एक मनुष्य का दिमाग यह निर्धारित करता है कि वे अपने आसपास की दुनिया को कैसे अनुभव करता है। 2013 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 65 प्रतिशत अमेरिकन लोग मानते हैं कि हम अपने दिमाग का 10 प्रतिशत उपयोग करते हैं। अमेरिका के वैज्ञानिक न्यूरोलॉजिस्ट बैरी गॉर्डन ने एक इंटरव्यू में बताया है कि यह बात सिर्फ एक तथ्य है।
यह बात सबसे पहले 1930 में सबके सामने आई थी। लेकिन वैज्ञानिक यह बात नहीं मानते हैं कि हम अपने दिमाग का केवल 10 प्रतिशत हिस्सा ही इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने बताया कि हमारे दिमाग का अधिकतर हिस्सा हमेशा सक्रिय होता है। मानव न्यूरोसाइंस में फ्रंटियर में प्रकाशित एक अध्ययन में भी 10 प्रतिशत वाली इस बात को खारिज कर दिया गया था।
दिमाग का वज़न लगभग 3 पाउंड होता है, और हमारे दिमाग में 90 प्रतिशत जो कोशिकाएं हैं, उनको ‘ग्लियल कोशिकाएं’ कहते हैं, जो बाकि और 10 प्रतिशत कोशिकाएं होती हैं, उनको ‘न्यूरॉन्स’ कहते हैं। असली बात यह है कि हमारा दिमाग 100 प्रतिशत ही काम करता है, जिसमें 90 प्रतिशत ‘ग्लियल कोशिकाएं‘, 10 प्रतिशत बची ‘न्यूरॉन्स’ कोशिकाओं को शक्ति प्रदान करतीं हैं, परन्तु लोगों को लगा की 10 प्रतिशत कोशिकाएं, जिनको ‘न्यूरॉन्स कहते हैं, वही हमारे दिमाग का वो 10 प्रतिशत हिस्सा है, जो काम करता है।
जब कोई इंसान सोता है, तब भी उसका दिमाग उस वक्त सक्रिय रहता है। एक साधारण दिमाग ( एफ.एम.आर.आई ) तकनीक, जिसे कार्यात्मक चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एफ.एम.आर.आई ) कहा जाता है, ये तकनीक दिमाग में चल रही गतिविधि को माप सकती है, चाहे कोई इंसान अलग-अलग कार्य क्यों ना कर रहा हो।
इसी तरह की और तकनीकों का इस्तेमाल करके वैज्ञानिकों ने बताया है कि हमारे अधिकतर दिमाग का अधिक समय तक उपयोग होता है, चाहे कोई इंसान बहुत ही आसान कार्रवाई कर रहा हो।
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