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रहस्यमयी है भीमकुंड, केवल तीन बूंद पानी पीने से बुझ जाती है प्यास!

हमारे देश में ऐसी कई जगहें हैं जो बेहद अद्भुत और रहस्य्मयी है। इन्हीं रहस्य्मयी जगहों में से एक है भीमकुंड, जिससे जुड़ी कई कहानियां आज भी प्रचलित हैं।

कहा जाता है कि इसके पानी के स्रोत के बारे में आज तक किसी को पता नहीं चल पाया है। वहीं यह कुंड इतना चमत्कारी है कि इसके पानी की केवल तीन बूंद पीने से प्यास बुझ जाती है।

आज हम आपको इसी रहस्य्मयी के बारे में बताने जा रहे हैं,तो चलिए जानते हैं :-

कहाँ पर है ये कुंड

रहस्य्मयी कुंड को भीमकुंड कहा जाता है, और इसे नीलकुंड के नाम से भी जाना जाता है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से लगभग 77 किमी दूर बाजना गांव में स्थित है। जैसा कि नाम से पता चलता है, इस कुंड की कहानी महाभारत काल की है।

ऐसी मान्यता है कि महाभारत के समय जब पांडवों को अज्ञातवास मिला था तब वे यहां के घने जंगलों से गुजर रहे थे। उसी समय द्रौपदी को प्यास लगी। लेकिन, यहां पानी का कोई स्रोत नहीं था।

द्रौपदी व्याकुलता देख गदाधारी भीम ने क्रोध में आकर अपने गदा से पहाड़ पर प्रहार किया। इससे यहां एक पानी का कुंड निर्मित हो गया। लेकिन पानी का स्रोत जमीन की सतह से लगभग तीस फीट नीचे था।

तब युधिष्ठिर ने अर्जुन से अपने तीरंदाजी कौशल दिखाने और पानी तक पहुंचने का रास्ता बनाने को कहा। अर्जुन ने अपने बाणों से जलस्रोत तक सीढ़ियाँ बनायीं। इससे द्रौपदी पानी तक पहुंच गई और पानी पीकर वापस आ गई।

यह कुंड भीम की गदा से बना था, इसलिए इसे भीमकुंड के नाम से जाना जाने लगा। यह भी माना जाता है कि यह भीमकुंड एक शांत ज्वालामुखी है।

कई भूवैज्ञानिकों ने इसकी गहराई को मापने की कोशिश की, लेकिन कुंड का तल नहीं मिल सका। कहा जाता है कि कुंड के अस्सी फीट की गहराई में तेज जलधाराएं बहती हैं। ये धाराएँ शायद इसे समुद्र से जोड़ती हैं।

भूवैज्ञानिकों के लिए भी भीमकुंड की गहराई आज भी एक रहस्य बनी हुई है। मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से कई तरह के रोग दूर हो जाते हैं। कोई कितना भी प्यासा क्यों न हो, इस कुंड की केवल तीन बूंद उसकी प्यास बुझाती है।

वहीं अगर कोई संकट आने वाला है तो इस जल स्रोत का पानी बढ़ने लगता है। कुंड का एक और रहस्यमय पहलू यह भी है कि आम तौर पर जब कोई व्यक्ति पानी के भीतर मर जाता है, तो शरीर पानी की सतह से ऊपर तैरता है, लेकिन भीमकुंड की एक अलग घटना होती है।

इस कुंड में एक बार डूबने के बाद शरीर फिर कभी ऊपर नहीं तैरता और शरीर फिर कभी नहीं मिल सकता। स्थानीय लोगों के अनुसार भीमकुंड आने वाली प्राकृतिक आपदाओं का भी सूचक है।

जब भी प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है तो भीमकुंड का जल स्तर काफी बदल जाता है। 2004 में सुनामी के समय जल स्तर लगभग 15 फीट बढ़ गया था और नेपाल भूकंप के समय भी ऐसा ही हुआ था।

इस कुंड के पानी को पवित्र जल माना जाता है। ऐसा कहा जाता ​​है कि मकर संक्रांति के दिन भीमकुंड में डुबकी लगाने से आप दोनों ठीक हो जाएंगे और आपके सभी पाप धुल जाएंगे।

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