Saturday, December 14, 2024
21.4 C
Chandigarh

पैट गाइड: कुत्ते की देखभाल के लिए ज़रूरी बातें और सावधानियाँ

जब कभी आप एक डॉग को घर लाने के बारे में सोचें तो उसके लिए जरूरी है कि आप पहले उसकी केयर करने का तरीका जाने। आपको उसकी फिजिकल और इमोशनल दोनों ही जरूरतों का पता होना चाहिए।

इसका मतलब है कि पोषण से भरपूर खाना देना, पीने का साफ पानी देना, शेल्टर या उसे उसका घर देना और एक सेफ होम में रहने का मौका देना शामिल है।

डॉग की देखभाल करना एक बड़ी ज़िम्मेदारी होती है और डॉग पालने का निर्णय लेना, कोई ऐसा कदम नहीं है, जिसे आप बस यूं ही, बिना कुछ सोचे-समझे उठा लें।

आपके घर में आए इस नए फैमिली मेम्बर के साथ में आपके प्यार और भरोसे के बॉन्ड को बढ़ाने के लिए जरुरी है कि आपको उसके बारे में जानकारी हो।

आज हमारी इस पोस्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं कुत्ते की देखभाल के लिए ज़रूरी बातें और सावधानियाँ, तो चकिए शुरू करते हैं :-

सावधानियां:-

भोजन जो कुत्ते को नहीं देना चाहिए:-

कॉफी:-  यह पालतू जानवरों के लिए हानिकारक होती है क्योंकि इसके कारण कैफीन विषाक्तता हो सकती है। इस बीमारी के लक्षण हैं तेजी से सांस लेना, बेचैनी, मांसपेशियों में झटके और घबराहट।

आइस क्रीम:- मानवों की तरह ही कई कुत्ते लैक्टोस को सहन नहीं करते और परिणामस्वरूप उन्हें डायबिटीज़ हो जाती है।

चॉकलेट:- चॉकलेट में उच्च मात्रा में थियोब्रोमाइन नामक नुकसानदायक पदार्थ होता है। इसके कारण अत्याधिक प्यास लगती है, दौरे पड़ते हैं, दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है और फिर अचानक मौत हो जाती है।

शराब:- यह कुत्ते के लीवर और दिमाग को नुकसान पहुंचाती है। इसके कारण सांस लेने में कठिनाई होती है, कुत्ते कोमा में चले जाते हैं और यहां तक कि मौत भी हो जाती है।

प्याज:- यह कुत्ते के लाल रक्ताणुओं को नष्ट करके उसे नुकसान पहुंचाता है।

पिल्ले का चयन करते समय सावधानियां

पिल्ले का चयन आपकी जरूरत, उद्देश्य, उसके बालों, खाल, लिंग और आकार के अनुसार किया जाना चाहिए। पिल्ला वह खरीदें जो 8-12 सप्ताह का हो। पिल्ला खरीदते समय उसकी आंखे, मसूड़े, पूंछ और मुंह की जांच करें।

आंखे साफ और गहरी होनी चाहिए, मसूड़े गुलाबी होने चाहिए और दस्त के कोई संकेत नहीं होने चाहिए।

पालतू कुत्ते की देखभाल

आश्रय – कुत्ते को रहने के लिए अच्छी तरह से हवादार, साफ और सुरक्षित वातावरण प्रदान करें। आश्रय अत्याधिक बारिश, हवा और आंधी से सुरक्षित होना चाहिए। सर्दियों में कुत्तों को ठंड से बचाने के लिए कंबल दें और गर्मियों में छाया और ठंडे स्थानों की आवश्यकता होती है।

पानी – कुत्ते के लिए 24 घंटे साफ पानी उपलब्ध होना चाहिए। पानी को साफ रखने के लिए प्रयोग किए जाने वाले बर्तन को आवश्यकतानुसार दिन में कम से कम दो बार या इससे अधिक बार साफ करना चाहिए।

बालों की देख रेख – सप्ताह में दो बार बालों की देख रेख की जानी चाहिए। कंघी करने से अच्छा है प्रतिदिन ब्रशिंग करें। छोटे बालों वाली नस्ल के लिए सिर्फ ब्रशिंग की ही आवश्यकता होती है और लंबे बालों वाली नस्ल के लिए ब्रशिंग के बाद कंघी करनी चाहिए।

नहलाना – कुत्तों को 10-15 दिनों में एक बार नहलाना चाहिए। नहलाने के लिए औषधीय शैंपू की सिफारिश की जाती है।

नवजात पिल्लों की देखभाल – पिल्लों के जीवन के कुछ हफ्तों के लिए उनकी प्राथमिक गतिविधियों में अच्छे वातावरण, आहार और अच्छी आदतों का विकास शामिल है।

कम से कम 2 महीने के नवजात पिल्ले को मां का दूध प्रदान करें और यदि मां की मृत्यु हो गई हो या किसी भी वजह से पिल्ला अपनी मां से अलग हो जाए तो शुरूआती फीड या पाउडर दूध पिल्ले को दिया जाता है।

चिकित्सीय देखभाल

इंसानों की तरह, कुत्तों को भी हर 6-12 महीनों के बाद दांतों की जांच के लिए पशु चिकित्सक की आवश्यकता होती है। कुत्ते के दांतों को नर्म ब्रश के साथ ब्रश करें और एक ऐसे पेस्ट का चयन करें जो फ्लोराइड मुक्त हो क्योंकि फ्लोराइड कुत्तों के लिए बहुत ही जहरीला होता है।

पालतू जानवरों को नियमित टीकाकरण और डीवॉर्मिंग की आवश्यकता होती है ताकि उन्हें स्वास्थ्य समस्याएं ना हों।
6 सप्ताह के कुत्ते को कैनाइन डिस्टेंपर, कैनाइन हेपेटाइटिस, कोरोना वायरल आंत्रशोथ (एन्टेरिटिस), कैनाइन पैरैनफ्लुएंजा, परवो वायरस संक्रमण, लेप्टोस्पायरोसिस का प्राथमिक टीकाकरण दें और फिर दूसरा टीकाकरण 2-3 सप्ताह से 16 सप्ताह के कुत्ते को दें और फिर वार्षिक टीकाकरण दें।

रेबीज़ बीमारी के लिए 3 महीने की उम्र के कुत्ते को प्राथमिक टीकाकरण दें, पहले टीके के 3 महीने बाद दूसरा टीका लगवाएं और फिर वार्षिक टीका लगवाना चाहिए।

हानिकारक परजीवियों से अपने पालतु जानवरों को बचाने के लिए डीवॉर्मिंग अवश्य करवानी चाहिए। 3 महीने और इससे कम उम्र के कुत्ते को प्रत्येक 15 दिनों के बाद डीवॉर्मिंग करवानी चाहिए।

6-12 महीने के बीच के कुत्ते को दो महीने में एक बार डीवॉर्मिंग करवानी चाहिए और फिर 1वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के कुत्ते को प्रत्येक 3 सप्ताह बाद डीवॉर्मिंग करवानी चाहिए। डीवॉर्मिंग कुत्ते के भार के अनुसार विभिन्न होती है।

यह भी पढ़ें :-

पैट गाइड: कुत्ते को भूल कर भी खाने को न दें ये चीज़ें, हो सकतीं है घातक

जर्मन शेफर्ड : कुत्ते की पालने योग्य सबसे पसंदीदा नस्ल

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR