Friday, November 22, 2024
14.6 C
Chandigarh

जानिए कहानी ‘गुड़िया’ की!!

गुड़िया भला किसे अच्छी नहीं लगतीं। पुराने जमाने से ही ये मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा रही हैं।

गुड़िया क्या है?

इस प्रश्न का उत्तर डिक्शनरी में कुछ इस प्रकार मिलता है, “बच्चे का खिलौना, कठपुतली आदि जिसका निर्माण मानवीय चेहरे से मिलती जुलती आकृति में किया गया हो।”

पुराने जमाने में इनके चेहरे विभिन्न ऐतिहासिक हस्तियों के आधार पर बनाए जाते थे और सम्भवतः आरम्भिक दौर में इनका निर्माण क्ले, फर या लकड़ी से किया जाता था।

प्राचीन काल की गुड़िया

आज पूर्व ऐतिहासिक काल की गुड़िया मौजूद नहीं है। हालांकि खुदाई में बैबीलोनियन काल की ऐसी एलबैस्टर गुड़िया बरामद हुई हैं जिनकी भुजाएं हिलती थीं।

2000 ईसा पूर्व की मिस्त्री क्रबों में भी चपटी लकड़ी के टुकड़ों से बनाई हुई गुड़िया बरामद हुई हैं जिनके बाल मिट्टी अथवा लकड़ी के बीड्स से बनाए गए थे।

पुरातन काल में यूनान और रोम में बच्चों की कब्रों के साथ गुड़िया भी दफनाई जाती थीं। यूनान तथा रोम में बड़ी होने पर लड़कियां अपनी गुड़िया देवी को अर्पित कर दिया करती थीं क्योंकि बड़ी होने पर उन्हें उनसे खेलने की अनुमति नहीं होती थी।

अधिकांश पुरातन गुड़िया जो पाश्चात्य देशों में बच्चों को कब्रों में पाई गईं वे बहुत सादगी भरपूर होती थीं और आमतौर पर इनका निर्माण क्ले, चिथड़ों, लकड़ी अथवा हड्डियों से किया जाता था।

कुछ अधिक बेहतरीन किस्म की गुड़िया हाथी दांत अथवा मोम से भी बनाई जाती थीं। इनका निर्माण चाहे जिस पदार्थ से भी किया जाता हो, उनके पीछे उद्देश्य मात्र यही होता था कि इनका निर्माण यथासंभव अधिक से अधिक मानवीय चेहरों में मिलता जुलता किया जाए।

इस संबंध में 600 ईसा पूर्व में एक बड़ी प्रगति का 25 संकेत मिलता है जब उस दौर की बनी हुई ऐसी गुड़िया बरामद हुई जिनके अंग हिलते थे और जिनके कपड़े उतारे जा सकते थे।

पुरातन कालीन गुड़िया के दौर के बाद यूरोप इनके उत्पादन का एक बहुत बड़ा केंद्र बन गया। शुरू-शुरू में ये लकड़ी से बनाई जाती थीं।

लकड़ी से प्लास्टिक का सफर

बहरहाल समय बीतने के साथ-साथ इनके निर्माण स्तर में भी उत्तरोत्तर सुधार आता गया और इसमें इस्तेमाल की जाने 3 वाली निर्माण सामग्री में लकड़ी एवं कागज की लुगदी आदि का इस्तेमाल किया जाने लगा।

इन मिश्रणों की ढलाई प्रेशर में की जाती थी जिसके परिणामस्वरूप यह अधिक टिकाऊ बनती थीं। अब तक इनका सामूहिक निर्माण भी शुरू हो गया था।

हर व्यापारी अपने सामान के निर्माण में उपयक्त सामग्री को राज रखने की कोशिश करता है और पुराने जमाने के निर्माता भी इसका अपवाद नहीं थे।

वे भी इनके निर्माण में उपयुक्त होने वाली सामग्री को रहस्य के आवरण में ही रखते थे ताकि अन्य निर्माताओं को इसका पता न चले।

समय के साथ-साथ गुड़िया की निर्माण प्रक्रिया और इसमें प्रयुक्त सामग्री में सुधार होता चला गया। इंगलैंड में 1850 और 1930 के बीच अत्यंत शानदार मोम की गुड़िया का निर्माण हुआ।

अब खांचे बनाकर मोम मिट्टी और प्लास्टर से गुड़िया का निर्माण शुरू हो गया। 19वीं शताब्दी तक चीन, जर्मनी, फ्रांस, डेनमार्क भी इनके निर्माण में कूद चुके थे और तरह-तरह की गुड़िया लोगों के आकर्षण का केंद्र बन चुकी थीं। 1880 के दशक में फ्रांस में बनी बेब नामक गुड़िया अत्यंत लोकप्रिय हुई।

सन् 1900 के आते-आते अधिक यथार्थवादी गुड़िया बनाई जाने लगीं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद गुड़िया निर्माताओं ने प्लास्टिक का उपयोग शुरू कर दिया।

इसके अलावा 1950 और 1960 में इनके निर्माण में फोम, रबड़ तथा विनाइल के उपयोग से सिर में विग लगाने की बजाय बालों का बिठाना संभव हो गया।

सबसे ज्यादा बिकने वाली गुड़िया

आज की तारीख में तो यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि गुड़िया का निर्माण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बहुत बड़ा व्यवसाय बन चुका है और इसके बिना बच्चों के मनोरंजन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ‘बार्बी’ आज की तारीख में विश्वभर में सर्वाधिक बिकने वाली गुड़िया हैं।

पंजाब केसरी से साभार

यह भी पढ़ें :-

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR