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तो आप इस तरह से पकड़ सकते हैं झूठे इंसानों को

कई बार हमारे सामने अगर कोई इंसान झूठ बोलता है, तो हमसे झूठे इंसानों को पकड़ पाना मुश्किल होता है। कई लोग तो ऐसे होते हैं कि आँखो से आँखें मिलाकर झूठ बोल जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जो झूठ बोलते समय कांपते हैं या हिचकिचाते हैं। हाँ मगर किसी के झूठ को पहचानना आसान नहीं, तो मुश्किल भी नहीं है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, कुछ आसान से टिप्स, जिससे आप पता लगा सकते हैं कि आपके सामने खड़ा इंसान सच बोल रहा है या झूठ। आइए जानते हैं वो कुछ टिप्स-

आवाज़ ही बहुत कुछ कह देती है

कहते हैं कि मोबाइल पर झूठ बोलना ज्यादा आसान होता है, क्योंकि उस वक्त इंसान सामने नहीं होता, इसलिए झूठ बोलने वाले पर तनाव भी काफी कम रहता है। लेकिन, आप मोबाइल पर भी सामने वाले की आवाज़ सुनकर बता सकते हैं कि वह झूठ बोल रहा है या सच।

आप इस बात का ध्यान दें कि आज उनकी आवाज़ रोज की अपेक्षा कुछ अलग तो नहीं है या फिर वह बात करते-करते बार-बार इन शब्दों को तो नहीं यूज़ कर रहा है, जैसे ‘ईमानदारी से कहूं तो’ और ‘मेरे कहने का मतलब हैआदि कुछ। तो आप संभल जाइए, शायद जो आपको बताया जा रहा है वह झूठ भी हो सकता है।

बॉडी लैंग्वेज

शब्दों से ज्यादा सामने वाले की शारीरिक हाव-भाव पर ध्यान दीजिए। अक्सर झूठ बोलते समय इंसान हाथों को छिपाकर रखता है, हाथ बांधना, पीछे रखना, जेब में डालना या हाथों पर ही बैठ जाना, आदि कुछ। झूठ बोल रहा इंसान काफी तनाव में होता है, मानसिक तनाव शारीरिक तनाव में भी झलकता है।

कंधे उचकाना, अंगुलियां फंसाना, पैर पर पैर रखना, या हाथ पर हाथ रखना, ये कुछ ऐसे शारीरिक तनाव के लक्षण हैं, जो इशारा कर रहे हैं कि उस इंसान से मुंह से जो निकल रहा है, वह सच नहीं है। वह भी तब, जब सामान्य परिस्थितियों में वह अपनी बात कहते समय हाथों का बहुत ज्यादा यूज़ करता हो।

अक्सर झूठ बोलते समय इंसान पैर बहुत हिलाता है, कोई सवाल पूछे जाने पर होठों पर जीभ फिराना या होठ काटना भी झूठ बोलने की निशानी हैं।

बदले-बदले से नज़र आते हैं

अगर आपको शक होता है कि शायद सामने वाला इंसान झूठ बोल रहा है, तो आप उसके बात करने के लहजे और स्पीड पर ध्यान दीजिए। अक्सर झूठ बोलते समय लोग सामान्य से ऊंची आवाज़ में और जल्दी-जल्दी बात करने लगते हैं और झूठ बोलते समय हड़बड़ाने भी लगते हैं।

सांसें भी पोल खोलती हैं

अकसर जब भी सामने वाला इंसान झूठ बोलता है, तो उस समय उसकी सांस कुछ तेज़ चलने लगती है और आवाज़ बहुत उथली हो जाती है, क्योंकि झूठ बोलना उसको नर्वस कर देता है और नर्वस इंसान का ब्लड फ्लो और हार्ट रेट बदल जाता है।

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

कई झूठे इंसान खुद को फंसता देख वह बहुत ज्यादा डिफेंसिव हो जाते हैं, क्यों जाननी है यह बात? यह बात अब इतनी महत्वपूर्ण नहीं है। बार- बार यही बात क्यों पूछ रहे हो, तुम तो इस बात के पीछे ही पड़ गए। ऐसे ही जवाबों के जरिए झूठ बोल रहा इंसान आगे कोई जवाब देने से इंकार कर देता है और फोर्स किए जाने पर उल्टा आपको ही झूठा साबित करने लगता है।

पसीना क्यों आ रहा है

झूठ बोलना अच्छे-अच्छे झूठे इंसानों का पसीना छुड़ा देता है। अगर सामने वाले इंसान को बहुत पसीना आ रहा है, तो समझ लीजिए कि उस पर ये शब्दों का तनाव हावी है। पसीना आना तनाव की बहुत पक्की निशानी है।

चलो कुछ और बात करते हैं

झूठ बोल रहा इंसान ज्यादा देर तक उस टॉपिक पर बात नहीं करना चाहता, इसलिए वह हर संभव कोशिश करता है कि टॉपिक चेंज कर दिया जाए।

नज़रें चुराना अच्छी बात नहीं

अगर सामने वाला इंसान बोलते वक्त आपसे आई कॉन्टैक्ट नहीं कर पा रहा, तो काफी संभावना है कि वह आपसे झूठ बोल रहा है और अगर आपकी लाख कोशिश के बावज़ूद उसने नज़रें मिला भी लीं, तो वह बिना पलकें झपकाए आपको घूरने के अंदाज़ मे देखेगा, या फिर बहुत ज्यादा पलकें झपकाएगा

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