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अमिताभ बच्चन की 30 फ़िल्में जो जिन्दगी में एक बार जरुर देखनी चाहिए!

बॉलीवुड के महानायक कहलाने वाले अमिताभ बच्चन ने अनगिनत फिल्मों में अपनी अभिनय क्षमता से करोड़ों दर्शकों का दिल जीता है। दशकों पहले शुरू यह सिलसिला आज भी जारी है।

यहाँ हम आपको बताने जा रहे हैं उनके द्वारा अभिनीत यादगार शीर्ष 30 फ़िल्में जिनको देखे बिना यदि आप अमिताभ बच्चन का फैन होने का दावा करते हैं तो यकीन करें कि आप टाइम-पास फैन ही हैं।

आनंद (1971)

यह फिल्म एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की कहानी पर आधारित है जो अपने मरने से पहले पूरी जिन्दादिली से अपनी जिंदगी को जीना चाहता है और जीता भी है।

इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने डॉक्टर का और राजेश खन्ना ने मरीज का मुख्य किरदार बहुत सजींदगी से निभाया है। “बाबू मोशाय” इस फिल्म का एक मशहूर डायलॉग था। फिल्म में अभिनय के साथ-2 संगीत भी बेहद उम्दा है। जीवन में एक बार देखने योग्य फिल्म है।

निर्माता: ऋषिकेश मुखर्जी, एन।सी। सिप्पी, निर्देशक: ऋषिकेश मुखर्जी, लेखक: ऋषिकेश मुखर्जी (कहानी), संगीतकार: सलिल चौधरी

यदि आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो अमेज़न प्राइम वीडियो (amazon primevideo) मैक्स प्लेयर (maxplayer) यू ट्यूब (youtube) के माध्यम से देख सकते हैं।

ज़ंजीर (1973)

जंजीर 1973 की भारतीय हिंदी-भाषा की एक्शन क्राइम फिल्म है। यह फिल्म अमिताभ बच्चन के अभिनय जीवन ही नहीं बल्कि हिंदी सिनेमा में मील का पत्थर साबित हुई।

इस फिल्म के साथ ही बिग-बी के संघर्ष का दौर का अंत हुआ और हिंदी सिनेमा को एक नया उभरता स्टार मिल गया। भारत में भ्रष्ट सिस्टम से त्रस्त आम आदमी की खीज उसके लड़ने के ज़ज्बे को दिखाने वाली यह संभवत: पहली फिल्म थी।

फिल्म में विजय खन्ना (AB) के बचपन में उसके माता-पिता का खून हो जाता है। कातिल के हाथ में लटकी जंजीर उसके जहन में बुरे सपने की तरह बस जाती है।

अपनी पुलिस की नौकरी के दौरान उसे अपने परिवार के कातिल का सुराग मिल जाता है और तमाम परेशानियों को झेलकर वह उसे उसके अंजाम तक पहुंचा कर दम लेता है। इसमें उसका पहले विरोधी लेकिन बाद में मित्र शेर-खान (प्राण) उसकी बहुत सहायता करता है।

निर्माता/निर्देशक: प्रकाश मेहरा, लेखक: सलीम ख़ान, जावेद अख़्तर, संगीतकार: कल्याणजी आनंदजी

जंजीर(1973)पर उपलब्ध है।

अभिमान (1973)

अभिमान (English: Pride) 1973 में बनी एक म्यूजिक-ड्रामा फिल्म है। इसमें अमिताभ बच्चन और उनकी रियल लाइफ पत्नी जया-भादुरी (बच्चन) मुख्य किरदार में थे।

यह फिल्म अपने मधुर संगीत कम्पोजीशन के लिए ज्यादा जानी जाती है जिसके संगीतकार महान एसडी बर्मन थे और गीतकार बेजोड़ मजरूह सुल्तानपुरी साहब थे।

मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर और किशोर कुमार गायक थे। जया भादुड़ी को इस फिल्म के लिए फिल्म फेयर का बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड मिला था। माना जाता है कि यह फिल्म किशोर कुमार और उनकी पत्नी रुमा घोष की असल जिन्दगी पर आधारित थी।

