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गोटमार एक पत्थरबाजी की अनोखी प्रथा

दुनिया के हर कोने में रहने वाले लोगों और समुदायों की अपनी अलग परम्पराएं हैं। इनमें से कुछ बेहद अनोखी प्रथा होती है। ऐसी ही एक प्रथा है गोटमारमध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पत्थरबाजी होती है जिसे गोटमार मेला कहा जाता है।

यह परम्परा उन युवक युवतियों की याद में निभाई जाती है जिन्होंने प्यार की खातिर जान दे दी थी। प्रशासन के संरक्षण में दो गांवों के लोगों के बीच पत्थरबाजी होती है जिसमें काफी लोग घायल भी हो जाते हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि सदियों पहले एक प्रेमी जोड़े ने प्यार की खातिर जान दे दी थी, उन्हीं की याद में गोटमार मेला आयोजित किया जाता है। सावरगांव के लड़के को पांढुर्ना गांव की लड़की से मोहब्बत थी।

वह लड़की को उठा ले गया था। इसका विरोध करते हुए पांढुर्ना के लोगों ने पथराव किया था। जिसमें प्रेमी जोड़े की मौत हो गई थी। इसके बाद दोनों गांवों के लोगों में जमकर पत्थरबाजी हुई थी।

उसी घटना की याद में हर साल गोटमार मेला आयोजित किए जाने और दो गांवों के बीच पत्थरबाजी की परम्परा है। परम्परा के तहत जाम नदी के बीच में एक लम्बा झंडा लगाया जाता है। नदी के दोनों किनारों पर गांव के लोग खड़े होकर उस झंडे को गिराने के लिए पत्थर चलाते हैं। जिस गांव के लोग झंडे को गिरा देते हैं, उस गांव को विजेता माना जाता है।

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