भारत की संस्कृति में धर्म का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत एक ऐसा देश है, जहां हिंदू समुदाय के सर्वाधिक लोग वास करते है. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि भारत में ही सबसे ज़्यादा मंदिर मौजूद हैं। यहां सदियों से मूर्तियों को ईश्वर की भक्ति और प्रेम का माध्यम माना जाता है। वस्तुत: भारतीय लोगों का इन मूर्तियों पर अटूट विश्वास और श्रद्धा है।
यहाँ हर आकार प्रकार की मूर्तियाँ मिलती हैं। कुछ मूर्तियाँ इतनी छोटी होती हैं कि इन्हें छोटी सी डिब्बिया में रख कर लोग शुभदायक वस्तु के रूप में जेब में रखते हैं। वहीँ कुछ मूर्तियाँ इतनी विशाल हैं, जिन्हें मीलों दूर से देखा जा सकता है। कुछ ऐसी ही विशाल मूर्तियों के बारे में हम यहाँ इस संकलित लेख में बता रहे हैं।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, गुजरात
सरदार पटेल की महानता के चलते ही उनकी एक यादगार रूप में नर्मदा नदी के तट पर उनकी बहुत विशाल, सुन्दर और भव्य प्रतिमा बनाई गई है, जिसको स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का नाम दिया गया है। यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
वीर अभय अंजनेया स्वामी, आंध्र प्रदेश
वीर अभय अंजनेया स्वामी नाम की मूर्ति महानतम राम भक्त भगवान हनुमान की एक विशाल प्रतिमा है। यह आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा के पास परिताला शहर में स्थित है. इस प्रतिमा की ऊंचाई 135 फुट है। हनुमान स्वामी प्रतिमा भारत की सबसे ऊंची प्रतिमा है. इस मूर्ति की स्थापना 22 जून 2003 में हुई थी।
पद्मसंभव की प्रतिमा, मंडी हिमाचल प्रदेश
पद्मसंभव का शाब्दिक अर्थ होता है कमल से पैदा हुआ। पद्मसंभव भारत के एक साधु पुरुष थे. जिन्होंने आठवीं सदी में बौद्ध धर्म को भूटान एवं तिब्बत में ले जाने एवं प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहाँ उनको गुरू रिन्पोछे या लोपों रिन्पोछे के नाम से भी जाना जाता है। पद्मसंभव की प्रतिमा हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में प्रसिद्ध रेवालसर झील के पास स्थित एक विशालतम मूर्तियों में है। पद्मसंभव प्रतिमा की ऊंचाई 123 फीट है।
मुरुदेश्वर भगवान, कर्नाटक
भगवान शिव की विशाल मूर्ति दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में उत्तर कन्नड़ जिले के मुरुदेश्वर शहर में स्थित है। मुरुदेश्वर का नाम भगवान शिव के नाम पर पड़ा है। यह बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। मुरुदेश्वर सागर तट कर्नाटक के सब से सुंदर तटों में से एक है। पर्यटकों के लिए यहाँ आना दोगुना लाभप्रद है। जहां एक ओर जहां इस धार्मिक स्थल के दर्शन होते हैं और वहीं दूसरी तरफ प्राकृतिक सुन्दरता का आनंद भी मिलता है। इस मंदिर व प्रतिमा की ऊंचाई 122 फुट है।
हनुमान की मूर्ति, शिमला, हिमाचल प्रदेश
यह मूर्ति हिमाचल प्रदेश में शिमला के निकट जाखू पहाड़ी पर स्थित है। इस मूर्ति की ऊंचाई 108 फुट हैं। विशालकाय हनुमान प्रतिमा, बर्फ से लदी चोटियों, पर्यटन स्थलों का भ्रमण और सुरम्य घाटियों के साथ शिमला एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण स्थल हैं। यह प्रतिमा वर्ष 2010 में स्थापित की गई थी। यहां से पर्यटक सूर्योदय और सूर्यास्त के लुभावने दृश्यों का आनंद भी ले सकते हैं।
मिन्ड्रोलिंग मठ बुद्ध प्रतिमा, देहरादून
भगवान गौतम बुद्ध यह विशाल की प्रतिमा देहरादून मिंद्रोल्लिंग मठ में स्थित है। मिन्ड्रोलिंग मठ भारत के प्रमुख मठों और तिब्बत में न्यिंगमा स्कूल के छह प्रमुख मठों में से एक है। इस मठ की ऊंचाई 107 फुट है।
नांदुरा मारुति मूर्ति, महाराष्ट्र
भगवान हनुमान की मूर्ति महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में नांदुरा शहर में स्थित है। यह नांदुरा तालुका का मुख्यालय है। नांदुरा नगर पालिका 1931 में ब्रिटिश राज के दौरान स्थापित किया गया था। इस मूर्ति की ऊंचाई 105 फुट है।
शिव मूर्ति, हर की पौड़ी, हरिद्वार
हर की पौड़ी, भारत के उत्तराखंड राज्य के धार्मिक स्थल हरिद्वार में स्थित है। हर की पौड़ी का भावार्थ है हरी यानी नारायण के चरण। इस प्रतिमा की ऊंचाई 100 फुट है। यहाँ पर स्नान करना हरिद्वार आए हर श्रद्धालु की सबसे प्रबल इच्छा होती है, क्योंकि यह माना जाता है कि यहाँ पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
संत तिरुवल्लुवर की प्रतिमा, कन्याकुमारी
यह प्रतिमा कन्याकुमारी का प्रमुख चिन्ह स्थान है। यह पत्थर की बनी एक विशाल खड़ी प्रतिमा है और प्रसिद्ध सन्त और तमिल कवि थिरूवल्लूवर को समर्पित है। थिरूवल्लूवर प्रतिमा की ऊँचाई लगभग 133 फीट है। प्रतिमा के आधार की ऊँचाई लगभग 38 फीट है। यह थिरूवल्लूवर द्वारा रचित थिरूकुलाल पुस्तक के अरम के 38 अध्यायों को दर्शाता है।
चिन्मय गणाधीश, महाराष्ट्र
चिन्मय गनाधिश प्रतिमा महाराष्ट्र में कोल्हापुर में स्थित भगवान गणेश की सबसे ऊंची मूर्ति है। इस प्रतिमा की ऊंचाई 85 फुट है। इस प्रतिमा का अभिषेक 19 नवंबर 2001 की हुआ।
आदिनाथ बवांगाजा, मध्यप्रदेश
भगवान आदिनाथ बवांगाजा की प्रतिमा मध्यप्रदेश में स्थित है। इस प्रतिमा की ऊंचाई 84 फुट है।
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