फिल्म एक सिंगर कपल पर बनी थी। सुबीर का करियर उतार पर है जबकि उसकी नई दुल्हन उमा एक उभरती गायिका है। समय के साथ उमा सुबीर से अधिक मशहूर हो जाती है और सुबीर इर्ष्या में अपने दाम्पत्य जीवन में तनाव का कारण बन जाता है, और वे अलग हो जाते है।

अति-तनाव में उमा का गर्भपात हो जाता है और वे अपने रास्ते चल पड़ते हैं, लेकिन अंतत कुछ मददगार लोगों के प्रयास से वे फिर से एक हो जाते हैं और साथ में स्टेज पर आते हैं।

इस फिल्म का संगीत बहुत शानदार बना है और अभी भी बहुत पसंद किया जाता है।

निर्देशक: ऋषिकेश मुखर्जी, निर्माता: सुशीला कामत, पवन कुमार, लेखक: ऋषिकेश मुखर्जी, संगीतकार: सचिन देव बर्मन, मजरूह सुलतानपुरी (गीत)

यदि आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो अमेज़न प्राइम वीडियो (amazon primevideo) मैक्स प्लेयर (maxplayer) यू ट्यूब (youtube) गूगल प्ले मूवीज & टीवी (google play movies & tv) के माध्यम से देख सकते हैं।

नमक हराम (1973)

यह फिल्म सोमू (राजेश खन्ना ) और विक्की (अमिताभ) नाम के दो दोस्तों के बीच के रिश्ते पर आधारित है. सोमू गरीब मजदूर है जबकि विक्की धनवान सेठ का बेटा है.

विक्की अपने दोस्त की नया यूनियन लीडर बनने में मदद करता है लेकिन बाद में इन दोनों के बीच तनाव आ जाता है क्योंकि सोमू मजदूरों की स्थिति को लेकर स्टैंड ले लेता है.

अमीर और गरीब दोस्तों के बीच व्यापारिक विरोध के कारण उपजे संघर्ष को इस फिल्म में खूबसूरती से दिखाया गया है. नमक हराम अपने समय की बेहद हिट फिल्म थी.

निर्देशक: ऋषिकेश मुखर्जी, निर्माता: जयेंद्र पंड्या, राजाराम, सतीश वागले, लेखक: गुलज़ार, डी एन मुखर्जी, बीरेश चटर्जी, चंद्रकांता सिंह, मोहिनी एन सिप्पी, संगीतकार: राहुल देव बर्मन, गुलज़ार (गीत)

यदि आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो अमेज़न प्राइम वीडियो (amazon primevideo) यू ट्यूब (youtube) के माध्यम से देख सकते हैं।

दीवार(1975)

दीवार फिल्म अमिताभ बच्चन द्वारा अभिनीत बेहद सफल और देखने योग्य फिल्म है. यह अमिताभ बच्चन के एंग्री यंग-मैन किरदार को स्थापित करने वाली फिल्म थी.

यह फिल्म ईमानदारी के लिए अपना सब-कुछ दाव पर लगाने वाले एक यूनियन प्रधान(सत्येन कप्पू) के परिवार में उसकी पत्नी (निरूपा रॉय), बड़ा बेटा विजय (अमिताभ बच्चन) और छोटे बेटे (शशि कपूर) के जीवन की त्रासदी पर आधारित है.

विजय के हाथ पर “मेरा बाप चोर है” का टैटू उसकी जिन्दगी बदल देता है और वह अंडरवर्ल्ड डॉन बन जाता है. वही दूसरी और छोटा भाई पुलिस इंस्पेक्टर बन जाता है.

फिल्म के अंत में दोनों में मां को अपने साथ रखने के लिए तकरार होती है, और माँ ईमानदारी से कमाने वाले छोटे बेटे का साथ देती है. मशहूर डायलॉग, “मैं आज भी फैंके हुए पैसे नहीं उठाता'” और “मेरे पास माँ है” हैं जिस पर आज भी कमर्शियल एडस बनती हैं. “इंडियाटाइम्स” की टॉप 25 “must see” लिस्ट में यह फिल्म शामिल है।

निर्देशक:  यश चोपड़ा, निर्माता: गुलशन राय, लेखक: सलीम ख़ान,जावेद अख्तर, संगीतकार: राहुल देव बर्मन, साहिर लुधियानवी (गीत)

यह फिल्म पर उपलब्ध है।

शोले(1975)

