क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी पर कई प्राणी ऐसे भी है जो अपना ही मल खाकर अपना जीवन जीते हैं। जी हाँ ऐसे कई जानवर हैं जो कभी-कभी ऐसा करते हैं, और कभी-कभी अन्य जानवरों के मल को भी खा जाते हैं।
इसे कोप्रोफैगिया के नाम से जाना जाता है। उदाहरण के लिए, कभी-कभी कुत्ते, बिल्ली की मल खाएंगे। दूसरी ओर, कुछ जानवर, जैसे खरगोश, पोषक तत्वों को निकालने के लिए ऐसा करते हैं।
कुछ कीट दूसरे का मल खाते हैं, और कुछ युवा जानवर, जैसे दरियाई घोड़ा, हाथी, कोयल, और विशाल पांडा जीवन के आरंभ में ऐसा करते हैं।
आज हम आपको जिस जानवर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। वह है बेहद खूबसूरत दिखने वाला खरगोश और उसे अपनी बेहतर सेहत के लिए अपनी मल खाना पड़ता है। इसके लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।
धरती के इस खूबसूरत जीव का पाचन तंत्र ज्यादा विकसित नहीं है। खरगोश घास खाते हैं, लेकिन खराब पाचन तंत्र के कारण, उनके शरीर से कई आवश्यक पोषक तत्व बिना पाचन के बाहर निकल जाते हैं। इसी वजह से खरगोशों को मलत्याग के बाद दोबारा खाने से ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्व मिलते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक खरगोश का मल लिक्विड (Secotrope) और टैबलेट की तरह होती है। तरल मल पोषक तत्वों से भरपूर होती है।
इसे खरगोश को दोबारा खाने के बाद यह पूरी तरह पच जाता है और गोली की तरह मल हो जाता है। फ्लुइड-टाइप मल में विटामिन K और विटामिन B12 उच्च मात्रा में पाए जाते हैं।
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