सरदार भगत सिंह को शहीद-ए-आजम कहा जाता है जो देश की स्वतन्त्रता की लड़ाई हँसते-2 फांसी पर झूल गए थे। आज हम आपको शहीद भगत सिंह जी के कुछ ऐसे नारों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें पढ़कर आज भी आप में देशभक्ति का जज्बा जाग जाएगा।
23 साल की उम्र में अपने देश के लिए जान न्योछावर कर देने वाले भगत सिंह जी का नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में सबसे पहले लिया जाता है।
शहीद-ए-आजम के पूरे परिवार के खून में देशभक्ति दौड़ती थी और इसी वजह से भगत सिंह जी के अंदर भी देशभक्ति का जुनून सवार था। भारत की आज़ादी की लड़ाई में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है।
यह है भगत सिंह जी के दस मशहूर नारे :
इंकलाब जिंदाबाद
प्रेमी, पागल, और कवी एक ही चीज से बने होते हैं।
[adinserter block=”1″]साम्राज्यवाद का नाश हो।
मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आज़ाद है।
[adinserter block=”1″]निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।
ज़रूरी नहीं था की क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो, यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था।
व्यक्तियो को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते।
[adinserter block=”1″]बम और पिस्तौल क्रांति नहीं लाते, क्रान्ति की तलवार विचारों के धार बढ़ाने वाले पत्थर पर रगड़ी जाती है।
क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है। श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है।
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