भूतपूर्व पुलिस अधिकारी बलदेव सिंह ठाकुर उर्फ़ ठाकुर (संजीव कुमार) कुख्यात और क्रूर डाकू गब्बर सिंह(अमजद खान) द्वारा अपने पूरे परिवार की हत्या किये जाने के बाद जय(अमिताभ बच्चन) और वीरू(धर्मेन्द्र) नाम के चोर-उच्चकों को गब्बर सिंह को जिंदा पकड़ने के लिए नियुक्त करता है।

अपने समय की सबसे बेहतरीन फिल्मों से एक यह फिल्म मुंबई के मिनर्वा थिएटर में लगातार पाँच साल चलती रही। शोले फिल्म में गब्बर का मशहूर डायलॉग, “कितने आदमी थे” आज भी लोगों के बीच चलन में है, जिससे इस फिल्म के लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

इस फिल्म में असरानी (जेलर), जगदीप (सूरमा भोपाली) और बसंती (हेमामालिनी) की कॉमेडी बहुत ही मजेदार है। फ़िल्म जगत में कहा जाता है कि जिसने शोले फिल्म नहीं देखी उसने कुछ नहीं देखा।

निर्माता: गोपाल दास सिप्पी, निर्देशक: रमेश सिप्पी, लेखक: सलीम-जावेद, संगीत: राहुल देव बर्मन

शोले  पर उपलब्ध है।

चुपके चुपके(1975)

यह फिल्म एक हास्य पारिवारिक फिल्म है जिसमें अमिताभ बच्चन ने प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी का किरदार निभाया है. शर्मीला टैगोर, ओम प्रकाश इस फिल्म के अन्य कलाकार हैं.

प्रेम, रोमांस, आपसी मनमुटाव, रिश्तों की नजाकत और गर्माहट आदि को बहुत ही खूबसूरत तरीके से इस फिल्म में दर्शाया गया है। हृषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित यह फिल्म बंगाली उपन्यास पर आधारित है।

निर्देशक: ऋषिकेश मुखर्जी, लेखक: शकील चंद्र, उपेंद्रनाथ गांगुली, गुलजार, डीएन मुखर्जी, बीरेन त्रिपाठी, संगीतकार: सचिन देव बर्मन

यदि आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो अमेज़न प्राइम वीडियो (amazon primevideo) मैक्स प्लेयर (maxplayer) यू ट्यूब (youtube) गूगल प्ले मूवीज & टीवी (google play movies & tv) के माध्यम से देख सकते हैं।

अमर अकबर एंथोनी(1977)

अमर अकबर अ‍ॅन्थनी 1977 में बनी हिन्दी भाषा की एक्शन हास्य फिल्म है। यह मनमोहन देसाई द्वारा निर्देशित और निर्मित है। फिल्म में विनोद खन्ना, अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर मुख्य भूमिका निभाते हैं और इनके विपरीत क्रमशः शबाना आज़मी, परवीन बॉबी और नीतू सिंह हैं।

कहानी बचपन में अलग हुए तीन भाइयों पर केन्द्रित है जिन्हें विभिन्न धर्मों के तीन परिवारों – हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई द्वारा अपनाया जाता है। एक पुलिसकर्मी बनता है, दूसरा गायक और तीसरा देसी शराब बार का मालिक होता है।

यह फिल्म 27 मई 1977 को रिलीज हुई थी और साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई। धार्मिक सहिष्णुता के बारे में यह फिल्म बॉलीवुड मसाला फिल्मों में एक ऐतिहासिक फिल्म बन गई।

निर्देशक: मनमोहन देसाई, निर्माता: मनमोहन देसाई, लेखक:कादर ख़ान (संवाद), संगीतकार: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल

यदि आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो अमेज़न प्राइम वीडियो (amazon primevideo) वूट (voot) एप्पल टीवी (appletv) यू ट्यूब (youtube), मैक्स प्लेयर (maxplayer) के माध्यम से देख सकते हैं।

खून पसीना (1977)

खून पसीना 1977 में बनी हिन्दी भाषा की एक्शन क्राइम फिल्म है। फिल्म में अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, रेखा, निरूपा रॉय, असरानी, अरुणा ईरानी, भारत भूषण और कादर खान हैं। यह अमिताभ बच्चन की एक और “सुपरहिट” फिल्म थी।

यह फिल्म जुर्म की दुनिया पर आधारित है. इस फिल्म में शिवा (अमिताभ बच्चन) जो अपने आस पड़ोस में जुर्म करता है और उसकी मां उसकी शादी कराने के लिए उसको मनाती है.

