त्वचा का रंग भी साफ करने में सहायता करता है। हम आपको इससे जुड़े कुछ ऐसे और खास तथ्यों के बारे में बता रहे हैं जिनके बारे में आपको शायद ही पता होगा।

तो चलिए जानते हैं :-

  • दुनिया में सबसे अधिक आम भारत में पैदा किए जाते हैं। वैसे इसे केवल भारत में ही नहीं, पाकिस्तान और फिलीपींस में भी राष्ट्रीय फल माना जाता है और बांग्लादेश में इसके पेड़ को राष्ट्रीय पेड़ का दर्जा प्राप्त है।
  • दुनिया भर में इसकी करीब 1400 किस्में में पाई जाती हैं, इनमें से 1 हजार भारत में पैदा होती हैं।
  • आम के पेड़ का वैज्ञानिक नाम ‘मैंगिफेरी इंडिका’ है। इसका अर्थ है ‘आम के फल वाला एक भारतीय पौधा’।
  • भारत में उगाए जाने वाले फलों में यह सबसे पुराना है। इसे भारत में लगभग 5000 सालों से उगाया जा रहा है। इसे सबसे पहले उत्तर- पूर्वी राज्यों में उगाया गया। वह क्षेत्र वर्तमान समय में म्यांमार से जुड़ा हुआ है जहां आम के बाग सबसे पहले लगाए गए थे।
  • भारत में मुगलों का शासन आया तो इसकी खेती को और बढ़ावा मिला मगर तब आम को सोने के भाव तोला जाता था इसलिए इसकी खेती केवल शाही उद्यानों में ही होती थी। हालांकि, शाहजहां के शासनकाल में यह बंदिश खत्म कर दी गई। ‘ए हिस्टोरिकल डिक्शनरी ऑफ इंडियन फूड’ नामक पुस्तक में इतिहासविद केटी आचार्या ने भी इस बात का जिक्र किया है कि मुगलों के शासन काल में भारत में तोतापरी, रातोल और केसर जैसे आम उगाए जाते थे।
  • बताया जाता है कि आम मुगल बादशाह जहांगीर का पसंदीदा फल था और उसने एक बार यह भी कहा था कि पूरी दुनिया में इससे स्वादिष्ट फल और कोई नहीं हो सकता।
  • इतिहास में इस बात का भी ज़िक्र मिलता है कि जब ‘अलेक्जेंडर द ग्रेट यानी सिकंदर’ भारत से वापस यूनान लौट रहा था तो वह अपने साथ सबसे अच्छी किस्म के आम ले गया था।
  • पुराने समय में दक्षिण भारत में इस फल को ‘आमकाय’ कहा जाता था। यहां के कुछ लोग इसे ‘मामकाय’ भी कहते हैं।इसके अलावा इसे ‘मांगा’ भी कहा जाता था। जब पुर्तगाली भारत आए तो उन्होंने इसका नाम ‘आम’ रखा।
  • ‘ए हिस्टारिकल डिक्शनरी ऑफ इंडियन फूड’ के अनुसार आम की खेती सबसे पहले खुद पुर्तगालियों ने ही भारत आकर शुरू की थी। जो सबसे पहले किस्म उगाई गई उसका नाम ‘फ्रेनानदीन’ रखा गया। इसके बाद पुर्तगाली दूसरे देशों में भी भारत से इसके बीज लेकर गए और वहां इसकी अलग किस्में उगाई।
  • सबसे लोकप्रिय आमों में लंगड़ा, दशहरी, तोतापुरी, सिंदूरी, अलफांसो, से लेकर सफेदा शामिल हैं।

हर आम के पीछे है एक खास कहानी

लंगड़ा आम

लंगड़ा आम खाने में हल्की खटास लिए मीठा होता है। इसके साथ एक कहानी जुड़ी है। कहते हैं कि बनारस के एक किसान के बगीचे में एक आम का पेड़ लगा था।

उसे इसका स्वाद इतना अच्छा लगा कि इसी तरह के आम के और भी पेड़ उसने लगा लिए और इसका नाम, लंगड़ा रखा गया क्योंकि जिस किसान ने इस किस्म को खोजा था वह पैरों से अपाहिज था।

दशहरी

दशहरी आम का सबसे ज्यादा उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है यहां हर साल करीब 20 लाख टन दशहरी आम पैदा होता है।

कहते हैं कि इसका पहला पेड़ लखनऊ के पास काकोरी स्टेशन से सटे दशहरे गांव में लगाया गया था, इसी गांव के नाम पर इसका नाम दशहरी आम पड़ा कहते हैं कि वह पेड़ आज भी मौजूद है, जिस पर पहला दशहरी आम आया था।

इसकी उम्र करीब 200 साल बताई जाती है। इसे ‘मदर ऑफ मैंगो ट्री’ भी कहा जाता है। इसके अलावा चौसा और एक दर्जन से अधिक किस्मों के नाम गांव के नाम पर ही पड़े हैं।

तोतापुरी

इसकी ‘तोते की चोंच जैसी नोक और रंग के कारण इसे तोतापुरी या तोतापरी कहा जाता है।

सिंदूरी

सिंदूरी आम की फसल में छिलकों पर हरे रंग के अलावा सिंदूरी रंग भी दिखाई देता है, इसलिए इसे सिंदूरी भी कहा जाता है।

अलफांसो

दुनिया भर में भारत में पैदा होने वाले अलफांसो की अलग पहचान है, इसे सभी आमों का राजा भी कहा जाता है अल्फांसो ही एक ऐसा नाम है जो तौल के साथ साथ दजर्न में भी बिकता है।

यह सबसे अधिक यूएसए को एक्सपोर्ट होता है कई देशों में इसके दाम और ज्यादा हो जाते हैं वैसे अलफासों को ब्रिटेन में भी उगाया जाता है। अलफासों को भारत में हापुस आम भी कहा जाता है। यह लगड़ा आम के बाद सबसे मीठा होता है।

सफेदा

इसके छिलके में हल्की सफेदी होती है इसलिए इसको सफेदा कहा जाता जाता है।

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