आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है। नवरात्रि के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है।
मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान विधि- विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
शारदीय नवरात्रि तिथि व् शुभ महूर्त
शारदीय नवरात्रि का आरंभ 7 अक्टूबर दिन गुरुवार से हो रहा है। नवरात्रि के पहले दिन यानी आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को घट स्थापना किया जाता है, इसे कलश स्थापना भी कहते हैं।
पंचांग की गणना के अनुसार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि का आरंभ 6 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है और प्रतिपदा तिथि 7 तारीख को दिन में 1 बजकर 47 मिनट तक रहेगी।
शास्त्रों के अनुसार जिस तिथि में सूर्योदय होता है उसी तिथि का मान पूरे दिन रहता है। 7 अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि में सूर्योदय का आरंभ होने से इसी दिन शारदीय नवरात्र का आरंभ होगा और कलश स्थापना के साथ देवी के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा की जाएगी।
शारदीय नवरात्रि महत्व
धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि मां भगवती दुर्गा की आराधना करने का श्रेष्ठ समय होता है। इन नौ दिनों के दौरान मां के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है।
नवरात्रि का हर दिन मां के विशिष्ट स्वरूप को समर्पित होता है, और हर स्वरूप की अलग महिमा होती है। आदिशक्ति जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं। यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है।
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
घटस्थापना मुहूर्त- 07 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।
नवरात्रि के नौ दिन
- पहला दिन: 07 अक्टूबर, गुरुवार, मां शैलपुत्री की पूजा
- दूसरा दिन: 08 अक्टूबर, शुक्रवार, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
- तीसरा दिन: 09 अक्टूबर, शनिवार, मां चंद्रघंटा पूजा व मां कुष्मांडा पूजा
- चौथा दिन: 10 अक्टूबर, रविवार, मां स्कंदमाता की पूजा
- पांचवा दिन: 11 अक्टूबर, सोमवार, मां कात्यायनी की पूजा
- छठा दिन: 12 अक्टूबर, मंगलवार, मां कालरात्रि की पूजा
- सातवां दिन: 13 अक्टूबर, बुधवार, दुर्गा अष्टमी, कन्या पूजन, मां महागौरी की पूजा
- आठवां दिन: 14 अक्टूबर, गुरुवार, महानवमी एवं हवन, कन्या पूजन
- दसवां दिन: 15 अक्टूबर, शुक्रवार, नवरात्रि व्रत का पारण, दशहरा
पूजा विधि
- माता की चौकी लगाने के लिए उत्तर-पूर्व में एक स्थान को साफ कर लें और गंगाजल से शुद्ध करें।
- एक लकड़ी की चौकी बिछाकर उस पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- अब सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें कलश स्थापित करने की विधि आरंभ करें।
- नारियल में चुनरी लपेट दें और कलश के मुख पर मौली बांधे।
- कलश में जल भरकर उसमें एक लौंग का जोड़ा, सुपारी हल्दी की गांठ, दूर्वा और रुपए का सिक्का डालें।
- अब कलश में आम के पत्ते लगाकर उसपर नारियल रखें।
- अब कलश को मां दुर्गा की प्रतिमा की दायीं ओर कलश को स्थापित करें।
- अब दीपक प्रज्वलित करके पूजा आरंभ करें।
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