निर्देशक: राकेश कुमार, निर्माता: बाबू मेहरा, लेखक:कादर ख़ान, राकेश कुमार, के.के. शुक्ल

यह फिल्म  पर उपलब्ध है।

परवरिश (1977)

परवरिश 1977 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। परवरिश एक क्राइम आधारित ड्रामा फिल्म है। फिल्म में अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना ने दो भाइयों की भूमिका निभाई है जो अपने किरदार से दर्शकों का दिल जीत लेते हैं।

शबाना आज़मी और नीतू सिंह ने प्रेमिकाओं की भूमिका निभाई है। अमज़द ख़ान और कादर ख़ान खलनायक हैं। यह मनमोहन देसाई की उस साल की चार हिट फिल्मों में से एक थी, जिनमें अन्य चाचा भतीजा, धरम वीर और अमर अकबर एन्थोनी थी।

निर्देशक: मनमोहन देसाई, निर्माता: ए॰ ए॰ नाडियाडवाला, लेखक: कादर ख़ान, संगीतकार:लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल

परवरिश 1977  पर उपलब्ध है।

डॉन(1978)

डॉन 1978 की एक हिन्दी क्राइम थ्रिलर फ़िल्म है। डॉन, एक मोस्ट वांटेड अपराधी होता है जो पुलिस से लड़ाई के दौरान मारा जाता है। डीएसपी डिसेल्वा ही जानता होता है कि डॉन मरा नहीं है।

डिसिल्वा डॉन के हमशकल विजय को अंडरवर्ल्ड में भेजता है ताकि वह अन्य अपराधियों के बारे में सारी जानकारी हासिल करके उनका समूल नाश कर सके।

इस बीच डिसिल्वा मारा जाता है और विजय मुसीबत में आ जाता है क्योंकि अपराधी जान चुके होते हैं कि वह असली डॉन नहीं है जबकि पुलिस सोचती है कि वही डॉन है। विजय के सामने एक ही रास्ता है, और वह है एक डायरी जिसमें सभी अपराधियों की लिस्ट है।

इस सुपरहिट फिल्म पर शाहरुख़ खान को लेकर दो रीमेक बन चुके है जोकि सुपर हिट रहे हैं।

निर्देशक: चन्द्र बरोट, निर्माता: नरीमन ईरानी, लेखक: सलीम-जावेद, संगीतकार: कल्याणजी आनंदजी

डॉन 1978पर उपलब्ध है।

मुक़द्दर का सिकंदर(1978)

मुकद्दर का सिकन्दर 1978 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य फिल्म है। यह प्रकाश मेहरा के साथ अमिताभ बच्चन की नौवीं फिल्मों में से पांचवीं है। फिल्म में विनोद खन्ना, राखी, रेखा और अमजद ख़ान भी हैं।

मुकद्दर का सिकन्दर 1978 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म थीं। यह शोले और बॉबी के बाद दशक की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म भी थी।

“मुकद्दर का सिकंदर” फिल्म एक अनाथ लड़के पर बनी है। वह शिमला में अपनी मालिक की बेटी से प्यार करता है। उस पर चोर होने का इल्जाम लग जाता है और उसकी दोस्त भी उसे चोर समझती है।

तमाम मुसीबतों को झेलता हुआ सिकंदर अंत में अपनी बेगुनाही साबित करने में कामयाब हो जाता है। अमजद खान, रेखा और विनोद खन्ना के साथ राखी इस फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में हैं। अमिताभ बच्चन के कैरियर की यह एक बहुत अच्छी देखने योग्य फिल्म है।

निर्देशक: प्रकाश मेहरा, निर्माता: प्रकाश मेहरा, लेखक: कादर ख़ान, संगीतकार: कल्याणजी आनंदजी

परवरिश 1977  पर उपलब्ध है।

काला पत्थर(1979)

काला पत्थर 1979 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। फिल्म 1975 के चासनाला खनन दुर्घटना पर आधारित थी। इस दुर्घटना मे सरकारी आँकडो़ के अनुसार 375 लोग मारे गये थे।

इस फिल्म में एक इमानदार पुलिस पिता अपने बच्चे का अपहरण करने वालों की कोई डिमांड नहीं मानता। इस फिल्म के बाद अमिताभ बच्चन भारतीय सिनेमा के महानायक बन गए थे।

निर्देशक/निर्माता: यश चोपड़ा, लेखक: सलीम-जावेद, संगीतकार:राजेश रोशन,साहिर लुधियानवी (गीत)

यदि आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो प्राइम वीडियो (primevideo) के माध्यम से देख सकते हैं।

सुहाग(1979)

सुहाग 1979 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य एक्शन फिल्म है। यह फिल्म वर्ष 1979 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी

सुहाग फिल्म गैंगस्टर पर आधारित है। इस फिल्म में शशि कपूर और अमिताभ बच्चन दो भाई होते हैं। किशन (शशि कपूर) एक अच्छा पुलिस अफसर बन जाता है। वहीं अमित (अमिताभ बच्चन) एक गुंडे के साथ साथ शराबी भी बना देता है। किशन और अमित आपस में मिलते हैं तो वे काफी अच्छे दोस्त बन जाते हैं।

निर्देशक: मनमोहन देसाई, लेखक: कादर ख़ान, संगीतकार:कल्याणजी आनंदजी

यदि आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो अमेज़न प्राइम वीडियो (amazon primevideo) वूट (voot) यू ट्यूब (youtube) के माध्यम से देख सकते हैं।

दोस्ताना(1980)

दोस्ताना 1980 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य एक्शन फ़िल्म है। यह कुर्बानी, आशा और राम बलराम के बाद 1980 की चौथी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फ़िल्म रही थी।

इसमें अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, ज़ीनत अमान, प्रेम चोपड़ा, अमरीश पुरी, हेलन और प्राण अभिनय करते हैं। इस फिल्म में विजय और रवि दो दोस्त होते हैं जो एक दुसरे के काम में दखल नहीं देते।

निर्देशक: राज खोसला, निर्माता: यश जौहर, लेखक: सलीम-जावेद, संगीतकार: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल

यदि आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो अमेज़न प्राइम वीडियो (amazon primevideo) यू ट्यूब (youtube) गूगल प्ले मूवीज और टीवी (google play movies & tv) के माध्यम से देख सकते हैं।

याराना (1981)

इस फिल्म का शीर्षक पहले यार मेरा था। 1981 की एक भारतीय म्यूजिकल ड्रामा फिल्म है, जिसमें अमिताभ बच्चन, अमजद खान, नीतू सिंह, तनुजा और कादर खान ने अभिनय किया है।

फिल्म का प्लॉट महाभारत से कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती पर आधारित है। यह उन फिल्मों में से एक थी जिसमें अमजद खान ने सकारात्मक भूमिका निभाई थी। अमिताभ बच्चन के साथ उनकी लगभग सभी अन्य फिल्मों में उन्होंने खलनायक की भूमिका निभाई है।

यह फिल्म एक एक्शन ड्रामा फिल्म है। जिसमें किशन और बिशन दो दोस्त होते हैं। इनमें से किशन अनाथ होता है जबकि बिशन अच्छे खानदान से होता है। दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती होती है।

निर्देशक: राकेश कुमार, निर्माता: एच॰ ए॰ नाडियाडवाला, लेखक: कादर ख़ान (संवाद), संगीतकार: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल

यदि आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो यू ट्यूब (youtube) और मैक्स प्लेयर (maxplayer) के माध्यम से देख सकते हैं।

लावारिस(1981)

लावारिस 1981 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य फ़िल्म है। इसमें अमिताभ बच्चन, ज़ीनत अमान, अमज़द ख़ान और राखी हैं। इसका एक गीत “मेरे अंगने में” बहुत लोकप्रिय हुआ था।

इस फिल्म में एक लड़के को जन्म से त्याग दिया जाता है। फिर बाद में उसको एक शराबी द्वारा पाला जाता है. जो उस त्याग किए बच्चे का नाम एक कुत्ते के नाम पर रखता है।

बॉक्स ऑफिस इंडिया के अनुसार फिल्म को बॉक्स-ऑफिस पर “सुपर-हिट” घोषित किया गया था। यह 1981 की चौथी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्म थी।

निर्देशक/निर्माता:प्रकाश मेहरा, लेखक: कादर ख़ान, संगीतकार:कल्याणजी आनंदजी

लावारिस 1981 पर उपलब्ध है।

सिलसिला(1981)

सिलसिला 1981 में बनी हिन्दी भाषा की रूमानी नाट्य फ़िल्म है इसमें अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, रेखा, संजीव कुमार और शशि कपूर मुख्य कलाकार हैं।

यह फिल्म उस समय के तीन सितारों अमिताभ-जया-रेखा के वास्तविक जीवन के कथित प्रेम त्रिकोण से बहुत प्रेरित है, जो उस समय के प्रेम प्रसंगों में सबसे चर्चित था।

निर्देशक/निर्माता: यश चोपड़ा, लेखक: रमेश शर्मा, संगीतकार:शिव-हरी

यदि आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो अमेज़न प्राइम वीडियो (amazon primevideo) वूट (voot) एप्पल टीवी (appletv) यू ट्यूब (youtube) के माध्यम से देख सकते हैं।

कालिया(1981)

कालिया 1981 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। फिल्म में अमिताभ बच्चन (शीर्षक भूमिका में), परवीन बॉबी, आशा पारेख, कादर ख़ान, प्राण, अमज़द ख़ान और के एन सिंह हैं।

यह फिल्म एक कालिया नाम के लड़के पर आधारित है जिसके बड़े भाई का एक्सीडेंट में हाथ कट जाता है। दरअसल कालिया (अमिताभ बच्चन) अपने बड़े भाई शामू (कादर ख़ान), भाभी शांति (आशा पारेख) और उनकी छोटी बेटी मुन्नी के साथ रहता है। वह पड़ोसी के बच्चों के साथ खेलते हुए अपना समय काटता है।

निर्देशक: टिन्नू आनन्द, निर्माता: इकबाल सिंह, लेखक: इन्दर राज आनन्द (संवाद), संगीतकार: राहुल देव बर्मन

यदि आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो अमेज़न प्राइम वीडियो (amazon primevideo) यू ट्यूब (youtube) गूगल प्ले मूवीज और टीवी (google play movies & tv) के माध्यम से देख सकते हैं।

सत्ते पे सत्ता(1982)

सत्ते पे सत्ता 1982 में बनी हिन्दी भाषा की हास्य एक्शन फ़िल्म है। इसमें अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, अमज़द ख़ान, रंजीता, सचिन, शक्ति कपूर, पेंटल, विजयेन्द्र घटगे, सुधीर, सारिका, कंवलजीत सिंह, प्रेमा नारायण, मैक मोहन और कल्पना अय्यर आदि शामिल हैं।

अपने माता पिता के मरने के बाद, रवि जो सात भाईयों में सबसे बड़ा होता है। अपने सातों भाइयों का अभिभावक बन जाता है। यह फिल्म हास्य से भरपूर है।

सत्ते पे सत्ता सात भाइयों की कहानी है। उनमें सबसे बड़ा रवि (अमिताभ बच्चन) जो अपने भाइयों की देखरेख करते रहता है। वे सभी अनाथ और अशिक्षित होते हैं। उन लोगों को अच्छे से रहना भी नहीं आता है।

उन लोगों की जिंदगी में तब बदलाव आता है, जब रवि को एक नर्स इन्दु (हेमा मालिनी) से प्यार हो जाता है। रवि उसे बेवकूफ बनाता है और कहता है कि उसका सिर्फ एक ही छोटा भाई है। इसके बाद रवि और इन्दु की शादी हो जाती है।

निर्देशक/निर्माता: रोमू एन॰ सिप्पी, लेखक: कादर ख़ान (संवाद), संगीतकार: आर॰ डी॰ बर्मन

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नमक हलाल(1982)

इस फिल्म में अर्जुन(अमिताभ बच्चन) को उसका दादा (ओम प्रकाश) पालता-पोसता है.. उसके दादा अर्जुन के लिए शहर जाते हैं और उसके लिए पुराने मालिक के होटल में नौकरी पर लगवाते हैं. होटल के मालिक के बेटे(शशि कपूर) पर दुश्मनों की नज़र है और वे उसे मार कर होटल अपने नाम करवाना चाहते है.

अर्जुन को पता चलता है कि होटल की मालकिन(वहीदा रहमान) दरअसल उसकी मां है. रोमांचक घटनाओं और हास्य से भरपूर बहुत ही उम्दा फिल्म है नमक हलाल. “पग घुंगरू बाँध कर मीरा नाची थी”, “आज रपट जाए तो” आदि बहुत ही उम्दा गीत-संगीत से भरे गाने है.

निर्देशक: प्रकाश मेहरा, निर्माता: इकबाल सिंह, लेखक: सुरेंद्र कौल (कहानी), लक्ष्मीकांत शर्मा (पटकथा),कादर खान (संवाद), संगीतकार: बप्पी लहरी

यदि आप इस फिल्म को देखना चाहते हैं तो अमेज़न प्राइम वीडियो (amazon primevideo) वूट (voot) एप्पल टीवी (appletv) यू ट्यूब (youtube) के माध्यम से देख सकते हैं।

शराबी(1984)

बचपन में माँ के आँचल से रहित अमिताभ बच्चन का किरदार विक्की कपूर अपने पिता करोड़पति पिता के प्यार को तरसता हुआ जवानी में शराब का सहारे अपने जीवन को चलाने लगता है.

बिज़नस-मैन बाप (प्राण) उसे मुंशी(ओम प्रकाश) के सहारे छोड़ कर अपनी बिज़नस की दुनिया में व्यस्त रहता है और पैसे को सबकुछ समझता है. विक्की को एक गरीब नाचने वाली(जयाप्रदा) से प्यार हो जाता है जो उसके बाप को नागवार गुजरता है और उसे घर से निकाल देता है.

विक्की खुशी-2 घर छोड़ देता है लेकिन रोजी रोटी कमाने के लिए उसे संघर्ष करना पड़ता है लेकिन वह हिम्मत नहीं हारता. बेजोड़ अभिनय और अंग्रेजी फिल्म पर आधारित रोमांचक पटकथा पर बनी इस फिल्म ने प्लैटिनम जुबली मनाई थी.

निर्देशक: प्रकाश मेहरा, निर्माता: सत्येन्द्र पाल, लेखक: कादर ख़ान (संवाद), संगीतकार: बप्पी लहरी

यह फिल्म पर उपलब्ध है।

मर्द(1985)

मर्द 1985 में बनी एक एक्शन फिल्म थी. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और अमृता सिंह ने अपना मुख्य किरदार निभाया था. यह फिल्म उस समय की सबसे ज्यादा कमाई वाली फिल्म थी.

 

अग्निपथ(1990)

इस फिल्म में एक छोटा लड़का अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए धीरे-2 बदमाश बनता जाता है ताकि वह अपने पिता के हत्यारे तक पहुंच सके.

आंखें(2002)

इस फिल्म में विजय सिंह राजपूत बैंक का एक विचित्र मेनेजर होता है. जो अपने ही बैंक में अंधों से चोरी कराता है. यह फिल्म बहुत ही रोमांच और हास्य से भरपूर है.

बागवान(2003)

इस फिल्म में बूढे दम्पति अपने बच्चों से प्रेम और सहानुभूति की आशा करते हैं लेकिन उनके बच्चे उनसे बोझ की तरह व्यवहार करते हैं. यह फिल्म बहुत ही भावनात्मक फिल्म है.

खाकी(2004)

इस फिल्म में डीसीपी अनंत श्रीवास्तव(अमिताभ बच्चन) इमानदार पुलिस का किरदार निभाता हैं, उन्हें एक आतंकवादी को मारने का मिशन दिया जाता है.

ब्लैक(2005)

इस फिल्म में रानी मुखर्जी ने एक बहरी और अंधी लडकी का किरदार निभाया है और अमिताभ बच्चन ने उसके अध्यापक का किरदार निभाया है.

सरकार(2005)

यह फिल्म एक राजनीति पर आधारित है, इसमें अमिताभ बच्चन ने एक नेता का किरदार निभाया है. जो मुंबई में दो सरकारें चलाता है.

सरकार राज (2008)

इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने बहुत महत्वपूर्ण किरदार निभाया है.यह फिल्म अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म सरकार का सीक्वल है. इस फिल्म में अनीता राजन जो एक शेफर्ड अन्तराष्ट्रीय कंपनी की सी.ई.ओ होती है.

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